राजनीति की संस्कृति : हृदयनारायण दीक्षित
राजनीति का सांस्कृतिक होना अनिवार्य है। संस्कृतिविहीन राजनीति कलहपूर्ण होती है। ऐसी राजनीति के संचालक और नेता देश को परेशानी में डालने वाले होते हैं। उनका आचरण उनके लिए भी फलप्रद नहीं होता। वे स्वयं की भी बेज्जती कराते हैं। कांग्रेस के नेता व पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी अपने निराधार वक्तव्यों से जगहंसाई करा रहे हैं। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अपने देश भारत के सम्बंध में अनर्गल टिप्पणियां की हैं। कैम्ब्रिज में बोलते हुए उन्होंने कहा है कि, ‘‘भारत की संवैधानिक संस्थाएं सत्ता पक्ष के नियंत्रण में हैं‘‘। राहुल जी स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा भिन्न भिन्न विषयों पर दिए गए निर्णयों पर ध्यान नहीं देते। सर्वोच्च न्यायालय ने अभी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के सम्बंध में विशेष प्रकार का निष्कर्ष दिया है। न्यायपीठ ने हिन्दू आस्था को भारत के लोगों की जीवनशैली बताया है। देश की न्यायपालिका संवैधानिक स...