डीगढ़ के जे डब्ल्यू मैरिएट होटल में डायलॉग इंडिया एकेडमिया कॉन्क्लेव का शानदार आयोजन हुआ। इस समारोह में भारत के कोने कोने से निजी शैक्षणिक संस्थानों को विभिन्न पैरामीटर के आधार पर आधारित रेटिंग के अनुसार सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों के द्वारा द्वीप प्रज्जलवन के साथ हुआ। कार्यक्रम में शिक्षा एवं उद्योग की विशिष्ट हस्तियों के साथ अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। द्वीप प्रज्जलवन के उपरांत डायलॉग इंडिया की आल इंडिया रैंकिंग के विशेष अंक का लोकार्पण सम्माननीय अतिथियों द्वारा हुआ। रैंकिंग के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए डायलॉग इंडिया पत्रिका के संपादक श्री अनुज अग्रवाल ने कहा कि भारत मे शिक्षा के क्षेत्र में बहुत असमानताएं हैं। जहां प्राथमिक स्तर पर निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थान अभिभावक चाहते हैं तो वहीं उच्च शिक्षा में सरकारी शिक्षण संस्थान बाज़ी मारते हैं। रैंकिंग का उद्देश्य है निजी शिक्षण संस्थानों को प्रोत्साहित करना, अच्छे Kआर्यों को प्रोत्साहित करना, जिससे पैसे लेकर डिग्री देने वाले संस्थानों को हतोत्साहित किया जा सके और सरकार जिस तरह पारदर्शिता को बढ़ावा दे रही है, उसे क्रियान्वित किया जा सके। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे हरियाणा सरकार के मंत्री श्री मनीष ग्रोवर। उन्होंने आयोजकों को बधाई देते हुए अच्छे कार्यों को जारी रखने पर बल दिया। कार्यक्रम में पैनल डिस्कशन भी थे जिनमें शिक्षा और उद्योग के बीच बढ़ती दूरी पर सम्मानित अतिथियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रथम सत्र में पैनल सदस्य थे श्री कमल टाबरी, प्रोफेसर राजेश अरोड़ा (रजिस्ट्रार चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी) श्री विजय तिवारी(अध्यक्ष इंडो यूरोपियन चैंबर ऑप्फ स्माल एन्ड मीडियम इंटरप्राइज) भूपिंदर धर्माणी। इस चर्चा से कई बिंदु उभर कर आए कि किस प्रकार शिक्षा को उद्योगों के काबिल बनाया जा सकता है और उपक्रमों को आरम्भ किया जा सकता है। प्रथम सत्र का सफल संचालन वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रमोद सैनी ने किया।
इस सत्र में जो विचार रखे गए उनमें कमल टाबरी का उद्योग के स्थान पर उपक्रम का प्रयोग मुख्य था। उनके अनुसार उद्योग शब्द का प्रयोग ही गलत है, उन्होंने पर्यावरण आधारिक उपक्रम की बात की। प्रोफेसर राजेश अरोड़ा ने गुणवत्ता परक शिक्षा पर जोर दिया। विजय तिवारी जी ने शिक्षा और उद्योग के बीच सरकार की कड़ी को बताया और इसके लिए उन्होंने सांसदों द्वारा गोद लिए गए गाँव वाले प्रोजेक्ट की चर्चा की। भूपिंदर धर्मानी ने कहा सीएसआर परियोजना के अंतर्गत शिक्षा को दिया जाना चाहिए। शिक्षा समाजमूलक होनी चाहिए। और कौशल की आवश्यकता को महसूस किया गया।
इस कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले निजी शिक्षण संस्थान थे मानव रचना डेंटल कॉलेज फरीदाबाद, कपूर डीए वी डेंटल कॉलेज, कर्णावती स्कूल ऑफ डेंटिस्ट्री, चितकारा यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी मोहाली, पानीपत इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मानव रचना यूनिवर्सिटी, एमिटी यूनिवर्सिटी मध्य प्रदेश, आईआईआईएम जयपुर, चिरायु मेडिकल कॉलेज भोपाल, एपीजे सत्या मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, मणिपाल यूनिवर्सिटी राजस्थान।
द्वितीय सत्र अभिनवता एवं उच्च शिक्षा में सिंगल एंट्रेंस टेस्ट एवं पारदर्शिता पर था, जिसका सफल संचालन प्रोफेसर आशुतोष अग्रवाल ने किया। इस सत्र में नवाचार या अभिनवता अर्थात शिक्षा में इनोवेशन पर चर्चा हुई। चर्चा में पारदर्शिता पर बात हुई और भाजपा के महिला मोर्चा से चर्चा में शामिल एकता नागपाल का कहना था कि पारदर्शिता केवल शिक्षा में ही क्यों, पारदर्शिता हमारे जीवन के हर क्षण में होनी चाहिए। शिक्षा और डिग्री इन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है। डिग्री हमें व्यवहारिक जगत में केवल नौकरी पाने के योग्य बनाती है, मगर शिक्षा कहीं अधिक की बात है, शिक्षा संस्कारों की बात है। हर उद्योग में पाखण्ड है, हमें दोहरेपन से लड़के की आवश्यकता है। इसी बात को आगे बढाते हुए चर्चा में सम्मिलित हुए प्रोफेसर सुनील का कहना था कि शिक्षा में जब अभिनवता होगी तभी हम विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़ पाएंगे, बहुत जरूरत इस बात की है कि आज शिक्षक भी बच्चों के साथ जुड़कर खुद को अपडेट करें, नई तकनीकियों से अपडेट रखें खुद को। और सरकार इस समय नवाचार को बढ़ावा दे रही है, हमें इस का लाभ उठाना चाहिए।
वहीं मनिपाल राजस्थान से आए प्रोफेसर एन एम शर्मा ने सिंगल एंट्रेंस की आवश्यकता को तो सराहा मगर इसे और व्यवहारिक बनाने की मांग की। पारदर्शिता को परिचालानात्मक मुद्दा बताया। इस कार्यक्रम में मीडिया सहयोगी अमरउजाला था। इस कार्यक्रम में विजेताओं का साक्षात्कार साइबर सिपाही द्वारा लिया गया।