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जरूरत है, चरित्र शिक्षा की  जिम्मेदार नागरिक होने के लिए।

जरूरत है, चरित्र शिक्षा की  जिम्मेदार नागरिक होने के लिए।

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, विश्लेषण, साहित्य संवाद
नैतिकता के बिना शिक्षा बिना दिशासूचक जहाज की तरह है, जो कहीं भटक रहा है। एकाग्रता की शक्ति होना ही काफी नहीं है, बल्कि हमारे पास योग्य उद्देश्य होने चाहिए जिन पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। सत्य को जानना ही काफी नहीं है, बल्कि हमें सत्य से प्रेम करना चाहिए और उसके लिए त्याग करना चाहिए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कितना शिक्षित या धनवान है, यदि उसके अंतर्निहित चरित्र या व्यक्तित्व में नैतिकता का अभाव है। वास्तव में ऐसे व्यक्तित्व शांतिपूर्ण समाज के लिए खतरा हो सकते हैं। उदाहरण: मुसोलिनी, हिटलर सभी नैतिकता से रहित शिक्षा के उदाहरण हैं जो मानव जाति को उनके विनाश की ओर ले जा रही है। समकालीन समय में यह समान रूप से प्रासंगिक है। -प्रियंका सौरभ “एक बुरा चरित्र एक पंचर टायर की तरह है; जब तक आप इसे बदल नहीं लेते तब तक आप कहीं नहीं जा सकते।"  शिक्षा एक बच्चे के एक पूर्ण वयस्क बनन...
पेले होने का मतलब

पेले होने का मतलब

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आर. के. सिन्हा  पेले के निधन से सारी दुनिया उदास है! उन्होंने अपने चाहने वालों को आनंद के अनगिनत अवसर दिए! पेले के चाहने वाले कहते हैं कि  वे  महानतम थे।  वे तीन बार जीती फीफा वर्ल्ड कप विजेता ब्राजील टीम के सदस्य रहे। वे दो बार उन ब्राजील की टीमों में रहे। उन्हें साल 2000 में फीफा फ्लेयर आफ दि सैंचुरी का भी सम्मान मिला।  पर क्या पेले को मुख्य रूप से इसी आधार पर सर्वकालिक महानतम खिलाड़ी माना जाए क्योंकि वे तीन बार जीती ब्राजील टीम में सदस्य थे? वे 1958 में ब्राजील की टीम में थे। वे तब  मात्र 17 साल के थे। वैसे वे 1962 और 1966 के वर्ल्ड कपों में चोटिल होने के कारण कोई खास जौहर नहीं दिखा सके थे। हां, 1970 के वर्ल्ड कप में वे अपने पीक पर थे। ...
आरक्षण बन गया अफीम की गोली

आरक्षण बन गया अफीम की गोली

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आरक्षण बन गया अफीम की गोली *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* भारत में जातीय आरक्षण अफीम की गोली बन चुका है। हर राजनीतिक दल चाहता है कि वह जातीय आधार पर थोक वोट सेंत-मेत में कबाड़ ले। इस समय दो प्रदेशों में जातीय आरक्षण को लेकर काफी दंगल मचा हुआ है। एक है, छत्तीसगढ़ और दूसरा है- उत्तरप्रदेश! पहले में कांग्रेस की सरकार है और दूसरे में भाजपा की सरकार। लेकिन दोनों तुली हुई हैं कि 50 प्रतिशत की संवैधानिक सीमा को तोड़कर आरक्षण को 76 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग तक बढ़ा दिया जाए। बिहार तथा कुछ अन्य प्रांतों में भी इस तरह के विवादों ने तूल पकड़ लिया है। जहाँ तक छत्तीसगढ़ का सवाल है, उसकी सरकार ने विधानसभा में ऐसे विधेयक को पारित कर दिया है, जो 58 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 76 प्रतिशत कर देता है। आर्थिक दृष्टि से पिछड़ों के लिए सिर्फ 4 प्रतिशत आरक्षण रखा गया है। इस नई प्रस्तावित आरक्षण-व्यवस्था के पीछे न त...
जल-संकट पर भागवत का सीधा संवाद

