जब से यह समाचार आये है कि कोर्ट ने एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के निवेदन को स्वीकार करते हुए अगुस्ता वीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में बिचौलिया की भूमिका निभाने वाले क्रिस्चियन मिचेल की हिरासत 7 दिनों के लिए बढ़ा दी गयी है तभी से कांग्रेस की तरफ से विछिप्त प्रतिक्रियाएं व मीडिया में पक्षाघात के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखने लगे है।
मेरा मानना है कि यह सब बड़ा स्वाभाविक है क्योंकि ईडी ने मिचेल की हिरासत बढ़ाने के लिए जो प्रार्थना पत्र दिया था उसमे क्रिशयन मिचेल की हिरासत बढ़ाने के लिए जिन कारणों पर प्रकाश डाला गया है वे निश्चित रूप से तूफान उठाने वाले है। वैसे मैं लोगो को इस बात पर प्रसन्न होता देख रहा हूँ कि मिचेल ने पूछ ताज के दौरान सोनिया गांधी व राहुल गांधी का रिश्वत लेने वाले के रूप में नाम लिया है लेकिन यह सत्य नही है। ईडी ने सिर्फ इतना कहा है कि मिचेल के पत्राचारों की विवेचना करने पर यह बात सामने आई है कि उनमें राहुल गांधी के लिए “इटेलियन मां का पुत्र” “आगामी प्रधानमंत्री” शब्दो का प्रयोग किया गया है, लेकिन यह कुछ भी सिद्ध नही करता है।
मेरे लिए इस प्रार्थनापत्र में अन्य कही गयी बाते ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसमे जो सबसे चौकाने वाली बात सामने आई है वह यह कि अगुस्ता सौदे में रतन टाटा की भी भूमिका थी। ईडी ने अपने प्रार्थनापत्र में इटली की न्यायालय में अगुस्ता घोटाले को लेकर चले मुकदमे में जो तथ्य सामने आए थे, उनका उल्लेख किया है। यह वे तथ्य थे जो भारतीय मीडिया के संज्ञान में पहले से ही थे लेकिन भारत की जनता से छिपाने के लिए मीडिया ने दबा दिया था। इटली में चले मुकदमे में यह तथ्य सामने आया था कि 2010 में अगुस्ता के साथ जोइंटवेंचर के लिए भारतीय सहयोगी के रूप में, टाटा की ‘इंडिया रोटोरक्राफ्ट’ का चुनाव, भारतीय सर्वजिनिक उद्यम, हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (एच ऐ एल) की अनदेखी कर के किया गया था। टाटा के लिए इस कार्य मे तत्कालीन रक्षा सचिव विजय सिंह ने मुख्य भूमिका निभाई थी और पारितोषिक के रूप में विजय सिंह को सेवानिवृत्त होने के बाद, ‘टाटा संस’ का निदेशक बनाया गया था।
यह तथ्य इटली के न्यायालय में भारतीय उद्दोगपति सायरस मिस्ट्री व रतन टाटा की गवाही में सामने आए थे। वहां सायरस मिस्त्री ने अगुस्ता घोटाले में रक्षा सचिव विजय सिंह की भूमिका का राहस्योघाटन किया था।
न्यायालय ने ईडी की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए मिचेल की हिरासत को 7 दिन के लिए तो बढ़ाया ही है लेकिन साथ मे मिचेल के वकील को लेकर भी निर्देश दिये है। न्यायालय ने मिचेल और उसके वकील के बीच मुलाकात के समय को कम कर दिया है और साथ मे यह आदेश भी दिया है कि मिचेल और उसके वकील के बीच कम से कम तीन फीट की दूरी रहेगी।
न्यायालय ने यह कड़ा आदेश इसलिये दिया है क्योंकि ईडी का आरोप था कि मिचेल का वकील, रिश्वत लेने वाले संदिग्धों और आरोपी क्रिशयन मिचेल के बीच संदेशवाहक का काम कर रहा है। इस आरोप के पीछे कारण यह था कि मिचेल के स्वास्थ परीक्षण के दौरान ईडी के डिप्टी डाइरेक्टर ने मिचेल द्वारा अपने वकील अलजो जोसफ, जो कि युवा कांग्रेस का है, को छुपा कर पर्ची देते पकड़ लिया था। जब अलजो जोसफ की तलाशी में वह पर्ची पकड़ी गई तो उसमें मिचेल से सोनिया गांधी से सम्बंधित जो सवाल पूछे गए थे, उसका उल्लेख था। न्यायालय ने इसकी गम्भीरता को समझते हुए ही मुलाकात का समय कम और मिलने पर न्यूनतम दूरी 3 फिट निर्धारित की है।
कल से कांग्रेसी इन्ही कारणों से परेशान है। सोनिया व राहुल ‘इटेलियन मां का बेटा’ इत्यादि से व्यथित नही है बल्कि अपने संदेशवाहक अलजो जोसफ की भूमिका का प्रमाणों के साथ खुलासा होने पर व्यथित है। अब क्योंकि मिचेल, सोनिया गांधी सम्बंधित प्रश्नों को लिख कर दे रहा था इसलिए संदेह की स्पष्ट सुई सोनिया गांधी पर अटक जाती है और इटेलियन मां के आवरण में छिपी सोनिया गांधी की तस्वीर, ज्यादा साफ दिखने लगी है।
कांग्रेस, इटली के न्यायालय से निकले रतन टाटा, विजय सिंह और एच ऐ एल के नामों से भी बड़ी बैचैन है क्योंकि एचएएल की अनदेखी के कर टाटा की ‘इंडियन रोटोरक्राफ्ट’ के चयन को लेकर जो टिप्पणियां की गई है वो 400 करोड़ की रिश्वत के हिस्सेदारों पर से धुंद की परतें हटाने में सहायक होंगी। अब तक के तथ्य मिचेल द्वारा करीब 400 करोड़ रुपये रिश्वत देने की बात स्पष्ट कर रहे है जिसमे 276 करोड़ की रिश्वत भारतीय राजनैतिज्ञों को और करीब 125 करोड़ की रिश्वत नौकरशाहों व अन्य(मीडिया भी) दी गयी है।
यहां यह भी बात सामने आई है कि मिचेल ने 1998 से 2012 के बीच 300 बार भारत की यात्रा की है और सोनिया गांधी के परिवार से साथ उसके करीबी रिश्ते उसके पिता वोल्फगांग मिचेल की समय से ही है। सोनिया गांधी की नजदीकियां इस मिचेल परिवार से कितनी है यह इसी बात से समझा जासकता है कि अपने लंदन प्रवास पर सोनिया, मिचेल की घर पर ही ठहरती थी और इसके साथ सोनिया गांधी के परिवार की सुरक्षा में लगे एसपीजी की लॉगबुक की भी जांच हो रही है, जो इस पर प्रकाश डाल सकती है कि 10 जनपथ पर मिचेल कब कब मेहमान बने थे।
मैं समझता हूँ कि भारतीय न्यायालय सोनिया और उसके पुत्र राहुल गांधी को कभी अपराधी मानेगी की नही यह तो समय ही बतायेगा लेकिन यह तय है कि गांधी परिवार के गुलामो और दरबारियों की गर्दन फंसती जारही है।