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एचआईवी सेल्फ-टेस्ट बिना विलंब एड्स कार्यक्रम में शामिल हो

एचआईवी सेल्फ-टेस्ट बिना विलंब एड्स कार्यक्रम में शामिल हो

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
शोभा शुक्ला, बॉबी रमाकांत – सीएनएस गर्भावस्था, डायबिटीज, कोविड-19 आदि के सेल्फ़-टेस्ट (आत्म-परीक्षण) भारत में उपलब्ध हैं और जन स्वास्थ्य और विकास के प्रति सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। एचआईवी सेल्फ-टेस्ट को भी उपलब्ध करवाना चाहिए जिससे कि जन स्वास्थ्य के लिए अपेक्षित लाभ मिल सके। एचआईवी सेवाएँ मिलने के लिए जो ‘प्रवेश द्वार’ है वह एचआईवी टेस्ट है। भारत में हर 4 में से 1 एचआईवी के साथ जीवित व्यक्ति को यह पता ही नहीं है कि उसको एचआईवी संक्रमण है। एचआईवी सेल्फ-टेस्ट (आत्म-परीक्षण) - जिसे 98 देशों में एड्स कार्यक्रम में शामिल किया गया है और 52 देशों में उसको नियमित उपयोग किया जाता है - यदि इसको भारत में भी उपलब्ध करवाया जाये तो एचआईवी परीक्षण दर बढ़ सकती है, यह कहना है डॉ ईश्वर गिलाडा का, जो दिल्ली में आयोजित एचआईव...
काश प.पू. डाक्टर जी के जंगल सत्याग्रह के निष्कर्ष सर्वमान्य रूप से स्वातंत्र्योत्तर भारत में लागू होते-रमेश कुमार शर्मा

काश प.पू. डाक्टर जी के जंगल सत्याग्रह के निष्कर्ष सर्वमान्य रूप से स्वातंत्र्योत्तर भारत में लागू होते-रमेश कुमार शर्मा

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, विश्लेषण, सामाजिक
आजकल देश के पर्वतीय क्षेत्रों में, उदाहरणार्थ उत्तराखंड के जोशीमठ एवं चमोली में, पर्यावरण प्रतिकूल परिस्थितियाँ बन रही हैं और पर्वतों के दरकने या धँसने से क्षतिग्रस्त मकानों से लोगों को निकालकर स्थानान्तरित किया जा रहा है। ये परिस्थितियाँ अनायास संयोगवश नहीं बनी हैं, अपितु पर्वतीय वनक्षेत्र की दीर्घकाल से अनदेखी का यह परिणाम है। भारतवर्ष वनजीवियों एवं पशुपालकों का देश है, उन्नीसवीं शताब्दी तक हमारे देश के संबंध में ऐसी वैश्विक मान्यता बनी रही। वनों की सघनता और जैव-वैविध्य (भाँति-भाँति के पशु-पक्षियों एवं वृक्षों-वनस्पतियों की उपस्थिति) के लिए भारत जाना जाता था। औषधीय जड़ी-बूटियों के संरक्षण की ललक और पर्यावरण या जीवमंडल के समग्र विकास में तादात्म्य या भाव प्रवणता मनुष्य मात्र में देखी जाती थी। प्राचीन युग में लोपामुद्रा- अगस्त्य, अरून्धती -वसिष्ठ, रेणुका -जमदाग्नि जैसे ऋषि-युगलों ने न...
डिजिटल रूपी या कहें डिजिटल रुपया देश का भविष्य 

डिजिटल रूपी या कहें डिजिटल रुपया देश का भविष्य 

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
डिजिटल रूपी या कहें डिजिटल रुपया देश का भविष्य बनने जा रहा है. यह बात दिसंबर माह में अपनी खबर में हमने कही थी.बात कुछ लोगों को सही लगी और बहुतों को यह कोरी बकवास लगी थी. तब बात सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के आरंभ होने पर कही गई थी. इस पायलट प्रोजेक्ट को भारत सरकार के निर्देश पर आरबीआई ने इसे प्रायोगिक तौर पर चयनित चार शहरों और चार बैंकों के जरिए आरंभ किया था. यह प्रक्रिया अभी भी जारी है. आरंभ में यह लेन-देन लोगों के बीच और मर्चेंट टू मर्चेंट, मर्चेंट टू कस्टमर भी जारी है.आज के समय में जिन भी भारतीय रुपये का डिनोमिनेशन उपलब्ध है उसी में डिजिटल रुपये लॉन्च किया गया है. यानि भारत में वर्तमान में ₹10, ₹20, ₹50, ₹100 ₹200, ₹500, तथा ₹2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट हैं जिन्हें आरबीआई RBI जारी करता है. इन्हीं मूल्यवर्ग के नोटों को आरबीआई द्वारा डिजिटल रूपी में भी जारी किया गया है. फिलहाल जारी पहले चरण म...
अमेरिका अभी लम्बा झेलेगा। इनका बैंकिंग सिस्टम ही बकवास है।

