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दिल्ली विधान सभा भंग की ओर?

दिल्ली विधान सभा भंग की ओर?

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एम.सी.डी. चुनाव में पराजय ,भ्रष्टïाचार के आरोप में करीब पच्चीस विधायकों की सदस्यता रद्द होने के करीब चुनाव आयोग में लटकता तलवार, कई तरह के आरोप -प्रत्यारोप और अनेको कुकुराहट के बीच कपिल मिश्रा का घूस लेने का केजरीवाल पर सीधे आरोप -केजरीवाल सरकार और आप पार्टी को तार -तार कर दिया है। निकटतम सहयोगी द्वारा लगाया गया आरोप विश्वसनीयता एवं साख को नंगा कर दिया है । जिस तरह की समस्याये आज खड़ी हो गई है वह निश्चय ही दिल्ली विधान सभा भंग होने और मध्यवर्तीय चुनाव की ओर अग्रसर हो रही है इतिहास साक्षी है कि भ्रष्टाचार से आरोपित सरकारो के कारण गुजरात एवं बिहार की विधान सभा भंग हो चुकी है। गुजरात में चिमन भाई पटेल की सरकार और बिहार में कांग्रेस की सरकार का पतन विधान सभा भंग के मूल्य के रूप में जनआंदोलनों ने प्राप्त किया था। दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा को प्रबल बहुमत आना निश्चय ही नरेन्द्र मोदी की जन...
बदलाव की बयार उत्तर प्रदेश तैयार

बदलाव की बयार उत्तर प्रदेश तैयार

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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पूरे एक्शन में दिख रही है। सरकार के तेवर सख्त हैं और लहजा तल्ख। 60 दिन के कार्यकाल के द्वारा उत्तर प्रदेश में एक हवा दिखने लगी है। पर उत्तर प्रदेश में सब ठीक हो गया हो, ऐसा भी नहीं है। कुछ अफसर अब भी जनता के सरोकारों से नहीं जुड़े हैं। कुछ भाजपा कार्यकर्ता दबंगों की तरह काम करते हुये सरकार को बदनाम कर रहे हैं। कुछ गौरक्षा की आड़ मे अपने स्वार्थसिद्ध कर रहे हैं। इनके द्वारा बदनाम हो रही है योगी सरकार। अगर इन पर तुरंत लगाम नहीं लगी तो कानून व्यवस्था के विषय पर सरकार को घिरने में देर नहीं लगेगी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपने कार्यकाल के 60 दिन पूरा कर चुकी है। अब सरकार का हनीमून पीरियड खत्म हो चुका है। जो संदेश सरकार को अपने प्रारम्भिक दिनो में देना होता है वह देने में सरकार कामयाब रही। जनता में एक अच्छी नीयत की सरकार का संदेश गया। सरकार बनने के बाद मुस्लिमो...
एमसीडी चुनाव और अरविन्द केजरीवाल की साख

एमसीडी चुनाव और अरविन्द केजरीवाल की साख

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एमसीडी चुनावों में भी अंतत: भगवा ही लहराया। कॉंग्रेस ने दिल्ली में वापसी की है और आम आदमी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है। भारतीय जनता पार्टी की जीत से कहीं अधिक यह वैकल्पिक राजनीति लाने वाली आम आदमी पार्टी की हार है। ये चुनाव नरेंद्र मोदी और अरविन्द केजरीवाल की साख का सवाल थे और नई दिल्ली के विधान सभा चुनावों के बाद भाजपा के लिए एक इम्तहान के रूप में थे। इन चुनावों से ठीक पहले राजौरी गार्डन विधानसभा चुनावों में हालांकि इन परिणामों की झलक मिल चुकी थी,मगर फिर भी आम आदमी पार्टी को निगम में भाजपा के नकारेपन पर पूरा भरोसा था, उसे पूरा यकीन था कि एमसीडी में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण भाजपा को वोट नहीं मिलेंगे और उसके लिए मैदान साफ है। मगर आज के ये परिणाम कहीं न कहीं उस अवधारणा को भी तोड़ते हैं। यह सच है कि यदि काम के आधार पर वोट मिलते तो भाजपा आज हार रही होती क्योंकि भाजपा ने विगत दस वर्षों में...
हम झारखण्ड की संस्कृति को देश के  कोने कोने में पहुंचा रहे हैं – अमर दावरी

