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पिछली सरकार के पाप धोने में वर्तमान सरकार

पिछली सरकार के पाप धोने में वर्तमान सरकार

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येस बैंक के शुरू हुए अभी 16-17 साल ही हुए है। राणा कपूर और अशोक कपूर दोनों ने मिलकर 2003 में येस बैंक शुरू किया था. और देखते-देखते भारत का चौथा सबसे बड़ा निजी बैंक बन गया। UPI लेन-देन में येस बैंक की सबसे अधिक हिस्सेदारी रही है...करीब चालीस प्रतिशत। बैंक 2003 में शुरू हुआ और सही तरीकों से आगे बढ़ने लगा। 2008 का मुंबई आतंकी हमला इस बैंक के लिये भी झटका साबित हुआ। उस हमले में अशोक कपूर भी मारे गये और यहीं से गोरखधंधे की शुरुआत हो गयी। अशोक कपूर के मरने के बाद बैंक पर नियंत्रण को लेकर उनकी पत्नी और भाई राणा कपूर में खींचतान शुरू हुई।  उच्चतम न्यायालय के फैसले से राणा कपूर को बैंक पर नियंत्रण मिल गया। राणा कपूर के नेतृत्व में येस बैंक ने हर उस उद्यमी और कंपनी को कर्ज देना शुरू कर दिया, जिन्हें अन्य बैंक खराब क्रेडिट के कारण मना कर चुके थे। राणा कपूर इस तरह के कर्जों को बैलेंस शीट से छुप...
अमेरिका—तालिबान समझौते से उपजे नए सवाल

अमेरिका—तालिबान समझौते से उपजे नए सवाल

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क़तर की राजधानी दोहा में तालिबान के साथ अमेरिका ने जो समझौता किया है, यदि वह सफल हो जाए तो उसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति का सुखद आश्चर्य माना जाएगा। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि यदि तालिबान ने इस समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया तो अफगानिस्तान में इतनी अमेरिकी फौजें भेज दी जाएंगी कि जितने पहले कभी नहीं भेजी गई हैं। बेचारे ट्रंप को क्या पता कि पिछले 200 साल में ब्रिटिश साम्राज्य और सोवियत रुस अफगानिस्तान में कई बार अपने घुटने तुड़ाकर सबक सीख चुके हैं, फिर भी उनके प्रतिनिधि जलमई खलीलजाद को बधाई देनी होगी कि वे अमेरिका के जानी दुश्मन अफगान तालिबान को समझौते की मेज तक खींच लाए। यह समझौता अभी सिर्फ अमेरिका और तालिबान के बीच हुआ है, अफगान सरकार और तालिबान के बीच नहीं। अफगान सरकार और तालिबान के बीच वार्ता शुरु होगी 10 मार्च को लेकिन भोजन के पहले ग्रास में ही मक्खी पड़ गई है। अफ...
मुसलमान भाइयों-बहनों को झूठ और अफवाहों से बचाने के लिए आगे आएं हिन्दू भाई-बहन

मुसलमान भाइयों-बहनों को झूठ और अफवाहों से बचाने के लिए आगे आएं हिन्दू भाई-बहन

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दिल्ली में दंगों की आग बुझ चुकी है, लेकिन चिंता की बात यह है कि देश के अनेक हिस्सों में मुसलमान भाइयों-बहनों के बीच अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि दिल्ली में गुजरात दंगों जैसा कोई मॉडल आजमाया गया है। मकसद साफ है कि अन्य जगहों पर भी उन्हें दंगे करने के लिए उकसाया जा सके। देखा जाए तो यह उनकी पूरी की पूरी कम्युनिटी को दंगाई बनाने की साज़िश है, जिससे उन्हें सावधान रहना होगा। जहां तक दिल्ली दंगों का सवाल है, मुसलमान भाइयों-बहनों को यह समझना होगा कि शातिर सियासतदानों ने उनके कंधों पर बन्दूकें रखकर 40 से ज़्यादा बेगुनाह लोगों को मरवा दिया, जिनमें दोनों समुदायों के अभागे लोग शामिल हैं। इन दंगों की तैयारी शाहीन बाग की स्थापना के साथ ही शुरू हो गई थी और मास्टरमाइंड सियासी दलों ने इसके लिए रेडिकल इस्लामिक एलिमेंट्स को इस्तेमाल किया। आइए, कुछ तथ्यों से आप समझ जाएंगे कि इन दंगों के पीछे रेडिकल हिं...
नई ऊंचाइयों पर भारत अमेरिका सम्बंध

