
एमसीडी चुनाव और अरविन्द केजरीवाल की साख
एमसीडी चुनावों में भी अंतत: भगवा ही लहराया। कॉंग्रेस ने दिल्ली में वापसी की है और आम आदमी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है। भारतीय जनता पार्टी की जीत से कहीं अधिक यह वैकल्पिक राजनीति लाने वाली आम आदमी पार्टी की हार है। ये चुनाव नरेंद्र मोदी और अरविन्द केजरीवाल की साख का सवाल थे और नई दिल्ली के विधान सभा चुनावों के बाद भाजपा के लिए एक इम्तहान के रूप में थे। इन चुनावों से ठीक पहले राजौरी गार्डन विधानसभा चुनावों में हालांकि इन परिणामों की झलक मिल चुकी थी,मगर फिर भी आम आदमी पार्टी को निगम में भाजपा के नकारेपन पर पूरा भरोसा था, उसे पूरा यकीन था कि एमसीडी में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण भाजपा को वोट नहीं मिलेंगे और उसके लिए मैदान साफ है। मगर आज के ये परिणाम कहीं न कहीं उस अवधारणा को भी तोड़ते हैं। यह सच है कि यदि काम के आधार पर वोट मिलते तो भाजपा आज हार रही होती क्योंकि भाजपा ने विगत दस वर्षों में...