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बस्तों का बोझ कम होने से लौटेगा बचपन

बस्तों का बोझ कम होने से लौटेगा बचपन

EXCLUSIVE NEWS, सामाजिक
स्कूली बच्चों पर बस्तों का बोझ कम करने की चर्चा कई वर्षों से होती आई है लेकिन अब केन्द्र सरकार ने पाठ्यक्रम का बोझ कम करने का फैसला किया है, जो एक सराहनीय कदम है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि पहली और दूसरी के छात्रों को होमवर्क न दिया जाए और उनके बस्तों का वजन भी डेढ़ किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। मंत्रालय ने पहली से लेकर दसवीं क्लास तक के बच्चों के बस्ते का वजन भी तय कर दिया है। निश्चित ही शिक्षा पद्धति की एक बड़ी विसंगति को सुधारने की दिशा में यह एक सार्थक पहल है जिससे भारत के करीब 24 करोड़ बच्चों का बचपन मुस्कुराना सीख सकेगा। सरकार ने संभवतः पहली बार यह बात स्वीकार की है कि बच्चों को तनावमुक्त बनाये रखना शिक्षा की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। पिछले कुछ समय से विभिन्न सरकारों की यह प्रवृत्ति हो चली है कि वे शिक्षा में बदलाव के नाम पर पाठ्यक्रम को संतुलित...
Seaplanes on Ganga

Seaplanes on Ganga

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Surface Transport Minister Shri Nitin Gadkari has said that 10,000 seaplanes will be purchased by India in the coming times. He has also said that he will land on Ganga in Varanasi in a seaplane when he comes next. It may be a good step taken by the BJP Government but the Congress President Shri Rahul Gandhi Said that the “visit of Prime Minister to Ahmedabad’s Sabarmati river by seaplane is not an adventure but only distraction” at the time of Gujarat Elections. Sea Planes| Outdated| Dangerous|Not Successful|Failures The seaplanes were being used before the Second World War since then mostly land based air planes are being used. The reasons for not using seaplanes are as follows: Seaplanes require very quiet water in order to be able to land. Often the winds create waves in water a...
सफल जीवन के लिये नई राहें बनाएं

सफल जीवन के लिये नई राहें बनाएं

EXCLUSIVE NEWS, सामाजिक
धूप और छांव की तरह जीवन में कभी दुःख ज्यादा तो कभी सुख ज्यादा होते हैं। जिन्दगी की सोच का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि जिन्दगी में जितनी अधिक समस्याएं होती हैं, सफलताएं भी उतनी ही तेजी से कदमों को चुमती हैं। बिना समस्याओं के जीवन के कोई मायने नहीं हैं। समस्याएं क्यों होती हैं, यह एक चिन्तनीय प्रश्न है। यह भी एक प्रश्न है कि हम समस्याओं को कैसे कम कर सकते हैं। इसका समाधान आध्यात्मिक परिवेश में ही संभव है। जैसा कि जोहान वाॅन गोथे ने कहा था-‘‘जिस पल कोई व्यक्ति खुद को पूर्णतः समर्पित कर देता है, ईश्वर भी उसके साथ चलता है।’’ जैसे ही आप अपने मस्तिष्क में नए विचार डालते हैं, सारी ब्रह्माण्डीय शक्तियां अनुकूल रूप में काम करती हैं। अति चिन्तन, अति स्मृति और अति कल्पना- ये तीनों समस्या पैदा करते हैं। शरीर, मन और वाणी- इन सबका उचित उपयोग होना चाहिए। यदि इनका उपयोग न हो, इन्हें बिल्कुल काम में न ले...

