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भाजपा जगी हार से, देगी लोकसभा में टक्कर

भाजपा जगी हार से, देगी लोकसभा में टक्कर

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मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों के नतीजों का पूरे देश में गहन पोस्टमार्टम हो रहा है। प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक चैनलों से लेकर सोशल मीडिया के महारथियों को कम मिल गया है। कहने वाले कह रहे हैं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पराजय आगामी लोकसभा चुनावों के संकेत और संदेशदे रही है। हालांकि वस्तुस्थिति ये है कि तीनों प्रदेशों में भाजपा को मिली पराजय का अर्थ यह कतई नहीं है कि वो आगामी लोकसभा चुनावों में भी मात खाने वाली है। अगर इन तीनों राज्यों के परिणामों का आप गहराई से अध्ययन करें तो पाएंगे कि छतीसगढ़ को छोड़कर भाजपा ने कांग्रेस को लगभग हर क्षेत्र में कड़ी टक्कर दी। मध्य प्रदेश में तो कांग्रेस को सरकार का गठन करने के लिए अन्य दलों का समर्थन लेना पड़ा । छतीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा पिछले 15-15 सालों से सत्ता पर काबिज थी। इतने लंबे समय तक सरकार चलाने के कारण एंडी इनकंबेसी फैक...
Indian scientists find out how neem cells produce useful chemicals

Indian scientists find out how neem cells produce useful chemicals

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 Neem is known for its medicinal and insecticidal properties for centuries. It is chemicals referred to as limonoids that give neem these properties. Indian scientists have now figured out the process of limonoid production in neem. Neem is a storehouse of useful chemicals, the most important being Azadirachtin A, which is well known natural insecticide. It belongs to a class of chemicals known as tetranor-triterpenoids or limonoids. Over 150 limonoids have been isolated and characterized from different parts of neem tree so far, but the process of their production had so far remained unknown. Limonoids possess very complex chemical structure in which isoprene units serve as building blocks. In higher plants, biosynthesis of isoprenes occurs through either of the two biosynthetic pat...
Tear-based screening test soon for childhood blinding condition

Tear-based screening test soon for childhood blinding condition

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Retinopathy of prematurity (ROP) is one of the most common serious eye complications that occurs in premature babies. It can lead to incomplete blood vessel growth in the retina, and eventual loss of vision. A group of researchers in Hyderabad have identified a biomarker that can help in detecting the risk of ROP from just a drop of tear. Premature babies are administered oxygen to help them survive in incubators. This process, however, has to be monitored carefully as overexposure to oxygen can be highly toxic to blood vessels including those in the retina. Overexposure to oxygen in neonatal care is a major cause of ROP. Low oxygen levels in the retina when the child is out of incubator cause abnormal blood vessel growth in the retina, which in turn causes loss of neurons and vision lo...
Technique developed to produce graphene from discarded dry cell batteries

Technique developed to produce graphene from discarded dry cell batteries

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  A group of researchers at Nagpur-based Visvesvaraya National Institute of Technology have developed a new technique which promises to help produce high value graphene from discarded dry cells batteries. Graphene, a form of carbon, is transparent and flexible conductor with a range of applications including in making solar cells, light-emitting diodes, touch panels and smart windows. Graphene supercapacitors serve as energy storage devices with a capacity for faster charging and longer life span than traditional electrolytic batteries. Graphene consists of a single layer of carbon atoms arranged in a hexagonal lattice. It is the strongest material to be ever tested, conducts heat and electricity efficiently. Since graphene is made out of graphite, its production is both expe...
कलह-क्लेश करोगे तो नहीं बन सकोगे बिल गेट्स-जुकरबर्ग