जल-संकट पर भागवत का सीधा संवाद

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
ललित गर्ग-जल प्रदूषण एवं पीने के स्वच्छ जल की निरन्तर घटती मात्रा को लेकर बड़े खतरे खड़े हैं। धरती पर जीवन के लिये जल सबसे जरूरी वस्तु है, जल है तो जीवन है। जल ही किसी भी प्रकार के जीवन और उसके अस्तित्व को संभव बनाता है। जीव मंडल में पारिस्थितिकी संतुलन को यह बनाये रखता है। पीने, नहाने, ऊर्जा उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज के निपटान, उत्पादन प्रक्रिया आदि बहुत उद्देश्यों को पूरा करने के लिये स्वच्छ जल बहुत जरूरी है। जल-संकट के प्रति सचेेत करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर-संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने जल का भंडारण बढ़ाने की बात कहीं। उन्होंने कहा कि जल को जितना बचा सकते हैं बचाएं और जितना बढ़ा सकते हैं बढ़ाएं क्योंकि जल पृथ्वी की संचित संपत्ति है। हम जल को कैसे स्टोर कर सके, इसका उपाय करना चाहिए। भागवत की इस पर्यावरण चिन्ता की परिक्रमा करने के बाद ऐसा लगा कि भारतीय परम्परा का मंचमहाभूत...
सुदूर अरुणाचल में अध्ययनकर्ताओं को मिला दुर्लभ गवैया पक्षी

सुदूर अरुणाचल में अध्ययनकर्ताओं को मिला दुर्लभ गवैया पक्षी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES
सुदूर अरुणाचल में अध्ययनकर्ताओं को मिला दुर्लभ गवैया पक्षीनई दिल्ली, 29 दिसंबर (इंडिया साइंस वायर): भारतीय बर्डवॉचर्स ने अरुणाचल प्रदेश के सुदूर क्षेत्र में गानेवाले एक पक्षी का पता लगाया है। यह गवैया पक्षी रेन बैबलर (Wren Babbler) की संभावित रूप से एक एकनई प्रजाति है। पक्षियों को खोजने वाले अभियान में शामिल अध्ययनकर्ताओं ने गाने वाले इस पक्षी का नामलिसु रेन बैबलर रखा है।इस अभियान दल में बेंगलुरु, चेन्नई और तिरुवनंतपुरम के बर्डवॉचर्स और अरुणाचल प्रदेश के उनके दो गाइडशामिल थे। अभियान के सदस्य धूसर रंग के पेट (Grey-bellied Wren Babbler) वाले दुर्लभ और चालाकरेन बैबलर की तलाश में उत्तर-पूर्वी अरुणाचल प्रदेश की मुगाफी चोटी की यात्रा पर निकले थे। जब वे वापसआये तो गाने वाले पक्षियों की सूची में एक नये नाम और विज्ञान के लिए नया दस्तावेज साथ लेकर लौटे।धूसर पेट वाला रेन बैबलर मुख्य रूप से म्यांमार ...
मिसाइल टेक्नोलॉजी : भारत बनाम चीन 

मिसाइल टेक्नोलॉजी : भारत बनाम चीन 

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
आज बहुत दिनों बाद... रक्षा क्षेत्र से जुड़े एक महत्वपूर्ण ओर बड़ी पोस्ट लिख रहा हूं, आप लोगों के मन में हर वक्त एक ही सवाल मंडराता होगा कि, चीन की रॉकेट फोर्स के सामने अब भारत कहां खड़ा है..!? सत्य यह है कि भारत पिछले 8 सालों से, युद्धक स्तर पर चीन के खिलाफ रॉकेट फोर्स का गठन कर रहा है, इसलिए भारी संख्या में सुरंगों का काम शुरू कर चुका है. अब चलिए जानते हैं.  चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए, भारत कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों "SRBMs" को, स्टोर करने के लिए सीमावर्ती राज्यों में युद्धक स्तर पर, मल्टी फंक्शनल भंडारण सुरंगों का निर्माण कर रहा है !! और भारत बहुत जल्द ही कम दूरी तक सटीक मार करने वाली प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल के तैनाती करने वाला है. भारत इस तरह उन 'सुरंगों' का निर्माण कर रहा है, जो किसी भी हमले की स्थिति में, हमारे मिसाइलों को सुरक्षित रखेंगी और इन 'सुरंगों' के...
कोचर और धूत ही गिरफ़्तार क्यों?

कोचर और धूत ही गिरफ़्तार क्यों?

EXCLUSIVE NEWS, घोटाला, राष्ट्रीय
*रजनीश कपूरपिछले दिनों सीबीआई द्वारा आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर कीगिरफ्तारी की खबर सुर्ख़ियों में थी। उसके बाद हाल ही में वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत को भी सीबीआई ने बैंकफ्रॉड मामले में गिरफ़्तार किया। तमाम सबूतों के बावजूद सीबीआई ने 2019 में एफ़आईआर दर्ज की और जाँच करने लगी।आश्चर्य है कि आरोपियों की गिरफ़्तारी तीन बरस बाद दिसंबर 2022 में ही की गई। सीबीआई के इस ढुलमुल रवैये से सवालउठता है कि देश में ऐसे कितने और मामले हैं जिन पर सीबीआई और अन्य जाँच एजेंसियां इसी तरह ढुलमुल रवैया अपनारही हैं?कोचर दंपत्ति की ज़मानत के लिए बहस करते हुए उनके वकीलों ने कोर्ट में कहा कि, “जनवरी 2019 से अब तक कोचरदंपत्ति उपलब्ध थी, तो फिर इतने सालों में उन्हें जांच के लिए क्यों नहीं बुलाया गया?” वकील के अनुसार, जुलाई 2022तक सीबीआई को जांच के लिए उनकी जरूरत तक नहीं...
महंगा दूध : कारण का निवारण  नहीं

