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Growing Rewards Market

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पुरस्कारों का बढ़ता बाजार* पुरस्कारों के बढ़ते बाजार के में देने और लेने वाले दोनों कि भूमिका है। देने वाले अपने आप खत्म हो जायेंगे अगर लेने वाले न बने। हमें किसी भी पुरस्कार के लिए पैसा देना पड़े तो समझ लीजिये वो पुरस्कार नहीं खरीद है। बात इतनी सी है। फिर हम और आगे क्यों बढे? एनजीओ रजिस्ट्रेशन के जरिये कई चरणों में राशि ऐंठते है या फिर धक्का डोनेशन लेते है। संस्थाएं एक दूजे की हो गयी है। एक दूसरे को सम्मानित करने और शॉल ओढ़ाने में लगी है। सरकारी पुरस्कार बन्दर बाँट कहे या लाठी का दम। जितनी जान-पहचान उतना बड़ा तमगा। ये प्रमाण “बिक्री के लिए” पुरस्कार विजेताओं की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हैं। *--प्रियंका सौरभ* आजकल सोशल मीडिया प्लेटफार्म ऐसी पोस्ट्स से भरे पड़े है जिसमें लिखा होता है कि उक्त को ये पुरस्कार (स्वर्ण) मिला है। यह पुरस्कार मिलने पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले और देने ...
कर्नाटक : भाजपा की राह आसान नहीं

कर्नाटक : भाजपा की राह आसान नहीं

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कर्नाटक में चुनावी रणभेरी बज गई है, राजनीति की बिसातें बिछ चुकी हैं। चुनाव की घोषणा से ठीक पहले प्रधानमंत्री लंबी-चौड़ी घोषणाएं कर चुके हैं। उनका भारी-भरकम रोड शो सुर्खियों में है। जिसमें इस 224 सदस्यों वाली विधानसभा के परिणाम जल्दी पाने की आकांक्षा नजर आती है। कार्यक्रम के अनुसार एक ही दिन दस मई को पूरे कर्नाटक में चुनाव होंगे और महज तीन दिन बाद विधानसभा चुनाव का परिणाम देश के सामने होगा। दक्षिण भारत में भाजपा के इस अकेले दुर्ग में भले ही उसकी पार्टी की सरकार है, लेकिन इसे हासिल करने के तमाम दांव-पेच सबने देखे हैं, लेकिन कर्नाटक चुनाव के भाजपा व अन्य राजनीतिक दलों के लिये खास मायने हैं। एक तो ये 2024 के महासमर से पहले होने वाले चुनाव होंगे, दूसरे चुनाव के बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में इस साल होने वाले चुनाव के लिये सभी दल अपनी-अपनी सुविधा से कर्नाटक चुनाव परिणामों की व्याख्...
राहुल के सहारे चमकते नेता, पार्टी के लिए ख़तरनाक

राहुल के सहारे चमकते नेता, पार्टी के लिए ख़तरनाक

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी राजनीति के चक्रव्यूह में फंसे हुए नजर आ रहे हैं। अगर राहुल गांधी को अपने बचाव में ऊपरी अदालत में अपील करते हैं,तभी वह जेल जाने से बच सकेंगे एवं उसके बाद ही उनकी संसद की सदस्यता भी संभवतः बहाल हो पाएगी। अभी तो राहुल गांधी को अपने इर्द-गिर्द तैनात नेताओं में से उन लोगों को दूर कर देना चाहिए जो सिर्फ स्वयं को आगे बढ़ाने के लिए राहुल गांधी का सहारा ले रहे हैं। बहुत से जनाधार विहीन नेता राहुल गांधी के सहारे बड़े-बड़े पदों पर बैठे हुये हैं। इस मामले के तथ्य से सब परिचित हैं,सूरत कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को सजा सुनाने के 26 घंटे बाद ही लोकसभा ने उन्हें सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया। यदि लोकसभा अध्यक्ष चाहते तो उन्हें ऊपरी अदालत के निर्णय होने तक संसद सदस्य रखा जा सकता था, शायद यहाँ राजनीति के दबाव में अति शीघ्रता में उनकी सदस्यता रद्द कर दी गयी। कोर्ट के निर्...
बड़ी पुरानी युद्ध नीति है कि युद्ध जीतने के लिए, पहले हमला करदो

