
आज भी खरे हैं तालाब
हरनंदी कहिन पत्रिका की ओर से हरनंदी हिंडन दर्शन विचार श्रृंखला के अंर्तगत राजनगर स्थित आईएमए भवन के पुस्तकालय कक्ष में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें आज भी खरे हैं तालाब विषय पर विभिन्न संस्थाओं से आए प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर पर्यावरणविद् पंकज चतुर्वेदी ने पौराणिक उद्धरणों के माध्यम से प्रकृति, पर्यावरण का जिक्र करते हुए आह्वान किया कि अगर हम नहीं चेते तो आने वाले समय में हमारी पीढ़ियों को भयंकर स्थितियों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम विकास के नाम पर जो शहरीकरण कर रहे हैं उससे भी प्रकृति का ही दोहन हो रहा हैं। रेत और सीमेंट के लिए हम प्रकृति को ही नष्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सारी अर्थ व्यवस्था आज भी कृषि पर ही आधरित हैं। प्रकृति अनमोल है इसका संरक्षण करें। उन्होंने बताया कि चीन में तीन तरह का पानी घरों में सप्लाई किया जाता हैं। ...