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Author: Dialogue India

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

TOP STORIES, विश्लेषण
  'कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी’, यह एक बहुत ही प्रचलित लोकोक्ति है। बताया जाता है कि कुत्ते की दुम को बारह साल तक पाइप में रखने पर भी सीधी नहीं होती है। पाइप से निकालते ही वो टेढ़ी हो जाती है। इस लोकोक्ति का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो लाख कोशिशों के बावजूद सुधरने का नाम नहीं लेता। ऐसे व्यक्ति को 'कुत्ते की दुम’ कहा जाता है। राफेल विवाद के मामले में राहुल गांधी और मोदी से घृणा करने वाले लॉबी की हालत कुत्ते की दुम की तरह हो गई है। ये हर बार बिना सबूत, बिना तथ्य, बिना किसी वजह के मोदी पर आरोप तो लगाते हैं लेकिन कुछ साबित नहीं कर पाते हैं। कोर्ट से लताड़ पड़ती है तो फिर कोई दूसरा मुद्दा उठा लेते हैं। राहुल गांधी को तो केजरीवाल की बीमारी लग गई है, बिना सबूत के आरोप लगाना फिर माफी मांगना। केजरीवाल तो एक शहर का नेता है लेकिन कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष जब सड...
उत्तर प्रदेश से फैलती राजनीतिक हिन्दुत्व की बेल

उत्तर प्रदेश से फैलती राजनीतिक हिन्दुत्व की बेल

EXCLUSIVE NEWS, राज्य
  देश को 80 लोकसभा सांसद देने वाले उत्तर प्रदेश की राजनीति इतनी जटिल है कि बड़े से बड़े धुरंधर विश्लेषकों के पसीने छूट जाते हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पाठशाला के विद्यार्थी वर्तमान में पूरे देश में ध्वज वाहक बने हुये हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा का खेल बिगडऩे के बाद सपा-बसपा अब उत्तर प्रदेश में साथ आ गए हैं। कांग्रेस से दोनों दल परहेज दिखा रहे हैं। ऐसा इन्होंने इन तीन राज्यों में भी किया था किन्तु बाद में भाजपा को रोकने का बहाना बनाकर ये तीनों दल साथ आ गए। उत्तर प्रदेश में भी ये ऐसा ही करेंगे। कांग्रेस को अलग अलग दिखाने वाले इन दलों ने अमेठी और रायबरेली सीट से प्रत्याशी न उतारने की घोषणा भी कर दी है। भाजपा के विरोध और सत्ता प्राप्त करने के लिए बन रहा ये गठबंधन वैचारिक मोर्चे से काफी दूर होने के कारण बार बार बनता-बिखरता रहता है। इन सब राजनीतिक घटनाक्रमों के ब...
राज्यसभा की याचिका समिति करे कार्यवाही

राज्यसभा की याचिका समिति करे कार्यवाही

addtop, TOP STORIES, विश्लेषण
  राज्यसभा का सदस्य भारतीय राजनीति का सबसे वरिष्ठ और परिपक्व व्यक्तित्व होना चाहिए। क्योंकि भारत के लोकतंत्र में इससे बड़ी कोई विधायिका नहीं है। अगर राज्यसभा का कोई सदस्य झूठ बोले, भारत के नागरिकों को धमकाए और राज्यसभा द्वारा प्रदत्त सरकारी स्टेशनरी का दुरूपयोग इन सब अवैध कामों के लिए करें, तो क्या उस पर कोई कानून लागू नहीं होता है? कानून के तहत ऐसा करने वाले पर बाकायदा आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है और उसे 2 वर्ष तक की सजा भी हो सकती है। पर इससे पहले की कोई कानूनी कार्यवाही की जाए, राज्यसभा की अपनी ही एक 'याचिका समिति’ होती है। जिसके 7 सदस्य हैं। इस समिति से शिकायत करके दोषी सदस्य के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है। पिछले दिनों 'कालचक्र समाचार ब्यूरो’ के प्रबंधकीय संपादक रजनीश कपूर ने इस समिति के सातों सदस्यों को और राज्यसभा के सभापति व भारत के माननीय उपराष्ट्रपति...
मोदी : हिंदुत्व बनाम विकास

