महाराष्ट्र में बड़ा सियासी उलटफेर अजित पवार अपने 40 विधायकों के साथ सरकार में शामिल हो गए हैं। अजित पवार ने पहले अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक की और इसके बाद 17 विधायकों के साथ शिंदे सरकार को समर्थन देने के लिए राजभवन रवाना हो हुए.
राजभवन में अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। राज्यपाल रमेश बैस ने उन्हें शपथ दिलाई. इस दौरान अजित पवार समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की. उनके अलावा नौ एनसीपी विधायक भी शपथ ले रहे हैं जिनमें धर्मराव अत्रम, सुनील वलसाडे, अदिति तटकरे, हसन मुश्रीफ, छगन भुजबल, धन्नी मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल शामिल हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ सभी मंत्री भी राजभवन मौजूद हैं. इसके अलावा एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल भी राजभवन में मौजूद हैं जिन्हें शरद पवार का करीबी कहा जाता है।
बताया जाता है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में काम करने का अवसर नहीं दिए जाने के बाद अजित असंतुष्ट थे. बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले भी शामिल हुईं. हालांकि, सुले बैठक छोड़कर चली गईं. रविवार सुबह एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पुणे में मौजूद शरद पवार से फोन पर बातचीत की. राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखते हुए, शरद पवार ने पुणे में रहने का फैसला किया है और कथित तौर पर अपने सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।
कैसे महाराष्ट्र में हुई इतनी बड़ी उलटफेर?
1. एकनाथ शिंदे, बीजेपी के समर्थन वाले बयान दे रहे थे. बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ उनकी नजदीकियां जगजाहिर हैं. पटना में हुई विपक्षी एकता की महाबैठक से वह नाराज थे. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वह शरद पवार और सुप्रिया सुले बैठक में शामिल होने से नाराज थे.
2. अजित पवार, चाहते थे कि एनसीपी की कमान उन्हें ही मिले. शरद पवार के होते यह मुमकिन नहीं था कि पार्टी की बागडोर उन्हें मिले. शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले, राजनीति में हैं. वह बेटी के रहते भतीजे को पार्टी की कमान सौंपते नजर आ नहीं आ रहे थे. अजित पवार की बगावत की एक वजह यह भी है.
3. अजित पवार, अध्यक्ष का खुद को प्रबल दावेदार मानते हैं. अलग बात है उनके पास समर्थन नहीं था. उनके समर्थक विधायकों ने भी कहा कि वह अलग पार्टी बनाएं और सत्ता में वापसी करें.
4. अजित पवार का दावा है कि उनके पास कम से कम 40 विधायकों का समर्थन मिला है. ऐसे में उनके पास मजबूत समर्थन है. वह सत्ता में आने का खोखला दावा नहीं कर रहे हैं. उनके समर्थक विधायकों ने जी उनके आवास पर हुए बैठक में यह फैसला लिया है.
5. बैठक के तुरंत बाद, पवार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को समर्थन पत्र सौंपने के लिए राज्यपाल रमेश बैस से मिलने के लिए राजभवन पहुंचे और कुछ ही देर बाद उन्होंने मौजूदा विधानसभा के कार्यकाल में तीसरी बार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ एनसीपी विधायक छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल, धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे, अनिल पाटिल, हसन मुश्रिफ और बाबूराव अत ने भी मंत्रिपद की शपथ ली है.
नीतीश कुमार को भी बिहार में विद्रोह का डर, महाराष्ट्र में सियासी उलटफेर के बाद बोले सुशील मोदी
बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि महाराष्ट्र की आज की हालत को लेकर विपक्षी दलों में खलबली मची हुई है। जदयू को भी अपनी पार्टी में विद्रोह की आशंका जता रही है।
नीतीश को पार्टी में भगदड़ की आशंका
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की बैठक राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने में लगी है लेकिन जदयू के विधायक-सांसद न राहुल गांधी को स्वीकार करेंगे और न ही तेजस्वी यादव को स्वीकार करेंगे। अगर ऐसा होगा तो पार्टी में भगदड़ मचने की आशंका है।
10 से ज्यादा सीटें नहीं आएगी
बीजेपी नेता ने कहा कि इस समय जदयू पर अपना वजूद बचाने का संकट मंडरा रहा है, जोकि पहले कभी नहीं था। इसलिए नीतीश कुमार ने 13 साल में कभी विधायकों का हाल तक नहीं पूछा लेकिन अब वे सभी विधायकों से अलग-अलग मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जदयू अगर महागठबंधन में शामिल हुआ तो टिकट बंटवारे में उसके हिस्से में लोकसभा की 10 से ज्यादा सीटें नहीं आएगी और कई सांसदों पर बेटिकट होने की तलवार लटकती रहेगी। जिससे पार्टी में विद्रोह मच सकता है।
विधायकों से बिना पूछे गए लालू के साथ
सुशील मोदी ने एक ट्वीट कर कहा कि नीतीश कुमार ने विधायकों से बिना पूछे भाजपा से गठबंधन तोड़ा और फिर लालू प्रसाद से हाथ मिला लिया। नतीजन बिहार में विकास की रफ्तार टूट गई। इससे दल के भीतर असंतोष लगातार बढ़ रहा है। अब अगर वन-टू-वन भी बातचीत करें तो ये आग बुझने वाली नहीं है।