End Ramjanmabhoomi Dispute

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December 6, 2018 will mark the 27th year of the Babri Masjid demolition in Ayodhya. By the time the Sun was setting on the western horizon on December 6, 1992 the last dome of the Babri Masjit had collapsed bringing an end to the disputed structure. The raging debate in the country whether Ram Temple should be built there is a futile exercise. Puja and Aarti of Lord Ram has been going on since December 22, 1949, How it can be stopped by anyone. To me it appears impossible. Now the question is how to settle the dispute between the Sunni Waqf Board and Nirmohi Akhara over 2.77 acre of land which in dispute. The matter is with the Supreme Court of India which has decided to hear the case from January 2019. Hindus and Muslims, the two communities and their leaders say that they would abide b...

India’s Action Plan on antibiotic resistance (AMR) has made limited progress, says CSE assessment

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As the world observes the ‘World Antibiotic Awareness Week’ from November 12-18, aimed at increasing global awareness of antibiotic resistance (AMR), Centre for Science and Environment (CSE) has done an assessment of India’s National Action Plan on Antimicrobial Resistance (2017-21) – the assessment finds limited progress on only a few critical activities to contain AMR from animal and environmental sources. “Even after a year and a half after India’s National Action Plan on Antimicrobial Resistance (2017-21) came into being, there is at best limited progress on only a few critical activities to contain AMR from animal and environmental sources. Many of these were planned to be completed within a year. India is going to be heavily impacted by the AMR crisis and we cannot afford such del...
गांधी बनाम गोडसे

गांधी बनाम गोडसे

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नाथूराम गोडसे के नाम और उनके एक काम के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधीजी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा दिए गए बयान को प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। गोडसे का बयान लोग जानें, इस पर प्रतिबंध क्यों लगा? इस का कुछ अनुमान जस्टिस जी.डी. खोसला, जो गोडसे मुकदमे की सुनवाई के एक जज थे, की टिप्पणी से मिल सकता है। अदालत में गोडसे ने अपनी बात पाँच घंटे लंबे वक्तव्य के रूप में रखी थी, जो 90 पृष्ठों का था। जब गोडसे ने बोलना समाप्त किया तब का दृश्य जस्टिस खोसला के शब्दों में... “सुनने वाले स्तब्ध और विचलित थे। एक गहरा सन्नाटा था, जब उसने बोलना बंद किया। महिलाओं की आँखों में आँसू थे और पुरुष भी खाँसते हुए रुमाल ढूँढ रहे थे।… मुझे कोई संदेह नहीं है, कि यदि उस द...
 हिमशिला की नोक? सिर्फ़ स्वास्थ्य ही नहीं, सतत विकास को भी कुंठित करता है तम्बाकू

 हिमशिला की नोक? सिर्फ़ स्वास्थ्य ही नहीं, सतत विकास को भी कुंठित करता है तम्बाकू

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
प्रति वर्ष 70 लाख से अधिक लोग तम्बाकू के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं. ज़रा ध्यान से सोचें: हर तम्बाकू जनित रोग से बचा जा सकता है और हर तम्बाकू जनित असामयिक मृत्यु को टाला जा सकता है। तम्बाकू उद्योग ने यह जानते हुए भी कि उनका उत्पाद जानलेवा है, न केवल अपने बाज़ार को बढ़ाया बल्कि विश्वभर में पर्वतनुमा तम्बाकू महामारी को भी अंजाम दिया। विश्व में 70% मौतें ग़ैर संक्रामक रोगों के कारण होती हैं। और तम्बाकू ग़ैर संक्रामक रोगों- जैसे कि हृदय रोग, पक्षाघात, कैंसर, डायबिटीज या मधुमेह, अस्थमा या दमा, श्वास सम्बंधित दीर्घकालिक रोग, आदि- का ख़तरा अनेक गुणा बढ़ाता है । स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना सिर्फ़ तम्बाकू रहित दुनिया में ही पूरा हो सकता है, कहना है वरिष्ठ सर्जन प्रोफ़ेसर डॉ रमा कांत का। तम्बाकू से सिर्फ़ स्वास्थ्य ही कुप्रभावित नहीं होता तम्बाकू से सिर्फ़ स्वास्थ्य ही क...
Growing Muslim population in Bhaarat and in non-Muslim countries