कलह-क्लेश करोगे तो नहीं बन सकोगे बिल गेट्स-जुकरबर्ग

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रैनबैक्सी फार्मा का कुछ साल पहले तक देश के दवा निर्माताओं के सेक्टर में दबदबा था। यह देश की चोटी की फार्मा कंपनियों में से एक थी। लेकिन, यह देखते-देखते ही खत्म हो गई। रैनबैक्सी को स्थापित करने वाले डा.भाई मोहन सिंह का कुनबा आपसीकलह-क्लेश में फंसता ही चला गया। पहले डा. मोहन सिंह के पुत्र परविदर सिंह ने अपने पिता को कंपनी के मैनेजमेंट से बाहर किया। आगे चलकर परविंदर सिंह के दोनों पुत्रों क्रमश मलविंदर सिंह और शिवइंदर सिंह ने अपने परिवार की फ्लैगशिप कंपनी को गलत तथ्यों के आधार पर जापान की दाइची नाम की कंपनी को बेचा।जब इन बंधुओं ने रैनबैक्सी से अपनी सारी हिस्सेदारी को बेचा था, तब भारतीय उद्योग जगत में इनकी खिंचाई भी हुई थी ।जिस समूह को इनके दादा भाई मोहन सिह ने बनाया-संवारा, उसे इस तरह बेचा नहीं जाना चाहिए था। मलविंदर सिंह और शिवइंदर सिंह नेरैनबेक्सी को बेचने के बाद फोर्टिस अस्पतालों की भारी भ...
फिरकापरस्तों से बचें हिंदुस्तानी

फिरकापरस्तों से बचें हिंदुस्तानी

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तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सोशल मीडिया पर दो बड़े खतरनाक संदेश आये। एक में हरा झंडा लेकर कुछ नौजवान जुलूस निकाल रहे थे कि ‘बाबरी मस्ज़िद’ वहीं बनाऐंगे। दूसरे संदेश में केसरिया झंडा लेकर एक जुलूस निकल रहा था, जिसमें नारे लग रहे थे, ‘एक धक्का और दो, ज़ामा मस्ज़िद तोड़ दो’’। ये बहुत खतरनाक बात है। इससे हिंदू और मुसलमान दोनों बर्बाद हो जाऐंगे और मौज मारेंगे वो सियासतदान जो इस तरह का माहौल बना रहे हैं। 1980 के पहले मुरादाबाद का पीतल उद्योग निर्यात के मामले में आसमान छू रहा था। यूरोप और अमरीका से खूब विदेशी मुद्रा आ रही थी।लोगों की तेजी से आर्थिक उन्नति हो रही थी। तभी किसी सियासतदान ने ईदगाह में सूअर छुड़वाकर ईद की नमाज में विघ्न डाल दिया। उसके बाद जो हिंदू-मुसलमानों के दंगे हुए, तो उसमें सैंकड़ों जाने गईं। महीनों तक कर्फ्यू लगा और पीतल उद्योग से जुड़े हजारों परिवार तबाह हो गऐ। कितने...
राफ़ेल विमान सौदा: चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

राफ़ेल विमान सौदा: चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

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आज भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे को लेकर तमाम प्रश्न उठाती याचिकाओं के निर्णय का दिन था। आज राहुल गांधी के चौकीदार चोर है के नारे की परिणीति का दिन था। आज छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान के उन मतदाताओं का दिन था, जिन्होंने नोटा या भाजपा के विरोधियों को इसलिये अपना मत दिया था क्योंकि उनको अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर अविश्वास था। इसी के साथ आज राहुल गांधी की कांग्रेस और उनके साथियों की उस उम्मीद का भी दिन था, जिसमे आज, सर्वोच्चन्यायलय राफ़ेल विमान सौदे पर शंका प्रगट कर, एसआईटी गठित करती और 2019 का चुनाव में, राफ़ेल विमान पर सवार राहुल गांधी, जीत कर भारत के प्रधानमंत्री बन जाते। लेकिन इसी के साथ आज सर्वोच्चन्यायलय की विश्वनीयता और तटस्था की परीक्षा का भी दिन था, जो वह भारत की जनता के सामने खोती जारही है। आज इन सब पर पटाक्षेप हो गया है। राफ़ेल विमान सौदे पर कांग्र...
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला – उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला – उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

