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बढ़ती बीमारियों के लिए तंबाकू से अधिक जिम्मेदार है वायु प्रदूषण

बढ़ती बीमारियों के लिए तंबाकू से अधिक जिम्मेदार है वायु प्रदूषण

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भारतीय शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में बीमारियों को बढ़ावा देने और असमय मौतों के लिए वायु प्रदूषण को तंबाकू उपभोग से भी अधिक जिम्मेदार पाया गया है। विश्व की 18 प्रतिशत आबादी भारत में रहती है, जिसमें से 26 प्रतिशत लोग वायु प्रदूषण के कारण विभिन्न बीमारियों और मौत का असमय शिकार बन रहे हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज नामक वैश्विक पहल के अंतर्गत किए गए इस अध्ययन में देश के विभिन्न राज्यों में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों, बीमारियों के बढ़ते बोझ और कम होती जीवन प्रत्याशा का आकलन किया गया है। शोधकर्ताओं ने उपग्रह चित्रों और एयर मॉनिटरिंग स्टेशनों से वायु गुणवत्ता संबंधी आंकड़े प्राप्त किए हैं। इस अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित किए गए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, वायु प्रदूषण स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले न्यूनतम स्तर से कम हो तो भारत में औसत जीवन प्...
बिभा चौधरी – भारतीय भौतिक विज्ञान का एक गुमनाम सितारा

बिभा चौधरी – भारतीय भौतिक विज्ञान का एक गुमनाम सितारा

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भारत में कण भौतिकी का इतिहास होमी जहांगीर भाभा, विक्रम साराभाई, एम.जी.के. मेनन जैसे वैज्ञानिकों और बंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान, मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) एवं अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) के कार्यों से जुड़े संदर्भों से भरा पड़ा है। लेकिन, भाभा और साराभाई के साथ काम कर चुकी बिभा चौधरी (1913-1991) के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। बिभा चौधरी ने नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिकशास्त्री पी.एम.एस. ब्लैकेट के साथ भी काम किया था। ब्लैकेट स्वतंत्र भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान की शुरुआत करने से संबंधित मामलों पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के सलाहकार थे। एम.जी.के मेनन के नेतृत्व में कोलार गोल्ड फील्ड (केजीएफ) में प्रोटॉन क्षय परीक्षण में भी चौधरी शामिल थीं। भौतिकी के क्षेत्र में अपने कई दशक लंबे करियर के दौरान चौधरी ने प्रतिष्ठ...
लद्दाख की पूगा घाटी में भू-तापीय ऊर्जा की सबसे अधिक संभावना

लद्दाख की पूगा घाटी में भू-तापीय ऊर्जा की सबसे अधिक संभावना

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भारत के कई क्षेत्रों को उनकी भू-तापीय ऊर्जा उत्पादन की संभावित क्षमता के कारण जाना जाता है। इन क्षेत्रों से जुड़े एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि लद्दाख की पूगा घाटी में स्थित भू-तापीय क्षेत्र ऊर्जा उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत हो सकता है। पिलानी स्थित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में यह बात उभरकर आयी है। शोधकर्ताओं ने लद्दाख की पूगा घाटी, जम्मू-कश्मीर के छूमथांग, हिमाचल प्रदेश के मणिकरण, छत्तीसगढ़ के तातापानी, महाराष्ट्र के उन्हावारे और उत्तरांचल के तपोबन जैसे भू-तापीय ऊर्जा से जुड़े आंकड़ों का नौ मापदंडों के आधार पर विश्लेषण किया है। इसी आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि पूगा घाटी के भू-तापीय क्षेत्र में ऊर्जा उत्पादन की सबसे अधिक क्षमता है। भारत में भू-तापीय ऊर्जा भंडारों के अध्ययन की शुरुआत वर्ष 1973 में हुई थी। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और रा...
कौन करेगा काबू पागल भीड़ पर