Growing Muslim population in Bhaarat and in non-Muslim countries

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
WE are facing our Country's greatest problem of Population explosion  ever since 1947, when after Partition of Our country , we were just about 30 Crores including about 3 crores Muslims which has now swelled to about 22 crores or around EIGHT  TIMES GROWTH & Catholic Christian Population to about Eight to TEN Crores under the Patronage of BISHOPS CONFERENCE OF INDIA AT DELHI & VATICAN HQS, both defeating all our progress & creating Problems for the SECURITY OF our country, like NAXALITE MOVEMENT of CHATISGARH & ENTIRE RED CORRIDOR FROM NORTH TO SOUTH & TERRORISTS ALL OVER  INDIA .  Both Muslims & Catholic Christians produce Six to Eight Children, considering it to be: "ALLAH -ki- DANE" or JESUS CHRIST'S GIFT, Specially In POOR OR BACKWARD & ILLITERATE CLASSE...
मृत्यु को महोत्सव बनाने का विलक्षण उपक्रम है संथारा

मृत्यु को महोत्सव बनाने का विलक्षण उपक्रम है संथारा

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जैन धर्म में संथारा अर्थात संलेखना- ’संन्यास मरण’ या ’वीर मरण’ कहलाता है। यह आत्महत्या नहीं है और यह किसी प्रकार का अपराध भी नहीं है बल्कि यह आत्मशुद्धि का एक धार्मिक कृत्य एवं आत्म समाधि की मिसाल है और मृत्यु को महोत्सव बनाने का अद्भुत एवं विलक्षण उपक्रम है। तेरापंथ धर्मसंघ के वरिष्ठ सन्त ‘शासनश्री’ मुनिश्री सुमेरमलजी ‘सुदर्शन’ ने इसी मृत्यु की कला को स्वीकार करके संथारे के 10वें दिन चैविहार संथारे में दिनांक 4 अगस्त 2018 को सुबह 05.50 बजे देवलोकगमन किया। मुनिश्री ने गत दिनांक 26 अगस्त को सायं 07.43 पर तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान किया था। उनको 3 मिनट का चैविहार संथारा आया। मुनिश्री की पार्थिव देह अंतिम दर्शनों हेतु अणुव्रत भवन, 210, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग में रखा गया, जहां से उनकी समाधि यात्रा दरियागंज, लालकिला होते हुए निगम बोध घाट पहुंची। हजारों श्रद्धालुजनों सहित अनेक राजनेताओं, साह...
नवरस से भरपूर थे अटल

नवरस से भरपूर थे अटल

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    फरवरी 28, 2001, दिल्ली की सर्द शाम थी। दिन भर एनडीए सरकार के बजट की सियासी गर्मी और गहमा गहमी रही थी। शाम होते होते मौसम का मिज़ाज सर्द हो गया। नयी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब के बड़े लॉन में सजे पंडाल में केंद्रीय मंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, राज्यपालों, सांसदों, विधायकों, सभी दलों के दिग्गज नेताओं, पत्रकारों और देश की जानी मानी हस्तियों का जमावड़ा लगने लगा। दिन में संसद में बजट पर हुई तीखी बहस को भुला कर राजनेता एक दूसरे के गले मिल रहे थे, बतिया रहे थे। मौका था वरिष्ठ पत्रकार, पांचजन्य, नवभारत टाईम्स के पूर्व संपादक और भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन राज्यसभा सांसद स्वर्गीय दीना नाथ मिश्र के पुत्र विकास मिश्र की रिसेप्शन का। अनोखा दृश्य था। दीना नाथ मिश्र जी के राजनीतिक, सामाजिक और पत्रकारीय रसूख ने विपरीत विचारधाराओं के नेताओं को भी एक साथ ला खड़ा...