महंगा दूध : कारण का निवारण  नहीं

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
 -राकेश  दुबे कितना अजीब है, जिस देश में वर्ष 1970 के दशक में हुई श्वेत क्रांति के बाद से ही देश में डेरी क्षेत्र में मजबूत और ऊंची वृद्धि देखने को मिलती रही है, अब दूध के भाव अंधाधुध तरीके से बढ़ रहे हैं | देश में दूध का उत्पादन अब मुश्किल दौर से गुजरता नजर आ रहा है। इस मुश्किल की  तह में पशु आहार तथा चारे की कम आपूर्ति एवं ऊंची लागत की वजह से पैदा हुई हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और प्रदेशों  में कई बड़ी दुग्ध सहकारी समितियों तथा निजी डेरी कंपनियों द्वारा इस वर्ष दूध की कीमतों में कई बार  की गई मूल्य वृद्धि इस संकटके और बढने  स्पष्ट संकेत दे रहा  है। इससे बड़ी और बुरी बात यह है कि यह बढ़ोतरी मॉनसून सीजन के बाद हो रही है जब दूध की आपूर्ति बहुत अधिक होती है और डेरी कंपनियां दूध पाउडर, मक्खन तथा अन्य दुग्ध उत्पादों का भंडार तैयार करती ह...
नये वर्ष में संकल्प के पौधे उगाएं

नये वर्ष में संकल्प के पौधे उगाएं

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 -ललित गर्ग- नया भारत एवं सशक्त भारत को निर्मित करने के संकल्प के साथ नए वर्ष का स्वागत करें। हम इस सोच और संकल्प के साथ नये वर्ष में प्रवेश करें कि हमें कुछ नया करना है, नया बनना है, नये पदचिह्न स्थापित करने हैं। बीते वर्ष की कमियों पर नजर रखते हुए उन्हें दोहराने की भूल न करने का संकल्प लेना है। दूसरे के अस्तित्त्व को स्वीकारना, सबके साथ रहने की योग्यता एवं दूसरे के विचार सुनना- यही शांतिप्रिय एवं सभ्य समाज रचना का आधारसूत्र है और इसी आधारसूत्र को नयेवर्ष का संकल्पसूत्र बनाना होगा। आज सब अपनी समझ को अंतिम सत्य मानते हैं। और बस यहीं से मान्यताओं की लड़ाई शुरू हो जाती है। कोई वेद, बाईबल, कुरान, ग्रंथ या सूत्र ये पाठ नहीं पढ़ाते। तीन हजार वर्षों में पांच हजार लड़ाइयां लड़ी जा चुकी हैं। एकसूत्र वाक्य है कि ”मैदान से ज्यादा युद्ध तो दिमागों से लड़े जाते हैं।“नया वर्ष नया संदेश, नया संबोध, ...
आइये नव वर्ष में अपनी पसंद को क्षमताओं में बदले।

आइये नव वर्ष में अपनी पसंद को क्षमताओं में बदले।

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एक बार चुनाव किसी के दिमाग और दिल से उत्पन्न होता है और अंततः उसकी क्षमताओं में और  उसके निर्णय लेने में परिलक्षित होता है। किसी भी स्थिति के लिए प्रतिक्रिया एक विकल्प और उसके परिणाम के लिए एक आदर्श उदाहरण है। कोई भी इस दुनिया में अनुकरणीय क्षमताओं के साथ पैदा नहीं हुआ है। लेकिन किसी विशेष विषय को चुनना, पसंद से उस पर कड़ी मेहनत करना, इस विषय में दूसरों को टक्कर देना और हराना है और इसलिए यह सब उस एक सामान्य विषय या तत्व को चुनने और उसे अपनी क्षमता में स्थानांतरित करने की पसंद के बारे में है। क्षमता खुली है, अक्सर किसी कार्य को करने या पूरा करने के लिए सटीकता की गति और विधि के रूप में वर्णित किया जाता है जो अन्य की तुलना में बेहतर और तेज और अधिक सटीक होता है। एक व्यक्ति किसी भी क्षमता के साथ पैदा हो सकता है या नहीं लेकिन धीरे-धीरे किसी भी क्षमता को प्राप्त कर सकता है यदि वह उस क्ष...