मित्रों कल सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कर्णन को 6 माह की सजा सुना कर अपनी पीठ थपथपा ली है कि न्याय कर दिया गया।
पहले इन्ही न्यायधीशों ने इन्हें पागल करार देते हुए मानसिक जांच के आदेश दिए थे परन्तु पागल कर्णन को छूने की हिम्मत किसी को नही हुई।तो अब अवमानना का दोषी करार देते हुए 6 माह की जेल की सजा सुना दी।अब ये समझ मे नही आ रहा है कि कर्णन पागल है या मुजरिम।अगर पागल है तो पुनः जांच करके पागलखाने भेज जाए अगर मुजरिम है तो उसके judgship status की क्या स्थिति होगी सजा पूरी होने के बाद।वो निलंबित हुआ है या बर्खास्त,कुछ तो बताएं।मेरे हिसाब से तो पागल ही है और उसे पागलखाने ही भेजा जाए न कि जेल।क्योंकि हम वकीलों का सामना पागल जजों से रोज होता है।मुजरिम जजों से कम।इन पागल जजों की खोज करके इनके द्वारा दिये गए फैसलों को पलटना होगा वरना judiciary की जो बची खुची साख है वो भी भस्म हो जाएगी।
वैसे पागल कर्णन ने ये तो साबित कर ही दिया कि अगर आप 6 माह जेल जाने को तैयार हैं तो आप भारत मे किसी की बखिया उधेड़ सकते हैं।वैसे मुझे कम ही उम्मीद है कि ये पागल जेल जा पायेगा क्योंकि देख लीजियेगा इस नूरां कुश्ती में “मांडवाली” हो ही जायेगा।
इसके पहले भी आप सबको भ्रष्ट व बददिमाग न्यायधीशों के बारे में पता ही होगा।1993 में तत्कालीन जज वी.रामास्वामी के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव चला और कांग्रेसियों ने संसद का बहिष्कार करके उसे बचा लिया।आज भी चोर रामास्वामी मजे ले रहा होगा अगर जिंदा होगा तो।2008 में भ्रष्ट जज सौमित्र सेन को सुप्रीम कोर्ट ने इस्तीफा देने को कहा पर वो नही माना तो सुप्रीम कोर्ट की समिति ने महाभियोग चलाने की संस्तुति कर दी।संसद में महाभियोग शुरू होने के पहले ही सितम्बर 2009 में इस चोर ने भी इस्तीफा दे दिया और जेल जाने से बच गया और अब सुना है कि माया के मजे ले रहा है।एक और चोर दिनाकरन हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत किया जा रहा था परंतु वकीलों के पुरजोर विरोध के बाद उसकी प्रोन्नति रुक गयी।इस चोर के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव संसद में आया परन्तु ये तो इतना ढीठ था कि जब तक मामला गंभीर नही हुआ तब प्रशाशनिक कार्य करता रहा और 2009 से कार्यवाही शुरू हुई और 20011 में मांडवाली के बाद इस्तीफा दिया और अब मजे ले रहा है।मार्कण्डेय काटजू ने तो तबियत से सुप्रीम कोर्ट के जजों की माँ बहन की और बाद में माफी मांग ली।उसका भी कुछ नही हुआ।
मेरा एक क्लाइंट 1992 में 300 रु की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया,जेल गया, नौकरी गयी तुरत।बाद में 6 माह की सजा हुई।अपील दर अपील मामला सुप्रीम कोर्ट गया और अंततः उसे 3 माह जेल में गुजारने पड़े।वाह रे न्याय व्यवस्था! अंधा बांटे रेवड़ी, सिर्फ अपनो को देव।
नीचे से लेकर जितने भी भ्रष्टाचारी,कदाचारी,दुराचारी,बलात्कारी,बेईमान,रिश्वतखोर जज हैं वो तभी फंसते हैं जब तक उनकी “मांडवाली”नही हो पाती।
कई तथाकथित विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कर्णन नरमी का हकदार नही है।अरे भलेमानुषों ऊपर जिन महान आत्माओं का जिक्र हुआ है वो क्योंकर नरमी के हकदार हैं?सिर्फ इसलिए कि इस्तीफा देकर व माफी मांग कर गंगा नहा लिया उन्होंने या फिर उन्होंने आप सबकी लाज बचा ली।आज सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि अगर कर्णन दंडित नही किया गया तो समझा जाएगा कि जज होने के कारण छोड़ दिया गया।अरे भाई तो उपरोक्त क्या पाक साफ साबित हो गए थे?
अब संवैधानिक स्थिति ये है कि क्या कर्णन को जेल भेजा जा सकता है? पद से निलंबित या बर्खास्त किया जा सकता है? जी नहीं।हाई कोर्ट जज की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं और उन्हें संसद में महाभियोग चलाकर ही हटाया जा सकता वो भी दोनों सदनों के दो तिहाई बहुमत से।
जेल भेजे जाने के पहले ही कर्णन के साथ मांडवाली कि पूरी संभावना है और उपरोक्त पुण्यात्माओं की तरह ये भी माया के मजे लेगा और अगर जेल चला गया तो यकीन मानिए सांसद,राज्यपाल या मंत्री बनने की पूरी संभावना रहेगी।हम आप फेसबुक अड्डों और व्हाट्सएप्प, सोशल मीडिया पर रुदाली विलाप करते रहेंगे।
इस मुद्दे को समग्र क्रांति का रूप देने की अपील कर रहा हूँ आप सभी मित्रों से।
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#संतोष