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गूंजेगी किलकारी: लाइलाज नहीं है बांझपन 

गूंजेगी किलकारी: लाइलाज नहीं है बांझपन 

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किसी महिला के लिए सृष्टि की सबसे बड़ी नियामत है, उसका मां बनना। अगर किसी भी कारणवश ऐसा नहीं होता है तो उसे बांझ की संज्ञा दे दी जाती है। ऐसे ही महिलाओं की समस्याओं ने आईवीएफ की तकनीक का विकास कराया। आज देश में कृत्रिम विधि से संतान प्राप्ति की कई तकनीकें हैं। बांझपन या इनफर्टिलिटी की समस्या आज एक आम बात हो गई है। दिनों-दिन बढ़ती जा रही इस समस्या से ग्रस्त लोगों के तनाव को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों की कोशिशों ने काफी सफलता प्राप्त की है। विश्व के प्रथम परखनली शिशु ‘लुईस ब्राउन’ का जन्म 28 जुलाई, 1978 को हुआ। फिर तो इस तकनीक ने विश्व में हजारों लोगों के जीवन में खुशियां फैला दी हैं इन परखनली शिशुओं ने। प्रायः बांझपन के कारण विवाहित जीवन कई प्रकार के दुःखों से भर जाता है और यहां भी स्त्री को तिरस्कार और तनाव का सामना करना पड़ता है। यहां यह प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आखिर एक औरत कब औ...
पाकिस्तान की हकीकत बयान करता जोगेंद्र नाथ मंडल का त्यागपत्र

पाकिस्तान की हकीकत बयान करता जोगेंद्र नाथ मंडल का त्यागपत्र

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नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने से पहले राहुल, अखिलेश, ममता व केजरीवाल को जोगेंद्र नाथ मंडल का त्यागपत्र पढऩा चाहिए सुबह से शाम तक अल्पसंख्यक की माला जपने वाले राहुल गांधी पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का विरोध कर रहे हैं। सुबह से शाम तक दलित-पिछड़ों की बात करने वाले अखिलेश यादव भी शरणार्थियों की नागरिकता का विरोध कर रहे हैं जबकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये 70 प्रतिशत शरणार्थी दलित और पिछड़े हिंदू हैं। सुबह से शाम तक गरीबों की बात करने वाले केजरीवाल भी शरणार्थियों को नागरिकता देने के खिलाफ हैं जबकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये 80 प्रतिशत शरणार्थी अत्यधिक गरीब हैं। इसीलिए राहुल गांधी, अखिलेश यादव व अरविंद केजरीवाल से आग्रह है कि एक बार पाकिस्तान के प्रथम कानून मंत्री जोगेंद्र नाथ मंडल का त्यागपत्र जरूर पढ़ें। सत...
शाहीन बाग ‘धरना जिहाद’

शाहीन बाग ‘धरना जिहाद’

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दिल्ली में यमुना के साथ-साथ बसी अवैध कालोनी शाहीन बाग पिछले एक माह (15.1.2020) से निरंतर चर्चा में बनी हुई है। यहां पर केंद्र सरकार द्वारा विधिवत पारित 'नागरिकता संशोधन अधिनियम’ के विरोध में मिथ्या प्रचार करके कुछ असामाजिक तत्वों का साथ लेकर विरोधी पक्ष के नेता व सेकुलर बुद्धिजीवी धरना-प्रदर्शन करवा कर देश में शांति व्यवस्था व साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाडऩे का कुप्रयास कर रहे हैं। प्राप्त सूत्रों के अनुसार यह अवैध कालोनी 'शाहीन बाग’ मुख्यत: मुस्लिम बहुल कालोनी है। निस्सन्देह अगर सघन जांच की जाए तो यहां बांग्लादेशी, पाकिस्तानी, अफगानी व म्यांमार के मुस्लिम घुसपैठियों की अधिक संख्या होगी। यह संशोधित कानून ऐसे अवैध नागरिकों व घुसपैठियों को भी सबसे अधिक प्रभावित करेगा। यहां एक विशेष ध्यान देना होगा कि हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र व प्रदेश सरकार को बार-बार यह निर्देश दिए हैं कि ऐसे घुसप...
अब आएंगी नौकरियों की बहार

