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लुटेरे राजनेता

लुटेरे राजनेता

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जिन्होंने अपने जीवन और कर्म द्वारा अनन्त काल तक के लिए यह मर्यादा स्थापित की कि एक मनुष्य को व्यक्ति रूप में,अपने सभी सम्बन्धों में,समाज देश और राजा रूप में कैसा होना चाहिए....उन राजा राम के राज्य में भी धोबी जैसी सोच वाले लोग रहते थे,,,,तो फिर सोचिए कि यदि राजा ही रावण जैसा,,अर्थात भ्रष्ट पापी अनाचारी अत्याचारी हो तो उसका अनुसरण करने वाली जनता कैसी होगी? चारा या सॉफ्टी बाबू का दोष केवल यह नहीं था कि व्यक्तिगत स्तर पर ये नष्ट भ्रष्ट थे और इन्होंने सत्ता का दुरुपयोग करते अपने ही प्रदेश को लूटा खसोटा बर्बाद कर दिया,अपने अनुयायियों को मूर्ख बनाया बल्कि इन्होंने जिस प्रकार की राजनीति, कार्यसंस्कृति की स्थापना की, लूट अपहरण गुण्डई दबंगई को शौर्य रूप में स्थापित किया, भ्रष्टाचार को जीवन शैली रूप में स्थापित कर उसे शिष्टाचार बना दिया,मुफ्तखोरी जालसाजी धोखाधड़ी को स्वीकार्यता दी,,,,एक शब्द में...
साभार….भारत का मुसलमान किस की ओर देखकर उछल रहा है ?

साभार….भारत का मुसलमान किस की ओर देखकर उछल रहा है ?

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मुसलमान कहीं भी युद्ध की स्थिति में है ही नहीं। क्योंकि टर्की, ईरान और पाकिस्तान मात्र तीन इस्लामिक देशों के पास ही पाँच लाख से अधिक स्ट्रेंथ की सेना है। बाकी किसी के पास कोई खास ताकत नहीं है। सऊदी अरब में १९७० में विद्रोहियों ने मक्का पर कब्जा कर लिया था । तब सऊदी अरब चाहकर भी कुछ नहीं कर पाया। मक्का को मुक्त कराने के लिए सऊदी अरब को अमेरिका की सहायता लेनी पड़ी। युद्ध के खर्चे के बदले में अमेरिका ने सऊदी अरब का तेल तो ले ही लिया। साथ ही सुरक्षा का भार भी हाथ में ले लिया। सऊदी अरब समेत किसी भी इस्लामिक देश के पास कोई खास एयरफोर्स नहीं है। किसी भी इस्लामिक देश के पास बहुत ताकतवर नेवी नहीं है। सऊदी अरब का एयरपोर्ट भी अमेरिका ने बनाया है। और सुरक्षा का सारा मामला अमेरिका ने अपने पास रखा हुआ है। ऐसे में इस्लाम का केंद्र बिंदु सऊदी अरब ही जब पूरी तरह आजाद नहीं है तो फिर मुसलमान कहाँ से आजा...
इतिहास को दोहराते राहुल गांधी

इतिहास को दोहराते राहुल गांधी

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इतिहास को दोहराते राहुल गांधी-बलबीर पुंज कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी द्वारा ब्रिटेन में दिए बयानों का कुल निचोड़ यह है— "भारत में लोकतंत्र समाप्त है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लोग भारतीय सत्ता-अधिष्ठान पर काबिज है। चुनाव आयोग से लेकर मीडिया, न्यायालय दवाब में है। देश में लोकतंत्र को बचाने हेतु अमेरिका और यूरोप को हस्तक्षेप करना होगा।" वास्तव में, इन वक्तव्यों में निहित चिंतन ही भारत की त्रासदी और उसके शताब्दियों तक आक्रांताओं के अधीन परतंत्र रहने का बड़ा कारण है। वर्ष 1707 में मुगलिया आक्रांता औरंगजेब के देहांत के बाद भारत में इस्लामी हुकूमत क्षीण होने लगी थी। तब कालांतर में शाह वलीउल्लाह ने अफगान शासक अब्दाली (दुर्रानी) को भारत पर आक्रमण हेतु बुलावा भेजा, क्योंकि वह छत्रपति शिवाजी द्वारा प्रतिपादित 'हिंदवी स्वराज्य' को समाप्त करके भारत में पुन: इस्लामी राज स्थापित ...
स्वाति मालीवाल का विवादास्पद बयान – रामेश्वर मिश्र पंकज 

स्वाति मालीवाल का विवादास्पद बयान – रामेश्वर मिश्र पंकज 

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स्वाति मालीवाल के बयान के पक्ष और विपक्ष दोनों में सक्रिय लोग मूलभूत बात को अनदेखा कर रहे हैं ।ऐसे सभी विषयों में मूलभूत बात जो है ,उस पर जाने क्यों शिक्षित हिंदुओं का बहुत बड़ा हिस्सा ध्यान ही नहीं दे रहा है ।बात यह है कि समाज की प्रतिनिधि घटनाएं और समाज का प्रतिनिधि मानस तथा समाज का प्रतिनिधि व्यवहार,किन किन चीजों को माना जाए? उसका अनुपात क्या है? उसके निकष क्या हैं?इस विषय पर हर क्षेत्र में मनमानी चलती है। पहले भारतवर्ष के कुछ इलाकों में कुछ समुदायों में स्त्रियां घूंघट करने लगी थी। जिस कारण से भी करती हों।तो लोग सीधे बयान देने लगे कि भारत की स्त्रियां घूंघट करती हैं।जबकि उस समय भी 80% हिंदुओं की स्त्रियां घूँघट नहीं  करती थी ।तो प्रश्न यह है कि 15 या 20% स्त्रियां सभी स्त्रियों की प्रतिनिधि किस आधार पर हो गईं,?इसी प्रकार डॉक्टर अंबेडकर के साथियों के साथ या कुछ समुदायों के ...
आगामी एक वर्ष में एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य : डॉ. मनमोहन वैद्य

आगामी एक वर्ष में एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य : डॉ. मनमोहन वैद्य

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--कोरोना काल के बाद से देश में बढ़ा है संघ का कार्य--स्वयंसेवकों ने कोरोना काल में की साढ़े पांच लाख लोगों की सेवा--109 स्थानों पर होंगे संघ के शिक्षा वर्ग, 20000 स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण लेने का अनुमानपानीपत, 12 मार्च। समालखा के पट्टीकल्याणा स्थित सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत माता के चित्र पर पुष्पार्पित कर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शुभारंभ किया। अ. भा. प्र. सभा में देशभर से 34 संगठनों के 1474 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। प्रतिनिधि सभा के शुभारंभ के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि 2025 में संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। वर्तमान में संघ 71355 स्थानों पर प्रत्यक्ष तौर पर कार्य कर समाज परिर्वतन के महत्वपूर्ण कार्य में अपनी भ...
इंटरनेट बंदी – आदेशों की समीक्षा ज़रूरी

इंटरनेट बंदी – आदेशों की समीक्षा ज़रूरी

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विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत, इंटरनेट बंद करने के मामले में भी सिरमौर हो गया है। यह लगातार 5 भारत लगातार ५ वाँ वर्ष है जब भारत इंटरनेट बंद करने के मामले में वैश्विक सूची में शीर्ष पर बना हुआ है।यह आकलन डिजिटल अधिकार संस्थान “एक्सेस नाउ” ने “कीप इट ऑन” के साथ गठजोड़ में जारी वार्षिक रिपोर्ट में किया है । इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में भारत में आधिकारिक तौर पर 84 बार इंटरनेट बंद किया गया। आँकड़े कहते हैं सन 2016 से अब तक दुनियाभर में इंटरनेट पर बंदी लगाने की जितनी घटनाओं का दस्तावेजीकरण हुआ उनमें से 58 प्रतिशत भारत से जुड़ी हैं। इंटरनेट पर पूरी बंदी के अलावा 2015 से 2022 के बीच भारतीय अधिकारियों ने 55 हजार से अधिक वेबसाइट को ब्लॉक किया। अकेले 2022 में ऐसी 6,700 वेबसाइट और प्लेटफार्म को ब्लॉक किया गया। इंटरनेट पर ऐसी पाबंदी और सेंसरशिप अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का हनन ह...
रकारी बजट पर ‘रेवड़ी कल्चर’ का साया खतरनाक

रकारी बजट पर ‘रेवड़ी कल्चर’ का साया खतरनाक

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-ललित गर्ग- सरकारों के बजट भी अब मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार बांटने, तोहफों, लुभावनी घोषणाएं एवं योजनाओं की बरसात करने का माध्यम बनते जा रहे हैं। बजट में भी ‘रेवड़ी कल्चर’ का स्पष्ट प्रचलन लगातार बढ़ रहा है, खासकर तब जब उन राज्यों में चुनाव नजदीक हों। ‘फ्रीबीज’ या मुफ्त उपहार न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में वोट बटोरने का हथियार हैं। यह एक राजनीतिक विसंगति एवं विडम्बना है जिसे कल्याणकारी योजना का नाम देकर सत्ताधारी पार्टी राजनीतिक लाभ की रोटियां सेंकती है।  यह तय करना कोई मुश्किल काम नहीं है कि कौनसी कल्याणकारी योजना है और कौनसी मुफ्तखोरी यानी ‘रेवड़ी कल्चर’ की, परंतु राजनीतिक मजबूरी इसे चुनौतीपूर्ण बना देती है। भारत जैसे विकासशील देश की विभिन्न राज्यों की सरकारें सरकारी बजट के माध्यम से आम-जनता को प्रभावित करने का हरसंभव प्रयास करती है। छत्तीसगढ़ सरकार का बजट इसका ...
राहुलः खुदी को कर बुलंद इतना कि

