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‘हृदय’ को हृदयाघात

‘हृदय’ को हृदयाघात

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मोदी जी ने ‘हृदय योजना’ इसलिए शुरू की थी कि हेरिटेज सिटी में डिजाइन की एकरूपता बनी रहे। ये न हो (जो होता आया है), कि उस शहर में आने वाला हर नया नेता और नया अफसर अपनी मर्जी से कोई भी डिजाइन थोपकर शहर को चूं-चूं का मुरब्बा बनाता रहे, जैसा मथुरा-वृन्दावन सहित आजतक देश के ऐतिहासिक शहरों में होता रहा है। यह एक अभूतपूर्व सोच थी, जो अगर सफल हो जाती, तो मोदी जी को ऐतिहासिक शहरों की संस्कृतिक बचाने का भारी यश मिलता। पर दशकों से कमीशन खाने के आदी नेता और अफसरों ने इस योजना को विफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी क्योंकि उन्हें डर था कि अगर ये योजना सफल हो गई, तो फर्जी नक्शे बनाकर, फर्जी प्रोजेक्ट पास कराने और माल खाने का रास्ता बंद हो जाऐगा। चूंकि मथुरा-वृंदावन में ‘हृदय’ के ‘सिटी एंकर’ के रूप में भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने ‘द ब्रज फाउंडेशन’ को चुना था। इसलिए उसी अनुभव को यहां साझा करूंगा। दु...
राजस्थान का अनुपम व्याख्यान

राजस्थान का अनुपम व्याख्यान

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एक रिपोर्ट : द्वितीय अनुपम स्मृति (19 दिसम्बर, 2018) कथाओं को खंगालने का वक्त लेखक: अरुण तिवारी   ''दबे पांव उजाला आ रहा है। फिर कथाओं को खंगाला जा रहा है। धुंध से चेहरा निकलता दिख रहा है कौन क्षितिजों पर सवेरा लिख रहा  है।''   ये शब्द, अंश हैं कानपुर में जन्मे यशस्वी कवि यश मालवीय की एक कविता के। तिथि थी, 19 दिसम्बर, 2018। अवसर था, हरित स्वराज संवाद द्वारा आयोजित द्वितीय अनुपम स्मृति का। इन शब्दों का उल्लेख कर रही थीं श्रीमती रागिनी नायक। रागिनी नायक यानी अनुपम फूफा जी की भतीजी, जनसत्ता और सहारा समय जैसे अखबारों में संपादन दायित्व निभा चुके...सकारात्मक पत्रकारिता के पैरोकार श्री मनोहर नायक की पुत्री और कांग्रेस की प्रवक्ता।   रागिनी जी, श्री अनुपम मिश्र जी का परिचय परोस रही थीं। चंद लम्हे, चंद जज्बात और चंद आंसुओं में वह वो सब बयां कर रही थीं, जो कुछ उन्होने अनुपम जी के पारिवार...
सांसदों व नेताओं से 10 सवाल

सांसदों व नेताओं से 10 सवाल

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माननीय सांसद जी, नमस्ते ! ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में भारत कभी भी शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं हो पाया! यदि पिछले 20 साल की रैंकिंग देखें तो 1998 में हम 66वें स्थान पर, 1999 में 72वें स्थान पर, 2000 में 69वें स्थान पर, 2001 और 2002 में 71वें स्थान पर, 2003 में 83वें स्थान पर, 2004 में 90वें स्थान पर, 2005 में 88वें स्थान पर, 2006 में 70वें स्थान पर, 2007 में 72वें स्थान पर, 2008 में 85वें स्थान पर, 2009 में 84वें स्थान पर, 2010 में 87वें स्थान पर, 2011 में 95वें स्थान पर, 2012 में 94वें स्थान पर, 2013 में 87वें स्थान पर, 2014 में 85वें स्थान पर, 2015 में 76वें स्थान पर, 2016 में 79वें स्थान पर और 2017 में 81वें स्थान पर थे! इससे स्पस्ट है कि जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आयी है ! इस वर्ष ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, साक्षरता दर ...
Jammu & Kashmir  Economic Growth is Road to Peace