मोदी : हिंदुत्व बनाम विकास

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जितने लोग सुबह-शाम भाजपा पर हिंदुत्व से हटकर विकास की ओर भटक जाने का इल्ज़ाम लगाते रहते हैं, उनमें से कितनों ने वाकई पिछले कुछ चुनावों के भाजपा के घोषणा पत्र पढ़े हैं? अगर पढ़े हैं, तो बताएं कि उसमें राम मंदिर या हिंदुत्व पर कितने प्रतिशत फोकस था और विकास पर कितने प्रतिशत था? भाजपा का एजेंडा क्या है, उससे ज्यादा बड़ी समस्या आजकल ये है कि सोशल मीडिया के ज्ञानियों का निजी एजेंडा क्या है। कुछ लोग बिना पढ़े कुछ भी ऊलजलूल लिखकर बाकियों को बहका रहे हैं और कुछ लोग अपने निजी कारणों से जानबूझकर दूसरों को भटका रहे हैं। कुछ और लोग भी हैं, जो केवल भावनाओं में बहते रहते हैं और तर्क से उन्हें एलर्जी है। ऐसे सब तरह के लोगों का जमघट मिलकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने में पूरी तन्मयता से लगा हुआ है। और कन्फ्यूजन तो अधिकांश राष्ट्रवादियों की शाश्वत समस्या है। जो पहले नोटा-नोटा चिल्लाते थे, भाजपा को स...
छत्तीसगढ़ में सुनामी

छत्तीसगढ़ में सुनामी

राज्य
देश की राजधानी में बैठे राजनीतिक धुरंधरों का मानना था कि जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है वहां छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति सबसे मजबूत है और शायद यही सोच कर चुनाव प्रक्रिया सबसे पहले छत्तीसगढ़ में ही शुरू हुई। छत्तीसगढ़ में भाजपा जीत रही है, यह संदेश मध्यप्रदेश और राजस्थान जाएगा तो वहां भी भाजपा की स्थिति में सुधार होगा, शायद यह आंकलन किया गया होगा।  लेकिन दांव उल्टा पड़ गया। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस प्रचंड बहुमत से जीत रही है, यह संकेत जाने से मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस का मनोबल बढ़ा और उसे उसका लाभ भी मिला। दिल्ली में बैठकर जब विश्लेषण होता है तो उनमें अक्सर मैदानी हकीकत का संज्ञान नहीं लिया जाता। ऐसे ही परिणाम सामने आते हैं। इसलिए सारे एग्जिट पोल एक तरफ रह गए। सीएसडीएस जैसी ख्यातिप्राप्त संस्था के निदेशक डॉ. संजय कुमार का वह लेख अब शायद उन्हें ही मुंह चिढ़ा रहा होगा ज...
इसीलिए तो सही है सवर्णो को आरक्षण देना

इसीलिए तो सही है सवर्णो को आरक्षण देना

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केन्द्र में नरेंद्र मोदी सरकार ने अंततः सवर्ण जातियों को 10 फीसदी आरक्षण देकर एक पुरानी और जायज मांग को मान लिया है। मोदी सरकार के इस फैसले से उन करोड़ों सवर्ण हिन्दुओं को भी कुछ राहत मिल सकेगी जो पीढ़ियों से निर्धनता का जीवन जीने को अभिशप्त हैं। यह दस प्रतिशत का आरक्षण सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों के सुदूर इलाकों की पांच दशकों से खाक छानने के मैं अपने अनुभव के आधार पर यह बाद कह सकता हूं कि इनमें बड़ी संख्या में अगड़ी जातियों के लोग बेहद विषम हालातों में जीवनयापन कर रहे हैं। इनकी जमीन की जोत निरंतर घटती ही जा रही है। इनके हितों का कोई देखने वाला भी नहीं है। ये तो दूसरों की खेतों में भी जाकर मजदूरी कर सकते हैं, कर भी रहे हैं, लेकिन घर की महिलाए...
खेल कांग्रेसी सत्ता के

