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Appreciable step of UP …

Appreciable step of UP …

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>Appreciable step of UP government in abolishing holidays of birth and death anniversaries of leaders: Central government should abolish holidays on Gandhi and Ambedkar Jayantis UP government led by Yogi Adityanath deserves all compliments for taking a bold step to abolish fifteen holidays relating to birth and death anniversaries of certain people in the state. These holidays were started by earlier BSP and SP governments just for appeasing certain sections of people. But still there is scope for curtailing more such holidays in a state where culture of ever-mushrooming holidays just for vote-bank politics ruined work-culture. Logic given by UP government that extra time should rather be spent on such abolished holidays to educate great work of these eminent personalities honoured throug...
व्यापम पर “कैग” रिपोर्ट के निहितार्थ

व्यापम पर “कैग” रिपोर्ट के निहितार्थ

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जावेद अनीस भाजपा द्वारा मध्यप्रदेश को विकास के माडल के तौर पर प्रस्तुत किया जाता रहा है, लेकिन राजनैतिक शुचिता, ईमानदार मूल्यों और आदर्शों की बात करने वाले भाजपा के शासनकाल में व्यापमं जैसा घोटाला हुआ जिसने मध्य प्रदेश को देश ही नहीं पूरी दुनिया में बदनाम किया है. यह भारत के सबसे बड़े और अमानवीय घोटालों में से एक है जिसने सूबे के लाखों युवाओं के अरमानों और कैरियर के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है. इस घोटाले की चपेट में आये ज्यादातर युवा गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्गीय परिवारों से हैं जो तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपना पेट काटकर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं जिससे उनके बच्चे अच्छी उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन में स्थायित्व ला सकें और सम्मानजनक जीवन जी सकें. व्यापमं जैसे महाघोटाले ने भाजपा के भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन जैसे खोखले दावों की पोल खोलने का काम किया है. बहुत ही सुनियोजित...
सबको सन्मति दे भगवान!

सबको सन्मति दे भगवान!

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‘मंदिर वहीं बनायेंगे’ का नारा बार-बार लगाने वाले योगी आदित्यनाथ अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। उनके मुख्यमंत्री बनते ही सुप्रीम कोर्ट ने भी एक बार फिर आपसी समझबूझ से बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद को निपटाने की बात कही है। इस तरह से यह विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है, उसे सुलझाने की कोशिशों को तेज करने की प्रक्रिया प्रारंभ होती दिखाई दे रही है। लेकिन प्रश्न यह है कि साम्प्रदायिकता को उग्र करके यह मसला कैसे सुलझाया जा सकता है। इन दिनों जो हालात बन रहे हैं उनमें हिन्दू-मुस्लिम पास-पास आने की बजाय उनमें दूरियां की बढ़ती दिखाई दे रही है। राजस्थान के अलवर में पहलू खां की गौरक्षा के नाम पर हत्या करना हो या उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा द्वारा कब्रिस्तान-श्मशान की बात उठाकर धर्म की राजनीति का सहारा लेने का प्रयास किया हो, वन्दे मातरम को गाये जाने का प्रश्न हो या तीन तलाक का मसला- ऐसी स्थिति...
राजौरी गार्डन उप-चुनाव में किसकी हार

राजौरी गार्डन उप-चुनाव में किसकी हार

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गत सप्ताह यूं तो अनेक राज्यों में हुए विधान सभा के उप चुनावों के परिणाम आए किन्तु, राजधानी दिल्ली के राजौरी गार्डन विधान सभा क्षेत्र के उपचुनाव का परिणाम अपने आप में अप्रत्याशित तथा मतदाता की दूरगामी सोच को दर्शाता है। यह परिणाम एक दृष्टि से न तो भाजपा की जीत है और ही कांग्रेस या आम आदमी पार्टी की हार। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की प्रेस वार्ता में, उसके ऊपर सरे-आम जूता फैंककर, पत्रकार से राजनेता बने, पूर्व विधायक जरनैल सिंह द्वारा राजौरी गार्डन की जनता का तिरस्कार किया जाना भी इस हार का कारण नहीं माना जा सकता है। हालांकि, जनता को धोखा व इस सीट को तिलांजलि देकर वे पंजाब में चुनाव लड़ने चले गए थे। राजौरी गार्डन क्षेत्र वैसे पंजाबी बाहुल्य क्षेत्र है और पंजाब चुनाव की सभी विद्याओं का प्रयोग इस चुनाव के दौरान भी इस खास समुदाय के लोगों को रिझाने हेतु किया गया। किन्तु चतुर सुजान जागरूक मतदाताओं...
केवल कर्ज माफी से नहीं होगा किसानो का उद्धार

