लुटेरे राजनेता
जिन्होंने अपने जीवन और कर्म द्वारा अनन्त काल तक के लिए यह मर्यादा स्थापित की कि एक मनुष्य को व्यक्ति रूप में,अपने सभी सम्बन्धों में,समाज देश और राजा रूप में कैसा होना चाहिए....उन राजा राम के राज्य में भी धोबी जैसी सोच वाले लोग रहते थे,,,,तो फिर सोचिए कि यदि राजा ही रावण जैसा,,अर्थात भ्रष्ट पापी अनाचारी अत्याचारी हो तो उसका अनुसरण करने वाली जनता कैसी होगी?
चारा या सॉफ्टी बाबू का दोष केवल यह नहीं था कि व्यक्तिगत स्तर पर ये नष्ट भ्रष्ट थे और इन्होंने सत्ता का दुरुपयोग करते अपने ही प्रदेश को लूटा खसोटा बर्बाद कर दिया,अपने अनुयायियों को मूर्ख बनाया बल्कि इन्होंने जिस प्रकार की राजनीति, कार्यसंस्कृति की स्थापना की, लूट अपहरण गुण्डई दबंगई को शौर्य रूप में स्थापित किया, भ्रष्टाचार को जीवन शैली रूप में स्थापित कर उसे शिष्टाचार बना दिया,मुफ्तखोरी जालसाजी धोखाधड़ी को स्वीकार्यता दी,,,,एक शब्द में...