हम झारखण्ड की संस्कृति को देश के कोने कोने में पहुंचा रहे हैं – अमर दावरी

राज्य
झारखण्ड अब देश की मुख्य धारा में आने को बेचैन है और यहाँ की जनता के ऊँचा उडऩे के सपनों को पंख लगाने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार कमरतोड़ मेहनत कर रही है। राज्य के राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार, पर्यटन,कला, संस्कृति, खेलकूद और युवा कार्य मंत्री प्रदेश के प्रभावशाली मंत्रियों में हैं। स्वाभाव से धीर गंभीर और विनम्र अमर दावरी के पास कई मंत्रालयों का कार्यभार है और मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उनकी क्षमताओं को ठीक से पहचाना भी और खासी जिम्मेदारियां भी दी हुई हैं। बोकारो में उनके निवास पर हुई भेंट में उन्होंने अपने विभिन्न मंत्रालयों के कार्यो और किये जा रहे अभिनव प्रयोगों और उनके परिणामो पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रस्तुत है हमारे संपादक अनुज अग्रवाल से हुई उनकी बातचीत के प्रमुख अंश : औधोगिकीकरण हो, पर्यटन हो, खेलकूद हो या निवेश झारखण्ड अभी देश के नक्शे पर प्रमुखता से नहीँ आ पा रहा। क्यों? नह...
अरविन्द केजरीवाल – सपनों का मर जाना

अरविन्द केजरीवाल – सपनों का मर जाना

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नवम्बर 2013 था, हम लोग पुरी की तरफ निकल रहे थे. मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और छत्तीसगढ़ के चुनाव हो चुके थे और AAP की संभावित जीत के चर्चे साहिबाबाद लोकल स्टेशन पर भी थे. हम लोगों को साहिबाबाद से लोकल पकड़ कर निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन जाना था. तो जैसा मेरी आदत है, लोगों के विचार सुनती रही. साहिबाबाद स्टेशन पर कई युवा ऐसे थे, जिनकी आँखों में एक अजीब सा सपना था. वे सभी ऐसे लोग थे, जिन्होनें AAP के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य किया था. बहुत बातें कर रहे थे. हम लोग जब निजामुद्दीन पहुंचे तब तक AAP के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद हो चुकी थी. ट्रेन में हमारे सामने की सीट पर एक लड़का था. वह समय एक परिवर्तन का समय था और इन्टरनेट के समय में चर्चा केवल और केवल अरविन्द और मोदी के करिश्मे पर टिक जाती थी. वह लड़का इंजीनियर था और उसने बहुत ही जल्दी अपने दिल की बात करनी शुरू कर दी. उसने कहा "madam, It is clear tha...
बनेगी रिफाइनरी बदलेगी सूरत

बनेगी रिफाइनरी बदलेगी सूरत

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रामस्वरूप रावतसरे जस्थान के बाड़मेर के पचपदरा में 4 साल बाद यानी 2021 में रिफाइनरी बनकर तैयार हो जाएगी। इस रिफाइनरी की क्षमता 9 मिलियन टन होगी, यानी इतने तेल का उत्पादन सालाना होगा। इसके लिए फि र से राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच एमओयू किया गया है। सरकार और एचपीसीएल के बीच एमओयू के दौरान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सीएम वसुंधरा राजे भी मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, राजस्थान की 26 फीसदी की भागीदारी इस रिफाइनरी के उत्पादन में रहेगी। यह रिफाइनरी बीएस-6 मानक वाली होगी। एचपीसीएल ने दुनिया की सबसे आधुनिक टैक्नोलॉजी के साथ काम करने का एमओयू किया है। इसकी लागत करीब 43 हजार करोड़ रुपए होगी। केंद्र भी 27 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगा। राजस्थान में इतनी बड़ी निवेश पहले कभी नहीं हुआ। एचपीसीएल की भी पूरी अपनी लाइफ में यह सबसे बड़ा निवेश है।आने वाले 3 साल में...
योगी सरकार तूफानी रफ्तार – सुशासन की बहार

