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Indian culture

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भारतीय संस्कृति हिंदी साहित्याकाश का दैदीप्यमान नक्षत्र है भारतीय संस्कृति। साहित्य भारतीय संस्कृति का प्रतीक पुरुष है। भारतीय साहित्य पर बात करते हुए उसे संस्कृतनिष्ठ और प्राचीन परंपराओं का वाहक भी कह सकते हैं। भारतीय साहित्य में राष्ट्रीयता का स्वर मुखर है। सांस्कृतिक मूल्यों और सिद्धांतों के प्रति अनुग्रह है। जहाँ प्रेमचंद ने भारतेंदु की गाँवों की ओर जाने वाली राह पकड़ी तो जयशंकर प्रसाद ने पुराणों और इतिहास में उतरने वाली सीढियां। भारतीय साहित्य की एक सुदृढ़ सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है जिसमें भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों- आध्यात्मिकता, समन्वयशीलता, विश्वबंधुत्व, कर्मण्यता, साहस, नैतिकता, संयम, त्याग, बलिदान, देशभक्ति और राष्ट्रीयता का समावेश है। इसने पश्चिमी जगत और भारत को भौतिकता और आध्यात्म, अनात्मवाद और आत्मवाद के संघर्षों में बांधकर भारत की अतीत ज्ञान-संपदा को विश्व की समस्त समस...
योग के दौरान हस्त मुद्राओं से शरीर को मिले बेहद लाभ

योग के दौरान हस्त मुद्राओं से शरीर को मिले बेहद लाभ

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अलका सिंहयोग  विशेषज्ञ योग में हस्त मुद्राएं बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभदायक बताई गई हैं। हाथों को विभिन्न प्रकार से मोड़कर बनने वाली ये मुद्राएं योगी के उद्देश्य का प्रतीक होती हैं। ये मुद्राएं ही हैं जो योगी को उसके उद्देश्य के प्रति तत्पर बनाए रखने में मदद करती हैं। ये योगी के शरीर की आंतरिक और सुप्त ऊर्जा को जाग्रत करती हैं। प्राचीन भारतीय ग्रंथों और वेदों में करीब 399 योग मुद्राओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।’ हस्त मुद्रा का योग में बड़ा महत्व व फायदा बताया गया है। हाथों की 10 अंगुलियों से विशेष प्रकार की आकृतियां बनाना ही हस्त मुद्रा कही गई है। हाथों की सारी अंगुलियों में पांचों तत्व मौजूद होते हैं जैसे अंगूठे में अग्नि तत्व, तर्जनी अंगुली में वायु तत्व, मध्यमा अंगुली में आकाश तत्व, अनामिका अंगुली में पृथ्वी तत्व और कनिष्का अंगुली में जल तत्व। पांच तत्वों पर मुद्रा का सारा...
क्या बाइबिल में ईसा मसीह की शिक्षाएँ नहीं हैं?

क्या बाइबिल में ईसा मसीह की शिक्षाएँ नहीं हैं?

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विनीत नारायणये सुन कर दुनिया भर के ईसाई भड़क जाएँगे कि बाइबिल में ईसा मसीह की शिक्षाएँ नहीं हैं। पर गहन शोध केबाद ये दावा किया है इतिहासकार हर्ष महान कैरे ने अपनी पुस्तक, ‘डिस्कवरिंग जीसस’ में। रूपा प्रकाशन सेप्रकाशित 387 पेज की ये अंग्रेज़ी पुस्तक ईसाइयों और ग़ैर ईसाइयों के बीच कौतूहल का विषय बन गई है। लेखकका दावा है कि बाइबिल में जो शिक्षाएँ लिखी गई हैं वो पॉल के विचार हैं जो कभी ईसा मसीह से मिला ही नहींथा। पर उसका दावा है कि ईसा मसीह ने यह ज्ञान उसे अवचेतन अवस्था में दिया। जिसे उसने लिपिबद्ध कर दिया।हालाँकि पॉल ईसा मसीह के बारह प्रथम व मूल शिष्यों में से एक नहीं था फिर भी वो स्वयं को अपोस्टेल (प्रचारक)होने का दावा करता है। जबकि ऐतिहासिक प्रमाण इसके विरुद्ध हैं।यीशु के बारह प्रधान शिष्य थे जिन्हें अपोस्टेल (प्रचारक) कहा जाता है। इनमें से एक का नाम जूड्स इस्कारियट थाजिसने यीशु को धोखा दे...
श्री अमित शाह ने आज उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में कौशाम्बी महोत्सव-2023 का शुभारंभ किया

