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चंद सिक्कों के लिए देश के शत्रु बनने वाले पुलिसकर्मी

चंद सिक्कों के लिए देश के शत्रु बनने वाले पुलिसकर्मी

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जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी देविंदर  सिंह की गिरफ्तारी के बाद लगातार जिस तरह के खुलासे हो रहे हैं, , वह वाकई दिल दहलाने वाले हैं। यकीन ही नहीं होता कि कोई पुलिस अफसर चंद सिक्कों के लिए इतना गिर जाएगा कि देश के दुश्मनों से ही हाथ मिला लेगा। पर अफसोस है कि कश्मीर में यही हुआ। देविंदर  सिंह आतंकियों के साथ मिलकर न केवल सिर्फ दिल्ली को दहलाने की साजिश रच रहा था,  बल्कि उसके निशाने पर जम्मू, पंजाब और चंडीगढ़ भी थे। बेशक, हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार किए गए जम्मू-कश्मीर पुलिस के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी)देविंदर सिंह ने अपने कृत्य से पुलिस महकमें को बुरी तरह शर्मसार कर दिया है। देविंदर सिंह केस के बहाने पुलिस महकमें में व्याप्त गड़बडी को समझने और उन्हें दूर करने के उपाय तो खोजने ही होंगे। आखिर यह कोई सामान्य केस नहीं है। देविंदर सिंह से पहले नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण को भी आपर...
सत्ता की चाबी हथियाने की कुचेष्टाओं का चुनाव

सत्ता की चाबी हथियाने की कुचेष्टाओं का चुनाव

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 ललित गर्ग  दिल्ली में विधानसभा के चुनाव जैसे-जैसे निकट आता जा रहा है, अपने राजनीति भाग्य की संभावनाओं की तलाश में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस तीनों ही दल जनता को लुभाने एवं ठगने की हरसंभव कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बजाकर भारतीय राजनीति में अपना सितारा आजमाने वाले अरविन्द केजरीवाल अब खैरात बांटने एवं मुफ्त की सुविधाओं की घोषणाएं करके मतदाताओं को ठगने एवं लुभाने की कुचेष्टाओं में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वैसे कांग्रेस एवं भाजपा भी इस दृष्टि से पीछे नहीं हैं। तीनों ही दलों में मुफ्त बांटने की संस्कृति का प्रचलन बढ़-चढ़ कर हो रहा है। लोकतंत्र में इस तरह की बेतूकी एवं अतिश्योक्तिपूर्ण घोषणाएं एवं आश्वासन राजनीति को दूषित करते हैं, जो न केवल घातक है बल्कि एक बड़ी विसंगति का द्योेतक हैं। राजनीतिक दलों में पनप रही ये मुफ्त बांटने की स...
रेप केस के नाबालिग दोषियों पर भी तो चले कानूनी चाबुक

रेप केस के नाबालिग दोषियों पर भी तो चले कानूनी चाबुक

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निर्भया के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या करने वाले चारों गुनाहगारों को आगामी 22 जनवरी को फांसी की सजा दे दी जाएगी। फांसी का समय सुबह 7 बजेरहेगा। पर इस भयानक केस से जुड़ा एक नाबालिग दोषी  के खिलाफ कोई एक्शन नहीं होगा। खैऱ, आखिरकार, इस तरह 7 साल 37 दिन के बाद ही सही निर्भया कोइंसाफ मिलेगा। यह घटना इतनी दिल दहला देने वाली थी कि आम आदमी उस हालात की कल्पना तक नहीं कर सकता था जिन हालातों में उसे इलाज के लिएअस्पताल में लाया गया था। उसे देख कर उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों तक के रोंगटे खड़े हो गए थे। इस बेटी का नाम रखा था “निर्भया” और यह घटना घटितहुई थी दक्षिण दिल्ली के एक बस स्टॉप के पास। यह क्रूर हादसा 16 दिसम्बर की रात साल 2012 में हुआ था। पर बलात्कार की शिकार हुई हजारों अन्य महिलाओं को इंसाफ कब मिलेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है। यही ढीलापन की  स्थिति तो बलात्कारियों के हौंसलेबुलंद करती हैं।...
कितने पवित्र रह गए धरने-प्रदर्शन

कितने पवित्र रह गए धरने-प्रदर्शन

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जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में छात्रों के बीच हुई हालिया झड़प पर पाकिस्तान के शहर लाहौर में प्रदर्शन का होना सच में हर किसी को हैरान करने वाला है।वहां पर कुछ लोग जेएनयू के वामपंथी छात्रों के हक में नारेबाजी भी कर रहे थे। पर उसी पाकिस्तान के क्वेटा शहर में विगत शुक्रवार को तड़के एक बाजार में हुए बमविस्फोट में कम से कम 20 लोग मारे गए जबकि 48 अन्य घायल हो गए। मारे गये लोगों में से कई शिया हजारा समुदाय के थे। इस दिल दहलाने  वाले कांड की हरकोने में निंदा होनी चाहिए। आतंकवाद कहीं भी हो उसकी भर्त्सना होनी ही चाहिए। पर पाकिस्तान के किसी कोने में  इस हादसे को लेकर कोई प्रदर्शन तक नहीं हुआ।सरकार से सवाल तक नहीं पूछे गए कि वह आतंकवाद को काबू  करने में विफल क्यों रही है। प्रधानमंत्री इमरान खान, जो भारत के मुसलमानों के लिए आंसू बहातेरहते हैं, क्वेटा कांड पर चुप्पी साध गए। वे चीन में मुसलमामों ...
आखिर कब जानेंगे भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत का सच !

आखिर कब जानेंगे भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत का सच !

