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छत्तीसगढ़ : भ्रष्टाचार, जाँच और राजनीति

छत्तीसगढ़ : भ्रष्टाचार, जाँच और राजनीति

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बोफोर्स मामले में भ्रष्टाचार के आरोप के बाद तत्कालीन राजीव गांधी सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा, तब से भ्रष्टाचार के मामले राजनीति में विरोधी पक्ष का सत्ता पक्ष के विरुद्ध एक प्रमुख चुनावी हथियार बन गया है।छत्तीसगढ़ प्रदेश में भी पिछले 15 वर्ष के दौरान भारतीय जनता पार्टी की सरकार के विरुद्ध विपक्ष कांग्रेस पार्टी ने भ्रष्टाचार के अनेक आरोप लगाए। अब जब कांग्रेस पार्टी लगभग तीन चौथाई बहुमत से सत्ता पर क़ाबिज़ हो गयी है, रोज़ किसी न किसी अनियमितता के प्रकरणों पर जाँच के आदेश दिए जा रहे हैं। ऐसा सत्ता बदलने के बाद हर राज्य में होता है, लेकिन कुछ अपवाद छोड़ दिए जाएं तो भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे किसी पूर्व मंत्री या उच्च अधिकारियों के मामले किसी निष्कर्ष तक पहुचे हो या फिर उन्हें सज़ा मिली हो, नहीं देखा। इसका मतलब क्या यह है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे केवल चुनावी लाभ लेना या जनता में सत्तारूढ़...
Logic of postal-orders in denominations of rupees 10 and 20 when handling cost was about rupees forty in the year 2011-12

Logic of postal-orders in denominations of rupees 10 and 20 when handling cost was about rupees forty in the year 2011-12

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It was only after revelation through RTI application that Department of Posts discontinued postal-orders in outdated denominations like rupees 1, 2, 5 and 7 because of extremely low sale-figure and high handling cost. According to an RTI response, handling cost of a postal-order was rupees 37.45 to Department of Posts alone in the year 2011-12. Handling cost for clearing-operation of banks is even extra. It is highly illogical that public-exchequer may bear such extra-ordinary loss in handling postal-orders in denominations like rupees 10 and 20. Rather it is time that higher denominations like of rupees 100, 200 and 500 may be added to avoid purchase of demand-drafts in submitting various types of fees. Government-fees below rupees 50 may either be increased or totally abolished. Or De...
MP Minister fails to read her written lecture

MP Minister fails to read her written lecture

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 Minimum educational qualification be necessary for contesting elections It refers to MP Cabinet Minister Imarti Devi with important portfolio of Women and Child Development having failed to read even a written Hindi script while unfurling Tricolour in Gwalior on occasion of Republic Day 26.01.2019, despite her havng passed 12th class as per records. 3-time MLA Imarti Devi felt relieved when Gwalior Collector offered and subsequently read rest of the written script on behalf of her. Incident also depicts standard of school-education when a person having passed 12thclass could not read a Hindi script. It is indeed an irony that while every government-job has requirement for some minimum educational qualification, there is no such requirement to contest elections when uneducated person...
BJP government honouring Congress leaders with Bharat Ratna now to Pranab Mukerjee

BJP government honouring Congress leaders with Bharat Ratna now to Pranab Mukerjee

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Congress having ruled the nation for so long ignored in giving due honours to its top leaders which were considered as challenger to dynastic rule of Nehru-Gandhi family, may it be Sardar Patel or Subhash Chandra Bose. Even body of former Prime Minister PV Narsimharao was not allowed entry in Congress office in New Delhi after his death, what to talk about his state-cremation in privileged area near Rajghat and Vijay Ghat in New Delhi. BJP government at the centre gave due honour to Sardar Patel through various modes including Bharat Ratna. Now former President Pranab Mukerjee who was better known as trouble-shooter for Congress party has been honoured with Bharat Ratna. TMC rightly observed that Congress party never made him either party-President or Prime Minister, the posts he deserv...
देश हुकूमतंत्र की तरफ ना जाए इसलिए अन्ना हजारे जी का महामहिम राष्ट्रपति जी को प्रार्थना पत्र

देश हुकूमतंत्र की तरफ ना जाए इसलिए अन्ना हजारे जी का महामहिम राष्ट्रपति जी को प्रार्थना पत्र

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दिनांक- 23/01/2019 जा.क्र.भ्रविज 52/2018-19 प्रति, मा. महामहिम राष्ट्रपति जी, भारत, राष्ट्रपती भवन, नई दिल्ली विषय- भारत सरकार संवैधानिक संस्थाओंने बनाए कानून को ना मानने से यह देश लोगतंत्र की तरफ से हुकूमतंत्र की तरफ जाने की संभावना है। देश हुकूमतंत्र की तरफ ना जाए इसलिए प्रार्थना पत्र दे रहा हूं। नरेंद्र मोदी सरकार लोकपाल लोकायुक्त कानून का पालन नहीं कर रही है इसलिए मैं 30 जनवरी 2019 को अनशन शुरू कर रहा हूँ। महोदय, मैंने मेरा जीवन समाज और देश की सेवा के लिए उम्र के 25 साल में समर्पित किया है। जीवन के 81 साल की उम्र में सिर्फ समाज और देश के लिए निष्काम भाव से कार्य करते आया हूँ। मेरा देश मुझे प्राण से भी प्रिय होने के कारण और नरेंद्र मोदी सरकार लोगतंत्र को बाधित विचारों को लेकर चल रही है। इसलिए आपको पत्र लिख रहा हूँ। देश में बढते भ्रष्टाचार को रोकथाम लगे इसलिए लोकप...
भा.ज.पा. की जीत से गूंजेगी “भारत माता की जय”…