केवल कर्ज माफी से नहीं होगा किसानो का उद्धार

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यूपीए-2 से शुरू हुआ किसानों की कर्ज माफी का सिलसिला आज तक जारी है। उ0प्र0 के मुख्यमंत्री योगी ने चुनावी वायदों को पूरा करते हुए लघु व सीमांत किसानों की कर्ज माफी का एलान कर दिया है। निश्चित रूप से इस कदम से इन किसानों को फौरी राहत मिलेगी। पर  इस बात की कोई गारंटी नहीं कि उनके दिन बदल जायेंगे। केंद्रीय सरकार ने किसानों की दशा सुधारने के लिए ‘बीज से बाजार तक’ छः सूत्रिय कार्यक्रम की घोषणा की है। जिसका पहला बिंदू है किसानों को दस लाख करोड़ रूपये तक ऋण मुहैया कराना। किसानों को सीधे आॅनलाईन माध्यम से क्रेता से जोड़ना, जिससे बिचैलियों को खत्म किया जा सके। कम कीमत पर किसानों की फसल का बीमा किया जाना। उन्हें उन्नत कोटि के बीज प्रदान करने। 5.6 करोड़ ‘साॅईल हैल्थ कार्ड’ जारी कर भूमि की गुणवत्तानुसार फसल का निर्णय करना। किसानों को रासायनिक उर्वरकों के लिए लाईन में न खड़ा होना पड़े, इसकी व्यवस्था सुनिश्चित...
दिल्ली एमसीडी चुनाव एक महासंग्राम है

दिल्ली एमसीडी चुनाव एक महासंग्राम है

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साल 2017 के दिल्ली के तीन नगर निगम चुनाव की सरगर्मिया तेज हो गयी है।  चुनाव में दिल्ली की तीन राजनीतिक पार्टियों के लिये ये चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न ही नहीं बल्कि एक महासंग्राम बने हुए हंै। यूपी, उत्तराखंड की जीत से गदगद बीजेपी इस चुनाव में तकनीक, मैन पॉवर और यूथ पॉवर का गजब संयोग करने वाली है। वहीं कांग्रेस दूरदर्शिता, राजनीतिक इच्छाशक्ति और दिल्ली को वल्र्ड क्लास सिटी के संकल्प के साथ चुनाव में उतर रही है। तीसरी पार्टी आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव जिस प्रचण्ड बहुमत से जीती थी, उसका खुमार उस पर अभी भी सवार है। पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद इस पार्टी ने इस चुनाव के लिए कमर कस ली है। माहौल को देखते हुए तो यही प्रतीत होता है कि सभी दल राजनीति नहीं, स्वार्थ नीति चला रहे हैं। दिल्ली की आम जनता की बुनियादी समस्याओं का हल एवं उसकी खुशहाली का रास्ता इन चुनावों से होकर ही जाता हुआ दिख...
योगी बदलेंगे यूपी का चेहरा

योगी बदलेंगे यूपी का चेहरा

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जैसे ही योगी आदित्यनाथ जी के नाम की घोषणा हुई, टीवी चैनलों पर बैठे कुछ टिप्प्णीकारों ने इस समाचार पर असंतोष जताया। उनका कहना था कि योगी समाज में विघटन की राजनीति करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी के विकास के एजेंडे को दरकिनार कर देंगे। यह सोच सरासर गलत है। विकास का एजेंडा हो या कुशल प्रशासन, उसकी पहली शर्त है कि राजनेता चरित्रवान होना चाहिए। आजकल राजनीति में सबसे बड़ा संकट चरित्र का हो गया है। चरित्रवान राजनेता ढूंढे से नहीं मिलते। 21 वर्ष की अल्पायु में समाज और धर्म के लिए घर त्यागने वाला कोई युवा कुछ मजबूत इरादे लेकर ही निकलता है। योगी आदित्यनाथ ने अपने शुद्ध सात्विक आचरण और नैष्टिक ब्रह्मचर्य से अपने चरित्रवान होने का समुचित प्रमाण दे दिया है। पांच बार लोकसभा जीतकर उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता को भी स्थापित कर दिया है। गोरखनाथ पंथ की इस गद्दी का इतिहास रहा है कि इस पर बैठने वाले संत चरित्रवान...
बदलाव की ओर पंजाब, बिखराव की ओर ‘आप’