श्री अमित शाह ने आज उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में कौशाम्बी महोत्सव-2023 का शुभारंभ किया

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, राष्ट्रीय
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में कौशाम्बी महोत्सव-2023 का शुभारंभ और 613 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में कौशाम्बी महोत्सव-2023 का शुभारंभ और विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया। इनमें लोक निर्माण विभाग की 405 करोड़ रुपये लागत की 70 योजनाओं और युवा कल्याण,खेल,नगर विकास व व्यावसायिक शिक्षा विभाग समेत 12 विभागों की 51 करोड़ रुपये लागत की 24 परियोजनाओं का लोकार्पण शामिल है।साथ ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेज-3 की 151 करोड़ रुपये लागत की 19 योजनाओं और स्वास्थ्य एवं नगर विकास विभाग की 6 करोड़ रुपये की 4 योजनाओं का शिलान्यास भी किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री ...
भारत के भविष्य से जुड़ा सवाल?

भारत के भविष्य से जुड़ा सवाल?

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आज का ‘प्रतिदिन’ भारत के भविष्य से जुड़ा है। यह भारत के भविष्य के लिए अत्यंत ही चिंताजनक बात है, जो फ़ौरन कार्रवाई की अपेक्षा की माँगती है । राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् यानी एनसीईआरटी तथा भारत सरकार के स्कूली शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में एक सर्वे हुआ। इस सर्वे के आंकड़ों के अनुसार देशभर में कक्षा तीन के बच्चे विशेष रूप से गणित, अंग्रेजी एवं हिंदी में औसत से भी कमजोर साबित हुए हैं। मानव जीवन में शिक्षा का बड़ा महत्व है। दरअसल, बेहतर व्यक्तियों के निर्माण तथा उज्ज्वल करिअर के लिए सर्वथा उचित शिक्षा की आवश्यकता होती है। वैसे आजादी के बाद से ही हमारी शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव किये गये, लेकिन हाल ही में एक सर्वे से प्राप्त आंकड़ों एवं जानकारियों से पता चलता है कि उद्देश्यगत बेहतरी के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अब तक किये गये तमाम प्रयास अपर्याप्त रहे हैं। ...
Adjuvant molecules to fight antibiotic resistance

Adjuvant molecules to fight antibiotic resistance

EXCLUSIVE NEWS, समाचार
Antibiotic resistance is a rising clinical and public health challenge worldwide. Multidrug-resistant strains are emerging to the last resort, antibiotics. Researchers from the Jawaharlal Nehru Centre for Advanced Scientific Research (JNCASR), Bengaluru have studied nonantibiotic compounds called antibiotic adjuvants, which target bacterial resistance and can be used in combination with obsolete drugs for an improved therapeutic regime. “In the growing era of antibiotic resistance and stringent parameters for developing new drugs, it is imperative to look at the obsolete approved antibiotics, target resistance mechanisms to them, and revive their efficacy. Taking inspiration from the prescription of a combination of drugs, ‘antibiotic adjuvants’ targeting these resistance mechanism...
माँग में सिन्दूर लगाने की प्रथा अति प्राचीन है

माँग में सिन्दूर लगाने की प्रथा अति प्राचीन है

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय, सामाजिक
श्रीमती शारदा नरेन्द्र मेहता (एम.ए. संस्कृत विशारद)माँग में सिन्दूर लगाने की प्रथा अति प्राचीन है । सौभाग्यवती महिलाओं के सोलह श्रृृंगार में से एक श्रृंगार माथे पर माँंग में सिन्दूर लगाना भी है। हमारे समाज में वैदिक रीति की विवाह पद्धति में मंडप में कन्यादान विधि संपन्न्ा होने के बाद वर, वधू की माँग में सिन्दूर लगाता है तथा उसे मंगल सूत्र पहनाता है। इसके पश्चात कन्या अखण्ड सौभाग्यवती कहलाती है । सिन्दूर भारतीय समाज में पूजन-सामग्री का एक प्रमुख घटक है । देवी पूजन में माँ पार्वती, माँ दुर्गा के नौ रूप, माँ सीता तथा अन्य शक्ति स्वरूपा माताओं के पूजन में सिन्दूर का अपना एक विशेष महत्व है । देवी पूजन में सिन्दूर सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। आज भी नवविवाहिता अपनी मांग के अंदर सिंदूर बड़ी कुशलता पूर्वक लगाती है । सिन्दूर लगाने की प्रथा दक्षिण भारत की अपेक्षा उत्तर भारत में अधिक प्रचलित...
अभिमान से परे है हमारे अजर.अमर श्री हनुमानजी

