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राजनीति की संस्कृति : हृदयनारायण दीक्षित

राजनीति की संस्कृति : हृदयनारायण दीक्षित

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राजनीति का सांस्कृतिक होना अनिवार्य है। संस्कृतिविहीन राजनीति कलहपूर्ण होती है। ऐसी राजनीति के संचालक और नेता देश को परेशानी में डालने वाले होते हैं। उनका आचरण उनके लिए भी फलप्रद नहीं होता। वे स्वयं की भी बेज्जती कराते हैं। कांग्रेस के नेता व पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी अपने निराधार वक्तव्यों से जगहंसाई करा रहे हैं। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अपने देश भारत के सम्बंध में अनर्गल टिप्पणियां की हैं। कैम्ब्रिज में बोलते हुए उन्होंने कहा है कि, ‘‘भारत की संवैधानिक संस्थाएं सत्ता पक्ष के नियंत्रण में हैं‘‘। राहुल जी स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा भिन्न भिन्न विषयों पर दिए गए निर्णयों पर ध्यान नहीं देते। सर्वोच्च न्यायालय ने अभी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के सम्बंध में विशेष प्रकार का निष्कर्ष दिया है। न्यायपीठ ने हिन्दू आस्था को भारत के लोगों की जीवनशैली बताया है। देश की न्यायपालिका संवैधानिक स...
हृदयनारायण दीक्षित :संस्कृत और संस्कृति

हृदयनारायण दीक्षित :संस्कृत और संस्कृति

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भारत के लोगों की तमाम आदर्श साधनाओं का सर्वोत्तम संस्कृति है। संस्कृति समाजचेता, दार्शनिकों और ज्ञानीजनों का सर्वोत्तम है। में भारत एक प्राचीन सभ्यता और संस्कृति है। इस देश का इतिहास अतिप्राचीन है। प्राचीनता के तत्वों में जाने हुए की तुलना में अनजाना भाग भी कम नहीं है। डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है, ‘‘इस देश का सबसे पुराना उपलब्ध साहित्य आर्यों का है। इन्हीं आर्यों के धर्म विश्वास नाना अनुकूल, प्रतिकूल परिस्थितियों में बनते बदलते अब तक इस देश की अधिकाँश जनता के निजी धर्म और विश्वास बने हुए हैं।‘‘ डॉ० द्विवेदी की यह स्थापना सही है। लेकिन आगे कहते हैं, ‘‘परन्तु आर्यों का साहित्य कितना भी पुराना और विशाल क्यों न हो भारतवर्ष के समूचे जनसमूह के विकास के अध्ययन के लिए न तो वह पर्याप्त ही है और न अविसंवादी ही है। इस देश में बहुत सी आर्येतर जातियां अत्यंत सभ्य और संस्कृत जीवन व्यतीत करती थ...
वह स्त्री है

वह स्त्री है

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, साहित्य संवाद
वह स्त्री है बैठाया तो इसलिए गया था उसेकि अपनी अग्निप्रतिरोधी चादर के चलतेवह बच जाएगीऔर प्रह्लाद जल जाएगालेकिन जब तपिश बढ़ीतो उसने अपनी चादर प्रिय प्रह्लाद को ओढ़ा दीऔर स्वयं जल मरीस्त्री थी न! वह स्त्री है,कुछ भी कर सकती है। यह एक कविता है-अगर इसे हम कविता कह सकें! हिन्दी के एक वरिष्ठ, चर्चित वामपंथी कवि ने इसे लिखा है। यह ऐतिहासिक रूप से झूठ तो है ही। काव्यात्मक संवेदना इसकी इकहरी, भोथरी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि..वह स्त्री थी न/ वह स्त्री है, कुछ भी कर सकती है-इस नारे की आड़ में संपूर्ण हिन्दू जातीय इतिहास को मलिन करने का कुत्सित प्रयास है। यह सर्वविदित है कि वामपंथियों और कथित प्रगतिशीलों के लिए हिन्दुओं के पर्व त्योहार, उसकी अन्तर्कथाएं, उसके पात्र और संदेश हमेशा से प्रश्नों के घेरे में रहे। यह उनका प्रिय, लगभग पुश्तैनी धंधा सा रहा। भारतीय स्त्रियों की दशा पर उन्होंने बड...
हाथरस कांड: क्या जाँच सही दिशा में हुई?

हाथरस कांड: क्या जाँच सही दिशा में हुई?

