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Tea seed oil may be healthy option

Tea seed oil may be healthy option

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Scientists at Assam Agricultural University, Jorhat have reported that oil extracted from the seeds of some of the tea varieties grown in Assam is heart-friendly with high levels of unsaturated fatty acids. Researchers studied eight tea seed stocks for their biochemical and physical properties. They found that in as many as seven of them, unsaturated fatty acids constituted for more than 90 per cent of the total fatty acids, from 90.49 per cent to 97.79 per cent. Of them, five had high levels of mono-unsaturated fatty acids, ranging from 49.56 per cent to 63.86 per cent, according to findings published in journal Current Science. Speaking to India Science Wire, Dr. Priyanka Das of the Department of Biochemistry and Agricultural Chemistry at the University, who conducted the study alo...
आत्मघाती टर्की, दबंग इज़रायल और  बेपानी फिलिस्तीन

आत्मघाती टर्की, दबंग इज़रायल और बेपानी फिलिस्तीन

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आज टर्की-सीरिया-इराक विवाद ने शिया-सुन्नी और आतंकवादी त्रासदी का रूप भले ही ले लिया हो, शुरुआती विवाद तो जल बंटवारा ही रहा है। टर्की कहता है कि अधिक योगदान करने वाले को अधिक पानी लेने का हक है। सीरिया और इराक कह रहे हैं कि उनकी ज़रूरत ज्यादा है। अतः उन्हे उनकी ज़रूरत के हिसाब से पानी मिलना चाहिए। टर्की का दावा है कि इफरीटिस नदी में आने वाले कुल पानी में 88.7 प्रतिशत योगदान तो अकेले उसका ही है। वह तो कुल 43 प्रतिशत पानी ही मांग रहा है। गौर करने की बात है कि इफरीटिस के प्रवाह में सीरिया का योगदान 11.3 प्रतिशत और इराक का शून्य है, जबकि पानी की कमी वाले देश होने के कारण सीरिया, इफरीटिस के पानी में 22 प्रतिशत और इराक 43 प्रतिशत हिस्सेदारी चाहता है। गौर करने की बात यह भी है कि सीरिया और इराक में पानी की कमी का कारण तो आखिरकार टर्की द्वारा इफरीटिस और टिग्रिस पर बनाये बांध ही हैं। किंतु टर्की इस त...
‘नानक शाह फकीर’ फिल्म पर विवाद क्यों?

‘नानक शाह फकीर’ फिल्म पर विवाद क्यों?

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सिक्ख धर्म संस्थापक परमादरणीय गुरू नानक देव जी के जीवन व शिक्षाओं पर आधारित फिल्म ‘नानक शाह फकीर’ काफी विवादों में है। सुना है कि शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी और कुछ सिक्ख नेता इसे रिलीज नहीं होने देना चाहते। उनका कहना है कि गुरू नानक जी पर फिल्म नहीं बनाई जा सकती । क्योंकि उनका किरदार कोई मनुष्य नहीं निभा सकता। उनकी और बाकी गुरुओं की सारी शिक्षा  गुरू ग्रंथ साहिब में संग्रहीत है। गुरु गोविंद सिंह जी ने हुकुम दिया था, "गुरु मान्यो ग्रंथ" ।  इसी भाव से हर गुरूद्वारे में ग्रंथ साहब की सेवा-अर्चना की जाती है। अकसर ही एतिहासिक फिल्मों पर विवाद होते रहते हैं। ताजा उदाहरण 'पद्मावत’ का है। इसमें राजपूतों की प्रतिष्ठा धूमिल करने का आरोप लगाकर राजपूत समाज ने काफी लम्बा विवाद खड़ा किया। राजपूत समाज के हस्तक्षेप के बाद फिल्म के निर्माता संजय लीला भंसाली ने फिल्म के कुछ दृश्यों या कुछ डायलग्स को ब...
Analysis of Performance of MLAs and 14th Legislative Assembly of Karnataka

