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राष्ट्रीय

How Indian Doctors Loot Patients By: Prof. B. M. Hegde

How Indian Doctors Loot Patients By: Prof. B. M. Hegde

राष्ट्रीय, विश्लेषण
Most of these observations are either completely or partially true. Corruption has many names, and one of civil society isn't innocent either.Professionals and businessmen of various sorts indulge in unscrupulous practices. I recently had a chat with some doctors, surgeons and owners of nursing homes about the tricks of their trade.Here is what they said1) 40-60% kickbacks for lab tests.When a doctor (whether familydoctor / general physician, consultant or surgeon) prescribes tests -pathology, radiology, X-rays, MRIs etc. - the laboratory conducting those tests gives commissions. In South and Central Mumbai -- 40%. In the suburb snorth of Bandra -- a whopping 60 per cent! He probably earns a lot more in this way than the consulting fees that you pay.2) 30-40% for referring to consultants, ...
अलगाववादियों से कैसा लगाव

अलगाववादियों से कैसा लगाव

राष्ट्रीय
आपको स्मरण होगा कि कश्मीर में 8 जुलाई 2016 को आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कुछ माह तक दक्षिण कश्मीर में अलगाववादियों के आह्वान पर संपूर्ण बंद के साथ  हिंसक आंदोलन भी हुए। उसी संदर्भ में सितंबर 2016 को देश के विभिन्न विपक्षी राजनैतिक दलों के नेता सीताराम येचूरी , डी राजा, असदुद्दीन ओवैसी, राजनारायण यादव आदि शरद यादव के नेतृत्व में कश्मीरी अलगाववादियों से मिलने के लिए श्रीनगर गए थे । परंतु मुख्य नज़रबंद व बंदी अलगाववादी नेताओ मौ.फारुक उमर, अली शाह गिलानी, मो.यासीन मालिक व शब्बीर शाह एवं अब्दुल गनी भट्ट सभी ने इन नेताओं  से मिलने को  मना कर दिया था । ये वही अलगाववादी नेता है जो  'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगवाते है और भारतीय सैनिकों पर हमले भी करवाते रहते है । यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इनके द्वारा भड़काये गए उग्रवादियों के ही भयावह अत्याचारों से सन् 90 के दशक में कश्मीरी हिंदुओं क...
जे आर कान्वेंट की 4 बालिकाएं बनीं गुडविल अम्बेसडर

जे आर कान्वेंट की 4 बालिकाएं बनीं गुडविल अम्बेसडर

राष्ट्रीय
71 दिन की यात्रा कर स्वस्थ भारत यात्री पहुँचे गुरु द्रौण की नगरी डोन ग्राम के जे आर कान्वेंट स्कूल में, दिया स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का सन्देश जे आर कान्वेंट पहुँचकर यात्री दल हुए अभिभूत, जितना सुना उससे अधिक पाया... दोन। 11.4.2017 अमृता तिवारी, शिवानी सिंह , राजलक्षमी कुमारी, एवं स्वप्निल सिंह को स्वस्थ भारत यात्री दल ने स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का गुडविल अम्बेसडर मनोनीत किया है. जे आर स्कूल की इन बालिकाओं को स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज विषयक एक परिसंवाद के अवसर पर यह मनोनयन पत्र दिया गया. 25 राज्यों का दौरा कर सीवान के दोन ग्राम के जे आर कॉन्वेंट स्कूल पहुँचे स्वस्थ भारत ट्रस्ट के चेरमेन और समाजकर्मी आशुतोष कुमार सिंह, गांधीवादी चिंतक प्रसून लतांत और विनोद रोहिल्ला ने कार्यक्रम में बालिकाओं से संवाद किया. आशुतोष ने स्वास्थ्य के मामले में होने वाले भेदभाव और लापरवाही को उजा...
सरकारी स्कूल, शिक्षा और गुणवत्ता