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रजनीश कपूरसितंबर 2020 में हाथरस के बूलगढ़ी गांव में एक दलित लड़की के साथ हुई दरिंदगी एक बार फिर से सुर्ख़ियों में है।इस बार का कारण है अदालत का फ़ैसला जिसने चार में से तीन अपराधियों को न सिर्फ़ छोड़ दिया बल्कि सुबूतों केअभाव में बलात्कार की धाराएँ भी हटा दी। यहाँ सवाल उठता है कि इतने चर्चित बलात्कार और हत्या के कांड कीजाँच क्या सही दिशा में हुई थी? क्या प्रारंभिक जाँच करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस, सरकार द्वारा गठितएसआईटी या सीबीआई इस संगीन अपराध की जाँच को गंभीरता से नहीं ले रही थी?जब भी कोई पीड़ित मृत्यु से पहले अपनी मृत्यु की परिस्थितियों के बारे में बताते हुए मर जाए तो उस ब्यान को‘मृत्युपूर्व घोषणा’ या ‘डाईंग डिक्लेरेशन’ माना जाता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा-32(1) केमुताबिक़ ‘मृत्युपूर्व घोषणा’ को सुसंगत माना जाएगा। फिर वो बयान मृत व्यक्ति द्वारा लिखित या मौखिक रूप सेदिये ...
जरा सोचिए तो मिलार्ड

जरा सोचिए तो मिलार्ड

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
लोगों में धैर्य और सहनशीलता कीकमी मत देखिए चंद्रचूड़ जी,लोग न्यायपालिका पर निगरानीरख रहे हैं - क्या जुडिशरीAbsolute Power चाहती है ?झूठ फ़ैलाने वालों को तो आप हीबचा देते हैं -​​चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ लगता है सोशल मीडिया द्वारा न्यायपालिका के लिए “watchdog” बन कर उसकी आलोचना से खासे क्षुब्ध हैं - उन्होंने कहा है कि “सोशल मीडिया पर झूठी खबरों के दौर में सच ही शिकार हो गया है - आप जो कुछ भी करते हैं उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है जो आपसे सहमत नहीं है - लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी हो रही है - हम अलग-अलग दृष्टिकोणों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं” मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ मीलॉर्ड चंद्रचूड़, सोशल मीडिया पर सब कुछ झूठ नहीं है और जो मौहम्मद जुबैर जैसे Alt News में बैठ कर झूठ की फैक्ट्री चला रहा था और जिसने अनेक इस्लामिक देशों को भार...
सुप्रीम कोर्ट का यह “न्यायिक आतंकवाद” 

सुप्रीम कोर्ट का यह “न्यायिक आतंकवाद” 

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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का फैसला ख़ारिज कर कूड़ेदान में डाल दो -बेशर्मी और निर्लज्जता की पराकाष्ठा दिखाता है यह फैसला -प्रधानमंत्री के हाथ काटने की कोशिश - आतंकवाद गतिविधि को अंजाम देने के लिए आतंकवादी दूसरे के घर, शहर, या मुल्क में घुसकर हमला करते हैं और आज ऐसा ही हमला सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के घर में घुसकर किया है - चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए “कॉलेजियम” बनाने का फैसला देश में अराजकता फैलाने का काम करेगा क्योंकि इस कॉलेजियम में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और CJI होंगे - यानी 3 सदस्यों के पैनल में प्रधानमंत्री के खिलाफ जब 2 व्यक्ति होंगे तो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति असंभव ही हो जाएगी क्योंकि ये दोनों व्यक्ति तो सरकार और मोदी विरोधी ही होंगे जिनमें Genes तो एक जैसे ही हैं और यह अराजकता का कारण बनेगा - जस्टिस केएम जोसेफ ने नवम्बर, 2022 में अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थ...
ध्यान देने लायक चार घटनाएं

ध्यान देने लायक चार घटनाएं

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक कल भारत में घटी चार घटनाओं ने विशेष ध्यान खींचा। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव परिणाम, चुनाव आयोग की नियुक्ति, अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच और जी-20 का विदेश मंत्री सम्मेलन। यह सम्मेलन पिछली तीनों घटनाओं के मुकाबले कम ध्यान आकर्षित कर सका लेकिन इसमें भारत के द्विपक्षीय हितों का उत्तम संपादन हो सका। यूक्रेन का मामला छाया रहा, कोई संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हुआ लेकिन पहली बार रूस और अमेरिका के विदेश मंत्री मिले। भारत के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से कई विदेशी नेताओं की आपसी भेंट में कई नए समीकरण बने। जहां तक त्रिपुरा, नगालैंड और मणिपुर के चुनावों का सवाल है, तीनों राज्यों में भाजपा का बोलबाला हो गया है। मणिपुर में भी भाजपा सत्ता में शामिल हो जाएगी। दूसरे शब्दों में पूर्वोत्तर में भाजपा का बढ़ता हुआ वर्चस्व राष्ट्रीय एकता के लिए शुभ-संकेत है। एक तो पूर्वोत्तर के...
जन्मदिन के साथ ‘भाई-दूज’ मनाएंगी शिवराजसिंह की लाड़ली बहना

