कल सुबह जब अखबार खोला तो अरुण शौरी का बयान सामने था. उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर तंज कसते हुए इसे ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ बताया. वो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफ़ुद्दीन सोज़ की किताब के विमोचन समारोह में शामिल हुए थे. पहले ही सोज़ विवादों में थे. लेकिन अरुण शौरी के बयान से उन्हें भी पब्लिसिटी मिल गई. वैसे भी, प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बोल कर कोई भी ऐरा-गैरा सुर्खियों में आ जाता है. लेकिन ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ का जुमला सुन कर वाकई दुख हुआ क्योंकि ये सीधे सीधे भारतीय सेना की साख पर हमला था. मैं सोचता रहा कि जब डीजीएमओ और जनरल हुडा का बयान आ चुका है तो सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं बनता. शौरी जैसे लोगों को कम से कम इतना ध्यान रखना चाहिए था.
लेकिन ये कहां पता था कि शाम ढलते ढलते अरुण शौरी ही नहीं, राहुल गांधी, चिंदबरम, लालू, मायावती और केजरीवाल जैसे नेताओं के मुंह पर कालिख पुत जाएगी. सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से फूल गया. भारतीय सेना की जांबाजी देखकर मन गदगद हो गया. वैसे कुछ लोगों को इस वीडियो से परेशानी होना लाजमी है. क्योंकि ये वो लोग हैं जो मोदी विरोध में इतने अंधे हो चुके हैं वो देशद्रोही बन चुके हैं. इनकी जुबान से पाकिस्तानियों का भाषा निकलती है. ऐसे लोगों को कम से कम अब ये समझ लेना चाहिए कि वो दिमागी तौर पर पथभ्रष्ट हो चुके हैं.
इस वीडियो में साफ साफ दिख रहा है किस तरह भारतीय सैना के जांबाज सिपाहियों ने पाकिस्तान में घुस कर कायरों को हूरों के पास रवाना किया. जो बंकर के अंदर थे वो वहीं जमींनदोह हो गए. जो बाहर टहल रहे थे वो गोलियों के शिकार हुए और जो ज्यादा होशियार बनने की कोशिश की. छिप कर वार करने की फिराक में थे उन्हें हिंदुस्तान के जांबाजों ने क्लोज कॉमबैट में परास्त किया. इस वीडियो में कुछ अंश यूएवी का भी है. जिसमें समय तारीख और लोकेशन साफ साफ नजर आ रहा है. दूसरी बात ये कि लेफ्ट. जनरल हुडा ने भी वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि कर दी है. इसलिए अब न तो संदेश की कोई गुंजाइश नहीं है.
अब सवाल ये है कि इस वीडियो के आने के बाद सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों को क्या करना चाहिए? अगर इनमें जरा सा भी शर्म बाकी है तो इन्हें फौरन माफी मांगनी चाहिए. जिन नेताओं ने प्रेस क्रांफेस करके, ट्वीट करके या अखबारों में आर्टिकल लिखकर सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी बताया था उन्हें उसी माध्यम से माफी मांगनी चाहिए. और जिन लोगों ने सोशल मीडिया में अपने दोस्तों के बीच बिना जानकारी के इसे फर्जी बताया था उन्हें अपने दोस्तों से मांगनी चाहिए. लेकिन, मुझे अच्छी तरह पता है कि ये लोग इतने बेशर्म हैं कि इनसे माफी की उम्मीद करनी नहीं चाहिए.
इनकी बेशर्मी की इंतहा ये है कि अब जब सबूत सामने आ गए हैं.. वीडियो को दुनिया ने देख लिया है तो इन्होंने अपना पैंतरा बदला है. अब ये लोग कह रहे हैं कि वीडियो रिलीज क्यों किया? चुनाव के लिए सर्जीकल स्ट्राइक के नाम पर प्रोपेगंडा हो रहा है? राजनीति में आर्मी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए? जितनी तेजी से ये लुटियन गैंग और ये सेकुलर-लिबरल की जमात अपना रंग और पैंतरे बदलते हैं उतना तो गिरगिट भी नहीं कर सकता. जब सर्जिकल स्ट्राइक हुआ तो फौरन सबूत मांगने की दुकाने खुल गई थी. कुछ ने प्रेस कॉफ्रेस किया तो कुछ ने ट्वीट लेकिन जो लुटियन गैंग के नजदीक थे उन्होंने तो अखबारों में लेख लिख कर सवाल उठाया था. इन जयचंदो की वजह से ही पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक का मजाक उड़ाने का मौका मिला. इनके बयानों और लेखों को पाकिस्तानियों ने खूब सराहा. लेकिन अब, न सिर्फ पाकिस्तान के मुंह पर तमाचा लगा है साथ ही सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों का मुंह भी काला हुआ है.
