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Author: Dialogue India

राष्ट्रचिंतन लेखमाला – भारत में ‘भारतीय’ बन कर रहें**

राष्ट्रचिंतन लेखमाला – भारत में ‘भारतीय’ बन कर रहें**

समाचार
नरेंद्र सहगल ‘भारतीय होने का सीधा और स्पष्ट मापदंड है, भारत के अखंड भूगोल, सनातन संस्कृति और गौरवशाली अतीत के प्रति आस्था/विश्वास और इसी के साथ जुड़े रहने का दृढ़ संकल्प. अपनी जाति, क्षेत्र और महजब से ऊपर उठ कर ‘हम भारतीय’ कहने में गौरव की अनुभूति यही तो है भारतीयता. सर्वप्रथम हम भारतीय हैं. भारतीय होने के उपरोक्त मापदंड के संदर्भ में अनेक प्रश्न खड़े होते हैं. क्या उन लोगों को भारतीय, कहा जा सकता है जो ‘गजवा-ए-हिन्द’ और ‘दारुल इस्लाम’ के ख्वाब देखते हैं? क्या वह लोग भारतीय कहलाने के हकदार हैं जो गरीबों, वंचितों की लाचारी का फायदा उठा कर उनका धर्मांतरण करके उनके गले में जबरदस्ती ‘क्रॉस’ लटका देते हैं? वे लोग कैसे भारतीय हैं जो विदेशों में जाकर खुलेआम तिरंगे ध्वज को जलाकर ‘खालिस्तान’ का शोर मचाते हैं? उन लोगों को भारतीय कैसे माना जाए जो ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का इरादा रखते हैं? उन ...
कंधा गौतम अडाणी का है, निशाना मोदी हैं और अंत में हत्या भारत की प्रगति और समृद्धि की करनी है

कंधा गौतम अडाणी का है, निशाना मोदी हैं और अंत में हत्या भारत की प्रगति और समृद्धि की करनी है

राज्य, विश्लेषण
गौतम अदाणी के खिलाफ इस साजिश की शुरुआत अभी हाल के दिनों से नहीं हुई, बल्कि 2016-17 से ही हो गई थी। अदाणी ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया का कारमाइकल कोल माइन का प्रोजेक्ट हासिल किया था। 2017 में अचानक से अदाणी के माइन प्रोजेक्ट के खिलाफ क्लाइमेट चेंज के लिए काम करने का दावा करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसका नाम 350.org है। इन लोगों ने एक समूह की शुरुआत की, जिसका नाम स्टॉप अदाणी रखा। इस संस्थान को टाइड फाउंडेशन नाम की एक दूसरी संस्था फंड करती है। ये फाउंडेशन दुनिया के जाने-माने फंड मैनेजर जॉर्ज सोरोस से जुड़ी है। जॉर्ज वही शख्स हैं, जिनकी वजह से बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ थाईलैंड बर्बाद हो गया था। जॉर्ज अपने भारत विरोधी बयानों के लिए भी जाने जाते हैं। टाइड फाउंडेशन के पीछे भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो गौतम अदाणी को रोकने के लिए कोशिश कर रहे थे। उनका द...
सामाजिक ताने- बाने को कमजोर करती जातिगत कट्टरता

सामाजिक ताने- बाने को कमजोर करती जातिगत कट्टरता

सामाजिक
राजनीतिक लाभ के लिए जातिगत ध्रुवीकरण के अलावा उपरोक्त मांग के पीछे कुछ कारक सक्रिय नजर आते हैं। इस परिदृश्य में, यह कहना गलत नहीं होगा कि सामाजिक आर्थिक समानता लाने के उद्देश्य से की गई सकारात्मक कार्रवाई सत्ता हथियाने के एक उपकरण के रूप में अधिक हो गई है। जाति ने लोकतांत्रिक राजनीति के संगठन के लिए व्यापक आधार प्रदान किया। जातिगत पहचान और एकजुटता प्राथमिक चैनल बन गए जिसके माध्यम से चुनावी और राजनीतिक समर्थन जुटाया जाता है। राजनीतिक दलों को अपील करके जाति समुदाय के किसी सदस्य से सीधे समर्थन जुटाना आसान लगता है।  -डॉ सत्यवान सौरभ जाति आधारित आंदोलन मूल रूप से सामाजिक परिवर्तन के उद्देश्य से एक सामाजिक क्रांति है, जो सदियों पुराने पदानुक्रमित भारतीय समाज की जगह लेती है, और यह स्वतंत्रता, समानता और सामाजिक न्याय के लोकतांत्रिक आदर्शों पर आधारित है। भारत में जाति आधारित आंदोलनो...
युवाओं की भागीदारी के बिना नया भारत कैसे बनेगा?

युवाओं की भागीदारी के बिना नया भारत कैसे बनेगा?

