मोदी सरकार को सबसे बड़ा धक्का लगा था जब शाहीन बाग हुआ था। उससे पहले कभी ऐसा कुछ मोदी सरकार के सामने नही आया था। वो भी तब जब CAA ऐसा कानून भी नही था कि उसपर ड्रामा हो। वो तो पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यको के लिए कानून था जिसके लिए यहां के M ने जबरदस्ती की नौटंकी की।
खैर, उस समय मोदी सरकार ने कानून लाकर उसे होल्ड पर रख दिया। आखिर मोदी सरकार को हिसाब चुकता करना था। वो हिसाब की बारी आयी है अब। अब आओ और ड्रामा करो… चुनाव को हिन्दू M में बदलो। आखिर भुलक्कड़ हिन्दुओ को याद दिलाओ कि कैसे M सड़को पर दादागिरी करते हैं।
बाकी इसका क्या लाभ है उसपर भी चर्चा कर लेते हैं।
जो तत्कालिक लाभ दिख रहा है वो ऐसा है कि इससे 2014 से पहले आये लोगों को नागरिकता मिलेगी। बंगाल में मतुआ समाज को इससे सबसे ज्यादा लाभ होगा। ये सब भारत के नागरिक बन सकेंगे। सरकार ने इस बार ये सुनिश्चित किया है कि इसमें राज्य की भूमिका न हो। वैसे तो राज्य की भूमिका नही होती नागरिकता देने में लेकिन नागरिकता के लिए जो लिखा पड़ी होती हैं वो राज्य के प्रशासनिक लोग करते हैं जिसमें फिर किसी राज्य की सरकार अपने सचिवो, DM को ये करने से रोकने का प्रयास कर सकती थी। इसलिए अब केंद्र ने इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाया है जहां लोग अपने कागज जमा करवा सकते हैं। केंद्रीय विभाग जैसे पोस्ट ऑफिस आदि, उन कागजो के वेरिफिकेशन के लिए सम्बंधित व्यक्ति के पास आ जाएंगे। कहने का अर्थ की राज्य के प्रशासन को बाईपास करकर भी नागरिकता दी जा सकती है।
अब इसका वो लाभ जो अभी नही दिख रहा है।
वो है NRC की तैयारी…
NRC था कि अवैध घुसपैठियों का पता लगाना। लेकिन बिना CAA के वो लोग भी इस देश के नागरिक नही थे जिन्हें असल मे शरण दी गयी थी। CAA लागू होते ही ऐसे लोग भारत के नागरिक बन जाएंगे। जो तब भी नही बनेंगे वो सब अवैध में आ जाएंगे। इनके लिए फिर NRC आएगा और इनके कागज चेक होंगे।
NRC किस तरह आएगा?
जो मेरी समझ है कि मोदी जी ने कहा था कि तीसरा टर्म बड़े फैसलों के होगा। इन बड़े फैसलों में मुझे ज्यूडिशियल रिफॉर्म दिख रहा है ताकि कोर्ट की नौटंकी पर लगाम लगें जो बीच मे कूद पड़ता है। इसी तरह महिला आरक्षण लागू होना दिख रहा है जिसमें 33% सीटों पर महिला दावेदारी करानी है। इसके लिए डिलिमिटेशन दिख रहा है। डिलिमिटेशन के तहत नई लोकसभा सीटें बनेंगी। इससे 800 से ज्यादा लोकसभा सीट हो जाएंगी। उत्तरी भारत मे जनसँख्या ज्यादा है तो इधर ज्यादा सीट बढ़ेंगी। जैसे उत्तर प्रदेश की 80 सीट बढ़कर 140 तक हो सकती हैं। इसके बाद इसी तरह जनगणना भी करनी है जो 2021 से रुकी हुई है। इसी के साथ गुपचुप या खुले तौर पर NRC की डिटेल भी ले ली जाएगी। इसके बाद सभी नागरिकों का एक कार्ड बन जायेगा जिसमें उनके भारतीय नागरिक होने का प्रमाण होगा। जिस तरह आधार आपकी डिजिटल पहचान है उसी तरह यह कार्ड आपका इस देश के नागरिक होने की पहचान बन जायेगा।