अमेरिका अभी लम्बा झेलेगा। इनका बैंकिंग सिस्टम ही बकवास है।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, समाचार
अमेरिका अभी लम्बा झेलेगा। इनका बैंकिंग सिस्टम ही बकवास है। ये लोग क्या करते हैं कि 1 रुपये की नेट वर्थ पर 10 रुपये उधार दे डालते हैं। बाकी का 9 रुपये ये दूसरे बैंकों से ले डालते हैं। अब यदि जिसने 1 रुपया दिया वो डूब गया तो समझ लो कि बाकी के बैंक अब किस्से 9 रुपये वापिस लेंगे, तो उनका भी पैसा फंस जाता है। सिलिकॉन वैली बैंक का भी यही हाल है। अब अमेरिका झूठ कह रहा कि खतरा नही है। लेकिन सच्चाई यही है कि या तो उसे बेलआउट पैकेज देना पड़ेगा या फिर इसका असर और बैंकों पर पड़ेगा। अब यदि ये बेलआउट पैकेज देते हैं तो इनकी लिक्विडिटी बढ़ेगी। उस लिक्विडिटी से इनके यहां महंगाई बढ़ेगी और उसे रोकने को ये इंटरस्ट रेट बढ़ाएंगे। नतीजा दुनिया भर के मार्केट प्रभावित होंगे और फिर करंसी की वैल्यू फिर से कमजोर होगी। इस वजह से इनके लोग दूसरे देशों से पैसा खींचेंगे और आपके रिजर्व से लेकर इम्पोर्ट एक्सपोर्ट प्र...
मोटा अनाज और खाद्य-प्रसंस्करण उद्योग

मोटा अनाज और खाद्य-प्रसंस्करण उद्योग

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
राकेश दुबे 1960 के दशक तक ज्वार, बाजरा और रागी का अंश भारतीयों के भोजन में लगभग एक-चौथाई हुआ करता था, लेकिन हरित क्रांति में धान और गेहूं  की फसल को मिली तरजीह के बाद इनका अंश कम होता चला गया। जब से मोटे अनाज का उत्पादन और खपत कम होनी शुरू हुई तब से अब तक हमारी भोजन और खुराक संबंधी आदतें पूरी तरह बदल चुकी हैं। पिछले कुछ दशकों से हम निर्णायक रूप से महीन, प्रसंस्करित, पैकेट बंद और रेडी-टू-कुक भोजन की ओर मुड़ गए हैं।अब केंद्र सरकार वापिस मोटे अनाज पर लौटने की बात कह रही है। तथ्य है कि सदियों से मोटा अनाज भारतीय भोजन का हिस्सा और खुराक रहे हैं।  अब संयुक्त राष्ट्र और भारत की केंद्रीय सरकार द्वारा साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किए जाने के बाद सरकारी एजेंसियों की पुरज़ोर कोशिश रशुरू हो गई है  कि भारत को मोटा अनाज उत्पादन और निर्यात की मुख्य धुरी  बनाय...
तपती धरती, संकट में अस्तित्व

तपती धरती, संकट में अस्तित्व

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
भारत में, 10 सबसे गर्म वर्षों में से नौ पिछले 10 वर्षों में दर्ज किए गए हैं, और सभी 2005 के बाद से दर्ज किए गए हैं। पिछला साल रिकॉर्ड पर पांचवां सबसे गर्म वर्ष था। गर्मी की लहरों के कारण प्रेरित तनाव श्वसन और मृत्यु दर को बढ़ाता है, प्रजनन क्षमता को कम करता है, पशु व्यवहार को संशोधित करता है, और प्रतिरक्षा और अंतःस्रावी तंत्र को दबा देता है, जिससे कुछ बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। 1992 के बाद से, भारत में लू से संबंधित 34,000 से अधिक मौतें हुई हैं। गर्मी की लहरें पशुओं को गर्मी के तनाव का अनुभव करने की संभावना भी बढ़ जाती हैं, खासकर जब रात के समय तापमान अधिक रहता है और जानवर ठंडा नहीं हो पाते हैं। गर्मी से तनावग्रस्त मवेशी दूध उत्पादन में गिरावट, धीमी वृद्धि और कम गर्भाधान दर का अनुभव कर सकते हैं। गर्मी की लहरें सूखे और जंगल की आग को बढ़ा सकती हैं, जिससे कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक ...
कश्मीर पर भुट्टो की निराशा