Uncategorized
-ः ललित गर्ग:-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युवावस्था में अपनी डायरी के पन्नों पर ‘न्यू इंडिया’ और ‘युवा भारत’ का जो सपना शब्दों में पिरोया था, वह आज साकार होता नजर आ रहा है। भारत मजबूती से लगातार नई पहल के साथ आगे बढ़ रहा है। जिस तरह से भारत ने मोदी के नेतृत्व में चुनौतियों का सामना किया है, वह अपने आप में काबिले तारीफ है। यह निश्चित है कि मोदी के नेतृत्व में एक नई सभ्यता और एक नई संस्कृति गढ़ी जा रही है। नये विचारों, नये इंसानी रिश्तों, नये सामाजिक संगठनों, नये रीति-रिवाजों और नयी जिंदगी की हवायें लिए हुए आजाद मुल्क की गाथा सुनाता भारत एक बड़ा सवाल लेकर भी खड़ा है कि हम अपनी बुनियाद यानी युवाओं के सपनों को कब पंख लगायेंगे? कब उनकी निराशा की बदलियों की धूंध को दूर करेंगे? देश की युवापीढ़ी की जरूरतों को कब पूरा करेंगे एवं कब उन्हें परेशानियों से मुक्त करेंगे? यह एक बड़ा सवाल है।कहते हैं क...
सबके राम एक हैं

सबके राम एक हैं

धर्म
महर्षि वाल्मीकि रामायण के रामब्रह्माजी ने महर्षि वाल्मीकि को वरदान देकर कहा- पुण्यमयी मनोरम कथा कहो। पृथ्वी पर जब तक गिरि और सरिताएँ हैं, तब तक श्रीरामकथा लोकों में प्रचारित होती रहेगी यथा-कुरु रामकथां पुण्यां श्लोकबद्धां मनोरमाम्।यावत् स्थास्यन्ति गिरय: सरितश्च महीतले।।तावद् रामायणकथा लोकेषु प्रचरिष्यति।यावद् रामस्य च कथा त्वत्कृता प्रचरिष्यति।।वाल्मीकि रामायण बाल ३५ ३६-३७ब्रह्माजी ने वाल्मीकिजी से कहा कि तुम श्रीरामचन्द्रजी की परम् पवित्र एवं मनोरम कथा को श्लोकबद्ध करके रचना करो। इस पृथ्वी पर जब तक नदियों और पर्वतों की सत्ता रहेगी, तब तक संसार में रामायण की कथा का प्रचार होता रहेगा। जब तक तुम्हारी बनाई हुई रामायण का (श्रीरामकथा) तीनों लोकों में प्रचार रहेगा।वाल्मीकिजी ने नारदजी से पूछा कि हे मुनि! इस समय इस संसार में गुणवान्, वीर्यवान्, धर्मज्ञ, उपकार मानने वाला, सत्यवक्ता और दृढ़ प्रति...
कनाडा- ऑस्ट्रेलिया में कब कुचले जाएंगे खालिस्तानी

कनाडा- ऑस्ट्रेलिया में कब कुचले जाएंगे खालिस्तानी

राष्ट्रीय
आर.के. सिन्हा अब तक जो मोटा-मोटी कनाडा में हो रहा था, वह अब ऑस्ट्रेलिया में भी होने लगा है। इन दोनों ही देशों में खालिस्तानियों की भारत विरोधी हरकतें लगातार बढ़ रही हैं। ये लफंगे खालिस्तानी कनाडा और आस्ट्रेलिया में भारतीय नागरिकों के साथ मारपीट कर रहे हैं और हिन्दू मंदिरों पर पथराव करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। चूंकि ये दोनों देश भारत के मित्र माने जाते हैं, इसलिए वहां पर हो रही घटनाएं हरेक भारतीयों के लिए चिंतित होना जरुरी है । कुछ भटके हुए नौजवान, जो अपने को खालिस्तानी कहते हैं, खुलकर भारत के खिलाफ मैदान में आ गए हैं। इन्होंने तिरंगा लेकर चल रहे भारतीयों पर आस्ट्रेलिया में हमला किया। वायरल वीडियो में कुछ लोग खालिस्तानी झंडा लहराते हुए नजर आ रहे हैं। कुछ भारतीय नागरिक अपने हाथों में तिरंगा लेकर आगे बढ़ रहे हैं, तभी खालिस्तानी उन पर हमला बोल देते हैं। उपद्रवियों के हाथ में लोहे की रॉड...
दुबई में नए इस्लाम की पुकार !

दुबई में नए इस्लाम की पुकार !