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कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी – यह एक बहुत ही प्रचलित लोकोक्ति है. बताया जाता है कि कुत्ते की दुम को बारह साल तक पाइप में रखने पर भी सीधी नहीं होती है. पाइप से निकालते ही वो टेढ़ी हो जाती है. इस लोकोक्ति का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो लाख कोशिशों के बावजूद सुधरने का नाम नहीं लेता. ऐसे व्यक्ति को 'कुत्ते की दुम' कहा जाता है. राफेल विवाद के मामले में राहुल गांधी और मोदी से घृणा करने वाले लॉबी की हालत कुत्ते की दुम की तरह हो गई है. ये हर बार बिना सबूत.. बिना तथ्य.. बिना किसी वजह के मोदी पर आरोप तो लगाते हैं लेकिन कुछ साबित नहीं कर पाते हैं. कोर्ट से लताड़ पड़ती है तो फिर कोई दूसरा मुद्दा उठा लेते हैं. राहुल गांधी को तो केजरीवाल की बीमारी लग गई है – बिना सबूत के आरोप लगाना फिर माफी मांगना. केजरीवाल तो एक शहर का नेता है लेकिन कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष जब सड़कछाप रा...
सिंधु घाटी में पश्चिम से आए थे रोड़ समुदाय के लोग

सिंधु घाटी में पश्चिम से आए थे रोड़ समुदाय के लोग

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सिंधु घाटी सभ्यता वर्षों से इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के शोध का विषय रही है। कुछ वर्षों से आनुवांशिक शोधकर्ता भी इस पर काम कर रहे हैं। एक नये शोध से पता चला है कि सिंधु घाटी की आनुवांशिक विविधता में रोड़ समुदाय की मुख्य भूमिका रही है।   रोड़ समुदाय राजस्थान और हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है और ऐसा माना जाता है कि वैदिक काल से यह समुदाय इसी क्षेत्र में रह रहा है। इसीलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि रोड़ समुदाय की आनुवांशिक बनावट में एक निरंतरता है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि रोड़ समुदाय सिंधु घाटी में कांस्य युग के दौरान यूरोपीय क्षेत्रों से आया था। इनके आने से सिंधु घाटी में पहले से रह रहे गुज्जर, जाट, काम्बोज और खत्री समुदाय की आनुवांशिक विविधता में बदलाव आया। यही कारण है कि सिंधु घाटी में रहने वाले विभिन्न समुदायों के आनुवांशिक फलक ...
छोटे दलों की बढ़ती सक्रियता रोचक बनती राजनीति

छोटे दलों की बढ़ती सक्रियता रोचक बनती राजनीति

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  देश भर के राजनीतिक खानदानों में वर्चस्व की एक जंग मची हुयी है। लालू, मुलायम, करुणानिधि, चौटाला के परिवारों में सत्ता के वह ऐब अब सतह पर आ गए दिखते हैं जो क्षेत्रीय दलों के शासन काल में जनता भुगतती थी। सत्ता की आदत ही कुछ ऐसी होती है कि उसके बगैर रहना अहम को ठेस पहुंचा देता है। क्षेत्रीय दलों से अलग होकर ये लोग अब स्थानीय वोट कटवा दल बन कर रह गए हैं। कहीं यह दल कांग्रेस की बी टीम हैं तो कहीं भाजपा की। बड़े दलों द्वारा छोटे दलों को फंडिंग भी की जाती है। इस तरह से कांग्रेस मुक्त भारत के बाद क्षेत्रीय दलों से मुक्त राज्य की तरफ भारत की राजनीति बढऩे लगी है। अपने वर्चस्व को बचाने के लिए क्षेत्रीय दल अब राष्ट्रीय दलों के मुद्दों में भी सेंध लगाने लगे हैं। अयोध्या और राम मंदिर पर आकर सारा और सबका गणित टिकने लगा है।  अमित त्यागी राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की बढ़ती भूमिका क...