Shadow

साहित्य संवाद

कहां होंगे लापिएर- फिशर जैसे भारत प्रेमी लेखक

कहां होंगे लापिएर- फिशर जैसे भारत प्रेमी लेखक

साहित्य संवाद
आर.के. सिन्हा गांधी फिल्म को पिछली 30 नवंबर को रिलीज हुए चालीस साल हो गए। गांधी फिल्म बनी थी, अमेरिका में बसे महान यहुदी लेखक लुई फिशर द्वारा लिखी गांधी जी की जीवनी से प्रभावित और प्रेरित होकर। उनकी पुस्तक को गांधी जी की सर्वश्रेष्ठ जीवनी ग्रंथों में एक माना जाता है। वैसे तो गांधी जी की सैकड़ों जीवनियां लिखी जा चुकी हैं। गांधी फिल्म के रिलीज होने के चंद दिनों के बाद फ्रीडम एट मिडनाइट, फाइव पास्ट मिडनाइट इन भोपाल, सिटी ऑफ जॉय, 'ओ'जेरूसलम' और 'इज पेरिस बर्निंग' जैसी किताबों के रचयिता डोमिनिक लापिएर चल बसे। आप पूछ सकते हैं कि गांधी फिल्म, लुई फिशर और लापिएर का क्या संबंध है? आपका सवाल वाजिब है। लुई फिशर तथा लापिएर जैसे विदेशी लेखकों का भारत प्रेम उन्हें खास बनाता है। वे भारत से हजारों मील दूर रहने पर भी भारत से सम्बंधित पर श्रेष्ठ रचनाएं लिखते ...
यहां तो स्त्री कंधा से कंधा मिला कर चलती मिलती है

यहां तो स्त्री कंधा से कंधा मिला कर चलती मिलती है

सामाजिक, साहित्य संवाद
दयानंद पांडेय  एक बार गोरखपुर यूनिवर्सिटी में वायवा लेने आए आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी। वाइबा में एक लड़की से उन्हों ने करुण रस के बारे में पूछ लिया। लड़की छूटते ही जवाब देने के बजाय रो पड़ी। बाद में जब वायवा की मार्कशीट बनी तब आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने उस रो पड़ने वाली लड़की को सर्वाधिक नंबर दिया। लोगों ने पूछा कि, ' यह क्या? इस लड़की ने तो कुछ बताया भी नहीं था। तब भी आप उसे सब से अधिक नंबर दे रहे हैं? ' हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा, 'अरे सब कुछ तो उस ने बता दिया था।  करुण रस के बारे में मैं ने पूछा था और उस ने सहज ही करुणा उपस्थित कर दिया। और अब क्या चाहिए था? ' लोग चुप हो गए थे। सच यही है कि करुणा न हो तो साहित्य न हो । आह से उपजा होगा गान !  सुमित्रा नंदन पंत ने ठीक ही लिखा है । करुणा और स्त्री की संवेदनात्मक बुनावट अदभुत  है । बाल्मीकि कवि बने ही थे करुणा...
सफल जीवन के लिये हम खुद को बदलें

सफल जीवन के लिये हम खुद को बदलें

सामाजिक, साहित्य संवाद
-ललित गर्ग -हर रिश्ते को संवेदना से जीने के लिये जरूरी है प्रेम एवं विश्वास। प्यार एवं विश्वास दिलों को जोड़ता है। इससे कड़वे जख्म भर जाते हैं। प्यार की ठंडक से भीतर का उबाल शांत होता है। हम दूसरों को माफ करना सीखते हैं। इनकी छत्रछाया में हम समूह और समुदाय में रहकर शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं। लेखिका रोंडा बायन कहती हैं कि जितना ज्यादा हो सके हर चीज, हर व्यक्ति से प्यार करें। ध्यान केवल प्यार पर रखें। पाएंगे कि जो प्यार आप दे रहे हैं, वह कई गुणा बढ़कर आप तक लौट रहा है। हम समाज में एक साथ तभी रह पाते हैं जब वास्तविक प्रेम एवं संवेदना को जीने का अभ्यास करते हैं। उसका अभ्यास सूत्र है-साथ-साथ रहो, तुम भी रहो और मैं भी रहूं। या ‘तुम’ या ‘मैं’ यह बिखराव एवं विघटन का विकल्प है। ‘हम दोनों साथ नहीं रह सकते’ यह नफरत एवं द्वेष का प्रयोग है। विरोध में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। जो व्यक्ति दूसर...
सुप्रीम कोर्ट में कब मिलेगा भारतीय भाषाओं को उनका हक