Analysis of Performance of MLAs and 14th Legislative Assembly of Karnataka

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Association for Democratic Reforms (ADR) and Karnataka Election Watch (KEW) had filed RTIs to the Karnataka Assembly Secretariat asking for the information pertaining to the performance of the MLAs and the Legislative Assembly. This report has been generated from the responses received. For more information, please visit:https://adrindia.org/content/14th-state-assembly-karnataka-analysis-performance-mlas-and-legislative-assembly-karnataka Analysis of Number of Sittings in Each Session of Karnataka Legislative Assembly v  There were 15 sessions in the 14th Karnataka Legislative Assembly. v  On an average, Karnataka State Assembly sat for 44 days per year. v  The 14th Karnataka Legislative Assembly sat for 216 days from 2013 to 2017. v  The longest sessions was the 8th session...
35 (17%) Sitting MLAs in Karnataka Assembly had declared serious criminal cases against themselves

35 (17%) Sitting MLAs in Karnataka Assembly had declared serious criminal cases against themselves

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The Karnataka Election Watch and Association for Democratic Reforms (ADR) have analysed the self-sworn affidavits of 207 out of 224 MLAs. 17 MLAs have not been analysed because either they are no longer members of Karnataka assembly or due to badly scanned affidavits. This report has been prepared on the basis of the affidavits submitted by the MLAs prior to Karnataka Assembly Elections, 2013. For more information, please visit: https://adrindia.org/content/karnataka-assembly-elections-2013-analysis-criminal-background-financial-education-gender Summary and Highlights       Criminal Background MLAs with Criminal Cases: Out of the 207 MLAs analysed, 68 (33%) MLAs had declared criminal cases against themselves. MLAs with Serious Criminal Cases: 35 (1...
न्याय क्षेत्र की भाषा बनने में सक्षम हैं भारतीय भाषाएं

न्याय क्षेत्र की भाषा बनने में सक्षम हैं भारतीय भाषाएं

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भारत की भाषाओं में वे सभी क्षमताएं हैं, जो न्यायिक क्षेत्र की किसी भी भाषा में होनी चाहिए। भारत की भाषाओं को न्यायलयों में कामकाज की भाषा बनाने से जुड़ी तकनीकी एवं व्यवहारिक बाधाओं के  समाधान भी खोजे जा सकते हैं। यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा नई दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय ज्ञानोत्सव के दूसरे दिन विधि क्षेत्र के विशेषज्ञों के विमर्श में उभरकर आयी है। इस विमर्श में सॉलिस्टर जनरल, पूर्व न्यायाधीश और उच्च नयायालय एवं उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ताओं समेत विधि क्षेत्र के कई विशेषज्ञ शामिल थे। ये बातें एक प्रेस वार्ता में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव और भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संरक्षक अतुल कोठारी ने कही हैं। उन्होंने कहा कि देश की बहुसंख्य आबादी अपनी भाषा में संवाद करती है। इसके बावजूद न्यायालयों की भाषा आज भी अंग्रेजी बनी हुई है। न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता क...
साहित्य में कालजयी हैं  पंडित माखनलाल चतुर्वेदी : अच्युतानंद मिश्र

साहित्य में कालजयी हैं पंडित माखनलाल चतुर्वेदी : अच्युतानंद मिश्र

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माखनलाल चतुर्वेदी सदैव अपनी साहित्यिक एवं पत्रकारीय कृतित्व के कारण जनमानस के अवचेतन में मौजूद रहेंगे। पत्रकारिता, राजनीति, साहित्य और शिक्षण के साथ ही उनका राष्ट्रीय दायित्व बोध भी अवलंबित होता है। पंडित माखनलाल की पत्रकारिता एक आंदोलनकारी पत्रकारिता के रूप में थी। सर्कुलेशन बढ़ाने, विज्ञापन छापने तथा धनोपार्जन के लिए पत्रकारिता धर्म से समझौता न करना उनकी प्रवृत्ति थी। उक्त विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के नोएडा परिसर में आयोजित राष्ट्रीय संविमर्श में व्यक्त किए।  पं. माखनलाल चतुर्वेदी की 129 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संविमर्श का विषय ‘पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक और पत्रकारीय अवदान’ था । मिश्र ने कहा कि पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता में सामाजिक न्याय एवं समरसता विद्यमान है। उनकी रचनाधर्मिता राष्ट्रवादी पत्रकार...
Salman Khan Case: Hero Worship and Law

