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व्याकरणाचार्य पाणिनि

व्याकरणाचार्य पाणिनि

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पाणिनि परिचय पाणिनि (अंग्रेज़ी:Pāṇini) संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध और श्रेष्ठ व्याकरणाचार्य हैं। उनके अष्टाध्यायी नामक ग्रन्थ के आठ अध्याय हैं। हर अध्याय में चार पाद हैं। प्रत्येक पाद में प्रस्तुत विषय के अनुसार कम अथवा अधिक सूत्र संख्या है। अत्यन्त संक्षेप में कहे हुए नियम अथवा विधान को सूत्र कहते हैं। अत्यंत संक्षिप्त होना ही पाणिनीय सूत्रों का सबसे निराला वैशिष्ट्य है। उस संक्षेप के लिए महर्षि पाणिनी ने एक स्वतंत्र पद्धति तैयार की है। फलस्वरूप सूत्रों की अधिकांश रचना अत्यधिक तकनीकी और लोक व्यवहार की भाषा से भिन्न हो गई है। पाणिनी सूत्र की भाषा संस्कृत होते हुए भी संस्कृत भाषा के अच्छे ज्ञान मात्र से सूत्रार्थ का ज्ञान असंभव है: तथापि यह व्याकरण बहुत संक्षिप्त हो गया है, बल्कि कुछ एक हद तक दुर्बोध भी हो गया है, फिर भी एक एक सूत्र से बड़ा शब्द समू...
मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम ?

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चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।  तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देंय रघुवीर।।   एक जमाने तक यह चौपाई सुनाकर रामचरितमानस के वाचक रामभक्त तुलसी के महत्व बखान किया करते थे। किंतु अब वाचक तो वाचक, पूर्णिमा.अमावस्या स्नान दर्शन के लिए पैदल ही खिंचे चले आने वाले भी शायद भूल चुके हैं कि उनकी जिंदगी में मानिकपुर, मैहर और चित्रकूट का क्या महत्व है। यदि आस्थावानों की आस्था सच्ची होती, तो इनका हाल-बेहाल न होता।   उल्लेखनीय है कि ये तीनों स्थल, बुंदेलखण्ड में आस्था के बड़े केंद्र हैं। यहां के पहाड़, जंगल और नदियां ही इन स्थलों की शक्ति रहे हैं। वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और देवी सीता ने इन्हीं शक्तियों से शक्ति पाई। किंतु बीते कुछ वर्षों से यह शक्ति लगातार क्षीण हो रही है। केन, बेतवा, धसान जैसी महत्वपूर्ण नदियां थक रही हैं। स्रोत से शुरू हुई जलधारा अब नदियों के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच रही है। ...
बड़े बदलावों की नई सुबह

बड़े बदलावों की नई सुबह

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विधानसभा चुनावों में आयी भगवा सूनामी ने नकारात्मक राजनीति के कचरे को बेतरह बहा दिया है और अब देश में सकारात्मक वातावरण में राष्ट्रवादी और भारतपरक राजनीति का उदय हो गया है। हालांकि यह उदय तो मई 2014 में मोदी सरकार आने पर ही हो गया था किंतु देश के सेकुलर-वामपंथी खेमे की कलुषित मानसिकता, स्वार्थ की राजनीति एवं सरकार के हर कदम व कार्य की अबाध आलोचना और खिल्ली उड़ाने की घटिया हरकतों व किसानों, जवानों व जातीय-धार्मिक समूहों को भड़काने की राजनीति से चारों ओर भ्रम व अविश्वास का घना कोहरा छा गया था। मात्र विरोध के लिए विरोध करने वाले दलों कांग्रेस पार्टी, सपा, बसपा और आआपा को जनता ने आत्मकेंद्रित राजनीति की बहुत बड़ी सजा दी है और एक प्रकार से सेकुलर राजनीति की जड़ें ही हिला दी। यह चुनाव देश की जनता के लिए अमृत वर्षा की तरह है, क्योंकि या तो सेकुलर खेमा समाप्त होता जायेगा अथवा उसको राष्ट्रवादी सांचे...
एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का दर्जा प्राप्त गांव मावलिन्नांग

एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का दर्जा प्राप्त गांव मावलिन्नांग

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हर घर में शौचालय हो; गांव-गांव सफाई हो; सभी को स्वच्छ-सुरक्षित पीने का पानी मिले; हर शहर में ठोस-द्रव अपशिष्ट निपटान की व्यवस्था हो - इन्ही उद्देश्यों को लेकर दो अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई थी। कहा गया कि जब दो अक्तूबर, 2019 को महात्मा गांधी जी का 150वां जन्म दिवस मनाया जाये, तब तक स्वच्छ भारत अभियान अपना लक्ष्य हासिल कर ले; राष्ट्रपिता को राष्ट्र की ओर यही सबसे अच्छी और सच्ची श्रृद्धांजलि होगी। इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए 62,009 करोड़ का पंचवर्षीय अनुमानित बजट भी तय किया गया था। अब हम मार्च, 2017 मंे हैं। अभियान की शुरुआत हुए ढाई वर्ष यानी आधा समय बीत चुका है। लक्ष्य का आधा हासिल हो जाना चाहिए था। खर्च तो आधे से अधिक का आंकड़ा पार करता दिखाई दे रहा है। कितने करोड़ तो विज्ञापन पर ही खर्च हो गये। हमारी सरकारें अभी सिर्फ शौचालयों की गिनती बढ़ाने में लगी है। सफाई के असल पैमा...
नये भारत की दस्तक को पहचाने

नये भारत की दस्तक को पहचाने

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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामों ने देश को अचम्भित कर दिया। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड में भाजपा की शानदार जीत ने स्वतंत्रता के बाद नया इतिहास बनाया है। इस यादगार महाजीत के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा मुख्यालय में ‘‘नया भारत’ उभरने की बात कही है और उसे वे विकास का पक्षधर मानते हंै। उन्होंने जनता से कहा कि वह नए भारत के निर्माण का संकल्प लें। वर्ष 2022 में जब हम आजादी के 75 वर्ष पूरे करेंगे तब तक हमें ऐसा भारत बना लेना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह भाषण भी अविस्मरणीय रहेगा। पहली बार मध्यम वर्ग की चिन्ता किसी राष्ट्रनायक ने की है। गरीबी को खत्म करके मध्यम वर्ग पर लगातार लादे जा रहे बोझ को कम करने का उनका फार्मूला भी व्यावहारिक है। उनके दूरगामी राजनीतिक दृष्टिकोण को मैं नये भारत की नींव के रूप में देखता हूं। नया भारत पैंसठ प्रतिशत युवाओं के सपनों का भारत ह...
क्या बदले तो बदले भारत :  व्यक्ति, व्यवस्था, पार्टी या लगाम ?

क्या बदले तो बदले भारत :  व्यक्ति, व्यवस्था, पार्टी या लगाम ?

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लोगों के लिए, लोगों के द्वारा, लोगों की सरकार’- यह लोकतंत्र की सर्वमान्य परिभाषा है। न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया - लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं। लोकनियोजन, लोकनीति, लोकस्वामित्व, लोकअभिव्यक्ति और लोक उम्मीदवारी - ये लोकतंत्र के प्रमुख प्रभावी पांच लक्षण है। लोक के साथ तंत्र का सतत् संवाद, सहमति, सहयोग, सहभाग, सहकार और सदाचार लोकतांत्रिक व्यवस्था संचालन के छह सूत्र हैं। यदि लोकतंत्र के उक्त तीन जोड़, चार स्तंभ, पांच लक्ष्ण और छह सूत्र सक्रिय व सुविचारित रूप से मौजूद हों, तो समझना चाहिए कि व्यवस्था सुचारु और लोकतांत्रिक है। यदि ऐसा न हो तो लोक घाोषणापत्र, लोक निगरानी और लोक-अंकेक्षण, लोक को नियंत्रित करने के तीन औजार हो सकते हैं और लोकउम्मीदवारी तंत्र में लोक के कब्जे का एक सर्वोदयी विचार। सोचिए! क्या हमारी पंचायत और ग्रामसभा के बीच, निगम और मोहल्ला समितियों के बीच सतत् औ...
Amazing scientific inventions by ancient Hindu saints

