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संयम और समझदारी ही ईलाज है इस महामारी का

संयम और समझदारी ही ईलाज है इस महामारी का

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आज आप सबों ने टेलीविज़न पर और दैनिक समाचार पत्रों में वे फोटोग्राफस देखे ही होंगे, जिनमें पटना और कलकत्ता में यात्री बसों में ठसाठस भरकर और छतों  पर चढ़कर अपने गाँव को जाने के लिए आतुर दिख रहे थे। अब इनकों कौन समझाये कि इनकी इस लापरवाही से कितनों की जान जा सकती है । एक बस यात्री को जब कोई चेतावनी दे रहा है तो वह बड़ी  ढीठाईपूर्वक कह भी रहा है कि मज़बूरी का नाम ही महात्मा गाँधी है । लेकिन, वह जिसे अपनी मज़बूरी बता रहा है, उससे वह न केवल अपने पूरे गाँव वालों को खतरे में डाल रहा है, बल्कि उन तमाम गावों की पूरी आबादी को भी, जिसके नागरिक उस बस में ठूंसकर भरे हैं । अपनी लापरवाही को मज़बूरी का नाम देने वाले ऐसे वेबकूफों को तो सिर्फ यही कहा जा सकता है कि वे अपने साथ यदि इस जानलेवा बीमारी को लेकर अपने गाँव जा रहे हैं तो भगवान ही उनका रक्षक बन सकता है । आज इस सम्बन्ध में भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर...
Moderation and rationality is the cure for this epidemic

Moderation and rationality is the cure for this epidemic

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Today, all of you must have seen the photographs on television and in the dailies, in which passengers in Patna and Kolkata were eager to go to their villages by chilling in buses and even adjusting them on bus roofs, quite unconcerned about the fatality that could be caused due to their such attitude. Even as someone giving warning, one imprudent passenger lashes out shamelessly, saying, "kya karen, majboori ka naam mahatma gandhi hai." The fact, however, is that by describing his so called “majboori”, he is not only putting his entire village in danger, but also the entire population. It can only be said that if they are going to their villages with this deadly disease, then only God can save them. In this regard, Health Minister Dr. Harsh Vardhan has also admitted that till now there a...
कोरोना वायरस के पीछे चीनी फंडा

कोरोना वायरस के पीछे चीनी फंडा

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 दुनिया पर हावी होने का तरीका ??  चीनी रणनीति:-  1. सबसे पहले एक वायरस और उसकी दवा बनाई।  2. फिर वायरस फैलाया।  3. अपनी दक्षता का प्रदर्शन करते हुए रातों- रात अस्पतालों का निर्माण करवा लिया (आखिरकार वे पहले से ही तैयार थे) परियोजनाओं के साथ साथ उपकरण का आदेश देना, श्रम, पानी और सीवेज नेटवर्क को किराए पर लेना, पूर्वनिर्मित निर्माण सामग्री और एक प्रभावशाली मात्रा में स्टॉक.. यह सब उस रणनीति का हिस्सा थे।  4. परिणामस्वरूप दुनिया में वायरस के साथ साथ अराजकता फैलने लगी, खास कर के यूरोप में।  5. दर्जनों देशों की अर्थव्यवस्था त्वरित रूप से प्रभावित हुई।  6. अन्य देशों के कारखानों में उत्पादन लाइनें बंद हो गई।  7. फलस्वरूप शेयर बाजार में ज़बरदस्त गिरावट।  8. चीन ने अपने देश में महामारी को जल्दी से नियंत्रित कर लिया। रातों रात वुहान से कोरोना के नए मरीज मिलना बन्द ही हो...
कोरोना वायरस नहीं तीसरे विश्वयुद्ध का सूर्यग्रहण  