Jammu & Kashmir Economic Growth is Road to Peace

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South Kashmir again witnessed violence and firing on December 15 during army operation against terrorists. In the operation, three terrorists were killed. The unfortunate part of encounter was death of 7 civilians not because the armed forces fired at them indiscriminately but firing was resorted to in self defence as the civilians attacked the armed forces protesting and defending the terrorists. There was hue and cry over death of a young man in the firing because the victim was an MBA graduate. Bullets don’t recognize qualified or illiterate persons in mob violence. It is a matter of sorrow indeed that many civilians lost their life during encounter with terrorists. Knowing that when encounter is in progress there is firing from the terrorists and the armed forces during the operation ...
क़र्ज़ माफ़ी सत्ता की चाबी

क़र्ज़ माफ़ी सत्ता की चाबी

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तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजों के परिणामस्वरूप कांग्रेस की सरकार क्या बनी, न सिर्फ एक मृतप्राय अवस्था में पहुंच चुकी पार्टी को संजीवनी मिल गई, बल्कि भविष्य की जीत का मंत्र भी मिल गया। जी हाँ, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने इरादे स्पष्ट कर चुके हैं कि किसानों की कर्जमाफी के रूप में उन्हें जो सत्ता की चाबी हाथ लगी है उसे वो किसी भी कीमत पर अब छोड़ने को तैयार नहीं हैं। दो राज्यों के मुख्यमंत्रियो ने शपथ लेने के कुछ घंटों के भीतर ही चुनावों के दौरान कांग्रेस की सरकार बनते ही किसानों के कर्जमाफ करने के राहुल गांधी के वादे को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। एक प्रकार से कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 2019 के चुनावी रण में उसका हथियार बदलने वाला नहीं है। लेकिन साथ ही कांग्रेस को अन्दर ही अंदर यह भी एहसास है कि इसका क्रियान्वयन आसान नहीं है। क्योंकि वो इतनी नासमझ भी नहीं है कि ...
जनसँख्या नियंत्रण कानून को लेकर सांसदों को पत्र

जनसँख्या नियंत्रण कानून को लेकर सांसदों को पत्र

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माननीय सांसद जी, नमस्ते ! वर्तमान समय में लगभग 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं! इससे स्पस्ट है कि हमारे देश की कुल जनसँख्या 125 या 130 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 152 करोड़ है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं ! यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2% है, पीने योग्य पानी मात्र 4% है और जनसँख्या दुनिया की 20% है! यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसँख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है ! चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं! जल जंगल और जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा और मकान की समस्या, गरीबी और बेरोजगारी की समस्या, भुखमरी और कुपोषण की स...
कलह-क्लेश करोगे तो नहीं बन सकोगे बिल गेट्स-जुकरबर्ग

कलह-क्लेश करोगे तो नहीं बन सकोगे बिल गेट्स-जुकरबर्ग

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रैनबैक्सी फार्मा का कुछ साल पहले तक देश के दवा निर्माताओं के सेक्टर में दबदबा था। यह देश की चोटी की फार्मा कंपनियों में से एक थी। लेकिन, यह देखते-देखते ही खत्म हो गई। रैनबैक्सी को स्थापित करने वाले डा.भाई मोहन सिंह का कुनबा आपसीकलह-क्लेश में फंसता ही चला गया। पहले डा. मोहन सिंह के पुत्र परविदर सिंह ने अपने पिता को कंपनी के मैनेजमेंट से बाहर किया। आगे चलकर परविंदर सिंह के दोनों पुत्रों क्रमश मलविंदर सिंह और शिवइंदर सिंह ने अपने परिवार की फ्लैगशिप कंपनी को गलत तथ्यों के आधार पर जापान की दाइची नाम की कंपनी को बेचा।जब इन बंधुओं ने रैनबैक्सी से अपनी सारी हिस्सेदारी को बेचा था, तब भारतीय उद्योग जगत में इनकी खिंचाई भी हुई थी ।जिस समूह को इनके दादा भाई मोहन सिह ने बनाया-संवारा, उसे इस तरह बेचा नहीं जाना चाहिए था। मलविंदर सिंह और शिवइंदर सिंह नेरैनबेक्सी को बेचने के बाद फोर्टिस अस्पतालों की भारी भ...
राफ़ेल विमान सौदा: चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

