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Edible coating materials to improve shelf life of fruit crops

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Fruits are one of the most important horticulture commodities worldwide due to its organoleptic and nutritional properties. In India, the diversity of agro climatic zones ensures availability of all varieties of fresh fruits & vegetables. The country ranks second in fruits production in the world after China. As per National Horticulture Database published by National Horticulture Board, India produced about 300 million metric tonnes of fruits and vegetables during 2016-17.  However, fruits are a highly perishable commodity as they contain 80-90% water by weight. The water quickly begins to evaporate, if fruits are left without cuticle, resulting in poor product shelf life. Absence of postharvest treatment, non-availability of modern systems for on-farm storage, infestation of micro...
e-waste recycling with zero waste concept 

e-waste recycling with zero waste concept 

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Huge generation of mobile phone batteries, its rudimentary disposal, improper collection system as well as lack of cost-effective processing technology have resulted in loss of valuables encapsulated in them. For recovery of cobalt and other valuable metals from the black powder and other constituents of lithium ion Batteries (LIBs), National Metallurgical Laboratory (NML), Jamshedpur, has developed a novel process based on zero waste concept.   To boost cooperation in the sector of e-waste recycling, NML signed a Memorandum of Understanding (MoU) for Technology Transfer with Unique India Private Limited, Firozabad, for the extraction of cobalt metal and salt from the black powder of lithium batteries. The process consists of physical beneficiation, leaching, solvent extraction, pre...
विश्वविद्यालयों में हिंसा  बड़े षड्यंत्र का हिस्सा

विश्वविद्यालयों में हिंसा  बड़े षड्यंत्र का हिस्सा

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जब से नरेंद्र मोदी सरकार आई है कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, माक्र्सवादी (सीपीएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, माक्र्सवादी, लेनिनवादी (सीपीआई, एम एल) आदि जैसे जातिवादी इस्लामिक सांप्रदायिक (जाइसा) दलों के पेट में भीषण दर्द चल रहा है। इस जाइसा मोर्चे का नेतृत्व कर रहे हैं कांग्रेस और साम्यवादी-नक्सल दल जिनकी दिल्ली मीडिया में अच्छी-खासी पैठ है। कभी ये असहिष्णुता का रोना रोते हैं तो कभी जवाहरलाल नेहरू के 'आईडिया ऑफ इंडिया’ का, जिसमें धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है इस्लामिक सांप्रदायिक कट्टरवाद को बढ़ावा देना और उदारवाद का मतलब है देशद्रोही ताकतों को शह देना। साम्यवाद रूझान वाले जवाहरलाल नेहरू के 'आईडिया ऑफ इंडिया’ ने देश को मानसिक स्तर पर ही विषाक्त नहीं किया, इसने भौतिक स्तर पर भी देश तोडऩे वाली देशद्र...
हमारी प्रमुख समस्या नागरिकता की पहचान अथवा गिरती हुई अर्थव्यवस्था?

हमारी प्रमुख समस्या नागरिकता की पहचान अथवा गिरती हुई अर्थव्यवस्था?

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मैं बहुत वर्षों से लिखता रहा हूं कि साम्यवाद दुनियां की सबसे खतरनाक विचारधारा है तथा इस्लाम सबसे अधिक खतरनाक संगठन। साम्यवाद से तो दुनियां धीरे धीरे मुक्त हो रही है किन्तु इस्लाम अभी चर्चा तक सीमित है। इस्लाम सारी दुनियां के लिये खतरनाक है यह बात पूरी तरह प्रमाणित हो गयी है किन्तु इस्लाम की बढ़ी हुई शक्ति और शेष समाज में मानवता की बढ़ी हुई धारणा के बीच दूरी इतनी अधिक है कि या तो लोग इस्लाम को उतना खतरनाक समझ नहीं रहे हैं अथवा उनकी संगठित शक्ति के आगे भयभीत हैं। धर्म के नाम पर आतंक का समर्थन करने वाला दुनियां का एक मात्र संगठन इस्लाम है। अन्य कोई भी संगठन धर्म के नाम पर आतंक को उचित नहीं मानता। इस्लाम अपने विस्तार के लिये हिंसा का भी समर्थन करता है। कुछ इस्लामिक देशों में ईश निंदा कानून जैसे घोर अमानवीय कानून भी खुले आम मान्यता प्राप्त हैं। किन्तु दुनियां की कोई अन्य विचार धारा इस प्रकार के...
There may be no Hindus left in Bangladesh in 30 years

There may be no Hindus left in Bangladesh in 30 years

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9 In 2001, following the electoral victory of BNP led by Khaleda Zia, her supporters unleashed a systematic campaign of violence against Hindus for about 150 days.   The tragic tale of the Hindus of East Bengal (which later became East Pakistan and is now Bangladesh) must start with the Noakhali genocide, for it was a prelude to what would unravel in the years to come. In 1946, Noakhali district in south eastern Bangladesh, was the scene of a gruesome carnage which the historian Yasmin Khan described as being defined by “clear strategic organization (roads in and out of the almost inaccessible region were cordoned off)” (The Great Partition: The Making of India and Pakistan. Yale University Press, 2008); at least 5,000 Hindus were massa...
Tech Exposition Workshop to Boost Startup India Mission 

