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रद्द होती भर्ती परीक्षाएं, धूमिल होती सरकार की छवि !

डॉ अजय कुमार मिश्रा

उत्तर प्रदेश पुलिस दुनियां की सबसे बड़ी संख्या बल वाली पुलिस है, जिसमें 2.25 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत है | विभाग में चल रही भर्ती को सरकार ने रद्द करके आगामी 6 माह में पुनः परीक्षा की घोषणा की है | निसंदेह पुनः परीक्षा में सजगता देखने को मिलेगी, जिससे पेपर लीक को रोका जा सकेगा | पर इस विषय पर कुछ अधिक कहने और लिखने से पहले कुछ मूल तत्त्वों को भी जानना जरुरी है | कुल 60244 पदों की भर्ती के लिए परीक्षा फरवरी 16 से 18 के मध्य उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 2385 केंद्र बनाकर आयोजित हुयी थी | इस भर्ती के लिए दिसम्बर 2023 में विज्ञापन निकाला गया था | 48.17 लाख ऑनलाइन आवेदन 27 दिसम्बर 2023 से 16 जनवरी 2024 के मध्य प्राप्त हुए थे | इन प्राप्त आवेदनों में लगभग 2.5 लाख बिहार से, 43 लाख उत्तर प्रदेश से, 98,400 मध्य प्रदेश से, 74,769 हरयाणा से, 97,277 राजस्थान से, 42,259 दिल्ली से और 3404 आवेदक पंजाब से थे | किन्ही कारणों से लगभग 5.03 लाख आवेदक परीक्षा में शामिल नहीं हुए | इन सभी में महत्वपूर्ण यह भी है की इस भर्ती के लिए उम्र की बाध्यता 18 से 25 उम्र की थी | परीक्षा का निरस्त होना कई प्रश्नों को इक साथ जन्म देता है |
पुलिस भर्ती परीक्षा में पहले दिन की परीक्षा से ही युवा पेपर लीक होने का आरोप लगा रहें थे परन्तु सरकारी तंत्र इस बात को स्वीकार नहीं कर रहा था |
1500 से अधिक शिकायत साक्ष्यों के साथ अलग – अलग जगहों से भेजी गयी | भारी संख्या में युवाओं का दल लखनऊ में भी धरने पर रहा | अत्यधिक विरोध के पश्चात् सरकार ने परीक्षा को रद्द करने और पुनः परीक्षा कराने की घोषणा की | जिसके पश्चात् अभ्यर्थी उत्साहित भी दिखे, परन्तु यह सोचने और समझने का विषय है की जिस भर्ती में चयन के पश्चात् अवसर प्राप्त होता उसी भर्ती को रद्द कराने के लिए युवाओं को लड़ना पड़ा | क्या यह पूरे प्रदेश के भर्ती प्रणाली पर बड़ा प्रश्न नहीं है ? उत्तर प्रदेश में नई भर्ती होने की परीक्षा का पेपर लीक होना अब आम बात बन गया है | इसके पूर्व भी कई बार पेपर लीक हुआ है |
सरकार कड़ी कार्यवाही करके या करने का भरोसा देकर अपना पल्ला झाड़ लेती है | यह कितना अनुचित और अव्यवहारिक है की सरकार अपनी ही गलतियों से नही सीख रही और कड़े प्रबंधन करने में विफल है जिसका खामियाजा लाखों लोगों को उठाना पड़ रहा है | अनेकों लोगों का एक साथ सपना टूटना कितना भयावह है इसका अनुभव आर्थिक, सामाजिक, और परिवारिक दबाव झेल रहा बेरोजगार युवा ही समझ सकता है |
अव्यवस्था का आलम अक्सर देखने को मिलता रहता है | दो लाख से अधिक युवाओं का परीक्षा केंद्र लखनऊ बनाया गया था जिससे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड सभी जगह अव्यवस्था देखने को मिली | अव्यवस्था का आलम यह था की अधिकांश युवाओं को अगले दिन वापस जाने का इंतेजार करना पड़ा | पिछले वर्ष सरकार ने दो करोड़ लोगों को आगामी वर्षो में रोजगार देने की बात कही थी | इसके अतिरिक्त प्रत्येक घर में एक सरकारी नौकरी देने की भी बात सामने आयी थी | प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की भी सबसे नाजुक नब्ज रोजगार की है जिसके लिए प्रतिदिन धरना प्रदर्शन हो रहा है | यदि उत्तर प्रदेश की बात करें
तो कई अलग-अलग भर्तियों के अभ्यर्थी न केवल केस लड़ रहें है बल्कि कुछ के पक्ष में न्याय होने के बावजूद रोजगार नहीं प्राप्त कर सकें | निजी क्षेत्रों में अवसर की कमी और नौकरी की असुरक्षा, भुगतान कम होना, और बढ़ती ठेका प्रणाली लोगों को सरकारी नौकरी के प्रति प्रेरित करती है | हाल के वर्षो में आयी कोरोना आपदा ने इसमें आग में घी डालने जैसा कार्य किया है | उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2021-22 में रुपया 70,792 रही है जो महज बिहार राज्य से अधिक है | सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी फंड द्वारा जारी आकड़ों के अनुसार राज्य युवा श्रम भागीदारी कोरोना के पहले 41.2% थी जो की सितम्बर दिसम्बर 2022 में घट कर 22.4% रह गयी |
राज्य सरकार को कई अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए इसके लिए वह ऑनलाइन परीक्षा आयोजित कर सकती है, क्योंकि अधिकांश युवा आज कंप्यूटर के बेसिक ज्ञान से पूर्ण है | प्रश्नों के एक दो नहीं कई सेट तैयार किये जाये और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (A.I.) का प्रयोग कर परीक्षा शुरू होने के कुछ सेकंड पहले प्रश्न पत्र लाइव किये जाये | राज्य सरकार भर्ती बोर्ड के सभी उच्च अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करें जिससे परीक्षा सफलतापूर्वक करायी जा सकें | केंद्र सरकर की
कई इकाई है जो बिना दाग के वर्षो से सफल परीक्षा करा रही है उनका सहयोग भी लिया जा सकता है | परीक्षा में भागीदारी कम हो और राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए उत्पादन क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों को राज्य में अनुदान देकर आमंत्रित किया जाना चाहिए | निजी क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए रोजगार सुरक्षा और योग्यता अनुरूप न्यूनतम भुगतान नियमावली बनाने से सरकार को रोजगार के क्षेत्र में लाभ होगा | कई गंभीर मुद्दों में से रोजगार का मुद्दा अहम् है ऐसे में सरकार प्रत्येक घर के एक सदस्य को रोजगार देकर भी अपना प्रभाव कायम रख सकती है | सरकार यदि समग्र रूप से इस विषय पर नहीं
सोचेगी तो आगामी चुनाव में ये युवा कई लोकसभा क्षेत्र में न केवल गणित बिगाड़ सकते है बल्कि एक ऐसी छवि का निर्माण भी कर सकतें है जो चल रहे विकास के पहियों को अवरुद्ध कर सकता है |


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