वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। परिवर्तित राजनैतिक समीकरणों के आधार पर यह स्पष्ट हो गया है कि उपरोक्त चुनाव एनडीए बनाम इंडिया अथवा दक्षिण बनाम उत्तर के रूप में होने जा रहा है। इस तथ्य से एनडीए के शिरोमणी नेता मोदी जी भली भांति परिचित हैं साथ ही इंडिया के घटक दलों के नेताओं को भी इसका आभास है। यही कारण है कि मोदी जी दक्षिण की हर छोटी बड़ी पार्टी अथवा नेताओं को एनडीए गठबंधन में जोड़ने के लिए प्रयासरत हैं, जिसमें उनको पर्याप्त सफलता भी मिल रही है। इस प्रकार की गठबंधन युक्त राजनीति में जहाँ कुछ सकारात्मकता दिखाई देती है वहीं इसमें निहित कुछ नकारात्मक प्रभाव भी जनता के मस्तिष्क पर पड़ता है। उदाहरणस्वरूप महाराष्ट्र राज्य के प्रमुख नेता अजीत पवार को एनडीए गठबंधन में सम्मिलित करने से जहाँ महाराष्ट्र में भाजपा की छवि पर असर पड़ा है। वहीं उत्तर भारत के नेता ओमप्रकाश राजभर, जो पूर्व में योगी आदित्यनाथ जी के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते थे, उनके एनडीए गठबंधन में आने से भाजपा समर्थित जनता को अत्यधिक निराशा हुई। परन्तु मोदी जी को राम मन्दिर के शिलन्यास का श्रेय अवश्य ही मिलेगा। एक जन सर्वेक्षण के आधार पर यह आंकलन किया गया कि 51 प्रतिशत जनता ने मोदी जी के द्वारा की गई श्री राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा की सराहना की, जबकि 49 प्रतिशत जनता ने इसे मात्र चुनावी हथकंडा बताया। इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा से मोदी जी की छवि में निखार अवश्य आया है।
दूसरी ओर इंडिया गठबंधन अपने समस्त नेतागणों को एकजुट रखने में अभी भी सफल नहीं हो पा रहा है और उसके घटक दलों से कुछ नेताओं का निरन्तर भाजपा में पलायन हो रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य, जो लोकसभा की 80 सीटों का प्रतिनिधित्व करता है, वही निर्णय करेगा कि दिल्ली की सत्ता का कौन उत्तराधिकारी होगा। आगामी चुनावों में श्री योगी आदित्यनाथ जी की भूमिका उत्तर प्रदेश में अत्यधिक अहम होने के दो प्रमुख कारण हैं, प्रथम – वे ठाकुर समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, द्वितीय वे गौरखनाथ पीठ के मठाधीश हैं और इस मठ के अनुयायी सम्पूर्ण देश में विद्यमान हैं, जो योगी जी के एक संकेत पर कुछ भी करने हेतु तत्पर रहते हैं। इंडिया गठबंध को सरकार के प्रति किसानों की नाराजगी से मदद अवश्य मिलेगी, परन्तु इसकी क्षतिपूर्ति एनडीए गठबंधन, राजस्थान, गुजरात तथा मध्य प्रदेश राज्यों से कर लेगा। दक्षिण भारत में भी मोदी जी ने चुनावो की घोषणा से पूर्व जनता के हित में अत्यधिक कार्य किए, जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि उन्हें दक्षिण भारत में भी पूर्व की अपेक्षा अधिक सीटें प्राप्त हो सकती हैं।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात का सर्वाधिक रोचक चुनाव होने वाला है, जिसमें भारत देश की जनता अपने उज्ज्वल भविष्य का चिंतन करके मतदान करेगी क्योंकि वर्ष 2024 के पश्चात जो भी भारत का आगामी उत्तराधिकरी होगा, वह देश को कौनसी दिशा की ओर अग्रसर करेगा, यह प्रश्न आज समस्त मतदाताओं के चिंतन का विषय है। परन्तु इतना निश्चित है कि आगामी चुनाव उत्तर बनाम दक्षिण ही होगा। उत्तर के प्रभु श्री राम है और दक्षिण के प्रभु श्री तिरूपति बालाजी हैं। अब देखना यह है कि भारत की राजगद्दी पर विराजमान होने वाले किस उत्तराधिकारी पर किस प्रभु की कृपा होगी।
योगश मोहन