खेल कांग्रेसी सत्ता के

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जब भी मैं कहता हूं कि सरकार के कदम सही दिशा में नहीं हैं तो राष्ट्रवादियों के कान खड़े हो जाते हैं । फोन पर फोन ... मेसेज पे मेसेज आने लगते हैं । समझाया जाता है कि पांच साल में हिन्दू अपने लिए खड़ा होने लगा है । ये हमारी सफलता है । ये सुनकर मन करता है कि माथा पीट लूं । कैसे समझाऊँ कि पांच साल में सिर्फ लोगों को अपने लिए खड़ा करना हमारा उद्देश्य नहीं था । हमारा उद्देश्य होना चाहिए था कि प्रशासन में, संगठन में, शिक्षा में, कला में, साहित्य में, खेल में, मीडिया में हर जगह अपने प्रतिनिधि स्थापित हों । कहीं से भी अगर कुछ भी गलत हो तो अकेले एक आदमी विरोध में न हो । बल्कि हर क्षेत्र हर विधा के लोग समवेत स्वर में अपनी आवाज़ उठायें । होता क्या है कि अखलाख को रोने वाले हजारों में हैं लेकिन प्रशान्त पुजारी गुमनामी में मारे जाते हैं । बंगाल के मालदा में हुई आगजनी के ऊपर लिखने वालों की संख्या उ...
Kerala’s Demographic Shift: Three Axes Of Change And Salafism

Kerala’s Demographic Shift: Three Axes Of Change And Salafism

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On 14 June 2016, Krishnendhu R Nath, an Indian, now residing in Malaysia, was travelling in Kerala’s Malappuram district when she suddenly fell sick. Nath asked for lime soda. Her husband’s friend tried to buy it from a shop on the highway. The friend was told that it was a period when Ramzan fasting was on (the eighth day of the month) and no shop there could sell soda or any eatable for that matter. Piqued, Nath herself went and asked a shopkeeper what his problem was in selling a lime soda or lemon juice during the fasting season. She wondered what travellers would do when they are not fasting. The shopkeeper politely replied that he was eager to supply, but his shop will be destroyed after that. Nath, who recorded her nightmare in a Facebook post, said that she got similar responses...
भाजपाई कांग्रेस की जीत कांग्रेसी भाजपा की हार

भाजपाई कांग्रेस की जीत कांग्रेसी भाजपा की हार

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पाँच राज्यों के चुनावों के परिणामों से एक बात तो साफ हो गयी है कि जब जब सियासी दल जनता को अपने हाथों की कठपुतली समझते हैं तब तब जनता की तरफ से उसका माकूल जवाब दे दिया जाता है। मत प्रतिशत में सिर्फ दो चार प्रतिशत का अंतर ही सत्ता और विपक्ष में कितना अंतर पैदा कर सकता है यह अब भाजपा को समझ आ गया है। देखते ही देखते तीन महत्वपूर्ण भाजपा शासित राज्य उसके हाथ से खिसक गए। लगभग मृतप्राय कांग्रेस फिर से संजीवित हो गयी। किसानों की नाराजगी और एससीएसटी एक्ट से सवर्णों में उपजा गुस्सा कुछ ऐसा फूटा कि सारी नीतियाँ धरी की धरी रह गयीं। राजस्थान और मध्य प्रदेश रेत की मानिंद हाथ से फिसल गये। छत्तीसगढ़ में करारी हार हुयी। स्वयं को अजेय मानने का भ्रम पालने वाली भगवा ब्रिगेड का दंभ टूट गया। अमित शाह के प्रबंधन की हवा निकल गयी। और जनता की नाराजगी के कारण पप्पू गिरते पड़ते ही सही आखिरकार पास हो ही गया। इन तीन प्रद...
अवध की माटी, संस्कृति से भिगो गया अयोध्या पर्व

अवध की माटी, संस्कृति से भिगो गया अयोध्या पर्व

प्रेस विज्ञप्ति
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) में चल रहे तीन दिवसीय 'अयोध्या पर्वÓ का रंगारंग समापन हो गया। अंतिम दिन हवन-पूजन के साथ अवधी कवि सम्मेलन ने अयोध्या की धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व से दिल्ली वालों को रूबरू कराया। रविवार होने के चलते काफी संख्या में लोग पर्व में पहुंचे और राम की नगरी अयोध्या से साक्षात्कार होने के साथ वहां के व्यंजनों और चाट का लुफ्त उठाया। पर्व में आए हुए लोगों को सीता की रसोई, 84 कोसी परिक्रमा में बसे ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों व लोक संस्कृति से परिचित होने का अद्भुद मौका मिला। पर्व में लगे स्टालों से लोगों ने पूजा के सामानों व प्रसाद की भी खरीदारी की। अन्य राज्यों में 'अयोध्या पर्व ले जाने की तैयारी पर्व के आयोजक अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि जिस मकसद के लिए दिल्ली में यह पर्व आयोजित की गई, उसमें वह सफल हुए हैं। इसका मकसद दिल्ली वालों को ...