कितनी कारगर होगी नई शिक्षा नीति?
डॉ. प्रमोद कुमार
नई शिक्षा नीति के मसौदे में प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालयीन शिक्षा तक कईं बड़े बदलाव के प्रस्ताव हैं। इससे स्वतंत्रता के बाद पहली बार देश की शिक्षा व्यवस्था के भारतीय पटरी पर लौटने की उम्मीद जगी है। परन्तु कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति चाहिए। यह सवाल इसलिए लाजिमी है क्योंकि इससे पूर्व भी कई बार अनेक शिक्षा आयोग एवं समितियां बनीं, परन्तु उनकी सिफारिशें लागू नहीं हो पायीं। देशवासियों को उम्मीद है कि प्रचंड जनादेश प्राप्त मोदी सरकार इस मोर्चे पर दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाएगी।
स्वतंत्रता के बाद देश में जितनी उपेक्षा शिक्षा की हुई उतनी संभवत: किसी अन्य क्षेत्र की नहीं हुई। परिणामस्वरूप आज न तो देशभर में एक समान पाठ्यक्रम लागू है, न इतिहास की समग्र जानकारी बच्चों को दी जाती है, न नई पीढ़ी को देश की समृद्ध एवं गौरवशाली सांस...