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वर्षांत समीक्षा -2022: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा -2022: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

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बजट आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि कृषि और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए 2022-23 में बजट आवंटन बढ़ाकर 1,24,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। रिकॉर्ड खाद्यान्न और बागवानी उत्पादन खाद्यान्न उत्पादन जनवरी 2022 के 308.65 मिलियन टन से बढ़कर दिसम्‍बर 2022 में 315.72 मिलियन टन (चौथे अग्रिम अनुमानों के अनुसार) हो गया है जो अब तक का सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन है। तीसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, बागवानी उत्पादन 2020-21 के दौरान 331.05 मिलियन एमटी था जिसे 2021-22 के दौरान बढ़ाकर 342.33 मिलियन एमटी तक पहुंचा दिया गया। यह भारतीय बागवानी के लिए अब तक का सर्वाधिक उत्पादन है। उत्पादन लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय करना सरकार ने 2018-19 से अखिल भारतीय भारतीय औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत लाभ के साथ सभी अनिवार्य खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए न्‍यूनतम समर्थन ...
ये दोनों थे, विलक्षण प्रधानमंत्री*

ये दोनों थे, विलक्षण प्रधानमंत्री*

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ये दोनों थे, विलक्षण प्रधानमंत्री* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* आज (25 दिसंबर) श्री अटलबिहारी वाजपेयी का जन्म-दिवस है और परसों (23 दिसंबर) नरसिंहरावजी और स्वामी श्रद्धानंदजी की पुण्य तिथि थी। इन तीनों महानुभावों से मेरी व्यक्तिगत और आध्यात्मिक घनिष्टता रही है। स्वामी श्रद्धानंद आर्यसमाज और कांग्रेस के बड़े नेता थे। उन्होंने ही देश में गुरुकुल व्यवस्था को पुनर्जीवित किया, जिसका गुणगान नरेंद्र मोदी ने कल ही किया है। उनकी गणना स्वातंत्र्य संग्राम के सर्वोच्च सैनानियों में होती है। उन्होंने भारत की शिक्षा-व्यवस्था और हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में अपूर्व प्रतिमान कायम किए हैं। 23 दिसंबर 1926 को एक मूर्ख मजहबी ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। वे विद्वान, तपस्वी तथा त्यागी संन्यासी थे। वैसे ही आर्यसमाजी परिवार में श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने जन्म लिया था। अटलजी और नरसिंहरावजी मेरे अभिन्न मित्र ...
न्यू इंडिया’ को ‘स्वस्थ भारत’ में बदलेंगे आयुर्वेद और योग।

न्यू इंडिया’ को ‘स्वस्थ भारत’ में बदलेंगे आयुर्वेद और योग।

EXCLUSIVE NEWS
आयुर्वेद और योग ने प्राचीन भारतीय विज्ञान के रूप में 5000 साल पहले अपनी यात्रा शुरू की थी। जबकि सिद्ध दक्षिण भारत में लोकप्रिय दवाओं की प्राचीन प्रणालियों में से एक है, यूनानी, चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीस में हुई है। आयुष अपने नागरिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा देखभाल प्रदान करके 'न्यू इंडिया' के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 'न्यू इंडिया' को 'स्वस्थ भारत' भी होना चाहिए, जहां उसकी अपनी पारंपरिक प्रणालियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।  ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन जामनगर, गुजरात  दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक चौकी केंद्र होगा। -प्रियंका सौरभ  आयुष उन चिकित्सा प्रणालियों का संक्षिप्त रूप है जिनका भारत में अभ्यास किया जा रहा है जैसे आयुर्वेद, योग और प्रा...
कोरोना को फिर कैसे दें मात