कोरोना वायरस नहीं तीसरे विश्वयुद्ध का सूर्यग्रहण  

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यह मेरी समझ से बाहर है कि क्यों अभी तक नाटो देशों ने औपचारिक रूप से नहीं घोषित किया कि तीसरा विश्वयुद्ध प्रारंभ हो चुका है। जबकि इसका आरंभ तो अमेरिका द्वारा उत्तरी कोरिया व ईरान के विरूद्ध उठाए गए कदमों के साथ ही हो चुका था। बुरी तरह उलझे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वस्तुतः एक ही बार मे यह समझ पाना मुश्किल होता है कि कौन सा देश किसके खेमे में है। किंतु कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संक्रमण के खतरनाक रूप से  शिकार विश्व में विभिन्न राष्ट्रों की  प्रतिक्रिया व उठाए जा रहे कदमों से स्पष्ट हो चुका है कि दुनिया फिर से दो खेमों में बंटने जा रही है अमेरिकी व चीनी।   सन 1989 तक विश्व जिसमें बाज़ारबादी अमेरिका व साम्यवादी सोवियत संघ के दो खेमें थे , वे 1989 में अमेरिका द्वारा सोवियत संघ के बिखराब व अवसान के बाद समाप्त हो चुके थे व सन 1990 से सन 2019 तक अमेरिका दुनिया की एक मात्र महाशक्ति था। किंतु अब...
Not repeating mistakes done by Italy, Spain and US, will be benefitting

Not repeating mistakes done by Italy, Spain and US, will be benefitting

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On Tuesday evening, Prime Minister Shri Narendra Modi has given a strong message in his address to the nation by putting 21 days of lockout across the country. It is "n bhuto n bhavishyati" means it neither happened in the past nor will happen in future. But, this message was very sensible and also absolutely indispensable for the country. In all humility, the Prime Minister Narendra Modi appealed to the masses to maintain restraint for another 21 days. He is the first Prime Minister of the country to have taken such strict steps in view of the welfare and sentiments of the entire 130 crore people in this hour of crisis. Further, he expressed the strong feelings that still if we failed to learn from the experiences of other countries and people continued to behave negligently for the next ...
भयावह मंजरों वाला तीसरा विश्वयुद्ध प्रारंभ हो गया है 

भयावह मंजरों वाला तीसरा विश्वयुद्ध प्रारंभ हो गया है 

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यह मेरी समझ से बाहर है कि क्यों अभी तक नाटो देशों ने औपचारिक रूप से नहीं घोषित किया कि तीसरा विश्वयुद्ध प्रारंभ हो चुका है। जबकि इसका आरंभ तो अमेरिका द्वारा उत्तरी कोरिया व ईरान के विरूद्ध उठाए गए कदमों के साथ ही जो चुका था। बुरी तरह उलझे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वस्तुतः एक ही बार मे यह समझ पाना मुश्किल होता है कि कौन सा देश किसके साथ है। किंतु कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संक्रमण के खतरनाक रूप से  शिकार विश्व में विभिन्न राष्ट्रों की  प्रतिक्रिया व उठाए जा रहे कदमों से स्पष्ट हो चुका है कि दुनिया फिर से दो खेमों में बंटने जा रही है अमेरिकी व चीनी।   सन 1989 तक विश्व जिसमें बाज़ारबादी अमेरिका व साम्यवादी सोवियत संघ के दो खेमें थे , वे 1989 में अमेरिका द्वारा सोवियत संघ के बिखराब व अवसान के बाद समाप्त हो चुके थे व सन 1990 से सन 2019 तक अमेरिका दुनिया की एक मात्र महाशक्ति था। किंतु अब यह समी...
नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा देने वाली पहल

नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा देने वाली पहल

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सम्पूर्ण मानवता के सम्मुख खडे़ कोरोना वायरस की महामारी के संकट से सार्क देश आपस में मिलकर लडे़, दुनिया के सामने मानवता की रक्षा की एक अनूठी मिसाल कायम करें और विश्व को सेहतमंद बनाने में अपनी भूमिका अदा करें, ऐसी भारत की पहल एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सकारात्मक भूमिका का जहां दुनिया में स्वागत हो रहा है, वही इन संकट के निवारण की चर्चा के दौरान पाकिस्तान का कश्मीर राग अलापना विडम्बपापूूर्ण है, दुर्भाग्यपूर्ण है। कोरोेना वायरस जैसे महासंकट के समय सार्क देशों के बीच भारत एक नई उम्मीद एवं रोशनी का कारण बना है। इन उजालों को निर्मित करने में नरेन्द्र मोदी की मानवतावादी सोच, दूरदृष्टिता एवं सूझबूझ की महत्वपूर्ण भूमिका है। मनुष्य के अविनाशी जीवन के भाव को ग्रसने के लिये कोरोना वायरस का राहू मुंह बाये खड़ा है, हरेक मनुष्य के सामने यह गंभीर चुनौती है। लेकिन कुछ स्वार्थी देश इन क्षणों में भी अप...
क्यों होती है फांसी देने में देरी कातिलों को