विश्लेषण
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* दुबई में कल विश्व बंधुत्व-दिवस मनाया गया। इस मुस्लिम राष्ट्र में पिछले 10-15 साल से मुझे किसी न किसी समारोह में भाग लेने कई बार आना पड़ता है। सात देशों का यह महासंघ ‘संयुक्त अरब अमारात’ कहलाता है। यह सिर्फ सात देशों का महासंघ ही नहीं है, यह कम से कम 100 देशों का मिलन-स्थल है। जैसे हम न्यूयार्क स्थित संयुक्तराष्ट्र संघ के भवन में दर्जनों राष्ट्रों के लोगों से एक साथ मिलते हैं, बिल्कुल वैसे ही दुबई और अबू धाबी वगैरह में सारी दुनिया के विविध लोगों के दर्शन कर सकते हैं। जैसे भारत में आप दर्जनों धर्मों-संप्रदायों, जातियों, रंगों, भाषाओं, वेशभूषाओं और भोजनोंवाले लोगों को एक साथ रहते हुए देखते हैं, बिल्कुल वैसा ही नज्जारा यहां देखने को मिलता है याने दूसरे शब्दों में यह छोटा-मोटा भारत ही है। इस संयुक्त महासंघ की संपन्नता और भव्यता देखने लायक है। कल यहां जो विश्व-बंधुत...
कम उम्र की शादियों का नुकसान

कम उम्र की शादियों का नुकसान

TOP STORIES, सामाजिक
डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत में कन्याओं की शादी 18 साल से कम उम्र में करना जुर्म है। गैर-कानूनी है लेकिन इस कानून की कौन परवाह करता है? हिंदू, मुसलमान, ईसाई, आदिवासी, अगड़े-पिछड़े सभी इस जुर्म में शामिल होते हैं। हमारे देश में तो कई दुधमुंहे बच्चों की भी शादी करवा दी जाती थी। भारत में हर साल लगभग 15 लाख अवयस्क लड़कियों की शादी करवा दी जाती है। यह आंकड़ा तो अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘युनिसेफ’ का है लेकिन यह विदेशी संस्था सभी ऐसी अवैध शादियों का ठीक से पता लगा पाती होगी, इसमें मुझे संदेह हैं। 2006 के बाल विवाह विरोधी कानून के मुताबिक अकेले असम प्रांत में इस बार 1800 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन शादियों को अवैध भी घोषित कर दिया गया है। अकेले असम में पिछले 10 दिन में ऐसी कम उम्र की 4000 शादियों के विरुद्ध पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की हैं। ज़रा सोचिए कि यदि पुलिस थोड़ी और सक्रिय हो जाए तो क्या लाख...
भारत का दर्शन – हृदयनारायण दीक्षित

भारत का दर्शन – हृदयनारायण दीक्षित

राज्य, साहित्य संवाद
भारत विशिष्ट जीवनशैली वाला राष्ट्र है। इसका मूल आधार संस्कृति है। इस संस्कृति का विकास अनुभूत दर्शन के आधार पर हुआ है। यहाँ सांस्कृतिक निरंतरता है। दर्शन और विज्ञान की उपलब्धियां संस्कृति में जुड़ती जाती हैं। संस्कृति को समृद्ध करती हैं और कालवाह्य विषय छूटते जाते हैं। संस्कृति का मूल स्रोत वैदिक धर्म और संस्कृति है। यजुर्वेद के एक गुनगुनाने योग्य मंत्र (22-2) में स्तुति है, ‘‘हमारे राष्ट्र के राजन्य्ा शूरवीर हों। गाय दूध देने वाली हों। परिवार संरक्षक माताएं हों। तेजस्वी गतिशील युवा हों। मेघ मनोनुकूल वर्षा करें। इस राष्ट्र के विद्वान समग्रता में सम्पूर्णता के ज्ञाता हों - ब्रह्मवर्चसी जायताम। समग्रता में विचार से लोकमंगल के अमृतफल मिलते हैं। खण्डों में विचार से सुखद परिणाम नहीं आते। समग्र विचार उपयोगी है, ऋग्वेद (9-113-10,11) में सोम देवता से स्तुति है, ‘‘जहां सारी कामनाएं पूरी होती हों। ...
टूलकिट है बीबीसी

टूलकिट है बीबीसी

TOP STORIES, राष्ट्रीय
लेखक -चंद्र प्रकाश कहावत है—रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन नहीं गई। विश्व की सबसे बड़ी औपनिवेशिक शक्ति ब्रिटेन के साथ इन दिनों कुछ यही हो रहा है। बिजली और गैस के बिल लगभग दोगुना बढ़ चुके हैं। अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। देश को संभालने के लिए भारतीय मूल के एक हिंदू को प्रधानमंत्री पद पर स्वीकार करना पड़ा। स्पष्ट रूप से इसकी ही खीझ है कि ब्रिटेन के सरकारी चैनल बीबीसी ने दो भागों में एक डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण किया। इसका उद्देश्य गुजरात दंगों को लेकर उस दुष्प्रचार को दोबारा हवा देना था, जिसकी पोल बहुत पहले खुल चुकी है। लेकिन बीबीसी ऐसा क्यों कर रहा है? उसके पीछे कौन-सी शक्तियां हैं? इस बात को समझने के लिए बीबीसी के इतिहास को समझना होगा, लेकिन पहले बात वर्तमान विवाद की। **डॉक्यूमेंट्री में क्या है?**‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम की इस डॉक्यूमेंट्री में वर्ष 2002 में हुए गोधरा हत्याकांड और उ...