योगी सरकार तूफानी रफ्तार – सुशासन की बहार

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उत्तर प्रदेश को पटरी से उतरा हुआ प्रदेश माना जाता था। उत्तर प्रदेश के निवासी यह आशा नहीं करते थे कि कोई सरकार ऐसी भी हो सकती है जिसके द्वारा उत्तर प्रदेश की शिथिल नौकरशाही के पेंच कस सके। उत्तर प्रदेश की पुलिस, गुंडों और माफियाओं पर बिना किसी राजनैतिक दवाब के कार्यवाही कर सके। प्राइवेट स्कूल की मनमानी रुक सकें। शिक्षा माफिया बाज़ार मूल्य पर किताबें देने लगे। मुस्लिमों के तुष्टीकरण के नाम पर बहुसंख्यकों का शोषण बंद हो सके। अफसर समय पर ऑफिस पहुचने लगे। पर उत्तर प्रदेश में ऐसा होने लगा है। लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो नायक फिल्म के हीरो से भी तेज़ काम कर रहे हैं। बदलाव की ओर बढ़ चले उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की कार्यशैली पर अमित त्यागी प्रकाश डाल रहे हैं। र्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बने मोदी ने मंत्र दिया था कि 'न खाऊँगा न खाने दूंगाÓ। 2017 में उत्तर प्रदेश के ...
तो क्या अखिलेश गुट ने भी चुनाव आयोग को रिश्वत दे खरीदा था चुनाव चिन्ह? – मौलिक भारत

तो क्या अखिलेश गुट ने भी चुनाव आयोग को रिश्वत दे खरीदा था चुनाव चिन्ह? – मौलिक भारत

घोटाला, राज्य
तमिलनाडू में अन्नाद्रमुक पर कब्जे की लड़ाई में शशिकला के भांजे को पार्टी के चुनाव चिन्ह पर शशिकला गुट के कब्जे को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों को 50 करोड़ रूपये की रिश्वत देने की कोशिश में स्नढ्ढक्र दर्ज की गयी है और दलाल की गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी पर कब्जे को लेकर अखिलेश और मुलायम गुट का था और मामला चुनाव आयोग पहुंचा था। उस समय विभिन्न चेनलों पर अनेक संविधान विशेषज्ञ और पूर्व चुनाव आयुक्त यह दावा कर रहे थे कि इस विवाद पर जाँच कर निर्णय देने में आयोग को कम से कम छ: महीने लगेंगे। किंतू कुछ ही दिनों बाद अचानक आयोग ने अखिलेश गुट को साइकिल चुनाव निशान आबंटित कर दिया। इस मामले में चुनाव आयोग का निर्णय अगर आप लोग पढ़ेंगे तो पाएंगे कि बिना परीक्षण अखिलेश गुट के बहुत से दावो को मान लिया गया। जिस प्रकार की जल्दबाजी इस निर्णय को देने में की गयी उससे स...
And Nirbhaya

And Nirbhaya

राज्य, सामाजिक
It has been a long, long wait. But finally a verdict has been delivered by the Supreme Court. Yesterday’s verdict has been welcomed by all those waiting for justice, including Nirbhaya’s parents. Everyone appears pleased and relieved that finally justice has been done to Nirbhaya. The Apex Court decided that this was a rarest of rarest criminal acts and thus endorsed the death sentence handed down by the High Court, to four accused. Two other accused escaped the verdict of death by hanging. One had earlier committed suicide while in custody, by hanging himself, possibly due to shame and remorse. Another was protected by his age, being a little short of 18 when committing the crime. The juvenile got away with the only sentence that juveniles can be handed down under India’s Juvenil...
Necessary to restrict people for taking precaution on having pet dogs to start with from Delhi

Necessary to restrict people for taking precaution on having pet dogs to start with from Delhi

राज्य
Having pet dogs even in narrow lanes of old cities has become a fashion of status-conscious society of urbanites. But they do not care for dirtiness spread by their dogs in streets. Registration of pet dogs should be made compulsory requiring people to hang authorised registration-numbers provided by civic bodies in necks of their dogs. All those having pet dogs should be directed to ensure that no dirtiness may be spread in streets, parks and other public places by their pet dogs, making it compulsory to tie bags for their shit. Exemplary fine may be imposed whose pet dogs are found without shit-bags. Unfortunately status-conscious society in India is quick to copy advanced countries to have pet dogs. But they do not care to copy people of those countries for feeling resp...