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EXCLUSIVE NEWS

भारतीय कुश्ती के ये घृणास्पद दाँव

भारतीय कुश्ती के ये घृणास्पद दाँव

EXCLUSIVE NEWS, सामाजिक
कितना दुर्भाग्य है, भारतीय कुश्ती महासंघ के खिलाफ देश के तमाम पहलवान एकजुट होकर उसके अध्यक्ष को हटाने की मांग पर अड़े हैं, सरकार न जाने किसके इंतज़ार में है।ऐसा पहले किसी खेल संघ में नहीं हुआ। विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता और ओलंपिक खिलाड़ी विनेश फोगाट ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप लगाया, तो तमाम ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीत चुके पहलवान उनके समर्थन में उतर आए हैं । बृजभूषण शरण सिंह ने मीडिया के सामने सफाई दी कि उन्होंने किसी खिलाड़ी का यौन शोषण नहीं किया है। साथ ही यह भी कहा कि उनके मुँह खोलने से सुनामी आ जाएगी। वे फिलहाल अपने पद से इस्तीफा देने को तैयार नहीं हैं। कुश्ती ही ऐसा खेल है, जो चाहे ओलंपिक हो या राष्ट्रमंडल खेल, सबसे अधिक पदक लेकर आता है। इसके खिलाड़ी अपने जुनून के बल पर विजयी होते रहे हैं। इस तरह दुनिया ...
बर्बादी की हद तक फिसलता,गिरता व डूबता यूरोप

बर्बादी की हद तक फिसलता,गिरता व डूबता यूरोप

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
अनुज अग्रवाल बढ़ते जनाक्रोश व विरोध प्रदर्शनों के बीच फ़्रांस , जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन , इटली सहित यूरोप के अधिकांश देशों ने जनवरी 2023 की शुरूआत के साथ ही सभी वस्तुओं व सेवाओं के दामो में औसतन 20%की वृद्धि कर दी। पिछले एक साल में लगभग दुगने हो चुके दामों के बीच जनता पर यह नई मार थी। अब फ़रवरी और मार्च के बीच फिर से विभिन्न वस्तुओं व सेवाओं के दाम 10 से 40% तक बढ़ाने की घोषणा कर दी गई है। पिछले तीन सालों में यूरोप के देशों में कामकाजी वर्ग के कोई वेतन नहीं बढ़े बल्कि अनेक भत्ते कम कर दिए गये। सरकारे सब्सिडी घटाती जा रही हैं, पेंशन कम कर रही हैं और बेरोज़गारी भत्ते समाप्त और महंगाई दो गुना से ज्यादा पहले ही हो चुकी थी। “क्रेडिट कार्ड व पर्सनल लोन कल्चर” के आदि हो चुके यूरोपवासियो के पास ईएमआई चुकाने लायक़ आमदनी ही नहीं हो रही। ऐसे में यूरोप की कम से कम दो तिहाई जनता के सामने अपन...
धीरेन्द्र शास्त्री के बहाने चमत्कारों पर सम्यक विचार

धीरेन्द्र शास्त्री के बहाने चमत्कारों पर सम्यक विचार

EXCLUSIVE NEWS, राज्य
================================यदि आप पढ़े लिखे व्यक्ति हैं, इस युग में विज्ञान की समझ पाते है तो जानते होंगे की चमत्कार और पश्चिमी विज्ञान की नूराकुश्ती आज से नहीं है। चमत्कार के नाम पर जब पानी में आग लगता था तो विज्ञान ने उस दिन तक उसका विरोध किया जब तक सोडियम का गुण धर्म उसे ज्ञात नहीं था। सोडियम पानी में आग तब से लगाता रहा है जब विज्ञान ने इस घटना को नहीं खोजा होगा। हिन्दू ज्योतिष द्वारा सूर्य-चंद्र ग्रहण की भविष्यवाणी तब तक चमत्कार थी जबतक पश्चिमी विज्ञान को लगता था की पृथ्वी का चक्कर सूर्य लगाता है। जिसदिन यह सोडियम और धरती चंद्रमाँ के सापेक्षिक भ्रमण का रहस्य खुला यही चमत्कार, विज्ञान की दीर्घा में खड़े होकर शेष चमत्कारों पर अट्ठहास करने लगा। यह क्रम हज़ारों वर्षों से जारी है परन्तु यही चमत्कार विज्ञान के खोज की प्रेरणा है इसे समझते हुए विज्ञान की तमाम प्रेरणाए चमत्कार से ही प्रेर...
बढ़ती जनसंख्या सब मिलकर कुछ कीजिए* 