राहुलः खुदी को कर बुलंद इतना कि

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक राहुल गांधी का भाषण पहले केंब्रिज विश्वविद्यालय में हुआ, फिर ब्रिटिश संसद में हुआ और फिर लंदन के चेथम हाउस में हुआ। इन तीनों संस्थाओं में मैं पिछले 50-55 साल से जाता रहा हूं। मुझे आश्चर्य हुआ कि हमारे नेताओं में एक नेता इतना योग्य निकला कि इन विश्व-प्रसिद्ध संस्थाओं में भाषण देने के लिए उसे बुलाया गया। मेरा सीना गर्व से फूल गया। लेकिन सच यह है कि इन संस्थाओं के सभा-भवनों को कोई भी किराए पर बुक कर सकता है। राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं और सांसद हैं, इस नाते सरकार की आलोचना करने का उन्हें पूरा अधिकार है लेकिन यह काम बड़ी सावधानी से किया जाना चाहिए। ऐसी अतिवादी बातें नहीं कही जानी चाहिए जिनसे देश की छवि बिगड़ती हो, हालांकि भाजपा के प्रवक्ता जरूरत से ज्यादा परेशान मालूम पड़ते हैं। उन्हें क्या यह पता नहीं है कि विदेशी लोग राहुल की बातों को उतना महत्व भी नहीं देते, ...
भारत में फैल रहा एच3एन2 इन्फ्लूएंजा, क्या है संक्रमण से बचने के उपाय?

भारत में फैल रहा एच3एन2 इन्फ्लूएंजा, क्या है संक्रमण से बचने के उपाय?

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एच3एन2 इन्फ्लूएंजा तब फैलता है जब संक्रमित व्यक्ति दूसरे से बात करता है, खांसता है या छींकता है By Dayanidhi मौसम में अचानक आ रहे बदलाव और अत्यधिक ठंड से गर्म तापमान में बदलाव के कारण लोगों में फ्लू के लक्षण अधिक दिखाई दे रहे हैं। जहां मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है, वहीं एक नया वायरस एच3एन2 पूरे भारत में फैल रहा है। एच3एन2 वायरस चिंता का कारण बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि एच3एन2 इन्फ्लूएंजा अत्यधिक संक्रामक है। क्या है एच 3 एन 2 इन्फ्लुएंजा? सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक 2009 के एच1एन1 महामारी वायरस से मैट्रिक्स (एम) जीन के साथ इन्फ्लुएंजा ए एच3एन2 वेरिएंट वायरस जिसे "एच3एन2वी" वायरस के रूप में भी जाना जाता है, यह पहली बार जुलाई 2011 में लोगों में पाए गए थे। वायरस को पहली बार 2010 में अमेरिका में  सूअरों में पहचान की गई थी। 20...
प्रो कुसुमलता केडिया जी महिला दिवस पर कस्तूरी संस्था में बोलते हुए:-

प्रो कुसुमलता केडिया जी महिला दिवस पर कस्तूरी संस्था में बोलते हुए:-

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कथित रेनेसां और enlightenment के बाद भी यूरोप में स्त्रियों पर भीषण अत्याचार जारी रहे थे क्योंकि चर्च के मनोरोगी पादरियों ने स्त्री को eve और evil प्रचारित कर दिया था।चर्च के नियंत्रण में ईसाई स्त्रियों को तरह तरह के झूठे अभियोग लगाकर भयंकर रूप से उत्पीड़ित किया जाता था:- जिंदा जला देना, खौलते कढ़ाह में उबालना, घोड़े की पूंछ में बांधकर पथरीली कटीली सड़कों में दौड़ाना ताकि वह लहूलुहान हो जाए, कांटेदार कुर्सी में बैठा कर मारना ,योनि में एक पीड़ादायक यंत्र डालकर उसे  इस प्रकार चौड़ा करते जाना कि भीषण पीड़ा हो और खून निकलने लगे,या  गले में कांटेदार यंत्र फंसा कर मुंह खोलना जिससे गला फट जाए और मरने की स्थिति आ जाए, ऐसे बर्बर पैशाचिक उपाय पादरियों  के द्वारा अपने अपने राज्यों की सहमति से किए जाते थे और जिन्हें यह दण्ड  दिया जाता था ,उनके ही परिवार से दंड देने का खर्चा वस...