कौन करेगा काबू पागल भीड़ पर

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बुलंदशहर में भीड़ की हिंसा ने देशभर को स्तब्ध करके रख दिया हैI देश की राजधानी दिल्ली में भी कुछ ही समय के दौरान जानलेवा भीड़ ने दो लोगों को अलग-अलग घटनाओं में मार-मार का मौत के घाट उतार दिया। अभागे मृतकों पर छोटी-मोटी चोरी करने के आरोप थे। मारने वाले वहशी हो गए थे और उन्हें मृतकों की चीत्कार और आंसू भी रोक नहीं सके।किसी भी शख्स पर बेहिसाब लाठियों,घूंसों,लातों और हथियारों से वार करने वाले क्यों भूल जाते हैं कि अगर उन पर इस तरह के हमले हों तो उन पर क्या बीतेगी? पर, इधर कुछ दिन पहले ही दिल्ली पुलिस ने चार तंजानियाई और दो नाइजीरियाई नागरिकों को भीड़ के हाथों लगभग मारे जाने से बचाया भी था । दिल्ली में रहने वाले इन अफ्रीकी नागरिकों पर यह आरोप लगा जा रहा था कि उन्होंने एक बच्चे का अपहरण कर लिया है। दरअसल द्वारिका पुलिस स्टेशन  में फोन आया कि कुछ अफ्रीकी नागरिकों की एक बच्चे के अपहरण करने के आरोप म...
Pakistan: Leopards Don’t Change Their Spots

Pakistan: Leopards Don’t Change Their Spots

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There is saying in English ‘leopards don’t change their spots’. If any one believes that by opening the Kartarpur Sahib Corridor, Pakistan has opened the door for better ties with India, he is far removed from reality of the situation in the South East Asia. Not only India the target of Pakistan also includes Afghanistan. Kartarpur diplomacy should be viewed with Islamabad’s evil design on our border state of Punjab. Though it must be said that the opening of the corridor is a good cause for celebrations amongst our Sikh brothers and sisters who view this historic  Gurudwara from the Indian side of the border from distance to have ‘darshan’ and pay obeisance to the Shrine. For it was here that Gurunanak Debji had assembled the Sikhs in 16th century and it was here that he went for his hea...
क्यों मैंनेजमेंट-मुलाजिम हो गए एक-दूसरे से दूर?

क्यों मैंनेजमेंट-मुलाजिम हो गए एक-दूसरे से दूर?

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यह तो दिवाली के अगले दिन की ही बात है जब दिल्ली से सटे औद्योगिक क्षेत्र फरीदाबाद में एक नामी गिरामी कंपनी के एचआर विभाग के प्रमुख की उनकी कंपनी से ही कुछ समय पहले नौकरी से बर्खास्त किए गए एक मुलाजिम ने उन्हीं के दफ्तर में गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्यारा नौकरी से निकाले जाने के बाद से ही एचआर प्रमुख को खुलेआम धमकी भी दे रहा था। उधर,नोएडा की एक चीनी कंपनी से जुड़े कर्मियों ने नौकरी से एक झटके में निकाले जाने के बाद तगड़ा बवाल काटा। उन्होंने अपने ही दफ्तर पर पत्थर भी फेंके। इनका कहना था कि इन्हें बिना किसी नोटिस दिए नौकरी से निकाल दिया गया है। यह घटना भी विगत नवंबर महीने की है। ये दोनों घटनाएं अपने आप में अपवाद की श्रेणी में नहीं आती हैं। हमारे देश में इस तरह की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है। यह एक स्पष्ट संकेत है कि प्रबंधन और कर्मियों के रिश्तों में कटुता बढ़ती ही चली जा रही है।...
अरुण तिवारी की दो नई पुस्तकें

अरुण तिवारी की दो नई पुस्तकें

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स्वामी सानंद का आत्मकथ्य : लेखक - अरुण तिवारी, प्रकाशक - पानी पोस्ट, कुल पृष्ठ - 156, सहयोग राशि - रुपये 170/- डाक खर्च अतिरिक्त।   भारतीय संस्कृति में नदी - विज्ञान व व्यवहार : लेखक अरुण तिवारी, प्रकाशक - पानी पोस्ट, कुल पृष्ठ - 52, सहयोग राशि - रुपये 70/- डाक खर्च अतिरिक्त। पुस्तकें प्राप्त करने सम्बन्धी विवरण की जानकारी लिए कृपया दिए गए लिंक पर क्लिक करें  https://www.instamojo.com/paypanipost/ ......................................................................................................................................................... पुस्तक 01 स्वामी सानंद का आत्मकथ्य यह पुस्तक स्वामी श्री सानंद से बातचीत पर आधारित है। इस बातचीत को पढ़कर आप समझ सकेंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि बांध निर्माण की कई परियोजनाओं में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल रहा एक इंजीनियर,...
किसानों को गुमराह करने का षड़यंत्र क्यों?

