
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंगक्षत्रिय विश्वामित्र राजर्षि से ब्रह्मर्षि कैसे बने का वृत्तांत
श्रीरामकथा में विश्वामित्रजी के जीवनचक्र को जानना अत्यन्त आवश्यक है। वाल्मीकि रामायण ही नहीं प्राय: सभी श्रीरामकथाओं में उनका अपना एक विशेष स्थान है। श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के बालकाण्ड में उनके चरित्र का वर्णन शतानन्दजी के द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण को जनकपुर पहुँचने पर सुनाया गया। यह वृत्तांत लगभग पन्द्रह सर्गों में वर्णित हैं। विश्वामित्रजी का जीवन वृत्तांत शतानंदजी ने बहुत विस्तारपूर्वक श्रीराम से कहा है। अधिकांश पाठक इस रामायण की भाषा संस्कृत होने से कठिन समझकर इसका अध्ययन करने से वंचित हो जाते हैं। अत: ऐसे सुधी पाठकों एवं युवा पीढ़ी महर्षि विश्वामित्र ही नहीं उनके साथ-साथ ब्रह्मर्षि वसिष्ठजी के बारे में जान सकेंगे यह विचार कर प्रस्तुत प्रसंग का रोचकतापूर्ण वर्णन किया जा रहा है।महर्षि विश्वामित्र उनके सिद्धाश्रम से राक्षसों के वध उपरान्त तथा अहल्या उद्धार श्रीराम से करवाकर महाराज जनक...