कोरोना को फिर कैसे दें मात

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आर.के. सिन्हा कोरोना की दूसरी लहर के बाद जिंदगी पटरी पर लौटने लगी थी। लग रहा था कि दुनिया ने कोरोना को पीछे छोड़ दिया है। पर कोरोना ने तो एक बार फिर से अपना असर दिखाना चालू कर दिया है। चीन से आने वाली खबरों से सारी दुनिया सहम सी गई है। भारत का चिंतित होना तो लाजिमी है ही, क्योंकि चीन हमारा पड़ोसी देश है। स्थिति विकट है। चीन में कोरोना कहर ढा रहा है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती ही चली जा रही है। खबरें यह भी हैं कि वहां पर रोगियों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहे हैं। हालांकि फिलहाल भारत में जानकारों का कहना है कि अपने देश में व्यापक वैक्सीनेशन के चलते भारत वर्ष में कोरोना पूरी तरह कंट्रोल में है। इसलिए चिंता करने की कोई बात नहीं है। यानी फिलहाल चीन में भी कोरोना की स्थिति को लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन चीन की स्थिति पर तो लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत है। ...
आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता -भारतरत्न श्रद्धेय अटल जी 

आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता -भारतरत्न श्रद्धेय अटल जी 

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
25 दिसम्बर (जन्मतिथि) विशेष- आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता -भारतरत्न श्रद्धेय अटल जी  मृत्युंजय दीक्षित  भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी एक कुशल राजनीतिज्ञ, सहृदय व्यक्तित्व के धनी, भावपूर्ण कवि और प्रख्यात पत्रकार थे जिनके मन में सदैव देश ही सर्वोपरि रहता था। आज भारत जिस तेज गति से मिसाइलों के परीक्षणों के द्वारा अपनी सुरक्षा को अभेद्य बना रहा है और  भारत के शत्रु इसकी बढ़ती सैन्य शक्ति व आत्मनिर्भर हो रही रक्षा प्रणाली से भयभीत हो रहे हैं वह अटल जी की ही सरकार का प्रारंभ किया हुआ कार्य है जिसे मोदी जी पूरा कर रहे हैं ।  अटल जी के प्रधानमंत्रित्व काल में जिन परियोजनाओं पर काम किया गया वही अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शासनकाल में धरातल पर उतर रही हैं। इनमे से अधिकांश बीच में आई सरकारों ने ठन्डे बस्ते में डाल दी थीं। अटल जी...
सरपंचपति खत्म कर रहे महिलाओं की राजनीति

सरपंचपति खत्म कर रहे महिलाओं की राजनीति

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सरपंच पति प्रथा ने महिलाओ को पहले जहा थी वही लाकर खड़ा कर दी है। इसके लिये सरकार को सरपंच पति चलन को एक प्रभावी कानून के माध्यम से नियंत्रित करना चाहिये। शासन के मामले में क्षमता निर्माण पर आगे अतिरिक्त काम की आवश्यकता है। महिलाओ के अधिकार के बारे में समाज में जागरूकता बढाने और  पंचायत स्तर पर महिलाओ की भागीदारी के महत्व के बारे में नौकर शाही को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है।  महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में पुरुषों के समान अधिकार होने चाहिए। भले ही संविधान महिलाओं को सभी क्षेत्रों में समान अधिकार की गारंटी देता है, सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों को समानता के आधुनिक लोकाचार के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है। शासन के संस्थानों जैसे अदालतों, पुलिस, प्रशासनिक निकायों आदि को लैंगिक समानता पर ध्यान देना चाहिए। -प्रियंका सौरभ भारत में, लोकसभा में महिलाओं का अनुपा...
अध्यापकों को भी मिले ग्रेच्युटी की रक़म

अध्यापकों को भी मिले ग्रेच्युटी की रक़म

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रजनीश कपूरकिसी भी कंपनी या प्रतिष्ठान में लंबे समय तक काम करने वाले व्यक्ति को सेवानिवृत होने पर पेंशन, प्रोविडेंट फंड के अलावाग्रेच्युटी की रक़म भी मिलती है। ग्रेच्‍युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला इनाम होता है। अगर कर्मचारीनौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्‍युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत निश्चित तौर पर दिया जाताहै। अगस्त 2022 तक सभी निजी स्कूल के अध्यापकों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिलता था। हाल ही में देश के सर्वोच्चन्यायालय ने कई सालों से लंबित पड़े इस मामले में निजी स्कूल के अध्यापकों के हित में एक अहम फ़ैसला दिया है। जोअध्यापकों के पक्ष में है।याचिकाकर्ता ने अदालत से स्पष्ट करने की अपील की थी कि ‘पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972’ की धारा 2 के तहत निजीस्कूल के अध्यापकों को कर्मचारी माना जाए या नहीं? 29 अगस्त 2022 को सर्वोच्च न्यायालय की एक खण्डपी...
आनुवंशिक फसलों की व्यावसायिक खेती ?