इसके बाद इसे आधार के साथ कनेक्ट कर दिया जाएगा। साथ ही इसे वोटर ID से जोड़ दिया जाएगा। इस तरह आपका वोटर ID, आधार और सिटीजन कार्ड एक हो जाएगा जिससे फिर आप कहीं से भी किसी को भी वोट दे सकेंगे। वोटों की धांधली से लेकर वोट देने को एक राज्य से दूसरे राज्य जाने का झंझट खत्म हो जाएगा जैसे वन नेशन वन राशन कार्ड है।
इसके बाद इस देश मे वन नेशन वन इलेक्शन की बारी आएगी। कुछ सरकारें बिना कार्यकाल खत्म किये ही भंग होंगी और कुछ को थोड़ा एक्सटेंशन दिया जाएगा ताकि सब का कार्यकाल एक समय पर आकर रुके। हो सकता है लोकसभा का कार्यकाल भी इससे मैच करने को घटा बढ़ा दिया जाए। इस तरह फिर पूरे देश मे लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। जाहिर है कि उत्तरीय भारत मे ज्यादा सीट बढ़ेंगी और उत्तरीय भारत बीजेपी का गढ़ है तो ये दक्षिण में सीट जीतने की मेहनत भी उतनी नही करनी पड़ेगी।
इसी तरह जो भाजपा कह रही है कि 400 पार तो ऐसा होने पर कुछ बड़े संवैधानिक संसोधन होने की संभावना है। क्या संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर में बदलाव होगा जैसे सेक्युलर शब्द हटाना जो आपातकाल में असंवैधानिक तरीके से लगाया गया था? इसी तरह जो कोलेजियम व्यवस्था को भी जो गलत तरीके से बेसिक स्ट्रक्चर में डालकर इस तरह पक्का किया गया है कि बिना 2/3 के उसे बदला नही जा सकता, तो वो भी हटाने की संभावना दिख रही है। साथ ही 25% ऐसे कानून जो आजादी के बाद से अबतक लागू नही हुए थे उनमें से कितने ऐसे कानून सरकार लागू करने जा रही है जिनके लिए 2/3 इसलिए लगता है कि फिर उसके लिए राज्य के भरोसे नही रहना पड़ता कि उनकी सहमति भी हो और वो अपने राज्यो में इसे लागू करें जैसे GST जब सामान्य बहुमत से लागू हुआ तो राज्यो की खुशामत करनी पड़ी थी कि आप भी लागू करो और जब तक राज्य नही माने GST लागू नही हुआ। 2/3 बहुमत होता तो बिना राज्य की रजामंदी के डायरेक्ट केंद्र द्वारा ही इसे पूरे देश मे लागू कर दिया जाता।।
इस तरह मुझे कुछ बड़े फैसले लागू होते दिख रहे हैं जिनकी बात मोदी जी कर रहे हैं।।
इसलिए अबकी बार,400 पार करना बनता है।।
अवधेश प्रताप सिंह
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भारत के “पीड़ित मुसलमानों” को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश CAA बना कर शरण दें –
बात न चीत कोरी में लठ्ठम लट्ठा – विपक्ष ने मुसलमानों को लागू किए गए CAA के खिलाफ भड़का कर देश को दंगों की आग में झोंकने की योजना बना ली लगती है – ममता, स्टालिन, विजयन धमकी दे रहे हैं कि वे अपने अपने राज्य में CAA लागू नहीं होने देंगे – कांग्रेस और केजरीवाल इसे वोट बैंक की राजनीति कह रहे हैं और मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में इसे रोकने के लिए PIL दायर कर दी है जैसे मुसलमानों पर कोई बड़ी आफत आन पड़ी है CAA से –