राफ़ेल विमान सौदा: चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

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आज भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे को लेकर तमाम प्रश्न उठाती याचिकाओं के निर्णय का दिन था। आज राहुल गांधी के चौकीदार चोर है के नारे की परिणीति का दिन था। आज छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान के उन मतदाताओं का दिन था, जिन्होंने नोटा या भाजपा के विरोधियों को इसलिये अपना मत दिया था क्योंकि उनको अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर अविश्वास था। इसी के साथ आज राहुल गांधी की कांग्रेस और उनके साथियों की उस उम्मीद का भी दिन था, जिसमे आज, सर्वोच्चन्यायलय राफ़ेल विमान सौदे पर शंका प्रगट कर, एसआईटी गठित करती और 2019 का चुनाव में, राफ़ेल विमान पर सवार राहुल गांधी, जीत कर भारत के प्रधानमंत्री बन जाते। लेकिन इसी के साथ आज सर्वोच्चन्यायलय की विश्वनीयता और तटस्था की परीक्षा का भी दिन था, जो वह भारत की जनता के सामने खोती जारही है। आज इन सब पर पटाक्षेप हो गया है। राफ़ेल विमान सौदे पर कांग्र...
छोटे दलों की बढ़ती सक्रियता रोचक बनती राजनीति

छोटे दलों की बढ़ती सक्रियता रोचक बनती राजनीति

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  देश भर के राजनीतिक खानदानों में वर्चस्व की एक जंग मची हुयी है। लालू, मुलायम, करुणानिधि, चौटाला के परिवारों में सत्ता के वह ऐब अब सतह पर आ गए दिखते हैं जो क्षेत्रीय दलों के शासन काल में जनता भुगतती थी। सत्ता की आदत ही कुछ ऐसी होती है कि उसके बगैर रहना अहम को ठेस पहुंचा देता है। क्षेत्रीय दलों से अलग होकर ये लोग अब स्थानीय वोट कटवा दल बन कर रह गए हैं। कहीं यह दल कांग्रेस की बी टीम हैं तो कहीं भाजपा की। बड़े दलों द्वारा छोटे दलों को फंडिंग भी की जाती है। इस तरह से कांग्रेस मुक्त भारत के बाद क्षेत्रीय दलों से मुक्त राज्य की तरफ भारत की राजनीति बढऩे लगी है। अपने वर्चस्व को बचाने के लिए क्षेत्रीय दल अब राष्ट्रीय दलों के मुद्दों में भी सेंध लगाने लगे हैं। अयोध्या और राम मंदिर पर आकर सारा और सबका गणित टिकने लगा है।  अमित त्यागी राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की बढ़ती भूमिका क...
हमें इसलिए चाहिए अविरल गंगा

हमें इसलिए चाहिए अविरल गंगा

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गंगा की अविरलता की मांग को पूरा कराने के लिए स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने अपने प्राण तक दांव पर लगा दिए। इसी मांग की पूर्ति के लिए युवा साधु गोपालदास आगे आये और अब इस लेख को लिखे जाने के वक्त तक मातृ सदन, हरिद्वार के सन्यासी आत्मबोधानन्द और पुण्यानंद उपवास पर डटे हैं। आखिर क्यों? गंगा के संबंध में आखिर ऐसा क्या लक्ष्य है कि जो अविरलता के बगैर हासिल नहीं किया जा सकता? किसी भी नदी की अविरलता के मायने क्या है? नदी के अविरल होने का लाभ क्या हैं, ख़ासकर गंगा के संदर्भ में? अविरलता का मायने अथर्ववेद के तृतीय काण्ड के सूक्त-13 के प्रथम मंत्रानुसार, सदैव भली प्रकार से गतिशील रहने तथा बादलों के ताडि़त होने व बरसने के बाद प्रवाह द्वारा उत्पन्न कल-कल ध्वनि नाद के कारण ही सरिताओं को नदी कहा जाता है- 'एदद: संप्रयती रहावनदता हते। तस्मादा नद्यो3नाम स्थ ता वो नामानि सिन्धव:।।’’ स्पष्ट है कि यदि प्...