आनुवंशिक फसलों की व्यावसायिक खेती ?

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आनुवंशिक फसलों की व्यावसायिक खेती ?* कृषि प्रधान देश कहा  जाने वाला  भारत आज भी दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल का आयातक है। देश में आनुवंशिक फसलों की व्यावसायिक खेती की अनुमति को लेकर पिछले दो दशक से विभिन्न मंचों पर बहस जारी है। एक –दो मुकदमे भी देश के सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित हैं |देश के अधिकांश पर्यावरणविद और कृषि विशेषज्ञ आनुवंशिक परिवर्तित खेती में फायदा कम, नुकसान अधिक मानते आए हैं। फिर भी  सरकार ने इसके उत्पादन की मौन स्वीकृति दे दी । इसे विकसित करने वाले संस्थान ने प्रयोग के लिए बीज भी उपलब्ध करा दिया । विवाद होने के बाद भी यह खयाल नहीं रखा गया कि उत्पादन संबंधी प्रयोग खुले में करने के बजाय ग्रीन हाउस में किया जाए। देश में पिछले बीस वर्षों से जीएम सरसों के पर्यावरण पर पड़ने वाले कुप्रभाव को लेकर विरोध हो रहा है। सन 2002 में भारत में इसके बीज की  भारतीय...
विदेश पलायन : मेले नहीं, साफ नीति चाहिए

विदेश पलायन : मेले नहीं, साफ नीति चाहिए

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देश और राज्यों की सरकारें  यूरोपियन यूनियन के देशों में अप्रवासी भारतीयों की  अधिक गिनती  होने से खुश हैं |अप्रवासी भारतीयों की संख्या हर दिन बढ़ रही है है। इली के राजदूत के इस तमगे के बाद तो सरकार के पांव जमीन पर नहीं ठहर रहे हैं कि“भारतीय कामगारों का योगदान इटली की आर्थिकी में अभिन्न है, खासकर कृषि और डेयरी क्षेत्र में।“ ऐसी ही बातें अन्य देशों से भी आती है | देश आयर राज्यों की सरकारों से प्रश्न यह है कि भारत से इतना पलायन क्यों ? और देश में रोजगार के हालात कब सुधरेंगे ? सिर्फ इटली में अप्रवासियों की संख्या में दस गुणा से अधिक वृद्धि हुई है, जो कि वर्ष 1991 में महज 20 हजार से बढ़कर इस साल 2.1 लाख हो चुकी है। भारतीयों का पलायन इटली के अलावा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके, यूएसए इत्यादि अन्य देशों की  ओर भी हो रहा है। वीसा चाहने वालों  की लंबी पंक्ति दूतावास के ब...
सोशल मीडिया के अमेरिकी भेड़ियों की दादागिरी

सोशल मीडिया के अमेरिकी भेड़ियों की दादागिरी

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
========== 17 दिसंबर को इलोन मस्क महोदय ने mestadone और koo को अपना भविष्य का प्रतिस्पर्धी मानते हुए ट्विटर से बैन कर दिया। लगभग एक माह पहले 21 नवंबर को सोशल मीडिया पर मैंने एक पोस्ट लिखा था, "ट्विटर के घाटे व अनिश्चित भविष्य से दुनिया भर में जर्मनी का Mastodone सोशल मीडिया मंच जबरदस्त लोकप्रिय हो रहा है। ट्विटर और फेसबुक का अहंकार भारत में स्वदेशी Koo तोड़ेगा।" यह अनायास ही नहीं लिखा था।  Koo के अल्गोरिथम और सेवा सुरक्षा के उत्कृष्ट मानकों के कारण ट्विटर और फेसबुक की हालत ख़राब है। यकीं मानिये भारत के देश भक्तों की, राष्ट्रवादियों की एक किक मिलने की देर है ...... बस  यह बैन लगाना इंटरनेट विश्व और सोशल मीडिया पर यह पहली इस तरह की घटना है। ट्विटर के नए मालिक ने संसार भर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ढिंढोरा पीटने वाले इंटरनेट विश्व में एक नया निम्न स्थापित किया है। इस ...