क्यों होती है फांसी देने में देरी कातिलों को

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निर्भया गैंगरेप केस में दोषियों को आख़िरकार फांसी तो हो ही गई। निर्भया के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने वाले मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को पहली बार इस केस में साल 2013 में ही मौत की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद यह केस विभिन्न अदालतों में अनावश्यक रूप से घूमता रहा । पर इतने बड़े और अहम केस में दोषियों को सजा मिलने में हुई देरी बहुत सारे सवाल न्यायपालिका और वकालती दाव-पेंच पर भी खड़े करती है। कोर्ट से इंसाफ मिलने में होने वाली देरी के चलते फांसी की सजा का इंतजार कर रहे मुजरिमों की दया याचिकाओं पर भी फैसले वक्त रहते नहीं हो पाये । सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में फांसी की सजा का इंतजार कर रहे 15 दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में भी बदली थी। उसने फांसी की सजा का इंतजार करने वाले कैदियों को लेकर अपने एक अहम फैसले में कहा था कि मृत्युदंड पाए अपराधियों की दया याचिका पर अनिश्चि...
गोगोइ के राज्यसभा नामजद होने पर विरोध क्यों?

गोगोइ के राज्यसभा नामजद होने पर विरोध क्यों?

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  भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को सेवा-निवृत्ति के चार माह के भीतर राज्यसभा में नामजद कर देने की घटना ने एक नया इतिहास रचा है, नये पदचिह्न स्थापित किये गये हैं, इससे लोकतंत्र को नई ऊर्जा एवं नया परिवेश मिला है। राष्ट्रपति द्वारा नामजद किए जानेवाले 12 लोगों में से वे एक हैं। ऐसा नहीं है कि गोगोई के पहले कोई न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायाधीश सांसद नहीं बने हैं, वे बने हैं लेकिन गोगोई ऐसे पहले सर्वोच्च न्यायाधीश हैं, जो राष्ट्रपति की नामजदगी से राज्यसभा के सदस्य बने हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद न्यायपालिका का सर्वोच्च पद है, अब गोगोई राज्यसभा के सदस्य बनकर राष्ट्र के निर्माण में पद एवं प्रतिष्ठा को महत्व न देते हुए उदारता का परिचय दिया है। वे एक ऐसी रोशनी की मीनार बने हंै, जो राजनीति को स्वार्थ नहीं, सेवा की एक मिसाल के रूप में प्रस्तुति देने को तत्पर हो रहे हैं। भारत के लो...
कोरोना एक अद्र्श्य सेना के खिलाफ लड़ाई है

कोरोना एक अद्र्श्य सेना के खिलाफ लड़ाई है

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कोरोना एक अद्र्श्य सेना के खिलाफ लड़ाई हैकोरोना से विश्व पर क्या असर हुआ है इसकी बानगी अमरीकी राष्ट्रपति का यह बयान है कि, "विश्व कोरोना वायरस की एक अदृश्य सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।" चीन के वुहान से शुरू होने वाली कोरोना नामक यह बीमारी जो अब महामारी का रूप ले चुकी है आज अकेले चीन ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिएपरेशानी का सबब बन गई है। लेकिन इसका सबसे अधिक चिंताजनक पहलू यह है किवैश्वीकरण की वर्तमान परिस्थितियों में यह बीमारी समूची दुनिया केसामने केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि आर्थिक चुनौतियाँ भी लेकर आई है। सबसे पहले 31 दिसंबर को चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को वुहान में न्यूमोनिया जैसी किसी बीमारी के पाए जाने की जानकारी दी। देखते ही देखते यह चीन से दूसरे देशों में फैलने लगी और परिस्थितियों को देखते हुए एक माह के भीतर यानी 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे विश्व के लिए एक महामा...