
साम्प्रदायिक सद्भाव एक मृग मरीचिका
क्या गांधी जी का देश बताने वाले साम्प्रदायिक सद्भावना की बात करके कभी उस सौहार्द को बना पाएं या गांधी जी भी कभी उस मृग मरीचिका को खोज पायें ? अनेक महापुरुषों के कथनों से भी यही सत्य छलकता रहा कि हिन्दू- मुस्लिम एकता संभव नहीं अर्थात साम्प्रदायिक सद्भाव कहने व सुनने में अच्छा लगता है पर इसकी दूरी अनन्त है। पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्नाह ने भी कहा था कि हिन्दू मुस्लिम दो अलग अलग विचारधाराएं है और इनका एक साथ रहना संभव नहीं। जब मुसलमान जिहादी दर्शन का अनुसरण करेंगें और गैर मुस्लिमों पर अत्याचार या उनकी धार्मिक आस्थाओं पर निरंतर आघात करते रहेँगेँ तो कब तक कोई अपने अस्तित्व की रक्षा में उनके विरोध से बचता रहेगा ? अतः ये कैसे कहा जा सकता है कि हमारा देश सदियों से सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल रहा है ? इतिहास को झुठलाया नहीं जा सकता । भारत के कौने कौने में आप मुगलो की बर्बरता के निशान आज भी द...