मदरसों का विरोध क्यों?
-बलबीर पुंज
गत दिनों वाम-उदारवादी और स्वघोषित सेकुलरवादी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भड़क उठे। इसका कारण उनका वह हालिया वक्तव्य है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि असम में लगभग 600 मदरसे बंद किए जा चुके है और राज्य सरकार अब सभी मदरसों को बंद करना चाहती है। यूं तो भारतीय संविधान द्वारा अल्पसंख्यकों को अपने अनुरूप शिक्षण संस्था चलाने का अधिकार प्राप्त है। फिर मुख्यमंत्री सरमा ने ऐसा बयान क्यों दिया? आखिर उनके विचारों का निहितार्थ क्या है? क्या विश्व में पहली बार मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है?
वैश्विक समुदाय आज जिस मजहबी कट्टरता से ग्रस्त है— उसे प्रेरित करने वाली मानसिकता को पोषित करने में अधिकांश मदरसों की भी महती भूमिका है। जिस तालिबान की जकड़ में अफगानिस्तान है, जहां उसने अन्य मध्यकालीन प्रतिबंधों के साथ लड़कियों पर प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक कि...