भारत तीनों मुल्कों में प्रताड़ित हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यकों (मुस्लिमों को छोड़ कर) नागरिकता दे रहा है – इसलिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को भारत के “पीड़ित” मुसलमानों को अपने अपने देश में शरण दे कर नागरिकता देने के लिए अपना CAA बनाना चाहिए –
इस्लाम को मानने वाले भारत के मुस्लिम इस्लामिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में शरण पा कर बहुत खुश हो सकते हैं –
ओवैसी, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ़्ती, तौकीर रजा, सारे banned PFI के बाशिंदे, अरफ़ा खानुम शेरवानी और सबा नक़वी, राणा अय्यूब सबको ले सकते हो, ये लोग बहुत परेशान हैं, अरफ़ा खानम को तो अफगानिस्तान शरण दे और तुरंत शरिया में हुकुम दे कि नौकरी करने के लिए बुरका पहनो जो शक्ल न दिखे और शादी करो वरना जेल में रहना होगा –
मुसलमानों के अलावा ये तीनों देश भारत के कुछ “सेकुलर” हिन्दुओं को भी शरण दे सकते हैं – ये हिन्दू दिन रात भारत को गाली बकते हैं और पाकिस्तान के लिए टसुए बहाते है – खुला निमंत्रण दे दो तो लाइन लग जाएगी – वैसे प्याज टमाटर के दामों को रोने वाले भी बहुत मिलेंगे, उन्हें भी ले जाओ और ये सब इस्लाम में convert करने के काम आएंगे –
अब हमारे नेताओं की सुनों, उन्हें इस CAA में केवल धर्म का आधार नज़र आ रहा है – वो चाहते है कि जो मुसलमान उन देशों में पीड़ित हैं उन्हें भी नागरिकता दे भारत –
समस्या यह है कि विपक्ष इन तीन मुल्कों से आये हिन्दुओं को भारत में रखना ही नहीं चाहता और इसलिए कह रहे हैं कि यह CAA “ वोटों के ध्रुवीकरण” करने के लिए उठाया कदम है – ये उद्गार जयराम रमेश के हैं और ओवैसी मुसलमानों को सड़कों पर आने के लिए कह रहा है – क्या प्रॉब्लम हैं ओवैसी के मुसलमानों को CAA से –
ध्रुवीकरण तो कांग्रेस और सारा विपक्ष करता है – वो सेकुलर दल अनेक योजनाएं केवल मुसलमानों के लिए बनाते है जबकि मोदी ने कोई योजना केवल हिन्दुओं के लिए नहीं बनाई, उसकी योजनाएं सभी के लिए होती है –
कर्नाटक सरकार को हिन्दू मंदिरों से मिला 445 करोड़ जिसमे से 330 करोड़ कांग्रेस सरकार ने ईसाई और मुस्लिम संगठनों को लुटा दिया – ये होता है ध्रुवीकरण –
कांग्रेस और विपक्षी दल तो मुसलमानों की वोटों के ध्रुवीकरण के लिए राम मंदिर का वर्षो से विरोध करते रहे हैं और अब उद्घाटन में भी नहीं गए, वो तो सब मिल कर सनातन धर्म को समाप्त करना चाहते हैं – चुनाव में केवल मुस्लिम वोटों के भरोसे बैठे हैं –
सिब्बल ने कभी कहा था कि संसद के पास किए कानून को implement करना हर राज्य का फर्ज है इसलिए जो implement करने को मना कर रहे हैं, वे सरकार बर्खास्त हो सकती हैं –
केरल और राजस्थान सरकार ने CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है जिस पर 4 साल से फैसला नहीं हुआ – कब नींद खुलेगी मीलॉर्ड की –
सुप्रीम कोर्ट यदि CAA पर रोक लगाना चाहता है तो लगा दे लेकिन शर्त केवल एक हो कि एक हफ्ते में सभी बांग्लादेशी और रोहिंग्या भारत छोड़ कर चले जाएं और जब तक नहीं जाते तब तक किसी को वोट देने का अधिकार न हो