सुप्रीम कोर्ट में कब मिलेगा भारतीय भाषाओं को उनका हक

TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
आर.के. सिन्हा सुप्रीम कोर्ट में देश की आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी सिर्फ अंग्रेजी में ही जिरह करने की अनिवार्यता बताना उन तमाम भारतीय भाषाओं की अनदेखी और अपमान ही माना जाएगा, जिसमें इस देश के करोड़ों लोग आपस में संवाद करते हैं। अंग्रेजी से किसी को ऐतराज़ भी नहीं है। अंग्रेजी एक तरह से विश्व संवाद की एक भाषा है और हमारे अपने देश में भी इसका हर स्तर पर उपयोग होता है। जहाँ ज़रूरी होने में हर्ज भी नहीं है। पर सुप्रीम कोर्ट में तो सिर्फ इसी का उपयोग किया जा सकता है। यह सही कैसे माना जाए? यह तो अंग्रेजों की गुलामी को दर्शाने वाली व्यवस्था है जो तत्काल खत्म होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में कुछ समय पहले ही एक अलग ही तरह का शर्मनाक मामला देखने को मिला जहां हिंदी में दलील दे रहे एक शख्स को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने टोक दिया। दरअसल, शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ता शंकर लाल शर्मा जैसे ...
कैसे लग जाते हैं विचारों को पंख?

कैसे लग जाते हैं विचारों को पंख?

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, साहित्य संवाद
हमारे लिए लिखना जरुरी क्यू हैं? सागर की बड़ी –बड़ी लहरें आपको उन्माद से भर जाती हैं। आप लहरों संग ऊपर –नीचे करने लगते हो। समुद्र में उतरने से ही पहले।ऐसे में भला कहां समझ आता हैं कि जाएं या न जाएं। कानों में अलग-अलग आवाज़ें कैद होती रहती हैं और मचलने लगता है मन, कि चलो। अब तो चलना ही है । सार्थक रूप से बात करने या लिखने के लिए अनुभव और जीवन सीखने से प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। प्रत्यक्ष अनुभव भी स्मृति में उकेरा जाता है और कोई भी वास्तव में पाठकों को अनुभव के बारे में विश्वास दिला सकता है। -प्रियंका सौरभ सभी लेखक और लेखक अक्सर अपने स्वयं के जीवन के अनुभवों के बारे में लिखते हैं। जीवन के अनुभव की कमी के कारण, कोई अर्थपूर्ण ढंग से नहीं लिख सकता या दर्शकों को बांध नहीं सकता। युद्ध में जाने का अनुभव इसके बारे में पढ़ने से अलग है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो व्यक्ति कभी सेना में नही...
भारतीय जीवन दर्शन और चिंतन

भारतीय जीवन दर्शन और चिंतन

TOP STORIES, साहित्य संवाद
ह्रदय नारायण दीक्षित जीवन इसी जगत में है और सुख दुख भी। आनंद भी इसी संसार में है। योग ध्यान भक्ति उपासना इसी संसार में है। भारतीय धर्म चिंतन में चार पुरुषार्थ धमर्, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति का क्षेत्र यही संसार है। संसार त्याग क्षेत्र नहीं है। यह कर्म क्षेत्र, धर्म क्षेत्र व भोग क्षेत्र है। कर्तापन भ¨क्तापन ही संसार है। लेकिन जीवन रहस्य जटिल हैं। भारतीय दर्शन और चिंतन में जिज्ञासा का महत्व है। ऋग्वेद प्राचीनतम ज्ञानकोष है। यह जिज्ञासा से भरापूरा है। इसके रचनाकाल से लेकर संपूर्ण वैदिक साहित्य में भरी पूरी प्रश्न जिज्ञासा है। मानने पर जोर नहीं है, जानने की इच्छा महत्वपूर्ण है। केन उपनिषद् बड़ी प्यारी पुस्तक है। इसमें अंतःकरण से जुड़े 5 प्रश्न हैं। पहली जिज्ञासा है, ‘‘यह मन किसके द्वारा प्रेरित होकर सक्रिय है?‘‘ सीधा सरल प्रश्न है। मन चंचल है। गीता में अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा, ‘‘हे ...