सरकारी स्कूल, शिक्षा और गुणवत्ता

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ऐसा प्रतीत होता है कि आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी सरकारें यह नहीं समझ सकी हैं कि देश के नौनिहालों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए बच्चों को केवल स्कूल तक पहुंचा देने भर से ही काम नहीं बनेगा। तमाम सरकारी एवं गैरसरकारी आंकड़ें यह सिद्ध करने के लिए काफी हैं कि शिक्षा का अधिकार कानून, मिड डे मिल योजना, निशुल्क पुस्तकें, यूनिफॉर्म आदि योजनाओं के परिणामस्वरूप स्कूलों में दाखिला लेने वालों की संख्या तो बढ़ी हैं लेकिन छात्रों के सीखने का स्तर बेहद ही खराब रहा है। देश में भारी तादात में छात्र गणित, अंग्रेजी जैसे विषय ही नहीं, बल्कि सामान्य पाठ पढऩे में भी समर्थ नहीं हैं। यहां तक कि 5वीं कक्षा के छात्र पहली कक्षा की किताब भी नहीं पढ़ पाते। यूं तो यह ट्रेंड पूरे देश का है लेकिन लैपटॉप और स्मार्ट फोन बांटने वाला उत्तर प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता की गिरावट के मामले में नए प्रतिमान स्थापि...
यूपी चुनाव परिणाम :  भगवा सुनामी के बाद

यूपी चुनाव परिणाम : भगवा सुनामी के बाद

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  यूपी में भाजपा की अप्रत्याशित जीत ने सभी को चकित कर दिया है व  देश की राजनीति को एक नयी दिशा दी है और वो है विकास की राजनीति। अर्थात जो दल जनता को काम करके दिखाएगा जनता उसी को अपना समर्थन देगी। हालिया चुनावों में भाजपा को इतनी बड़ी जीत नरेन्द्र मोदी जी की सबका साथ सबका विकास की छवि को लेकर मिले हैं। किन्तु भाजपा की राह अब आगे और मुश्किल होने जा रही है क्योंकि उसके समक्ष जनता के इस विश्वास को बनाए रखने की चुनौति है और 2 वर्ष के भीतर कुछ करके दिखाना है जिससे 2019 का लक्ष्य साधा जा सके। प्रस्तुत है एक आलेख   उत्तरप्रदेश के विस्मयकारी, अप्रत्याशित और राजनैतिक भूकंप लाने वाले परिणाम आए। खुद भाजपा के कट्टर समर्थकों को भी यह उम्मीद नहीं थी कि भाजपा को यूपी में तीन सौ से अधिक सीटें मिलेंगी। यहां तक कि अंतिम चरण का प्रचार आते-आते खुद मोदीजी भी एक-दो सभाओं में गठबंधन की बातें कर...
भगवा सुनामी

भगवा सुनामी

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उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत ने पूरे देश में संदेश दिया है कि अब धर्म निरपेक्षता के नाम पर देश को ठगने वाले राजनैतिक दलों का काला चेहरा जनता के सामने आ चुका है। अब न तो कोरे दिखावे चलने वाले हैं और न सेकुलर छवि के नाम पर बहुसंख्यकों का शोषण। अब न राजकुमार और राजकुमारी की खुमारी जनता पर चढऩे वाली है और न ही समाजवादी विरासत की परंपरा। न खुद को देवी कहलाने वाली धन-पशु से युवा को लगाव है न ही जाटों के स्वयंभू नेता दिखाने वाले सत्ता लालची की। अब आरोप-प्रत्यारोप का ज़माना जा चुका है। स्पष्टवादी और दो टूक को जनता पसंद करती है। जाति की राजनीति तो उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों ने खत्म कर दी है। धर्म की राजनीति खत्म होगी या नहीं यह योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार की नीतियां तय करेंगी। अब यह देखना रोचक होगा कि भाजपा सबका साथ सबका विकास भगवे रंग के अंतर्गत करेगी या अल्पसंख्यकों के भीतर से ...
नदी जीवंतता को मिला अदालती आधार

नदी जीवंतता को मिला अदालती आधार

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संयुक्तराष्ट्र संघ ने मलीन जल को विश्व जल दिवस - 2017 का मुख्य विचारणीय विषय घोषित किया है और जल की मलीनता की सबसे बड़ी शिकार आज हमारी नदियां ही हैं। इस लिहाज से विश्व जल दिवस  2017 का सबसे बड़ा तोहफा इस बार उत्तराखण्ड हाईकोर्ट की तरफ से आया।  अरूण तिवारी की एक रिपोर्ट - तय हुआ गंगा-यमुना का जीवित दर्जा, अधिकार और अभिभावक नैनीताल स्थित उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने गंगा, यमुना और इनकी सहायक नदियों को 'जीवित व्यक्ति’ का दर्जा और अधिकार देते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 'पैरेंट पैट्रिआई लीगल राइट’ को आधार बनाते हुए यह फैसला सुनाया है। वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवम् न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खण्डपीठ द्वारा 20 मार्च, 2017 को सुनाये इस फैसले में नमामि गंगे परियोजना के निदेशक, उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव तथा उत्तराखण्ड के महाधिवक्ता को गंगा-यमुना व इनकी सहायक नदियों का अभिभावक घोषित...
व्याकरणाचार्य पाणिनि