बढ़ती जनसंख्या सब मिलकर कुछ कीजिए* 

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
आँकड़े चेतावनी दे रहे हैं कि भारत में जनसंख्या वृद्धि बेलगाम है। भारत इस साल चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। चीन की 1.426 अरब की तुलना में भारत की जनसंख्या का 2022 में सामने आया आँकड़ा 1.412 अरब है।जल्दी ही स्थिति यहाँ तक आ सकती है कि ना तो प्राकृतिक रूप से शुद्ध वायु उपलब्ध होगी और ना ही जल और भोजन इत्यादि। भारत के राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति के नुकसान-फायदे के लिए आबादी की सुनामी के खतरों को अनदेखा कर रहे हैं। विश्व में अब तक चीन जनसंख्या वृद्धि के मामले में सर्वोपरि था। चीन ने कठोर नीति से जनसंख्या को नियंत्रित करते हुए वृद्धि दर में लगाम लगा ली । चीन ने 1980 में वन चाइल्ड पॉलिसी को लॉन्च किया था। चीन में पिछले साल 2022 के अंत में 1.41 अरब लोग थे, जो 2021 के अंत की तुलना में 850,000 कम थे। अनुमान है कि 2050 में भारत की जनसंख्या 1.668...
ये बाबा न तो धार्मिक हैं,न प्रजातांत्रिक*

ये बाबा न तो धार्मिक हैं,न प्रजातांत्रिक*

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
भारत की वर्तमान दशा को देखकर कार्ल मार्क्स और हेगेल अपनी कब्र में यह देखते हुए करवट ले रहे होंगे कि किस तरह से उनके विचारों ने भारत में आकार लिया है। धर्म के नाम पा यहाँ कुछ भी चल रहा है। प्रबुद्ध,और संतजन तक अपनी राय प्रतिक्षण बदल रहे हैं। सरकार तो कोई स्पष्ट बात करने से बच रही है। सत्तारूढ़ दल और प्रतिपक्ष आगामी लोकसभा और उससे पहले होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र अपनी -अपनी चाल चल रहे हैं । मार्क्स मानते थे कि धर्म, भ्रमजाल खड़ा कर जनता के दुखों को तत्काल कम करने का राज्य का हथकंडा है। भारत में यह सब हुआ पिछले चुनावों में राम और राम मंदिर मुद्दे थे अब अपने को सबसे बड़ा दल कहने वालों का निशाना ‘पसमांदा’ मुसलमान समूह है। वोटरों के बड़े हिस्से को ‘बाबाओं’ ने भरमाना शुरू ही कर दिया है। भारत में धर्म अब एक खतरनाक विचार प्रक्रिया में तब्दील हो रहा है जिसका परिणाम एक प्रजातांत्रिक...
A short Badaga Story ‘Golden Share’

A short Badaga Story ‘Golden Share’

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
Long ago a man lived in a village called Aaruuru. He was the headman of that village. Practically, he never did any work for his family. That is, in his family affairs he was an irresponsible person. But, nonetheless he wore the maNDare (Badaga headgear) in such a way to look nice and wrapped himself with siile (white mantle with blue and red lines), to suit his headmanship and went out daily. He used to brag about his costume and himself. His talkative skill was such that he could talk about anything without any least hesitation. He was being very boastful and he was never willing to admit that he was wrong. But his wife was a wonderful noble woman. She was an excellent housewife and a good host. Many appreciated her hospitality. Her tolerance was phenomenal and praise worthy. Otherwise,...
भारत में उपभोग की असमानता पिछले 40 वर्ष के सबसे निचले स्तर पर