Amazing scientific inventions by ancient Hindu saints

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Top 10 Biggest Inventions by Indian People India has been a prominent center of learning since ancient times. The land was one of the most advanced regions in various fields of science.The Indian subcontinent has been a major contributor to the world and has excelled in fields of astronomy, numerology, arithmetic, mineralogy, metallurgy, logic, information and technology. Some of the inventions even date back to as early as the Indus Valley Civilization. Historical evidences and excavations by archaeologists ascertain the dominance of India in the field of science and technology.  10. Cotton Gin Cotton Gin is a machine used to separate cotton from the seeds. The evidence of this machine was found through the carvings on Ajanta caves where the pictures of these machines were en...
Celebrating International Women Day on 8th March in India: What about women-reservation?

Celebrating International Women Day on 8th March in India: What about women-reservation?

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Various government-departments, public-sector-undertakings and others like previous years have fulfilled formality of celebrating International Women Day on 08.03.2017 apart from some other gimmicks like all-women flights, all-women bank-branches etc. But all this can never give Indian women their justified right with bosses of many political parties united together to deny legitimate right of women for 33-percent reservation in legislature even despite that fact that political parties openly supporting women-reservation-bill have more than three-fourth strength in both Houses of Parliament separately. Political parties opposing women-reservation cry for reservation on man-made aspects like religion and cast evidently for vote-bank politics, but oppose reservation to women which still rema...
मावफलांग के खासी

मावफलांग के खासी

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भारत का पहला रेड पायलट समुदाय मेघालय राज्य की राजधानी शिलांग से करीब 38 किलोमीटर दूर स्थित है ज़िला-ईस्ट खासी हिल्स। यहां की जयंतिया पहाड़ियों के बीच सिमटी है घाटी – मावफलांग। समुद्र से 5,000 फीट की ऊंचाई पर बसे मावफलांग के पवित्र जंगलों की दास्तानें काफी पुरानी व दिलचस्प है। दैवशक्ति लबासा की निगाह में पवित्र जंगल का बुरा करना अथवा जंगल के भीतर बुरा सोचना-बोलना किसी बड़े अपराध से कम नहीं। इसकी सजा अत्यंत घातक होती है। इसी विश्वास और जंगल पर सामुदायिक हकदारी ने लंबे अरसे तक मावफलांग के जंगल बचाये रखे। जंगलों पर हकदारी और जवाबदारी दोनो ही हिमाओं के हाथ में है। हिमा यानी खासी आदिवासी सामुदायिक सत्ता; संवैधानिक शब्दो में हिमा को कई ग्राम समूहों की अपनी सरकार कह सकते हैं। मावफलांग के जंगलों के बीच खडे़ विशाल पत्थर इस सत्य के मूक गवाह हैं कि हिमाओं ने जंगलों को उस ब्रितानी हुकूमत के दौर में भी ...
दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

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देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री लोहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल ने पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर कहा था कि भारत के इतिहास का एक नया अध्याय हमारे सामने खुल रहा है। हमारे पास अपने आप को बधाई देने की वजह है कि हम सब इस मुबारक मौके के भागीदार बन रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व का भी अवसर है। लेकिन इस गौरव बोध और जश्न के साथ हमें अपने कर्तव्यों और दायित्वों को भी याद रखने की जरूरत है। हमें अपने-अपने दिल व दिमाग को साफ करके खुद से, नए गणराज्य से और देश से यह वादा करना चाहिए कि हम ईमानदार आचरण करेंगे। हमें याद रखने की जरूरत है कि हम कौन हैं, हमें क्या विरासत मिली है और हमने क्या हासिल किया है? राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का कहना है कि नकदी रहित लेन-देन होने से अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी। 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2016-17 की शुरूआत में ...