बदलाव की ओर पंजाब, बिखराव की ओर ‘आप’

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पंजाब भोले और खुशमिजाज़ लोगों की धरती है। यहां के लोग हर त्योहार को आनंद से मनाते हैं। चुनाव के दौरान भी पंजाब में उत्सव का माहौल दिखा। पंजाब वर्तमान में युवाओं में बढ़ती नशे की लत से जूझ रहा है। पाकिस्तान के सीमावर्ती होने के कारण पंजाब में एक जिम्मेदार सरकार का होना आवश्यक था। अप्रवासी भारतीयों में पंजाबियों का एक बड़ा वर्ग है जो देश से प्यार करता है। इस बार वह पंजाब में बदलाव की नीयत से कई माह से चुनाव प्रचार में जुटा था। एक बड़ी संख्या में अप्रवासी भारतीयों द्वारा चुनाव प्रचार एवं प्रोफेशनल्स के चुनाव लडऩे के कारण रोचक बने पंजाब चुनाव के परिणामों का विश्लेषण विशेष संवाददाता अमित त्यागी कर रहे हैं । जाब में अकाली-भाजपा सरकार का विरोध था। उनकी हार तय तो सभी मान रहे थे किन्तु इन सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह था कि क्या पंजाब में आप का शासन आ जायेगा? क्या सिर्फ मोदी विरोध के द्वारा खुद को रा...
भाजपा चुस्त, कांग्रेस सुस्त  (उच्चतम न्यायालय ने कहा दुरुस्त)

भाजपा चुस्त, कांग्रेस सुस्त (उच्चतम न्यायालय ने कहा दुरुस्त)

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  जब कुछ करने के लिये ठान लिया जाता है तब उसके लिये रास्ते भी निकलने लगते हैं। अमित शाह गोवा में सरकार बनाने की ठान चुके थे। पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो भी सरकार बनाने की जोड़तोड़ में वह लगे रहे। सबसे बड़ा दल न बनने के बावजूद उनके रणनीतिक कौशल ने रातोंरात गोवा में सरकार का गठन करवा दिया। चुनाव पूर्व आम आदमी पार्टी के चंगुल से गोवा को बचाते हुये और चुनाव परिणाम उपरांत कांग्रेस को सरकार बनाने से विफल करती भाजपा की राजनीति बता रहे हैं विशेष संवाददाता अमित त्यागी। गोवा एक ऐसा राज्य था जहां आम आदमी पार्टी अपना वर्चस्व बढ़ाने में लगी थी। कमजोर होती कांग्रेस और सत्ताधारी भाजपा की सत्ताविरोधी लहर के चलते 'आप’ गोवा में पूरी तरह रायता फैलाने के मूड में थी। यदि छह माह पहले गोवा में चुनाव होते तो वहां की राजनैतिक परिस्थितियां ऐसी थीं कि अपनी ईमानदार छवि के पीछे एक धूर्त मुखौटा छिपाये अरविंद के...
मणिपुर का लोकतान्त्रिक उत्तर दिल्ली से जुड़ता पूर्वोत्तर

मणिपुर का लोकतान्त्रिक उत्तर दिल्ली से जुड़ता पूर्वोत्तर

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मणिपुर में पिछले 15 सालों से कांग्रेस के ओकराम इबोबी मुख्यमंत्री थे। लगातार इतने सालों से मुख्यमंत्री रहने के कारण उनके विरोध में एक सत्ता विरोधी लहर तो उनके पिछले कार्यकालों के दौरान भी साफ तौर पर थी किन्तु किसी मजबूत विकल्प न होने के कारण सत्ता का बदलाव मुश्किल था। असम की जीत के बाद भाजपा की मजबूती मणिपुर में भी बढ़ी। वहां पैदा हुये आत्मविश्वास ने इस बार मणिपुर में भाजपा को एक विकल्प के रूप में खुद ब खुद पेश कर दिया। गोवा और मणिपुर में हालांकि भाजपा दूसरे नंबर पर थी किन्तु भाजपा के शीर्ष रणनीतिकारों के बेहतर रणनीतिक कौशल के कारण मणिपुर में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही। मणिपुर पर अमित त्यागी का एक लेख। भारत में लोकतन्त्र मजबूत होता दिखने लगा है। जनता जागरूक होने लगी है। इसकी वजह यह है कि जनता अब उन विषयों पर जागरूक होने लगी है जो राष्ट्रनिर्माण से सरोकार रखते हैं। जिनसे देश की आंतर...