व्याकरणाचार्य पाणिनि

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पाणिनि परिचय पाणिनि (अंग्रेज़ी:Pāṇini) संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध और श्रेष्ठ व्याकरणाचार्य हैं। उनके अष्टाध्यायी नामक ग्रन्थ के आठ अध्याय हैं। हर अध्याय में चार पाद हैं। प्रत्येक पाद में प्रस्तुत विषय के अनुसार कम अथवा अधिक सूत्र संख्या है। अत्यन्त संक्षेप में कहे हुए नियम अथवा विधान को सूत्र कहते हैं। अत्यंत संक्षिप्त होना ही पाणिनीय सूत्रों का सबसे निराला वैशिष्ट्य है। उस संक्षेप के लिए महर्षि पाणिनी ने एक स्वतंत्र पद्धति तैयार की है। फलस्वरूप सूत्रों की अधिकांश रचना अत्यधिक तकनीकी और लोक व्यवहार की भाषा से भिन्न हो गई है। पाणिनी सूत्र की भाषा संस्कृत होते हुए भी संस्कृत भाषा के अच्छे ज्ञान मात्र से सूत्रार्थ का ज्ञान असंभव है: तथापि यह व्याकरण बहुत संक्षिप्त हो गया है, बल्कि कुछ एक हद तक दुर्बोध भी हो गया है, फिर भी एक एक सूत्र से बड़ा शब्द समू...
मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम ?

मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम ?

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चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।  तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देंय रघुवीर।।   एक जमाने तक यह चौपाई सुनाकर रामचरितमानस के वाचक रामभक्त तुलसी के महत्व बखान किया करते थे। किंतु अब वाचक तो वाचक, पूर्णिमा.अमावस्या स्नान दर्शन के लिए पैदल ही खिंचे चले आने वाले भी शायद भूल चुके हैं कि उनकी जिंदगी में मानिकपुर, मैहर और चित्रकूट का क्या महत्व है। यदि आस्थावानों की आस्था सच्ची होती, तो इनका हाल-बेहाल न होता।   उल्लेखनीय है कि ये तीनों स्थल, बुंदेलखण्ड में आस्था के बड़े केंद्र हैं। यहां के पहाड़, जंगल और नदियां ही इन स्थलों की शक्ति रहे हैं। वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और देवी सीता ने इन्हीं शक्तियों से शक्ति पाई। किंतु बीते कुछ वर्षों से यह शक्ति लगातार क्षीण हो रही है। केन, बेतवा, धसान जैसी महत्वपूर्ण नदियां थक रही हैं। स्रोत से शुरू हुई जलधारा अब नदियों के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच रही है। ...
बड़े बदलावों की नई सुबह

बड़े बदलावों की नई सुबह

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विधानसभा चुनावों में आयी भगवा सूनामी ने नकारात्मक राजनीति के कचरे को बेतरह बहा दिया है और अब देश में सकारात्मक वातावरण में राष्ट्रवादी और भारतपरक राजनीति का उदय हो गया है। हालांकि यह उदय तो मई 2014 में मोदी सरकार आने पर ही हो गया था किंतु देश के सेकुलर-वामपंथी खेमे की कलुषित मानसिकता, स्वार्थ की राजनीति एवं सरकार के हर कदम व कार्य की अबाध आलोचना और खिल्ली उड़ाने की घटिया हरकतों व किसानों, जवानों व जातीय-धार्मिक समूहों को भड़काने की राजनीति से चारों ओर भ्रम व अविश्वास का घना कोहरा छा गया था। मात्र विरोध के लिए विरोध करने वाले दलों कांग्रेस पार्टी, सपा, बसपा और आआपा को जनता ने आत्मकेंद्रित राजनीति की बहुत बड़ी सजा दी है और एक प्रकार से सेकुलर राजनीति की जड़ें ही हिला दी। यह चुनाव देश की जनता के लिए अमृत वर्षा की तरह है, क्योंकि या तो सेकुलर खेमा समाप्त होता जायेगा अथवा उसको राष्ट्रवादी सांचे...