गूंजेगी किलकारी: लाइलाज नहीं है बांझपन
किसी महिला के लिए सृष्टि की सबसे बड़ी नियामत है, उसका मां बनना। अगर किसी भी कारणवश ऐसा नहीं होता है तो उसे बांझ की संज्ञा दे दी जाती है। ऐसे ही महिलाओं की समस्याओं ने आईवीएफ की तकनीक का विकास कराया। आज देश में कृत्रिम विधि से संतान प्राप्ति की कई तकनीकें हैं।
बांझपन या इनफर्टिलिटी की समस्या आज एक आम बात हो गई है। दिनों-दिन बढ़ती जा रही इस समस्या से ग्रस्त लोगों के तनाव को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों की कोशिशों ने काफी सफलता प्राप्त की है। विश्व के प्रथम परखनली शिशु ‘लुईस ब्राउन’ का जन्म 28 जुलाई, 1978 को हुआ। फिर तो इस तकनीक ने विश्व में हजारों लोगों के जीवन में खुशियां फैला दी हैं इन परखनली शिशुओं ने। प्रायः बांझपन के कारण विवाहित जीवन कई प्रकार के दुःखों से भर जाता है और यहां भी स्त्री को तिरस्कार और तनाव का सामना करना पड़ता है।
यहां यह प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आखिर एक औरत कब औ...