राष्ट्रचिंतन लेखमाला – भारत में ‘भारतीय’ बन कर रहें**
नरेंद्र सहगल
‘भारतीय होने का सीधा और स्पष्ट मापदंड है, भारत के अखंड भूगोल, सनातन संस्कृति और गौरवशाली अतीत के प्रति आस्था/विश्वास और इसी के साथ जुड़े रहने का दृढ़ संकल्प. अपनी जाति, क्षेत्र और महजब से ऊपर उठ कर ‘हम भारतीय’ कहने में गौरव की अनुभूति यही तो है भारतीयता. सर्वप्रथम हम भारतीय हैं.
भारतीय होने के उपरोक्त मापदंड के संदर्भ में अनेक प्रश्न खड़े होते हैं. क्या उन लोगों को भारतीय, कहा जा सकता है जो ‘गजवा-ए-हिन्द’ और ‘दारुल इस्लाम’ के ख्वाब देखते हैं? क्या वह लोग भारतीय कहलाने के हकदार हैं जो गरीबों, वंचितों की लाचारी का फायदा उठा कर उनका धर्मांतरण करके उनके गले में जबरदस्ती ‘क्रॉस’ लटका देते हैं? वे लोग कैसे भारतीय हैं जो विदेशों में जाकर खुलेआम तिरंगे ध्वज को जलाकर ‘खालिस्तान’ का शोर मचाते हैं? उन लोगों को भारतीय कैसे माना जाए जो ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का इरादा रखते हैं? उन ...