भारत में उपभोग की असमानता पिछले 40 वर्ष के सबसे निचले स्तर पर

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, समाचार, सामाजिक
किसी भी देश की आर्थिक नीतियां सफल हो रही हैं, इसका एक पैमाना यह भी हो सकता है कि क्या समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक इन आर्थिक नीतियों का लाभ पहुंच रहा है? भारत में हाल ही के समय में इस संदर्भ में कुछ विशेष प्रयास किए गए हैं और यह प्रयास एक तरह से प्राचीन भारत में लागू की गई आर्थिक नीतियों की झलक दिखलाते नजर आ रहे हैं। भारत में अर्थ से सम्बंधित प्राचीन ग्रंथों, आध्यात्मिक ग्रंथों सहित, में यह कहा गया है कि यह राजा का कर्तव्य है कि वह अपनी प्रजा की अर्थ से सम्बंधित समस्याओं का हल खोजने का प्रयास करे। पंडित श्री दीनदयाल उपाध्याय जी ने भी एक बार कहा था कि किसी भी राजनैतिक दल के लिए केवल राजनैतिक सत्ता हासिल करना अंतिम लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि यह एक माध्यम बनना चाहिए इस बात के लिए कि देश के गरीब से गरीब व्यक्ति तक आर्थिक विकास का लाभ पहुंचाया जा सके। सामान्यतः विभिन्न देशों ...
बाबाओं का झूठा बल, अंधविश्वास का दलदल

बाबाओं का झूठा बल, अंधविश्वास का दलदल

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
 हमारा देश वैज्ञानिक दृष्टि से कितना पिछड़ा हुआ है, यह सब रोज-रोज के ऐसे कारनामे देखकर हम समझ सकते हैं, हमारे भारत की महिलाओं में कभी माताएं आती रहती है तो पुरुषों में कभी अमुक आते रहते हैं, आखिर यह अंधविश्वास और पाखंडवाद हमारे देश को किस दलदल में ले जाकर धकेलेगा। हम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते और भारत की लाखों करोड़ों जनता इन जैसे पाखंडियों के जाल में फंस कर के अंधविश्वास और पाखंड के दलदल में धंसते जा रहे हैं। -प्रियंका सौरभ पढा लिखा व्यक्ति यदि अपने आप को अंधविश्वास, मनुवाद, पाखण्ड की दलदल से बाहर नहीं निकाल पाए तो उसके शिक्षित होने का कोई मतलब नहीं है। किसी महापुरुष ने कहा था शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो जितना पिएगा उतना दहाड़ेगा।  इसको अंधविश्वास के दलदल में मत धकेलो।  स्वामी विवेकानंद ने कहा था- "मैं आप लोगों को अंधविश्वासी मूर्खों क...
गंगा विलास नहीं, नदी तीर्थ : तीर्थ गांव

गंगा विलास नहीं, नदी तीर्थ : तीर्थ गांव

EXCLUSIVE NEWS, धर्म
चारधाम सड़क परियोजना, चारधाम रेल प्रस्ताव, सम्मेद शिखर और अब गंगा विलास - तीर्थों को पर्यटकों के लिए खोलने का उत्साह पर्यावरणीय पैमाने पर खतरनाक साबित हो सकता है। क्या करें ? आइए, मंथन करें।गंगा विलास नहीं, नदी तीर्थ : तीर्थ गांव लेखक: अरुण तिवारी दिलचस्प है कि हमारा घूमना-घुमाना, आज दुनिया के देशों को सबसे अधिक विदेशी मुद्रा कमाकर देने वाला उद्योग बन गया है। विश्व आर्थिक फोरम का निष्कर्ष है कि भारतीय पर्यटन उद्योग में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 25 फीसदी तक योगदान करने की क्षमता है; वह भी गांवों के भरोसे। फोरम मानता है कि भारत के गांव विरासत, संस्कृति और अनुभवों के ऐसे महासागर है, जिन तक पर्यटकों की पहुंच अभी शेष है। गांव आधारित प्रभावी पर्यटन को गति देकर, भारत वर्ष 2027 तक प्रति वर्ष 150 लाख अतिरिक्त पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता हासिल कर सकता है। इस तरह वह 25 अरब अमेरि...
Science-rich cinema empowers the nation and people”

Science-rich cinema empowers the nation and people”

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
By Umashankar Mishra ): Science-rich cinema strengthens society and is an effective tool to empower the nation, said, Dr Chandra Mohan Nautiyal, Consultant, Science Communication, at Indian National Science Academy (INSA), New Delhi. He was speaking as a keynote speaker at the three-day International Science Film Festival of India (ISFFI), conducted as a part of the India International Science Festival (IISF) 2022.   A renowned scientist, Dr Nautiyal delivered his keynote address on “Films to Reflect India’s Emergence as Science & Technology Leader” in special context of Science-20 (S-20), one of the working groups of G-20 being presided over by India in 2023. It was addressed to a gathering of science filmmakers and science film enthusiasts assembled at Rajat Jayanti Audit...