जन्मदिन के साथ ‘भाई-दूज’ मनाएंगी शिवराजसिंह की लाड़ली बहना

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, सामाजिक
5 मार्च जन्मदिन पर विशेषजन्मदिन के साथ ‘भाई-दूज’ मनाएंगी शिवराजसिंह की लाड़ली बहनामनोज कुमारकल 5 मार्च को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की उम्र में एक वर्ष का और इजाफा हो जाएगा। इस बार उन्होंने अपना जन्मदिन नहीं मनाने का ऐलान किया है लेकिन यह पहला अवसर होगा जब उनके जन्मदिन के साथ प्रदेश भर में उनकी लाडली बहना ‘भाईदूज’ भी मनाएंगी। ‘भाईदूज’ भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पवित्र संस्कार है जिसमें भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और समृद्धि का वचन देता है। मातृशक्ति का आंचल शिवराजसिंह के लिए मंगल कामनाओं से भरा-पूरा है। लाडली बहना शिवराजसिंह चौहान के लिए आशीष और उनकी कामयाबी के लिए ईश्वर से प्रार्थना करेंगी। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान वैसे भी स्त्री समाज की बेहतरी के लिए हमेशा से चिंतित और सक्रिय रहे हैं। इस क्रम में उन्होंने हाल ही में ‘लाडली बहना’ योजना का ऐलान किया है और संयोग से इस योजना का आरंभ कल ...
भारत : अपराध और सजा की दर ?

भारत : अपराध और सजा की दर ?

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एनसीआरबी से आए आंकड़ों के बाद देश के राज्यों में सभी प्रकार के अपराधों कुल सज़ा दर बहस हुई।एक चिंतन शिविर भी गृह मंत्रालय द्वारा सूरजकुण्ड, फरीदाबाद में आयोजित हुआ। देश के सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों के गृह मंत्रियों ने इस चिन्तन शिविर में आपराधिक मामलों में सज़ा दर को बढ़ाने पर व्यापक विचार-विमर्श किया । राज्य एकमत थे कि आपराधिक न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता के लिए आवश्यक है कि अधिकतम मामलों में अपराधियों को अदालतों से सज़ा मिले। किसी भी देश में आपराधिक मामलों में दोष सिद्धि दर वहां की आपराधिक न्याय प्रणाली की कार्यक्षमता एवं सामर्थ्य को दर्शाती है। भारत में दोष सिद्धि दर लगभग 68 प्रतिशत है, वहीं पाकिस्तान में ये 10 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है। विकसित देशों जैसे इंग्लैंड व अमेरिका में दोष सिद्धि दर 80 प्रतिशत से भी अधिक है। यहां यह बताना जरूरी है कि हत्या, बलात्कार व हत्या के ...
60 वर्षों की प्रतिक्षा समाप्त

60 वर्षों की प्रतिक्षा समाप्त

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य
त्रिपुरा_का_बदला ..वामपंथ_की_छुट्टी ..याद है उन चार स्वयंसेवकों का बलिदान ? क्या याद है आपको, यही वे दिन थे जब हमने पूर्वोत्तर में संघ के 4 वरिष्ठ कार्यकर्ता खोए थे? याद है 6 अगस्त, 1999 की वह सुबह, जब उत्तरी त्रिपुरा के धोलाई जनपद के कंचनछेड़ा नामक स्थान से रा.स्व.संघ के 4 वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का अपहरण कर लिया गया था? दो वर्ष बाद उनकी निर्मम हत्या की खबर मिली थी। पूर्वांचल के क्षेत्र कार्यवाह श्री श्यामल कांति सेनगुप्ता (आयु 67 वर्ष), दक्षिण असम प्रांत के प्रांत शारीरिक प्रमुख श्री दीनेन्द्र नाथ डे (आयु 51 वर्ष), अगरतला के विभाग प्रचारक श्री सुधामय दत्त (आयु 51 वर्ष) एवं उत्तर त्रिपुरा के प्रचारक श्री शुभंकर चक्रवर्ती (आयु 37 वर्ष) का उस समय अपहरण कर लिया गया था जब वे कंचनछेड़ा के वनवासी कल्याण आश्रम के छात्रावास में आयोजित बैठक में भाग लेने के लिए एकत्रित हुए थे। 11 अगस्त को अपहरण क...