नई ऊंचाइयों पर भारत अमेरिका सम्बंध

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे क्षेत्र को कवर करते हुए व्यापक वार्ता की, जिसमें रक्षा, सुरक्षा और व्यापार और निवेश के प्रमुख क्षेत्र शामिल रहे। इस द्विपक्षीय वार्ता के बाद पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-अमेरिका का साझा बयान जारी किया, जिसमें बताया गया कि भारत-अमेरिका के बीच 3 अरब डॉलर के एक बड़े रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। पीएम मोदी ने बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर सहमति बनाने के लिए बातचीत होगी। वहीं, साझा बयान से पहले मीडिया के समक्ष वार्ता में अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति का स्वागत किया और उन्हें भारत यात्रा के लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद दिया। इसके जवाब में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि भारत में पिछले दो दिन अद्भुत थे, विशेषकर अहमदाबाद के मोटेरा स्ट...
दंगा करने वाले और कराने वाले अब इस देश को ब्लैकमेल नहीं कर सकते!

दंगा करने वाले और कराने वाले अब इस देश को ब्लैकमेल नहीं कर सकते!

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जब भी कोई दंगा होता है, मानवता कराहती है, समाज नंगा होता है। लेकिन ये दंगा होता क्यों है? क्योंकि दंगे के कारणों की हम कभी भी निष्पक्षता से समीक्षा नहीं करते। सबकी अपनी-अपनी राजनीति है और लोगों को इंसानी लाशों पर भी राजनीति की रोटियां सेंकने से गुरेज नहीं है। दिल्ली का यह दंगा अवश्यम्भावी था- इस आशंका से मेरा मन लगातार कांप रहा था, लेकिन मुंह से यह अशुभ निकालने से बचता रहा। परंतु अन्य सभी तरीकों से लिखकर लोगों को आगाह करने की कोशिश की। कभी प्यार से समझाकर, कभी नाराज़गी प्रकट करके। लोगों ने नहीं समझा, तो तीखा भी बोलना पड़ा। अब अंततः दंगा हो चुका है तो कुछ लोगों के कलेजे को ठंडक पड़ गई होगी। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल, डी राजा, असदुद्दीन ओवैसी और देश भर में इनके तमाम सहयोगी दलों और उनके तमाम नेताओं को बधाई, क्योंकि इनके मकसद का पहला चरण पूरा हुआ। ...
अखंड भारत

अखंड भारत

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जानिए हिन्दू और हिंदुस्तान के महान इतिहास को। चीन की सभ्यता 5000 साल पुरानी मानी जाती है, लगभग महाभारत काल का समय, तो चीन का उल्लेख महाभारत में क्यों नहीं है? महाभारत काल में भारतीयों का विदेशों से संपर्क, प्रमाण जानकर चौंक जाएंगे। युद्ध तिथि : महाभारत का युद्ध और महाभारत ग्रंथ की रचना का काल अलग अलग रहा है। इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने की जरूरत नहीं। यह सभी ओर से स्थापित सत्य है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व को हुआ हुआ। भारतीय खगोल वैज्ञानिक आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईसा पूर्व में हुआ और कलियुग का आरम्भ कृष्ण के निधन के 35 वर्ष पश्चात हुआ। महाभारत काल वह काल है जब सिंधुघाटी की सभ्यता अपने चरम पर थी। विद्वानों का मानना है कि महाभारत में वर्णित सूर्य और चंद्रग्रहण के अध्ययन से पता चलता...
नागरिकता संशोधन का तर्कहीन विरोध

