
संस्कृत – अब बाजार की बनती मजबूरी सिविल और राज्य सर्विस में लोकप्रिय होती संस्कृत
भाषा किसी भी देश की अस्मिता और उसके अस्तित्व की सबसे बड़ी पहचान होती है, भाषा और बोलियों के समाप्त होने से न केवल भाषा बल्कि वह राष्ट्र समाप्त हो जाता है। और उस पर यदि संस्कृत जैसी वैज्ञानिक भाषा हो, जिसमें शताब्दियों पूर्व न जाने कितने शास्त्र आदि की रचना हो चुकी हो, जिस भाषा के द्वारा प्रदत्त ज्ञान पर आज भी कई रहस्य अनसुलझे हैं, और जिस संस्कृत भाषा को नासा आज सबसे अधिक वैज्ञानिक भाषा मानता है, क्या वह वाकई में ही लुप्त प्राय भाषा बन गयी है? क्या वह वाकई ऐसी भाषा बन गयी है जिसका कोई अस्तित्व नहीं या फिर ऐसी भाषा जो एक दिन विलुप्त हो जाएगी? कई ऐसा सोचते हैं, मगर पिछले कुछ वर्ष के आंकड़े कुछ और ही कहते हैं। पिछले कुछ वर्षों में संस्कृत भाषा न केवल सबसे वैज्ञानिक भाषा के रूप में उभरी है बल्कि यह प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले बच्चों के लिए भी एक माध्यम के रूप में उभरी है। नई दिल्ली में प...