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अदानी वाली टूलकिट और हिंदुस्तानियों की मानिसकता

अदानी ने 9 हजार 422 करोड़ रुपए की बोली लगाकर इजराइल का 1700 साल पुराना हाइफा बंदरगाह खरीद लिया । इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस मौके पर अदानी के साथ फोटो खिंचवाई… अब तक अंग्रेजों की किश्तियां आकर हिंदुस्तान में माल बेचती थीं अब हमारा अदानी हाइफा पर बंदरगाह खरीद कर अपना माल यानी हिंदुस्तान का माल रूस और एशिया में बेचेगा… हमको इस ऐतिहासिक परिवर्तन और भारत के लिए गौरवान्वित करने वाले पल पर उत्सव मनाना चाहिए था लेकिन ये दुख की बात है कि देश के अंदर गद्दारों और देश के दुश्मनों ने मिलकर ऐसा दुष्चक्र रचा कि अदानी और उनके निवेशकों के 8 लाख करोड़ डूब गए और रवीश कुमा एंड कंपनी विपक्षी पार्टियों समेत इसका जश्न मनाती हुई नजर आ रही हैं ।

-हिडनबर्ग कंपनी की स्थापना 2017 में हुई थी.. इस कंपनी में सिर्फ 9 कर्मचारी काम करते हैं लेकिन इसने 9 कर्मचारियों ने आखिर ऐसी कौन सी रिपोर्ट तैयार कर दी जिस पर गोरी चमड़ी की गुलामी की मानसिकता रखने वाले हिंदुस्तान के लोग प्रभावित हो गए और अचानक अदाणी के शेयर बेचे जिसकी वजह से लगभग 8 लाख करोड़ा का भारी नुकसान हो गया । हमारे यहां सेबी है जो बतौर एक सरकारी संस्था बाजार का नियमन करती है रिपोर्ट जारी करती है लेकिन गोरी चमड़ी के सर्वश्रेष्ठ होने की मानसिकता रखने वाले हिंदुस्तान के बहुत सारे लोगों ने हिडनबर्ग की प्रोपागेंडा रिपोर्ट पर भरोसा कर लिया और इससे पूरे देश को नुकसान हो गया ।

-हिडनबर्ग ने अब तक 20 कंपनियों के खिलाफ इस तरह की रिपोर्ट जारी की है और कई कंपनियां इसमें बर्बाद हुई हैं जिससे उनके कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है । अमेरिका की अदालत में चीन की एक कंपनी यांग्तजी ने हिडनबर्ग कंपनी के खिलाफ केस दायर किया तो जज पीटर शेरवुड ने इसलिए याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि पहले ही हिडनबर्ग ने रिपोर्ट के शुरुआती पन्नों में लिख दिया था कि ये रिपोर्ट एक निजी राय है। यानी रिपोर्ट के पहले पन्ने पर ही डिस्क्लेमर दिया गया जाता है । अदानी भी हिडनबर्ग पर केस करना चाहते हैं लेकिन वो केस नहीं जीत पाएंगे क्योंकि हिडनबर्ग पहले ही रिपोर्ट में ये लिख देता है कि ये उसकी निजी राय है वो इस पर कोई सत्यता का दावा नहीं करता है । यानी सारा खेल भरोसे का है निवेशकों का भरोसा डूब गया तो इसके लिए हिडनबर्ग खुद जिम्मेदारी कभी नहीं लेगा चाहे उसकी रिपोर्ट सही हो या फिर गलत

-अब सवाल ये है कि आखिर अदानी किसका आदमी है । 1981 में 19 साल के अदानी ने मुंबई में प्लास्टिक का कारोबार शुरू किया तब महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार थी । मोदी का भारत की राजनीति में तब कोई नामों निशां नहीं था । इसके बाद 1992 में अदानी ने गुजरात का मुंद्रा बंदरगाह खरीद लिया उस वक्त भी गुजरात में कांग्रेस के मुख्यमंत्री थे। 2006 आते आते अदानी देश के सबसे बड़ा लार्जेस्ट कोल इम्पोर्टर बन गए और इम्पोर्ट का लाइसेंस भी यूपीए सरकार ने किया था । 2009 में अदानी लार्जेस्ट पावर जेनरेटर बन गए तब भी सरकार यूपीए की थी ।

-विपक्ष कहता है कि मोदी सब अदानी को बेच रहा है अब सवाल ये है कि 1992 में मुंद्रा पोर्ट भी कांग्रेस ने ही अडानी को बेचा । अभी पिछले साल राजस्थान में अशोक गहलोत ने अदानी की अगवानी की और अदानी ने 65 हजार करोड़ रुपए राजस्थान में लगा दिए और 40 हजार नौकरियों का वादा किया । अदानी का निर्माण कांग्रेस के युग में ही हुआ है यही सच है । लेकिन मोदी को परास्त करने के लिए देश विरोध के रास्ते पर बढ रहे विपक्ष ने अदानी को बदनाम करके अदानी के साथ पूरे देश का भी नुकसान किया है ।

-एक और झूठ विपक्ष फैला रहा है कि LIC डूब गई जबकि सच ये है कि 30 जनवरी को LIC ने बयान दिया कि उसने अदानी ग्रुप के शेयर में 30 हजार करोड़ का निवेश किया, हिडनबर्ग की रिपोर्ट के पहले LIC के इस निवेश की वैल्यू 70,000 करोड़ हो गई थी लेकिन रिपोर्ट आने के बाद LIC के इस निवेश की वैल्यू 56 हजार करोड़ ही रह गई । यानी अब भी अदानी के शेयर से ही LIC 26 हजार करोड़ के फायदे में है लेकिन विपक्ष और रवीश गैंग झूठ बोलने में लगे हैं।
-कबीभी नंबर 1 अमीर रहे अदानी आखिरकार लगातार विपक्ष और रवीश गैंग पर टारगेट होते होते पहले 9वें नंबर पर खिसके और अब 22वें नंबर पर खिसक चुके हैं । इतना बड़ा नुकसान हुआ है देश को और इसके लिए एक बार फिर वही जिहादी और कम्यूनिस्ट टुकड़े टुकड़े गैंग जिम्मेदार है । सच यही है कि इस बार जिहादी टूलकिट अपना काम कर गई और देश को नुकसान पहुंचा गई ।

-दूसरी तरफ केंद्र सरकार की तरफ से एक छोटा सा बयान जारी कर दिया गया है कि अदानी और हिडनबर्ग विवाद में मोदी सरकार का कोई लेना देना ही नहीं है । केंद्र सरकार ने विपक्ष की जेपीसी की मांग को खारिज कर दिया है । कल ट्विटर पर टुकड़े टुकड़े गैंग ट्रैंड करवाता रहा… चौकीदार चोर है । बात एकदम साफ है कि एक बार भी कांग्रेस ने 2024 के चुनाव में अपनी कब्र खोदने की पूरी रणनीति तैयार कर ली है ।

-मोदी और बाइडन जाकर दुनिया में सामान नहीं बेचते हैं सामान बेचती हैं कंपनियां और कंपनियों ने दुनिया पर राज भी किया है जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी लेकिन हमारे देश के बहुत सारे लोग शायद भारत की कंपनियों को आगे बढ़ता हुआ नहीं देख पाते हैं । ऐसी तो भारत कभी चीन और अमेरिका को पीछे नहीं छोड़ पाएगा ।

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