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सामाजिक एजेंडे से राष्ट्रनिर्माण तक

सामाजिक एजेंडे से राष्ट्रनिर्माण तक

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किसी भी राष्ट्र के विश्वगुरु बनने के क्रम में उसके नागरिकों में 'सिविक सैन्स’ का बड़ा योगदान होता है। सरकारें सिर्फ कानून बना सकती हैं। न्यायालय कानून पालन न होने की स्थिति में दंडित कर सकता है किन्तु यह सब समस्या का सिर्फ उपचार है। अकेले क़ानूनों के द्वारा सभ्य समाज का निर्माण संभव नहीं है। सभ्य समाज के निर्माण में क़ानूनों से ज़्यादा लोगों का योगदान महत्वपूर्ण होता है। जैसे मोटर व्हिकल एक्ट में हुये ताज़ा संशोधन में जुर्माने की राशि काफी हद तक बढ़ा दी गयी है। इस डर के द्वारा सड़क पर नियमों को मानने वालों की संख्या तो बढ़ सकती है किन्तु सड़क सुरक्षा की परिकल्पना तभी फलीभूत होगी जब लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे। आजकल सड़कों पर ट्रैफिक इतना ज़्यादा दिखता है कि सड़क पर चलना स्वयं में सिरदर्द बन जाता है। बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या एवं सड़कों के किनारे कटे हुये पेड़ स्थिति को और जटिल बना देते ...
स्वास्थ्य क्रांति का उद्घोष

स्वास्थ्य क्रांति का उद्घोष

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर ‘फिट इंडिया अभियान’ की शुरुआत करते हुए सभी को स्वस्थ रहने का संदेश देकर एक सकारात्मक क्रांति का उद्घोष किया है। एक ऐसी जनचेतना का सूत्रपात किया है, जिससे राष्ट्र हर मोर्चें पर सुदृढ़ एवं सशक्त होगा। हमें उन्नत स्वास्थ्य एवं तन्दुरूस्ती को अपने परिवार, समाज और देश की सफलता का मानक बनाना होगा। ‘मैं फिट तो इंडिया फिट’ और ‘बॉडी फिट तो माइंड फिट’ भी इसके लिए अच्छे सूत्र साबित हो सकते हैं। आजादी के बाद से ही सरकार को स्वास्थ्य पर सर्वाधिक बल देना चाहिए था, लेकिन सरकारें इस दृष्टि से उदासीन ही रही है, केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान दिया, स्वास्थ्य पर नहीं। पहली बार कोई प्रधानमंत्री लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की चेतना जगाते हुए उनमें स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा कर रहा है, निश्चित ही इससे भारत की तस्वीर एवं तकदीर बदलेगी, एक नये भारत का अ...
Justified demand for having National Register for Citizens (NRC) in Delhi and other parts of country

Justified demand for having National Register for Citizens (NRC) in Delhi and other parts of country

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It refers to justified demand by Delhi BJP President to have National Register of Citizens (NRC) for Delhi also, following final draft of NRC for Assam having been published. Similar demand has been made by Shiv Sena for Maharashtra also. But it is unlikely that TMC-led West Bengal government may raise any such demand in fear of vote-bank anti-national politics. NRC should be there for other parts of the country especially where there are apprehensions of infiltrators having been settled even though it will be ideal to have NRC for complete country. India should adopt strict measures like in Myanmar where President of that country even did not care for demands raised in name of human rights for snatching her Nobel Prize for tackling serious threats from Rohingyas from a particular commu...
देश में मेडिकल टूरिज्म की अपार संभावनाएं