नोट करने वाली बात ये है कि सर्जिकल स्ट्राइक का ऐलान डीजीएमओ ने किया था. इसके बावजूद वोटबैंक राजनीति के गुलामों और पाकिस्तान-परस्त नेताओं इस पर सवाल उठाया था. राजनीतिक फायदा के लिए जिन नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगा था उन्होंने सेना के पराक्रम पर सवाल उठाए थे. क्योंकि जो लोग सबूत मांग रहे थे वो ये मान कर चल रहे थे कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. वो अब तक इसी बात पर अड़े रहे कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं है. मोदी सरकार और बीजेपी झूठ बोल रही है. इसके बाद एक वक्त ऐसा भी आया जब सर्जिकल स्ट्राइक का अहम हिस्सा रहे लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा दुनिया के सामने सर्जिकल स्ट्राइक की हकीकत बताई. ये मामला दब गया लेकिन सोशल मीडिया और अखबारों में यदा-कदा कुछ लोग सर्जिकल स्ट्राइक पर तंज कसते रहे. लुटियन गैंग के पत्रकारों ने तो यहां तक कहा कि अगर सर्जिकल स्ट्राइक हुई भी है तो ये भारत के लिए काफी नुकसानदेह साबित होगा. लेकिन अब वीडियो के सामने आने से भारतीय सेना के शौर्य पर सवाल खड़ा करने वालों को मुंहतोड़ जवाब मिला है.
बेशर्म लोगों की जमात से आज तो कोई रिएक्शन नहीं आया. लेकिन मुझे इस बात पर यकीन है कि ये चुप नहीं बैंठेंगे. अब ये लोग ये कहेंगे कि उन्होंने कभी भारतीय सेना के पराक्रम पर सवाल नहीं उठाया था. वो तो मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे थे. वो अब ये भी कहेंगे कि वीडियो को चुनावी फायदा के लिए रिलीज किया गया है. मतलब ये कि पहले सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी बताओ और सबूत मांगों. और जब सबूत सामने आया तो ये कहो कि वीडियो क्यों रिलीज किया? वीडियो आने के बाद सेकुलर-लिबरल लॉबी बेनकाब हो गई है.
रही बात सर्जिकल स्ट्राइक से राजनीतिक फायदा उठाने का, तो ये बीजेपी को हक़ है कि वो पाकिस्तान को सबक सिखाने के फैसले को जनता में लेकर जाए और इस पर वोट मांगे. वो इसलिए क्योंकि पाकिस्तान के अंदर घुस कर आंतकवादियों और पाकिस्तानी सैनिकों का सफाया करने का फैसला एक राजनीतिक फैसला है. सेना अपने आप ये कदम नहीं उठा सकती. ये एक बहुत बड़ा रिस्क था जो प्रधानमंत्री मोदी ने उठाया था. अगर ये सर्जिकल स्ट्राइक सफल नहीं होता. अगर हमारे बहादुर सैनिक इस सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान मारे गए होते.. या फिर दुश्मन के इलाके में पकड़े गए होते.. या बंदी बना लिए गए होते तो सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने वाले लोग प्रधानमंत्री मोदी की चमड़ी उधेड़ देते. इतना बड़ा मुद्दा बनाते जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. इसलिए जिस सरकार ने ये फैसला लिया उसका ये हक बनता है कि वो इस पर लोगों का समर्थन मांगे.
वैसे हकीकत ये है कि मुट्ठी भर सेकुलर-लिबरल गैंग को छोड़ कर देश की जनता तो यही चाहती है कि पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए. कश्मीर से जिहादियों का सफाया हो और देश में जिन जिन जगहों पर नक्सली हैं उन्हें चुन चुन कर खत्म किया जाए. इन देशद्रोहियों के खिलाफ जो भी.. जब भी एक्शन लेगी देश की जनता का समर्थन हमेशा सरकार के साथ रहेगा.
मनीष कुमार