किसानों को गुमराह करने का षड़यंत्र क्यों?

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राजधानी की सड़कें एक बार फिर देशभर से आए किसानों के नारों से गूंजती रहीं। लेकिन प्रश्न यह है कि विभिन्न राजनीतिक दलों, कृषक समूहों और समाजसेवी संगठनों की पहल पर दिल्ली आए किसानों को एकत्र करने का मकसद अपनी राजनीति चमकाना है या ईमानदारी से किसानों के दर्द को दूर करना? यह ठीक नहीं कि राजनीतिक-सामाजिक संगठन अपने हितों की पूर्ति के लिए किसानों का इस्तेमाल करें। किसान देश का असली निर्माता है, वह केवल खेती ही नहीं करता, बल्कि अपने तप से एक उन्नत राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति को भी रचता है, तभी ‘जय जवान जय किसान’ का उद्घोष दिया गया है। राष्ट्र की इस बुनियाद के दर्द पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है। कर्ज माफी और फसलों के उचित दाम के अलावा उनकी एक प्रमुख मांग किसानों के मसले पर संसद का विशेष सत्र बुलाना भी है। इसके लिए उन्होंने देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पैदल मार्च भी किया। कथित किसान हितैषी नेता...
पंजाब में आत्मघाती राहुल सिद्धू नीति

पंजाब में आत्मघाती राहुल सिद्धू नीति

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ताज़ा समाचार ये है कि पंजाब की राजनीति में घमासान मचा है । 10 से ज़्यादा मंत्रियों ने अपने CM और राज्य इकाई से मांग की है कि सिद्धू को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए । 2017 के पंजाब विस् चुनाव से पहले , जब कि AAP अपने उफान पे थी , और कांग्रेस डवांडोल , तो Capt अमरेंद्र सिंह ने अपनी हाइ कमान से कह दिया था , या तो हमको नेता घोषित करो नही तो हम अलग पाल्टी बनाऊंगा और भाजपा के साथ गठबंधन करूंगा । हाई कमान के पास कोई चारा ही न था । उसने घुटने टेक दिए । कैप्टन साहब ने मनमाना टिकट बाँटा और पूरे चुनाव अभियान में राहुल G को पंजाब में घुसने न दिया । एक तरह से देखा जाए तो पंजाब की कांग्रेस अमरेंद्र सिंह Congress बन चुकी थी । पिछले हफ्ते सिद्धू Capt अमरेंद्र सिंह के मना करने के बावजूद पाकिस्तान गए । भारत सरकार और खुद पंजाब सरकार की अवहेलना कर पाकिस्तान गए । वहां के एक खालिस्तानी नेता गोपाल सिंह ...
प्रकृति एवं पर्यावरण की उपेक्षा क्यों?

प्रकृति एवं पर्यावरण की उपेक्षा क्यों?

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विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस प्रति वर्ष पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने एवं लोगों को जागरूक करने के सन्दर्भ में सकारात्मक कदम उठाने के लिए २६ नवम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के द्वारा आयोजित किया जाता है। पिछले करीब तीन दशकों से ऐसा महसूस किया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण से जुडी हुई है। इसके संतुलन एवं संरक्षण के सन्दर्भ में पूरा विश्व चिन्तित है। पर्यावरण चिन्ता की घनघोर निराशाओं के बीच एक बड़ा प्रश्न है कि कहां खो गया वह आदमी जो स्वयं को कटवाकर भी वृक्षों को काटने से रोकता था? गोचरभूमि का एक टुकड़ा भी किसी को हथियाने नहीं देता था। जिसके लिये जल की एक बूंद भी जीवन जितनी कीमती थी। कत्लखानों में कटती गायों की निरीह आहें जिसे बेचैन कर देती थी। जो वन्य पशु-पक्षियों को खदेड़कर अपनी बस्तियां बनाने का बौना स्वार्थ नहीं...