देश में मेडिकल टूरिज्म की अपार संभावनाएं

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देश के हर इंसान को बेहतर मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाने को लेकर लंबे समय से बातें तो हो रही थी, पर अब जाकर सरकार ने देश में75 नये सरकारी मेडिकल कॉलेजों  को खोलने के प्रस्ताव को विगत बुधवार को मंजूरी देकर एक अहम ऐतिहासिक फैसला लिया है। कहने कीजरूरत नहीं है कि देश में जब नए-नए मेडिकल कालेज खुलेंगे तो उनसे देश को डाक्टर, नर्से और दूसरे मेडिकल स्टाफ भी मिलेंगे। इससे सेवा के क्षेत्र में सम्मानजनक रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कोई भी देश अपने नागरिकों को स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएऐं दिए बगैर अपने को विकसितहोने का दावा तो नहीं कर सकता है। इन मेडिकल कॉलेजों को खुलने से प्रतिवर्ष हजारों ऐसे बच्चे-बच्चियों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का अवसर मिलेगा जो मेधावी तो थे लेकिन गरीबी के कारण भारी भरकम फीस वाले “डोनेशन की वसूली” में लिप्त प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने में असर्मथ थे। लेकिन, भारत को...
बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर

बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर

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भारत एक युगान्तकारी मोड़ पर है। जिस तेजी से सरकार व समाज में राष्ट्रीयता का भाव घर कर रहा है वह स्वागतयोग्य है। जम्मू कश्मीर में अलगाववाद को प्रश्रय देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 की समाप्ति से जहां देश एक हुआ वहीं विभाजनकारी ताकतें व अर्बन नक्सलियों व पेड देशद्रोही बुद्धिजीवियों की नस्ल ही तबाह हो गयी। तीन तलाक, मोटर वाहन अधिनियम सहित दर्जनों अनेक ऐसे विधेयक संसद में पारित किए गए जिनसे भारत के एक समरस, समृद्ध व विकसित समाज बनने की राह प्रशस्त हो गई है और उससे भी बड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जल, जनसंख्या व पर्यावरण के लिए की गई अभिनव पहल देश में बड़े समाज सुधारों की राह खोलने जा रही है। इन उपलब्धियों के बीच चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी हैं। अनुच्छेद 370 की समाप्ति से देश में अनेक विपक्षी दल विशेषकर कांग्रेस पार्टी में बड़ी बौखलाहट है। विभाजन की राजनीति की विषबेल जिस प्रकार आजादी के...
मजबूत इच्छाशक्ति से बदलता भारत

मजबूत इच्छाशक्ति से बदलता भारत

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देश में जब से नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हंै, सकारात्मक परिवर्तन की बयार बहती दिख रही है। इसके पीछे मजबूत नेतृत्व, विकास नीतियां एवं आदर्श मूल्यों की स्थापना का संकल्प है। राष्ट्र में राजनीतिक परिवेश ही नहीं बदला बल्कि जन-जन के बीच का माहौल, मकसद, मूल्य और मूड सभी कुछ परिस्थिति और परिवेश के परिप्रेक्ष्य में बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। और यह बदलता दौर राष्ट्र को नए अर्थ दे रहा हैं। न केवल सामान्य-जन के जीवन-स्तर में गुणात्मक सुधार आया है, बल्कि भारत की प्रतिष्ठा भी विश्व में फिर से स्थापित हुई है, मुझे इसका सुखद अहसास विदेश यात्राओं में होता रहा है। लम्बे समय से राष्ट्र पंजों के बल खड़ा नैतिकता की प्रतीक्षा कर रहा था। कब होगा वह सूर्योदय जिस दिन राष्ट्र भ्रष्टाचारमुक्त होगा। महिलाएं अकेली भी सुरक्षित महसूस करेंगी। खाने को शुद्ध सामग्री मिलगी। सामाजिक जीवन में विश्वास जगेगा। मूल्यों की रा...
PM’s landmark decision on Decision after Independence

PM’s landmark decision on Decision after Independence

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The announcement by Prime Minister Narendra Modi from the rampart of Lal Quila on our 73rd Independence Day to appoint Chief of Defence Staff is a decision in the right direction to further strengthen our Forces, a decision which was pending for since many decades. From the defence point of view this decision is important in many ways. Once it comes into effect India will come in the category of major military powers such as United States of America, China, Britain, Japan and France where this hierarchy in Defence Forces is already there. Many member nations of NATO (North Atlantic Treaty Organisation) also have the same system in their Defence Forces. Although the recommendation to have a Chief of Defence Staff was made after the Kargil war when the necessity to have better coordination ...
वक्त है “हम दो-हमारा एक” का

