शबरीमला मंदिर की सैकडों वर्षों की परंपरा खंडित करने के लिए हिन्दू विरोधी कम्युनिस्ट केरल राज्य सरकार ने जमीन आसमान एक करने का निश्चय किया है । गत अनेक महीनों से अय्यप्पा भक्त शांति से आंदोलन कर रहे हैं । उनकी भावनाआें का अपमान करने का प्रयत्न केरल राज्य सरकार ने किया है । ४० वर्ष की दो महिलाआें को एंबुलेंस के माध्यम से मंदिर के निकट ले जाया गया तथा काले बुरखे और पुलिस के पहरे में छिपकर मंदिर में प्रवेश करवाया गया । यह उजागर हो गया है कि ये महिलाएं श्री अय्यप्पा भगवान की भक्त नहीं हैं, अपितु कम्युनिस्ट दल की कार्यकर्ता हैं । किसी प्रकार की भक्ति न होते हुए ऐसा छिपकर प्रवेश करने से क्या साध्य होनेवाला है ? यह तो केवल हिन्दू धर्म, श्री अय्यप्पा भगवान और करोडों भक्तों का विश्वासघात है । ‘कुछ भी करें; परंतु हिन्दुआें के मंदिरों की धार्मिक परंपराएं नष्ट करें, हिन्दुआें के मंदिर भ्रष्ट करें’ ऐसे ही प्रयत्न शासन के दिखाई दे रहे हैं । यह अत्यंत निंदनीय है । यदि केरल की कम्युनिस्ट सरकार वास्तव में आधुनिकतावादी है और रूढियों के विरोध में है, तो वह इसी प्रकार केरल की जामा मस्जिद में मुस्लिम महिलाआें को पुलिस की सुरक्षा में घुसाकर दिखाए, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया है ।
धर्मशास्त्रों में ‘कर्मफलसिद्धांत’ भी बताया गया है । इसके अनुसार इसका पाप निश्चित ही केरल शासन और धर्मविरोधी कृत्य करनेवालों को भोगना पडेगा । श्री अय्यप्पा भगवान के भक्तों ने शांति से मार्ग पर आंदोलन किया, तब भी केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने पुलिस बल का उपयोग किया । उन्होंने भक्तों के संकीर्तन पर लाठीचार्ज कर सैकडों भक्तों को घायल किया, महिलाआें पर भी लाठियां बरसाई गई । भक्तों के वाहन तोडे गए । अभी तक यह संपूर्ण आंदोलन कुचलने के लिए 5000 से अधिक भक्तों पर अपराध प्रविष्ट किए गए हैं । शासन हिन्दुआें के संयम का अंत न देखे । श्री शिंदे ने यह भी कहा कि यदि केरल सरकार को कथित स्त्री–पुरुष समानता लानी हो और उनमें साहस हो, तो केरल के मलांकारा मारथोमा सिरीयन चर्च और मस्जिदों में महिलाआें का प्रवेश प्रतिबंधित है, वहां इस प्रकार महिलाआें को घुसाने का साहस कर दिखाएं ।