बड़ी पुरानी युद्ध नीति है कि युद्ध जीतने के लिए, पहले हमला करदो

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बड़ी पुरानी युद्ध नीति है कि युद्ध जीतने के लिए, पहले हमला करदो और इससे पहले कि सामनेवाला सम्भले दूसरा हमला और लगातार पहल अपने हाथ में रखो।विरोधी दल जो स्वयं आकंठ भ्रष्टाचार की दल दल में डूबे हुऐ हैं, यही े्््करना चाह रहे हैं। अड़ानी के मामले में और तो कुछ मिला नहीं, बस शेयर मंदी होने पर चिल्लाहट मचाये हुऐ हैं और जो बेईमानियाँ खुद की हैं, इससे पहले कि आरोप इन पर आये, मोदीजी को आरोपित कर रहे हैं।भारत में १९४७ से २००७ तक के वर्षों में कुल बैंक क़र्ज़ा १६ बिलियन का था। जब सोनिया की सरपस्ती में मन मोहन सिंह की हुकूमत आयी तो २०१४ तक( मोदीजी के समय आने से पहले तक) केवल ७ वर्ष में बढ़ कर ५२ लाख करोड़ हो गया। ६० वर्ष में १८ लाख करोड़ और केवल ८ वर्ष में ३४ लाख करोड़ बढ़ गया। सोनिया का हुक्म होता था और चिदंबरम वित्त मंत्री जी का फ़ोन पर हुक्म जाता था और लोन बढ़ जाता था। मेहुल चौकसी, ललित मोदी और नी...
Lower Investment, Employment and Productivity? 

Lower Investment, Employment and Productivity? 

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Siyavar Ramchandra Ki Jai. How India can reduce scratching impact from Lower Investment, Employment and Productivity?  The economic crisis has resulted in large scale job losses and a marked decline in the rate of new job creation in most parts of the India, giving rise to a substantial reduction in employment rates and a sharp increase in unemployment. It’s scary. The pandemic, coupled with trade disruptions and Russia’s war on Ukraine, and now the Bank Run caused lasting harm to Asia-Pacific economies, damaging growth, productivity, and investment. And, slowly and emotionally but realistically – it has already hit Indian Economy. Specifically, it will leave very deep and long-lasting scars which, without swift and bold policy action, could restrict Indian growth well into the...
भारत के अंदर- बाहर सभी जगह राम का नाम

भारत के अंदर- बाहर सभी जगह राम का नाम

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आर.के. सिन्हा भारत के कण-कण में राम बसे हैं। भारत की राम के बिना कल्पना करना ही असंभव है। सारा भारत राम को अपना आराध्य और पूजनीय मानता है। डॉ राम मनोहर लोहिया कहते थे कि भारत के तीन सबसे बड़े पौराणिक नाम – “राम, कृष्ण और शिव ही हैं।” उनके काम के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी प्राय: सभी को, कम से कम दो में एक भारतीय को तो होगी ही। उनके विचार व कर्म, या उन्होंने कौन-से शब्द कब कहे, उसे विस्तारपूर्वक दस में एक तो जानता होगा। कभी सोचिए कि एक दिन में भारत में कितनी बार यहां की जनता प्रभु राम का नाम लेती है।   पर भगवान राम को सिर्फ भारत तक सीमित करना उचित नहीं होगा। वैसे तो  थाईलैंड बौद्ध देश हैं, पर वहां भी राम आराध्य है। राजधानी बैंकॉक से सटा है अयोध्या शहर। वहां के लोगों की मान्यता है कि यहीं थी भगवान श्रीराम की राजधानी। थाईलैंड के बौद्ध मंदिरों में आपक...
राहुल गांधी को गुस्सा क्यों आता है?

राहुल गांधी को गुस्सा क्यों आता है?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
-बलबीर पुंज एक हालिया प्रेसवार्ता में पत्रकार के एक प्रश्न पर कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने अपना आपा खो दिया। आपराधिक मानहानि मामले में अदालत से दो वर्षीय सज़ा मिलते ही अपनी सांसदी निरस्त होने और इसपर जारी राजनीति को लेकर राहुल से, वर्षों से कांग्रेस कवर कर रहे टीवी-पत्रकार ने प्रश्न किया— "मोदी-उपनाम पर उनकी टिप्पणी को भाजपा 'ओबीसी का अपमान' बता रही है।" इसपर झुंझलाकर राहुल ने कह दिया, "...आप... बीजेपी का सिंबल सीने पर लगा लीजिए, तब मैं आपको उसी के अनुसार जवाब दूंगा। पत्रकार होने का ढोंग मत कीजिए।" इसके बाद थोड़ा ठहरकर राहुल ने कहा, "हवा निकल गई"। सार्वजनिक रूप से राहुल द्वारा इस प्रकार का अशोभनीय व्यवहार, कोई पहला मामला नहीं है। सुधी पाठकों को स्मरण होगा कि कैसे सितंबर 2013 में राहुल ने कांग्रेसी प्रेसवार्ता में अचानक पहुंचकर अपनी ही सरकार द्वारा पारित एक अध्यादेश को बतौर ...
खेलों की दुनिया में भारत की महिला खिलाड़ियों का स्वर्णिम चमत्कार