वक्त है “हम दो-हमारा एक” का

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लालकिले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त की सुबह सही ही कहा है कि देश की सबसे बड़ी समस्या बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या ही है। आज़ादी के समय देश की आबादी मात्र तीस करोड़ थी, जबकि आज देश की जनसंख्या 130 करोड़ से अधिक हो गई है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण ही विकास के वांछित परिणाम लोगों तक नहीं पहुंचा प् रहा है। इसमें 130 करोड़ की आबादी में बांग्लादेशी, पाकिस्तानी, श्रीलंकाई और रोंहिंग्या घुसपैठिए शामिल ही नहीं हैं जो निरंतर देश पर बोझ बनने के साथ ही देश को तोड़ने का भी काम कर रहे हैं। इसके अलावा भूटान और नेपाल के नागरिकों को प्राप्त कुछ विशेषाधिकारों के चलते करोड़ों की संख्या में नेपाली, भूटानी और तिब्बती नागरिक भी भारतभूमि पर ही रह रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी के आह्वान के साथ ही अब समय आ गया है हमें परिवार नियोजन के नियमों को और सख़्त करने की। तभी तो देश के ...
अखण्ड भारत

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हर साल 14 अगस्त आता है, चला जाता है किन्तु 1947 के भीषण विभाजन की टीस भरी यादें छोड़ जाता है। हम अपने मन के उस संकल्प को पुनः नया करते हैं कि भक्त प्रह्माद की नगरी मुल्तान, जहाँ नरसिंह अवतार हुआ, श्री राम के पुत्रगण कुश व लव द्वारा बसाये गये कुशपुर (कुसूर) और लवपुर (लाहौर) जहाँ गुरु अर्जुनदेव, वीर हकीकत राय तथा भगत सिंहराजगुरु, सुखदेव बलिदान हुए, भारत के पुत्र तक्ष की नगरी तक्षशिलाछोटे पुत्र पुष्कल की पुष्कलावती, हिंगलाज माता का शक्तिपीठ, पाण्डवों की स्मृति संजोये कटाक्षराज (कटासराज, गुरु नानक देव का पंजा साहिब, ढाकेश्वरी माता का मंदिर, चट्टाम- यशोहर (जैसोर) खुलना के शक्तिपाठ - ये सब हमें फिर सुलभ होंगे। 1947 का रक्त-रंजित विभाजन पश्चिमी भाग में 8 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि पर पाकिस्तान तथा पूर्वी भाग में 1.50 लाख वर्ग किलोमीटर में पू. पाकिस्तान बना दिया गया। लगभग 1.50 करोड़ हिन्दू इ...
युवा पुरुषार्थ के नये छंद रचें

युवा पुरुषार्थ के नये छंद रचें

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युवा क्रांति का प्रतीक है, ऊर्जा का स्रोत है, इस क्रांति एवं ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक एवं सृजनात्मक हो, इसी ध्येय से सारी दुनिया प्रतिवर्ष 12 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाती है। सन् 2000 में अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन आरम्भ किया गया था। यह दिवस मनाने का मतलब है कि युवाशक्ति का उपयोग विध्वंस में न होकर निर्माण में हो। पूरी दुनिया की सरकारें युवा के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे। न केवल सरकारें बल्कि आम-जनजीवन में भी युवकोें की स्थिति, उनके सपने, उनका जीवन लक्ष्य आदि पर चर्चाएं हो। युवाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्तर पर भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इन्हीं मूलभूत बातों को लेकर यह दिवस मनाया जाता है। स्वामी विवेकानन्द ने भारत के नवनिर्माण के लिये मात्र सौ युवकों की अपेक्षा की थी। क्योंकि वे जानते थे कि युवा ‘विजनरी’ होते हैं और उनका विजन दूरगामी...