रामानुजन की कोहनी की कहानी
कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी के किसी कोने में लगभग 50 वर्षों तक पड़े रहने वाले रहस्यमय गणितीय समीकरणों के कुछ पन्ने 'धूल जम जाने' के मुहावरे को सही अर्थों में चरितार्थ कर रहे थे। काली स्याही से हड़बड़ी में लिखे गए रहस्यमय गणितीय समीकरणों वाले उन लगभग 130 पन्नों को पहली नजर में देखने पर निरर्थक समझा जाता था। वर्ष 1976 में पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के गणितज्ञ डॉ जॉर्ज एंड्रयूज की नजर एक दिन उन पन्नों पर अचानक पड़ गई और जब उनमें लिखे हुए गणितीय रहस्यों का खुलासा हुआ तो दुनिया चमत्कृत हो गई। इन पन्नों के बारे में ही भौतिक विज्ञानी फ्रीमैन डायसन ने कहा था कि "फूल, जो रामानुजन के बगीचे में पके हुए बीजों से उगे हैं।"
इन पन्नों में ही वे गणितीय समीकरण छिपे थे, जिन्हें मशहूर भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने मॉक थीटा नाम दिया था। वर्ष 1920 में रामानुजन ने इन समीकरणों को अपनी...