नागरिकता संशोधन का तर्कहीन विरोध

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नागरिकता कानून में संशोधन को लेकर देश में एक राजनीतिक विरोध का माहौल पैदा कर दिया गया है। भारत में नागरिकता कानून 1955 में लागू किया गया था जिसमें धारा-2(बी) के अन्तर्गत ‘अवैध प्रवासी’ शब्द की परिभाषा इन शब्दों में दी गई है - ‘‘वह विदेशी जो पासपोर्ट या अन्य आवश्यक यात्रा दस्तावेजों आदि के बिना भारत में प्रवेश करता है। इसके साथ-साथ वह विदेशी जो बेशक ऐसे वैध कानूनी दस्तावेजों के साथ भारत में प्रवेश करे परन्तु निर्धारित समय सीमा के बाद भी भारत में ही रहता रहे।’’ इसी प्रकार नागरिकता कानून की धारा-3 जन्म पर आधारित नागरिकता को भी परिभाषित करती है। नागरिकता का विस्तार वर्ष 2004 के नागरिकता संशोधन कानून के द्वारा भी किया गया था। इसी प्रकार वर्ष 1985, 1992 तथा 2005 में भी नागरिकता कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन किये गये थे। केन्द्र में श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मई, 2014 में सरकार का ग...
हिन्दू उत्कर्ष

हिन्दू उत्कर्ष

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  हिन्दू कोई धर्म नहीं है बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप की एक जीवन शैली है। इस भूभाग में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है। इनमें कुछ सनातन धर्म को मानते हैं तो कुछ अन्य धर्मों को, जिन्हें भारत में अल्पसंख्यक कहा जाता है। इस भूभाग में रहने वाले सभी लोगों के पूर्वज हिन्दू सनातनी ही रहे हैं। विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण और उनके शासन के कारण कुछ ने इस्लाम धर्म अपना लिया तो कुछ ने ईसाइयत को स्वीकार कर लिया। पर सभ्यता और संस्कृति के आधार पर सब हिन्दू ही कहे जाएंगे। इसलिए जब भारत के हिन्दू राष्ट्र की बात की जाती है तब इसमें सभी धर्मों के वे सभी लोग शामिल हो जाते हैं जिनके पूर्वज हिन्दू रहे हैं। वामपंथी इतिहासकारों ने अब तक इतिहास को अपने हिसाब से काफी तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया है। भारत को बांटने के क्रम में इन्होंने अंबेडकर के उन लेखों को तो प्रोत्साहित किया जिसमें उन्होंने हिन्दू धर्म की कमियां ...
There may be no Hindus left in Bangladesh in 30 years

There may be no Hindus left in Bangladesh in 30 years

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
9 In 2001, following the electoral victory of BNP led by Khaleda Zia, her supporters unleashed a systematic campaign of violence against Hindus for about 150 days.   The tragic tale of the Hindus of East Bengal (which later became East Pakistan and is now Bangladesh) must start with the Noakhali genocide, for it was a prelude to what would unravel in the years to come. In 1946, Noakhali district in south eastern Bangladesh, was the scene of a gruesome carnage which the historian Yasmin Khan described as being defined by “clear strategic organization (roads in and out of the almost inaccessible region were cordoned off)” (The Great Partition: The Making of India and Pakistan. Yale University Press, 2008); at least 5,000 Hindus were massa...
कैसे कोई कंपनी  छूने लगती हैं बुलंदियों को

कैसे कोई कंपनी  छूने लगती हैं बुलंदियों को

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निश्चित रूप से हम सबने देश की कॉरपोरेट संसार की प्रमुख कंपनियों जैसे रिलायंस, टाटा, बिड़ला, विप्रो, एचसीएल वगैरह के नाम सुने हैं। पर जरा बताइये कि हमसे कितने लोगों ने क्वैस कोर्प का नाम सुना है?  माफकीजिए कि क्वैस कोर्प के नाम और काम से बहुत कम लोग परिचित  हैं। पर यह असाधारण कंपनी के रूप में उभरी है। इसने तमाम बड़ी स्थापित कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। यहां पर बात मुनाफे की नहीं हो रही है।बात हो रही है  कि देश में किस कंपनी के पास सर्वाधिक मुलाजिम है। क्वैस मुलाजिमों की संख्या के स्तर पर निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी के रूप में उभरी है। अब तो आप मानेंगे कि यह कोई सामान्य कंपनी नहींहै। फिलहाल इसके देश भर में 3 लाख 85 हज़ार कर्मी हैं। यह कोई  छोटा आंकड़ा तो नहीं है। दरअसल क्वैस निजी क्षेत्र की एमेजन से लेकर स्वैगी जैसी तमाम कंपनियों को उनके उपयुक्त कर्मचारी उपलब्ध कराती है। येकर्मी विभिन्न...