श्रीमती कृष्णा राज
मेरी हाल ही कि लद्दाख यात्रा लंबे समय तक स्मृतियों से धूमिल न हो सकेगी। विपरीत परिस्थितियों में जीते लद्दाखियो का जीवन संघर्ष नि:संदेह प्रेरणादायक है। बर्फ से ढके वृक्षविहीन पहाड़ों में सांस लेना ही बड़ी चुनोती है क्योंकि ऑक्सिजन कब कम हो जाए यह पता ही नहीं चलता। बर्फ के तूफान, भारी बारिश और पहाड़ों के दरकना, यह रोजमर्रा की बातें हैं। अपनी यात्रा के दौरान मैंने जब अपने मंत्रालय से जुड़े अनेक कार्यो का निरीक्षण किया तो यह स्थानीय अधिकारियों के लिए बड़े आश्चर्य की बात थी, शायद उनके क्षेत्र में किसी केंद्रीय मंत्री का पहला दौरा था। में ग्रामीण महिलाओं के साथ खासी घुलमिल जाती हूं। जब मैने उन्हें टटोला तो मुझे बहुत दुख हुआ जब मैने पाया कि कर्मचारी ओर सामाजिक संस्थाओं की कार्यशैली में व्यापक भ्रष्टाचार व्याप्त था। रोज जीवन संघर्ष कर रहे लद्दाखियो के प्रति यह अत्याचार की तरह था। इस लूट को रोकने के लिए मैंने जरूरी प्रबंध किए और आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। लद्दाख से लौटते समय हमारा काफिला भीषण बारिश के कारण हुए भूस्खलन के कारण 12 घण्टे से भी अधिक फंसा रहा। अनेक बार हम आगे बढ़े किंतु खतरनाक स्तर तक कि बारिश और भूस्खलन ने अनेक बार मौत से हमारा सामना कराया। खुद को बचाते बचाते हम दर्जनों ओर फंसे हुए यात्रियों को भी मदद करते जैसे तैसे आगे बढ़ते रहे। मेरी सहायिका ऑक्सिजन की कमी के कारण बेहोश हो गयी और एक दहशत मुझ पर भी छा गयी थी। मेरे आत्मबल ओर ईश्वरीय आशीर्वाद से जैसे तैसे हम लोग नीचे तक पहुंच पाए। मुझे पहाड़ से पानी की निकासी की व्यवस्था में बड़ी खामी दिखी। जल्द में संसद में अपने अनुभवों के आधार पर कुछ व्यवहारिक सुझाव देने जा रही हूं।
मेरी सोच और कार्यशैली में संघ छाया रहा है। मैं वैदिक संस्कृति, प्रकृति केंद्रित विकास में विश्वास रखती हूं। अपने संसदीय क्षेत्र के लोग, महिलाओं और बच्चों के हितों के लिए संघर्ष मेरी हमेशा प्राथमिकता रही है। सादा जीवन और सरल जीवन शैली मुझे हमेशा पसंद रही है और में अपने बच्चों को भी सप्ताह में एक बार पत्तल में खाना परोसती हूँ ताकि वे जमीन से जुड़े रहे। अपने परिवार, संस्कृति और देश से हमें प्यार करना चाहिए।
मेरे कार्यकर्ता मेरी शक्ति हैं। उनके पार्टी के प्रति समर्पण और मेरे प्रति प्यार और सम्मान के कारण आज में इस स्थिति में पहुंची हूँ। कार्यकर्ताओं और पार्टी के पदाधिकारियों का उचित सम्मान, उनकी बेहतर भूमिका ओर उनके अंदर छुपे नेतृत्व का विकास मेरी प्राथमिकता रही है। मैंने अपने संसदीय क्षेत्र में प्रति विभाग के हिसाब से लगभग 50 सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किए हैं, जो उनके लिए एक अवसर की तरह है और जनता को सरकारी कार्यालयों में अपने काम कराने के लिए बहुत आसानी हो गयी। अब हम तहसील ओर ब्लॉक स्तर पर भी ऐसी ही नेतृत्व श्रृंखला तैयार कर रहे हैं। अब हमारे सभी प्रमुख कार्यकर्ता उत्साहित हैं और सरकार में स्वयम की भूमिका पा रहे हैं।
योग और ध्यान मेरी जीवन शैली का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और हमारी पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह जी की कठिन जीवन शैली के उपरांत भी पूरी ऊर्जा और उत्साह से काम करने की आदत से मुझे बड़ी प्रेरणा मिलती है। गलत को गलत कहना मैंने उन्ही से सीखा। कई बार साफ साफ बोलने का मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। मगर मुझे लगता है मेरे देश की जनता के हित के आगे मेरे छोटे छोटे हित गौण हैं। जो भी व्यक्ति पार्टी या सरकार में व्यक्तिवादी है में उसकी मुखर विरोधी रही हूँ। मुझे लगता है गाँव ओर गलियों तक फैले हमारे कार्यकर्ता ही हमारी शक्ति हैं और हम जो कुछ भी हैं उसमें उन सबका खून पसीना लगा हुआ है। किसी भी कीमत पर हमारे किसी भी कार्यकर्ता के हितों , अपेक्षा ओर उत्साह पर कुठाराघात न हो, बस यही मेरी चिंता का विषय है। हम सब अगर परस्पर साथ मिलकर लगे रहेंगे, तब ही हम प्रधानमंत्री जी के सपनों का नया भारत बना पाएंगे।
लेखिका भारत सरकार में केंद्रीय महिला एवं
बाल विकास राज्य मंत्री हैं