गणेश शंकर विद्यार्थी

विश्लेषण, साहित्य संवाद
26 अक्टूबर 1890 क्रांतिकारी पत्रकारगणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म * चंद्रशेखर आजाद और भगतसिंह की भेंट उन्हीं ने कराई थी * वे राष्ट्र और संस्कृति को सर्वोपरि मानते थे --- रमेश शर्मा सार्वजनिक जीवन या पत्रकारिता में ऐसे नाम विरले हैं जिनका व्यक्तित्व व्यापक है और जो विभिन्न विचारों में समन्वय बिठा कर देश सेवा में लगे हों । क्राँतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी थे । उनके जीवन में और जीवन के बाद भी उन्हें सब अपना मानते हैं । वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अहिसंक आँदोलन में जहाँ स्वयं हिस्सा लेते थे वहीं क्राँतिकारी आँदोलन के बलिदानियों के अज्ञातवास की व्यवस्था करते थे । यह व्यवस्था उनके रुकने से लेकर धन प्रबंध तक होती थी । वे पाँच बार जेल गये । वे राष्ट्र के लिये सामाजिक और साम्प्रदायिक एकता आवश्यक मानते थे और कहते थे कि राष्ट्र का आधार समन्वय और सद्भाव ...
हिंदी में ऐतिहासिक पहल

हिंदी में ऐतिहासिक पहल

TOP STORIES, साहित्य संवाद
हिंदी में ऐतिहासिक पहल-डॉ. सौरभ मालवीयमध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने हिंदी भाषा में चिकित्सा की पढ़ाई प्रारम्भ करके शिक्षा के क्षेत्र में इतिहास रच दिया है। इस पहल के लिए मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की सरहाना की जानी चाहिए। भारत एक विशाल देश है। यहां के विभिन्न राज्यों की अपनी क्षेत्रीय भाषाएं हैं। स्वतंत्रता के पश्चात से ही मातृभाषा को प्रोत्साहित करने की बातें चर्चा में रही हैं, परंतु इनके विकास के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए। इसके कारण प्रत्येक क्षेत्र में विदेशी भाषा अंग्रेजी का वर्चस्व स्थापित हो गया। अब भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने देश के विभिन्न राज्यों की मातृभाषाओं के विकास का बीड़ा उठाया है। इसका प्रारम्भ मध्य प्रदेश से हुआ है। मध्य प्रदेश के पश्चात अब उत्तर प्रदेश में भी चिकित्सा एवं तकनीकी पढ़ाई हिंदी में होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट के माध्...
महाकवि कालिदास कृत महाकाव्य कुमारसम्भव में शिवजी द्वारा विवाह पूर्व पार्वती की परीक्षा

महाकवि कालिदास कृत महाकाव्य कुमारसम्भव में शिवजी द्वारा विवाह पूर्व पार्वती की परीक्षा

साहित्य संवाद
महाकवि कालिदास कृत महाकाव्य कुमारसम्भव में शिवजी द्वारा विवाह पूर्व पार्वती की परीक्षापार्वती जन्मजन्मांतर से शिवजी को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। दक्ष प्रजापति के घर सतीरूप में जन्म लिया था। एक बार दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया। उस यज्ञ में शंकर तथा सती को निमन्त्रित नहीं किया। आकाश मार्ग से सती ने देवताओं के विमानों को जाते देखा तो शंकरजी से इसका कारण पूछा। शंकरजी से सती को ज्ञात हुआ कि दक्ष प्रजापति ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया है और तुम्हें निमंत्रित नहीं किया है। सती ने शिवजी से आग्रह किया कि वह पिता के घर जाना चाहती है तो शिवजी ने उन्हें समझाया कि हमें निमन्त्रित नहीं किया है। अत: वहाँ जाना उचित नहीं है, किन्तु सती फिर भी पिता के घर गई। उन्होंने यज्ञ में शंकरजी का भाग नहीं देखा। सती के पारिवारिक सदस्यों ने भी उनसे सम्मानपूर्वक चर्चा नहीं की। यह देखकर सती ने अपने आपको योगाग्नि में...
कवि वास्तविक दुनिया का आईना रखते हैं।

कवि वास्तविक दुनिया का आईना रखते हैं।

साहित्य संवाद
कवि वास्तविक दुनिया का आईना रखते हैं। कविता एक राजनीतिक कार्य है क्योंकि इसमें सच बोलना शामिल है। कवियों की अभिव्यक्ति दुनिया की सच्चाई को आवाज देती है।  कवि कानून स्थापित कर सकते हैं और ज्ञान के लिए नई सामग्री बना सकते हैं, कवियों की विधायक के रूप में भूमिका निर्धारित कर सकते हैं। अपने सजीव विचारों से वह वातावरण बनाता है । बाइबल के भजनों ने सदियों से ईसाइयों के जीवन को आकार दिया है।  भगवान कृष्ण कवि बने और उनकी गीता काव्य में है। गीता और बाइबल अनगिनत लाखों लोगों के आचरण को इस तरह से मार्गदर्शन करने के लिए एक प्रकाशस्तंभ रहे हैं। इन नैतिक मूल्यों का प्रसार वे लोग करते हैं जो धर्म में भी विश्वास नहीं करते हैं। -प्रियंका सौरभ फ्रांसीसी कवि जीन कोक्ट्यू बताते हैं कि "कवि आविष्कार नहीं करता है वह सुनता है"। कव...