भा.ज.पा. की जीत से गूंजेगी “भारत माता की जय”…

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अभी भी समय है भारत माता की जय बोलने वालों कुछ ठोस करो अन्यथा घोटालेबाज, चालबाज व विभिन्न विचारधाराओं के नेताओं का गठबंधन राष्ट्रीय राजनीति के भविष्य को अंधकारमय कर देगा। राष्ट्रवादियों काजल की कोठरी से बाहर निकलो अन्यथा कालिख में ही रंगे रह जाओगे...और...नारे गूंजते रहेंगे...                                                       याद करो__9 फरवरी 2016 __जे.एन.यू. के राष्ट्रद्रोही नारे_ ●भारत तेरे टुकड़े होंगें_इंशा अल्लाह~इंशा अल्लाह_ तेरे सौ-सौ टुकड़े होंगे_इंशा अल्लाह~इंशा अल्लाह_ ●लडकर लेंगे_आजादी_बंदूक के दम पर_आज़ादी_ अफजल बोला आज़ादी_मक़बूल बोला आज़ादी_ भारत की बर्बादी तक_जंग करेंगे-जंग करेंगे_ ●अफजल गुरु हम शर्मिंदा है_तेरे कातिल जिंदा है__ कितने अफजल मारोगे_घर-घर से अफजल निकलेगा_ कितने मक़बूल मारोगे_घर-घर से मक़बूल निकलेगा_ वर्तमान विषम परिस्थितियों में केवल एक ही मार्ग है कि भ...
नवा छत्तीसगढ़ की अवधारणा

नवा छत्तीसगढ़ की अवधारणा

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राजनीति में नारों का बड़ा महत्व है, जनता नारों को संक्षेप में पार्टी की नीति मानती है। चुनाव के दौरान जारी घोषणा पत्र इतना लंबा चौड़ा होता है कि जनता उसमें उल्लेखित बातों को याद नहीं रख पाती है जबकि नारे आसानी से लम्बे समय तक याद रहते हैं। सरकारें भी नारे गढ़ती हैं, डॉ रमन सरकार ने सबका साथ सबका विकास और क्रेडिबल छत्तीसगढ़ जैसे नारे गढ़े। सरकार के जाते ही नारे भी बदल जाते हैं, जैसे पुराने नारों के स्थान पर भूपेश बघेल की नई सरकार ने नारे दिए हैं गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ के ये चिन्हारी, नरवा-गरूवा-घुरूवा-बारी। अब सरकार के समक्ष चुनौती है अपने नारों को अमल में कैसे लाएं? पहले गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की बात करें तो सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में विशेष प्रयास की आवश्यकता है। केवल कृषि आधारित आर्थिक उपक्रम से नया छत्तीसगढ़ नहीं गढ़ा जा सकता। कृषि पर प्रच्छन्न बेरोजगारी को दूर कर रोज़गार के नए अव...
Gandhi Peace Prize given for four years together: Should be announced every year rather than accumulating

Gandhi Peace Prize given for four years together: Should be announced every year rather than accumulating

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It refers to central government announcing prestigious Gandhi Peace prize instituted on 125th birth-anniversary of MK Gandhi together for four years from 2015 to 2018. It is wrong practice to accumulate such prizes and awards together for so many years. It is noteworthy that even Best Parliamentarian Award to be given annually is also usually clubbed for three years in a bid to please-all-policy by giving this honour to one Parliamentarian each from ruling party, largest opposition party and remaining other small parties. System should be for auto-cancellation of award for the year in which the award or prize is not announced so that only one prize r award may only be announced at a time that too only for the year for which announcement is made thus auto-cancelling the lapsed awards for...
History and Literature: A comparative analysis

History and Literature: A comparative analysis

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What is History, how it is different from Literature, their inter-relation and how our Ramayana and Mahabharata are not just part of history but history themselves, and not literature: Explains Abhinav Shankar Anikul_ *===========================* What the history terms gruesomely, dismissively & witheringly otherwise; the literature treats in a generous, lenient & commiserative manner. In a way we see a strange paradox between these two here, but perhaps naturally so. Equally ironic is that today when it is a standard practice to look into literature while caricaturing the history, difficult to say how much of this paradox is acoounted while doing so. The History follows it's own simple & plain rules for describing things. It is utilitarian in it's basic purpose. It belie...
नागा साधु एक बड़ा ही रहस्यमय नाम?

नागा साधु एक बड़ा ही रहस्यमय नाम?

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नागा साधु हिन्दू धर्मावलम्बी साधु हैं जो कि नग्न रहने तथा युद्ध कला में माहिर होने के लिये प्रसिद्ध हैं। ये विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं। जिनकी परम्परा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गयी थी। इनके आश्रम हरिद्वार और दूसरे तीर्थों के दूरदराज इलाकों में हैं जहां ये आम जनजीवन से दूर कठोर अनुशासन में रहते हैं। इनके गुस्से के बारे में प्रचलित किस्से कहानियां भी भीड़ को इनसे दूर रखती हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि यह शायद ही किसी को नुकसान पहुंचाते हों। हां, लेकिन अगर बिना कारण अगर कोई इन्हें उकसाए या तंग करे तो इनका क्रोध भयानक हो उठता है। कहा जाता है कि भले ही दुनिया अपना रूप बदलती रहे लेकिन शिव और अग्नि के ये भक्त इसी स्वरूप में रहेंगे। नागा साधु तीन प्रकार के योग करते हैं जो उनके लिए ठंड से निपटने में मददगार साबित होते हैं। वे अपने विचार और खानपान, दोनों में ही संयम रखते हैं। नागा साधु ...