अब आएंगी नौकरियों की बहार

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निश्चित रूप से मोदी सरकार के साल 2020-21 के आम बजट की गहन समीक्षा करने के बाद कोई भी तटस्थ अर्थशास्त्री भी मानेगा कि इस बजट का मोटा-मोटी फोकस देश में ज्यादा से ज्यादा नौकरियों को सृजित करने पर रहा है। यह समय की मांग भी थी। सारे देश को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से पूरी उम्मीद भी यही थी कि  उनके बजट प्रस्तावों में नौकरियों को सृजित करने वाली योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सीतारमण के बजट प्रस्तावों से शिक्षा, इंफ्रॉस्ट्रक्चर,  स्वास्थ्य, पर्यटन आदि क्षेत्रों में लाखों नौकरियां आएंगी। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा भी कि  अब शिक्षा और नर्सिंग के क्षेत्र में सबसे ज्यादा नौकरियां आएंगी। इसमें कोई शक नहीं है कि हेल्थ सेक्टर लाखों लोगों को रोजगार दे रहा है। इसमें अब नौजवानों के लिए रोजगार के लाखों अवसर और पैदा होना बेहद सुखद है। उनके  बजट भाषण में रोजगार शब्द का 13 बार जिक्र हुआ। साफ है कि म...
गंगा की चिंता कीजिए

गंगा की चिंता कीजिए

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23 वर्षीया साध्वी पद्मावती को 20 घंटे बाद दून अस्पताल द्वारा पूरी तरह स्वस्थ घोषित किए जाने पर प्रशासन को आखिर उनको सम्मान वापस मातृ सदन, हरिद्वार लाना पड़ा। उनको बृहस्पतिवार की रात्रि 11:00 बजे उत्तराखंड प्रशासन-पुलिस द्वारा मातृसदन आश्रम, हरिद्वार से उठाया गया था। एक युवती सन्यासी जो अपने आश्रम में 15 दिसंबर से गंगा के अविरल निर्मल प्रवाह व  अन्य मांगों को लेकर तपस्यारत हो उसको रात्रि 11:00 बजे, उसके आश्रम में जबरन घुसकर जबरदस्ती स्ट्रेचर पर ले जाने की कोशिश और बहुत प्रतिरोध के बाद फिर उसको उठाकर पुलिस एंबुलेंस में ले जाना क्या कानूनी रूप से सही है ? वीडियो https://youtu.be/-aaOAKNE4qM में साफ दिखता है कि उनका स्वास्थ बिल्कुल सही था। वह काफी तेज स्वर में बोल भी रही है और पुलिस के साथ पूरे तर्क कर रही है। जिनका पुलिस कोई जवाब नहीं देती। बस उनको उठाकर ले गई। माटू जनसंगठन इसकी घोर ...
कॅरिअर काउंसलिंग क्यों आवश्यक है ?

कॅरिअर काउंसलिंग क्यों आवश्यक है ?

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कॅरिअर काउंसलिंग ;छात्र मार्गदर्शनद्ध आज के समय में बहुत उपयोगी हो गई है। 10वीं करते समय बहुत से स्टूडेंट कन्फ्यूज होते हैं। वह समझ नहीं पाते कि भविष्य में किस विषय की पढ़ाई करे। आर्ट्स विषयों से पढ़े या विज्ञान विषयों से। काॅमर्स विषय से अध्ययन करें या कोई विशेष ट्र्ेनिंग, डिग्री, डिप्लोमा करें। बहुत बार देखा गया है कि मां-बाप अपनी इच्छाओं को बच्चों पर थोपते हैं। वे बच्चों को कुछ और बनना चाहते है, जबकि बच्चे कुछ और बनना चाहते है। इन सारी चीजों को लेकर एक भारी कंफ्यूजन की स्थिति बन जाती है। इस कंफ्यूजयन को दूर करने के लिए कॅरिअर काउंसलिंग आजकल होने लगी है जिसमंे छात्रों की रूचि और योग्यता के अनुसार काउंसलर उन्हें सही कोर्स के बारे में बताता है। यह भी बताता है कि कौन सा कोर्स किस बच्चे के लिए अच्छा होगा। कॅरिअर काउंसलिंग का महत्व: सही स्ट्र्ीम चुनने को मौका मिलता है : काउंसलिंग कराने ...
बसन्त पंचमी  ‘‘या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता’’

बसन्त पंचमी ‘‘या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता’’