Salman Khan Case: Hero Worship and Law

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  Indians love to worship their heroes specially  when the hero or heroine is a film star. I was perplexed to notice the reaction of general public and that of fraternity of Mumbai film industry who came out in open and ridiculed the verdict of District and Session Judge of Jodhpur who found actor Salman Khan guilty of killing two blackbucks in Jodhpur during a film shooting in 1998. The judge Ravindra Kumar Joshi pronounced Salman guilty on April 5 and sentenced his to 5 year jail term under Wild Life Protection Act on April 6, 2018. Today, April 7 the judge granted bail to Salman. In three days, what one heard was an outcry against the conviction of the actor. Some termed the sentence “ too harsh” while others from the film industry said Salman does not deserve punishment since he is a...
राष्ट्रविरोधी शक्तियों के मुंह पर बड़ा तमाचा है मिशन वंदेमातरम  –  रमेश विधुड़ी 

राष्ट्रविरोधी शक्तियों के मुंह पर बड़ा तमाचा है मिशन वंदेमातरम  –  रमेश विधुड़ी 

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चन्द्रशेखर आजाद के राष्ट्रप्रेम व बलिदान को व्यर्थ न जाने देंगे, जन जन में उनके देशप्रेम के भाव को अंदर तक भर देंगे। इस भाव को लेकर काम कर रहे मिशन वंदेमातरम के चन्द्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में कार्यक्रम व स्वराज रक्षक सम्मान समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में न्याय मूर्ति ज्ञानसुधा जी, सांसद रमेश विधुड़ी जी, प्रो पी डी शर्मा (उपकुलपति, एमिटी यूनिवर्सिटी गुरुग्राम), आईपीएस जितेंद्र मणि जी,  कवि राजेश चेतन जी व राधाकांत जी, शिक्षाविद ईश्वरदयाल जी व राश्मीजी, मौलिक भारत के महासचिव अनुज अग्रवाल जी, मिशन वंदेमातरम के संयोजक जितेंद्र जी, अधिवक्ता सुनील मग्गो जी व अश्विनी दुबे जी  उपस्थित रहे। इस अवसर पर न्यायमूर्ति ज्ञानसुधा मिश्रा जी ने कहा कि इस तरह के आयोजन बहुत ही आवश्यक हैं और समाज को किसी मुद्दे पर जागृत करने व एकमत कर उसे समाज व व्य...
एक  है हिन्दुत्व  – सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत

एक है हिन्दुत्व – सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत

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रा.स्व.संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा यानी संघ से जुड़ा वर्ष का सबसे बड़ा आयोजन। समाज में संघ कार्य की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है।  विविध क्षेत्रों में संघ के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की उत्कंठा है। 2018 के अवसर पर रेशिम बाग, नागपुर में सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवतने देश के वर्तमान राजनीतिक - सामाजिक परिदृश्य तथा संघ के बढ़ते व्याप के संदर्भ में पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर तथा आर्गेनाइजर के संपादक श्री प्रफुल्ल केतकर से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं विशेष साक्षात्कार के संपादित अंश- प्रश्न : आज संघ कार्य के लिए जो अनुकूलता दिखती है, इसे आप कैसे देखते हैं? उत्तर : संघ के स्वयंसेवक सर्वदूर समाज में जाते हैं। अन्यान्य क्षेत्रों में काम भी करते हैं। संघ की शाखा में भी जाते हैं। समाज में, विभिन्न संगठनों में काम करते हैं। कई ऐसे हैं जो ऐसा कुछ नहीं करते, अपनी घर-गृहस्...