अभिमान से परे है हमारे अजर.अमर श्री हनुमानजी

EXCLUSIVE NEWS, संस्कृति और अध्यात्म
दिनांक 06 अप्रैलए 2023 श्री हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर शिक्षाप्रद लेख अभिमान से परे है हमारे अजर.अमर श्री हनुमानजी ;सन्दर्भ. गरुड़ए सुदर्शन चक्र एवं सत्यभामा के गर्व भंग की कथाद्ध लेखक.मानसश्री डॉण् नरेंद्र कुमार मेहता भगवान् श्रीराम के परमधाम पधारने के पश्चात हनुमान्जी का एक मात्र यही काम रहा है कि भगवान् के नाम, लीला और गुणों का कीर्तन एवं श्रवण करना। आज भी जहाँ श्रीरामकथा तथा सत्संग होता है। वहीं हनुमान्जी किसी भी रूप में आकर बैठकर कथा एवं सत्संग का पूरा-पूरा लाभ लेते हैं। युग पर युग बीत गये, परन्तु एक क्षण के लिये भी उन्हें श्रीराम की विस्मृति न हुई। सीताजी ने श्रीहनुमान्जी को श्रीराम का संदेश देने पर अशोक वाटिका में अजर-अमर होने का आशीर्वाद भी दिया है - अजर अमर गुननिधि सुत होहू। करहुँ बहुत रघुनायक छोहू। करहँु कृपा प्रभु अस सुनि काना। निर्भर प्रेम मगन हनु...
हिन्दुओं के त्यौहारों पर ही हिंसक घटनाएं क्यों?

हिन्दुओं के त्यौहारों पर ही हिंसक घटनाएं क्यों?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
- ललित गर्ग- रामनवमी पर निकाली गई शोभा यात्राओं के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में हिंसा की जो वीभत्स, त्रासद एवं उन्मादी घटनाएं सामने आई हैं वे एक सवाल खड़ा करती हैं कि हिन्दुओं के त्यौहारों को ही अशांत एवं हिंसक क्यों किया जाता है? आखिर हिन्दू उत्सवों के मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल खराब करने के लिए क्या जानबूझकर कोई षड्यंत्र किया जाता है? क्यों हिन्दू देवी-देवताओं से जुड़ी आस्था पर ही हमला क्यों किया जाता है। गैर भाजपा सरकारों के राज्यों में ही हिन्दूओं पर हमले क्यों हो रहे हैं? सवाल यह भी है कि संबंधित राज्य की सरकार और स्थानीय पुलिस-प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पहले से ही सतर्क क्यों नहीं रहता और दो समुदायों के बीच हिंसा भड़कने का इंतजार क्यों करता है? हर साल की तरह इस बार भी रामनवमी के दिन पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र में हिंसा हुई और इसके बाद बिहार सुलग उठा। ब...
क्या है हिन्दू फोबिया का कारण

क्या है हिन्दू फोबिया का कारण

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क्या है हिन्दू फोबिया का कारणहिन्दू धर्म या सनातन संस्कृति जिसकी जड़ें संस्कारों के रूप में, परम्पराओं के रूप में भारत की आत्मा में अनादि काल से बसी हुई हैं।ये भारत में ही होता है जहाँ एक अनपढ़ व्यक्ति भी परम्परा रूप से नदियों को माता मानता आया है और पेड़ों की पूजा करता आया है क्या है हिन्दू फोबिया का कारणआज जहां एक तरफ देश में हिन्दू राष्ट्र चर्चा का विषय बना हुआ है। तो दूसरी तरफ देश के कई हिस्सों में रामनवमी के जुलूस के दौरान भारी हिंसक उत्पात की खबरें आती हैं। एक तरफ हमारे देश में देश में धार्मिक असहिष्णुता या फिर हिन्दुफोबिया का माहौल बनाने की कोशिशें की जाती हैं तो दूसरी तरफ अमेरिका की जॉर्जिया असेंबली में 'हिंदूफोबिया' (हिंदू धर्म के प्रति पूर्वाग्रह) की निंदा करने वाला एक प्रस्ताव पारित किया जाता है। इस प्रस्ताव में कहा जाता है कि "हिंदू धर्म दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुरा...