दिनांक- 16/01/2019
जा.क्र.भ्रविज 48/2018-19
प्रति,
मा. नरेंद्र मोदी जी,
प्रधानमंत्री, भारत सरकार,
नई दिल्ली.
महोदय,
हमारे देश में संविधान सबसे उँचा है। देश को लोकतांत्रिक मार्ग से चलाने के लिए संविधान के आधार पर संसद के रूप में अलग अलग संवैधानिक संस्था बनाई गई है। सरकार किसी भी पार्टी की हों, देश को लोकतांत्रिक मार्ग से चलाने के लिए संवैधानिक संस्था के निर्णय का पालन करना बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। संविधान और संवैधानिक संस्था के आधार पर रंग, रूप, वेष, भाषा अलग होते हुए भी आजादी के 72 साल बाद हमारा देश ‘हम सब एक है’ के नाते चल रहा है। लेकिन आप और आपकी सरकार संवैधानिक संस्था के निर्णय का पालन नहीं कर रहीं हैं। यह इस देश के लोकतंत्र को बड़ा खतरा है ऐसा मुझे लगता हैं। इसलिए मैं 30 जनवरी 2019 को मेरे गाँव रालेगणसिद्धी में अनशन कर रहा हूँ।
देश में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकथाम लगाने के लिए देशवासियोंने अगस्त 2011 में देशभर शान्तिपूर्ण तरिके से बड़ा जनआंदोलन किया था। लोकपाल लोकायुक्त कानून बनाने का सरकारने आश्वासन दिया था। लेकिन आश्वासन का पालन ना करने के कारण 10 दिसंबर 2013 में मैंने फिर रालेगणसिद्धी में आंदोलन किया था। 17 दिसंबर 2013 को राज्यसभा में और 18 दिसंबर 2013 को लोकसभा में लोकपाल लोकायुक्त विधेयक पारित हो गया। 1 जनवरी 2014 को उस पर महामहिम राष्ट्रपतीजी के हस्ताक्षर हुए और लोकपाल लोकायुक्त कानून बन गया। उसके बाद 26 मई 2014 के दिन आपकी सरकार सत्ता में आ गई। तब लोकपाल लोकायुक्त कानून पर तुरन्त अंमल होना चाहिए था। लेकिन आपकी सरकार सत्ता में आ कर अप्रैल 2019 को पाँच साल पुरे हो रहें है। लेकीन आपकी सरकारने पाँच साल में इस कानून पर अंमल नहीं किया। पाँच साल में विरोधी पक्षनेता नहीं है, कानूनविद नहीं है ऐसे अलग अलग बहाने बनाकर अमल करना टालते रहीं हैं। यह देश के लिए बहुत ही दुर्दैवी बात है। लोकपाल, लोकायुक्त कानून बने इसलिए 2011 में पुरा देश रास्ते पर उतर आया था। तब से जनता इस कानून की माँग कर रहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने भी आपकी सरकार को लोकपाल नियुक्ती के लिए कई बार फटकार लगाई हैं। फिर भी आपकी सरकार लोकपाल नियुक्ती करने को तैय्यार नहीं है। तो फिर सवाल पैदा हो रहा हैं की, क्या यह सही लोकतंत्र हैं? जो सरकार सर्वोच्च न्यायालय जैसी संवैधानिक संस्था, लोकसभा, राज्यसभा जैसी संवैधानिक संस्था का निर्णय का पालन ना करती हों यह सरकार देश को लोगतंत्र से हुकूमतंत्र के तरफ ले जा रही है। ऐसा लग रहा है आप और आपकी सरकार महात्मा गांधीजी, सरदार वल्लभभाई पटेल को मानती है। लेकिन उन्होंने अपने जीवन में जीस सत्य को संभाला उस सत्य को छोडकर चल रही है। राजकिय सत्ता के लिए जीवन में सत्य को छोडना कहा तक सच है? जो सरकार सत्य को छोडकर चलती है। उसका जनता ने क्या आदर्श लेना?
मैं एक सामान्य कार्यकर्ता होते हुए जीवन में सत्य कभी छोडा नहीं। धन नहीं, दौलत नहीं, सत्ता नहीं, माया नहीं, मोह नहीं सिर्फ समाज और देश के भलाई के लिए सत्य के मार्ग से चलते रहा। फिर भी समाज और देश के लिए कितना काम कर सकता है। सत्यव्रत को छोडकर किया हुआ कार्य समाज के लिए प्रेरणादायी नहीं होता। समाज के लिए नहीं। सत्य को छोडकर सत्ता के लिए किया हुआ कार्य सिर्फ पार्टी के लिए प्रेरणादायी होता है। आपने कहां कहां सत्ता के लिए सत्य छोडा है उसकी याद मैं दिलाते रहूँगा। आप सत्ता में आने से पहले समाज और देश की सेवा करनेवाले लग रहे थे। देश के लिए सही नेता हमे मिल गया ऐसा लग रहा था। लेकिन सत्ता के लिए सत्य छोड़ने के उदाहरण समाने आने के कारण मेरा विश्वास उड़ गया है।
आपकी सरकार द्वारा देशवासियों के साथ धोखाधड़ी हो रहीं हैं। इसके कारण मैं 30 जनवरी 2019 को मेरें गाँव रालेगणसिद्धी में अनशन कर रहां हूँ। कारण मेरे बैंक अकाऊंट की किताब कहां रहती हैं मुझे पता नहीं हैं। मैं 42 साल से एक मन्दिर में रहनेवाला फकिर हूँ। लेकिन समाज और देश की चिन्ता करता हूँष इसलिए पुरा जीवन समाज और देश के प्रति समर्पित किया हैं। इसलिए लोकपाल लोकायुक्त जैसे महत्त्वपूर्ण कानून पर अंमल नहीं होना और सरकारनेबार बार झुट बोलना बरदास्त नहीं कर सकता हूँ। इसलिए अनशन का निर्णय लिया हैं। 30 जनवरी 2019 को मेरा गांव रालेगणसिद्धी में मैं अनशन कर रहा हूँ।
धन्यवाद।
भवदीय,
कि. बा. तथा अन्ना हजारे