Tech Exposition Workshop to Boost Startup India Mission 

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The Start-up Institute of Microbial Technology (IMTECH), Chandigarh, in partnership with Biotechnology Industry Research Assistance Council (BIRAC) and IKP Knowledge Park, organized a Tech Exposition and Workshop to boost entrepreneurship amongst start-ups and innovators. The event is being held in Chandigarh. The goal of this Tech Exposition is to showcase translational ideas and support researchers who want to create feasible start-up plans in the areas of pharma, medical devices, diagnostics and agriculture. The Investor Meet facilitated one-on-one meetings between budding entrepreneurs angel investors/venture capitalists. The event also provided budding researchers an opportunity to learn the nuances of how to pitch their ideas to potential investors to secure adequate funding/investm...
नई तकनीक से बन सकेंगे किफायती नैनो-इलेक्ट्रॉनिक उपकरण

नई तकनीक से बन सकेंगे किफायती नैनो-इलेक्ट्रॉनिक उपकरण

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इलेक्ट्रॉनिक सर्किट निर्माण में उपयोग होने वाली विद्युत की संवाहक स्याही से लेकर टचस्क्रीन और इन्फ्रारेड शील्ड्स तक विभिन्न नैनो-इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विकास में नैनोवायर का महत्व लगातार बढ़ रहा है। राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल), पुणे के शोधकर्ताओं ने सिल्वर नैनोवायर के निर्माण की किफायती तकनीक विकसित की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नई तकनीक की मदद से बड़े पैमाने पर भविष्य के नैनो-इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाए जा सकते हैं।  इन्सान के बालों से सैकड़ों गुना पतले नैनोवायर की सतह इलेक्ट्रॉन्स की स्टोरेज और ट्रांसफर के अनुकूल होती है, जिसका उत्पादन एक जटिल प्रक्रिया है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेश डॉ शेखर सी. मांडे ने हाल में पुणे स्थित एनसीएल परिसर में नैनोवायर उत्पादन के लिए एक पायलट प्लांट स्थापित किया है। इस प्लांट के बारे में कहा जा रहा है कि यह ...
Researchers identify two new bio-agents for crop protection 

Researchers identify two new bio-agents for crop protection 

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  Scientists have discovered two actinomycetes bacterial strains to fight against a fungal plant pathogen called Colletotrichum gloeosporioides. The pathogen poses a major threat to large cardamom plants, which are a major source of income for the farmers of Sikkim. The lead scientists behind this discovery are from Department of Biotechnology’s Imphal-based Institute of Bioresources and Sustainable Development (IBSD). The strains called Streptomyces vinaceus RCS260 and Kitasatospora  aburavienis RCS252 were discovered when researchers were investigating antimicrobial potential of actinomycetes isolated from rhizosphere soil (soil near roots of plants) from Lachung area of northern Sikkim. Actinomycetes are a heterogeneous group of anaerobic Gram positive bacteria well-known for...
Way paved for a new treatment for Alzheimer like conditions

Way paved for a new treatment for Alzheimer like conditions

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The immune system in the body has an important component called the `complement system’. This is involved in immune surveillance. It is important that it is regulated properly. Otherwise, it can damage the cells of the host’s body itself. This problem is linked to several diseases, including Alzheimer’s, stroke, age-related macular degeneration, asthma, rheumatoid arthritis and cancer.  A series of protein molecules present on the surface of cells in the body tightly regulate the activation of the system. These proteins primarily belong to a family called the `regulators of complement activation’ (RCA) family. The members of the family work to prevent damage to cells of the host by its own complement system through two mechanisms called decay accelerating activity (DAA) and cofactor ac...
गूंजेगी किलकारी: लाइलाज नहीं है बांझपन 

गूंजेगी किलकारी: लाइलाज नहीं है बांझपन 

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किसी महिला के लिए सृष्टि की सबसे बड़ी नियामत है, उसका मां बनना। अगर किसी भी कारणवश ऐसा नहीं होता है तो उसे बांझ की संज्ञा दे दी जाती है। ऐसे ही महिलाओं की समस्याओं ने आईवीएफ की तकनीक का विकास कराया। आज देश में कृत्रिम विधि से संतान प्राप्ति की कई तकनीकें हैं। बांझपन या इनफर्टिलिटी की समस्या आज एक आम बात हो गई है। दिनों-दिन बढ़ती जा रही इस समस्या से ग्रस्त लोगों के तनाव को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों की कोशिशों ने काफी सफलता प्राप्त की है। विश्व के प्रथम परखनली शिशु ‘लुईस ब्राउन’ का जन्म 28 जुलाई, 1978 को हुआ। फिर तो इस तकनीक ने विश्व में हजारों लोगों के जीवन में खुशियां फैला दी हैं इन परखनली शिशुओं ने। प्रायः बांझपन के कारण विवाहित जीवन कई प्रकार के दुःखों से भर जाता है और यहां भी स्त्री को तिरस्कार और तनाव का सामना करना पड़ता है। यहां यह प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आखिर एक औरत कब औ...