कश्मीर पर भुट्टो की निराशा

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय, सामाजिक
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने अनजाने ही कश्मीर के सवाल पर पाकिस्तान की नाकामी को उजागर कर दिया है। वे न्यूयार्क में एक प्रेस-काॅफ्रेस को संबोधित कर रहे थे। कश्मीर का स्थायी राग अलापते-अलापते उनके मुंह से निकल गया कि कश्मीर के सवाल को अंजाम देना बहुत ‘‘ऊँची चढ़ाई’’ है। इस बात को बिलावल के नाना जुल्फिकार अली भुट्टो अब से 51 साल पहले ही समझ गए थे, जब 1972 के शिमला समझौते में उन्होंने दो-टूक शब्दों में स्वीकार किया था कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय विवाद है। द्विपक्षीय याने इस विवाद का ताल्लुक सिर्फ भारत और पाकिस्तान से है। इसमें किसी तीसरे राष्ट्र या संयुक्तराष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को टांग अड़ाने की जरूरत नहीं है। यह वही जुल्फिकारअली भुट्टो हैं, जो कहा करते थे कि यदि हमें हजार साल भी लड़ना पड़े तो हम लड़ेंगे और कश्मीर को भारत से ...
सुख-सुविधा का पागलपन रौंद रहा मनुष्यता

सुख-सुविधा का पागलपन रौंद रहा मनुष्यता

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
आज के भागदौड़ भरे जीवन में अच्छे जीवन की एक संकीर्ण धारणा पर ध्यान केंद्रित करने से विभिन्न नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। नैतिक मूल्यों के संकट का समाधान करने के लिए अच्छे जीवन की समग्र दृष्टि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जीवन का सही अर्थ खोजने के लिए, बुद्ध ने अपना घर और धन छोड़ दिया। राजा हरिश्चंद्र, महात्मा गांधी और डॉ. कलाम के जीवन से कोई भी व्यक्ति सच्चाई, धार्मिकता, ईमानदारी और करुणा के मूल्यों को सीख सकता है। नैतिक मूल्यों के व्यापक आयामों पर जोर देने से, विशेष रूप से व्यक्तियों और समग्र रूप से समाज के दीर्घकालिक कल्याण को सुनिश्चित किया जा सकता है। -डॉ सत्यवान सौरभ  नैतिक मूल्य एक व्यक्ति के भीतर स्थायी विश्वास और विचार हैं और अच्छे या बुरे के लिए प्राथमिकता को दर्शाते हैं। आधुनिक समय में कई समाजों ने मानव जीवन के प्राथमिक लक्ष्य के रूप में भौतिक संपदा, शक्ति ...
13 मार्च 1940 क्रांतिकारी ऊधमसिंह ने लंदन जाकर की थी जनरल डायर की हत्या

13 मार्च 1940 क्रांतिकारी ऊधमसिंह ने लंदन जाकर की थी जनरल डायर की हत्या

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--रमेश शर्मा भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अधिकाँश क्राँतिकारियों का बलिदान सत्ता प्राप्ति के लिये नहीं अपितु इस राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया । क्राँतिकारी ऊधमसिंह वे संकल्पवान बलिदानी हैं जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लंदन जाकर लिया और जनरल डायर को लंदन में गोली मारी । यह घटना 13 मार्च 1940 की है । हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि वह जनरल डायर दूसरा था । और उसकी मौत 1927 मे हो गई थी । पर यह सच नहीं लगता । चूंकि क्राँतिकारी ऊधम सिंह ने वर्षों लंदन में रहकर डायर का पीछा किया था ।क्राँतिकारी उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले अंतर्गत सुनम गाँव में हुआ था | उनके जन्म के दो वर्ष बाद ही माँ का निधन हो गया था और पिताजी सरदार तेजपाल सिंह का निधन 8 साल बाद 1907 हो गया ।माता पिता की मृत्यु के बाद उन्हें अमृतसर के खालसा अनाथालय भेज दिया गया ।...
अमेरिकन बैंक का डूबना..!

अमेरिकन बैंक का डूबना..!

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अमेरिकन बैंक का डूबना - प्रशांत पोळ शुक्रवार १० मार्च को अमेरिका की सोलहवी सबसे बडी बैंक, 'सिलिकॉन व्हॅली बैंक' (SVB) डूब गई. डीफंक्ट हो गई. एक ही दिन मे, बैंक पर रन आकर, इतनी बडी बैंक डूबने का शायद यह अनूठा उदाहरण हैं. अमेरिकन अर्थव्यवस्था (financial system इस संदर्भ मे) कितनी खोखली हैं, इसका यह उदाहरण हैं. *इसका परिणाम कल से, अर्थात सोमवार से, दिखना शुरु होगा.* इस बैंक के ग्राहक मुख्यतः स्टार्ट - अप कंपनीज और टेक कंपनीज थे. अमेरिका मे आई टी और टेक कंपनीज मे महिने मे दो बार वेतन बटता हैं. दिनांक १ को और दिनांक १५ को. जब १५ मार्च को वेतन बांटने का समय आएगा तो अनेक कंपनियों को समस्या होगी. उनकी बैंक ही डूब गई हैं, जिसमे उनका पैसा था. अब वेतन कहां से करेंगे? चालीस वर्ष पुरानी यह बैंक अचानक नही डूबी हैं. पिछले दो वर्षों से इसके लक्षण ठीक नही दिख रहे थे. अपने यहां जैसी आरबीआई रेग...