खेलों की दुनिया में भारत की महिला खिलाड़ियों का स्वर्णिम चमत्कार

BREAKING NEWS, Current Affaires, TOP STORIES, राष्ट्रीय, समाचार, सामाजिक
मृत्युंजय दीक्षितवर्ष -2023 में खेलों की दुनिया में भारत के खिलाड़ी विशेषकर महिला खिलाड़ी जिस प्रकार का स्वर्णिम प्रदर्शन कर रहे हैं वह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व व आनंद की अनुभूति का विषय है। राजधानी दिल्ली में आयोजित विश्व महिला मुक्केबाजी में भारत की चार महिला मुक्केबाजों नीत घणघस, स्वीटी बूरा, निकहत जरीन, लवलीना बोरगोहाई ने पहली बार चार स्वर्ण पदक जीतकर भारत का झंडा लहरा दिया है। भारतीय महिला मुक्केबाजी के लिए उत्सव का समय है। भारतीय महिला मुक्केबाजों की यह जीत विशेष है क्योंकि वर्ष 2002 में महिला मुक्केबाज मेरीकॉम के उदय के बाद 17 वर्षो में पहली बार महिला विश्व कप में चार स्वर्ण पदक मिले हैं । भारतीय महिला मुक्केबाजी में मेरीकॉम ऐसा चमकता सितारा बनीं कि उनसे प्रेरणा लेकर हर दिन भारत को एक से बढ़कर एक नई प्रतिभाएं मिल रही हैं ।महिला मुक्केबाजी विश्व कप - 2023 में चारों महिला खिलाड़िय...
यह गांधी परिवार गाथा

यह गांधी परिवार गाथा

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दिल्ली के राजघाट से प्रियंका गांधी का भाषण सुनने योग्य है। उनके भाषण में दो बातें आज स्पष्ट सुनाई दी- *पहला 'मेरा*' और दूसरा *'तुम्हारा'*। उन्होंने मेरा किसको कहा? 'मेरा भाई', 'मेरा परिवार' और जब देश की बात आई, प्रधानमंत्री की बात आई, तब उन्होंने कहा- 'आपका प्रधानमंत्री', 'आपका देश', 'आपकी लड़ाई', 'आपकी मीडिया', 'आपकी आवाज'। खून को भुनाकर सत्ता प्राप्त करना कांग्रेश की सबसे सुविधाजनक राजनीति रही है। प्रियंका गांधी के आज का भाषण भी पिता के खून से ही शुरू हुआ। तिरंगा की तरफ इशारा करके उन्होंने कहा इस तिरंगे में राहुल के पिता का खून है। इस धरती में राहुल के पिता का खून है। राहुल अपने पिता के जनाजे के पीछे पैदल चले थे। इसलिए इस देश में राहुल का अपमान नहीं होना चाहिए। क्या विचित्र माँग है कांग्रेस की! राजीव गांधी की हत्या हो गई, सबसे पहला प्रश्न तो यह है कि जिस देश का पूर्व प्रधानमंत्री ...
क्या कांग्रेस का ‘सत्याग्रह’ का आग्रह दुराग्रह है?-ललित गर्ग

क्या कांग्रेस का ‘सत्याग्रह’ का आग्रह दुराग्रह है?-ललित गर्ग

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दशकों तक भारत पर राज करने वाले गांधी परिवार के राजनीतिक वारिस राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के मामले में अदालत ने सजा सुनाई तो कांग्रेस देशभर में सड़कों पर हंगामा कर रही है, गांधी की समाधि पर सत्याग्रह कर रही है, कांग्रेस एवं उसके तथाकथित सत्याग्रही नेता क्यों नहीं सत्य को समझ रहे कि सजा मोदी सरकार ने नहीं, सूरत की एक कोर्ट ने सुनाई है। क्या कांग्रेस का ‘सत्याग्रह’ का आग्रह कहीं अधिक स्पष्टता से ‘दुराग्रह’ को उजागर नहीं कर रहा है? महात्मा गांधी ने भारत को एकजुट करने के लिए लड़ाई लड़ी, सत्याग्रह को हथियार बनाया। जबकि राहुल गांधी भारत का, गरीब और कमजोर समुदायों, सिख समुदाय और संविधान का अपमान करने के लिये सत्याग्रह का सहारा ले रहे हैं। भले वे यह सब करते हुए स्वयं को सत्याग्रही कैसे मान सकते हैं?कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त होने के विरुद्ध कांग्रेस द्वारा क...