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भारत त्योहारों का देश है। इसी श्रृंखला में बसंत पंचमी अथवा श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विशेष रूप से विद्या की देवी सरस्वतीजी की पूजा की जाने की भारतीय संस्कृति की परम्परा है। इस दिन महिलायें पीले वस्त्र धारण करती हैं। यह त्योहार भारत की ही नहीं अपितु पश्चिमोŸार बांगलादेश, नेपाल आदि देशों में बड़ी श्रद्धा-आस्था से मनाने की परम्परा है। भारत तथा नेपाल में वर्षभर को छः ऋतुओं में विभाजित किया गया है उनमें बसंत अधिकांश लोगों का सबसे प्रिय मौसम है। बसंत में चारो तरफ फूलों की बहार देखने का अवसर होता है, खेतों में पीली-पीली सरसों का सोना बरसने-चमकने लगता है, जौ एवं गेहूँ की बालियाँ पूरे यौवन पर रहती है। आमों के पेड़ों पर बौर दिखाई देने लगते हैं तो दूसरी तरफ रंग बिरंगी तितलियाँ फूलों पर अठखेलियाँ करती दृष्टिगोचर होने लगती हैं। बसंत पंचमी माघ महिने के शुक्ल पक्ष के पाँचवें दिवस मनाई जाती ...
पीएच संतुलन क्या है और इसे कैसे पाएं

पीएच संतुलन क्या है और इसे कैसे पाएं

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शरीर के आंतरिक द्रवों का पीएच स्तर हमारी प्रत्येक जीवित कोशिका को प्रभावित करता है। जब पीएच लेवल असंतुलित हो जाता है, हमारे शरीर का प्रत्येक क्षेत्र नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है, जिसके परिणामस्वरूप कैंसर, हृदय रोग, मोटापा, एलर्जीस, थकान और समय पूर्व बुढ़ापा आने जैसी समस्याएं हो जाती हैं, इसके साथ ही तंत्रिकाओं और मांसपेशियों की सामान्य कार्यप्रणाली भी प्रभावित होती है। आधुनिक जीवनशैली और खानपान की आदतों ने पीएच संतुलन को वार्निंग जोन में पहुंचा दिया है। पीएच संतुलन क्या है? हमारा शरीर एसिड-अल्कलाइन का एक नाजुक संतुलन बनाए रखता है, इसे ही पीएच संतुलन कहते हैं। पीएच का अर्थ होता है (पोटेंशियल हाइड्रोजन), जो किसी भी सोल्युशन (घोल) में हाइड्रोजन आयन की माप है। मानव शरीर के लिए सोल्युशन का अर्थ होता है, शरीर के फ्ल्यूड्स और उत्तक। हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका पीएच के स्तर से प्रभावित हो...
कूल्हों की अर्थराइटिस अब युवाओं में भी सामान्य

कूल्हों की अर्थराइटिस अब युवाओं में भी सामान्य

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अर्थराइटिस के कारण कूल्हे में दर्द होना सामान्य समस्या है, जो न केवल बड़ी उम्र के लोगों में देखी जाती है, बल्कि युवाओं में भी देखी जाती है, विशेषरूप से महिलाओं में जो 40-50 आयुवर्ग की होती हैं। अर्थराइटिस एक लगातार गंभीर होती स्वास्थ्य समस्या है, जो सामान्यतौर पर धीरे-धीरे शुरू होती है और समय बीतने से साथ गंभीर हो जाती है। इससे पीडि़त लोगों को अक्सर चलने में समस्या आती है, कुल्हे में अकडऩ या हल्के से लेकर तेज दर्द होता है। अगर सामान्य शब्दों में इसे समझाने का प्रयास करें तो, अर्थराइटिस तब होता है जब कुल्हे के जोड़ का स्थान संकरा हो जाता है और जो मुलायम ऊतक उसे घेरे हुए होते हैं वो सिकुडऩे लगते हैं और कड़े हो जाते हैं। यह स्थिति समय के साथ जोड़ों की टूट-फूट या कड़ी ट्रेनिंग के कारण मोटापा या अनुवांशिक कारण और कुछ अन्य कारणों से उत्पन्न होती है। अगर हम अपने कूल्हे के जोड़ की संरचना क...
Why I am vary of Politicians

Why I am vary of Politicians

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When Modi/ BJP government won the popular mandate in 2014, the opposition did not accept their defeat lightly. Neither did those intellectuals who enjoyed acche din under Congress. Having lost at the hustings, the strategy of Congress, turned to one of disruption of legislative work by BJP. Parliamentary proceedings were disrupted on ridiculous grounds with shouting and screaming to prevent any one’s voice being heard. If bills were pushed through, despite the din in LS, there was RS to block the progress and frustrate the BJP government. All this drama was enacted daily in camera, to impress its followers,  with the majority of citizens as mute spectators, wondering if law makers are elected to play silly personal games or are they elected to ensure that legislation is properly scrutinise...