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11 जनवरी आते ही छोटे से कद-काठी वाला एक ऐसा चेहरा स्मृति में कौंधने लगता है जो अपने जीवन की असंख्य कठिनाइयों से लड़ते हुए देश को तो विजय दिला गया किन्तु स्वयं अपनी जिंदगी को नहीं बचा पाया। उनके जीवन यात्रा का वृत्तांत तो सबको पता है किन्तु जीवन के अंतिम कुछ घंटों में उनके साथ क्या हुआ यह गोपनीयता के पिटारे में अभी तक बंद है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के करोड़ों नागरिकों द्वारा चुने गए यशस्वी प्रधानमंत्री की एक महान विजय के तुरंत बाद असमय विदेशी धरती पर रहस्यमय मौत गत 54 वर्षों से मात्र एक पहेली बनी हुई है। जिसे जानने के लिए ना सिर्फ उनकी पत्नी बेटे पोते या अन्य परिजन बल्कि सम्पूर्ण देशवासी उत्सुक हैं। 2 अक्टूबर 1904 को देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी से मात्र सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में एक स्कूल शिक्षक के घर जन्मे श्री लाल बहादुर शास्त्री क...
क्या भारतवासियों को जल्दी ही पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित शारदापीठ के दर्शन होंगे ?

क्या भारतवासियों को जल्दी ही पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित शारदापीठ के दर्शन होंगे ?

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आज हमारे कार्यालय में शारदापीठ कश्मीर के शंकराचार्य स्वामी अमृतनंद देव तीर्थ  पधारे। उन्होंने इस विषय में निम्न जानकारी दी। 1947 में जब भारत आजाद हुआ था तब जम्मू-कश्मीर का कुल क्षेत्रफल था 2,22,236 वर्ग किलोमीटर जिसमें से चीन और पाकिस्तान ने मिलकर लगभग आधे जम्मू-कश्मीर पर कब्ज़ा किया हुआ है और भारत वर्ष के पास केवल 1,02,387 वर्ग किलोमीटर कश्मीर भूमि शेष है। जम्मू-कश्मीर के जो भाग आज हमारे पास नहीं हैं उनमें से गिलगिट, बाल्टिस्तान, बजारत, चिल्लास, हाजीपीर आदि हिस्से पर पाकिस्तान का सीधा शासन है और मुज़फ्फराबाद, मीरपुर, कोटली और छंब आदि इलाके हालांकि स्वायत्त शासन में हैं परंतु ये इलाके भी पाक के नियंत्रण में हैं।पाक नियंत्रण वाले इसी कश्मीर के मुज़फ्फराबाद जिले की सीमा के किनारे से पवित्र "कृष्ण-गंगा" नदी बहती है। कृष्ण-गंगा नदी वही है जिसमें समुद्र मंथन के पश्चात् शेष बचे अमृत को असुरों से...
भव्य राम मंदिर निर्माण  की ओर बढ़ते कदम

भव्य राम मंदिर निर्माण की ओर बढ़ते कदम

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  राम मंदिर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद मंदिर निर्माण हेतु सरगर्मियां तेज़ हो गयी हैं। न्यायालय ने तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है। अब ट्रस्ट में कौन कौन व्यक्तिसदस्य होंगे एवं राम मंदिर का पुजारी कौन होगा इस पर गतिविधियां पूरे उफान पर हैं। राम मंदिर आंदोलन में अहम किरदार रही विश्व हिन्दू परिषद चाहती है कि राजनीतिक लोगों का ट्रस्ट में ज़्यादा हस्तक्षेप न रहे। इसके साथ ही विहिप दलित पुजारी की पैरवी भी कर रही है। इन सबके बीच अमित शाह ने चार माह में भव्य राम मंदिर निर्माण की बात कहकर इस विषय पर सरकार की प्रतिबद्धता को सार्वजनिक कर दिया है। चूंकि राम मंदिर के विषय पर दायर सारी याचिकाएं अब खारिज हो चुकी हैं इसलिए किसी भी तरह की कोई कानूनी अड़चन अब आड़े नहीं है। एक ओर रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य रामविलास वेदान्ती अयोध्या को अन्तराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में देखना ...
गडकरी जी : ट्रैफिक जाम से निजात दिलवाओ  शहरों को

गडकरी जी : ट्रैफिक जाम से निजात दिलवाओ  शहरों को

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आज के दिन हमारे  देश का शायद ही कोई  छोटा-बड़ा शहर या महानगर बच गया हो, जो दिन भर ट्रैफिक जाम से नहीं जूझ रहा होता है। दिल्ली से लेकर देश कीआई टी  राजधानी बंगलूरू, और आर्थिक राजधानी मुंबई से लेकर पटना, रांची और लखनऊ, कानपुर आदि तक सभी शहरों की सड़कें आज भारी जाम से त्रस्त हैं। किसी केसमझ ही नहीं आ रहा कि सारे देश में  जाम की समस्या अचानक इतनी विकट कैसे हो गई?  आखिर, हालात ही क्यों इस हद तक बिगड़ने दिए गये। गाड़ियां जिस तरहरेंग रही होती हैं लगता है कि पैदल चलना ही ज्यादा बेहतर है। पर अफ़सोस यह है कि पैदल यात्री चलें भी तो कहा चलें । या तो फुटपाथ ही नहीं हैं और जहाँ हैं भी, वेखोमचों, सब्जी वालों के ठेलों से भरे पड़े हैं। 10-15 साल पहले तक बंगलुरु को देश का आदर्श शहर माना जाता था । मौजूदा हालत यह है कि यहां तो एयरपोर्ट से ले कर शहर के किसी भी मुहल्ले की ओर जानेपर जाम ही जाम मिलता है । एयरपोर्ट जान...
तो अब भीड के हवाले करो रेप के गुनाहगारॉ को

तो अब भीड के हवाले करो रेप के गुनाहगारॉ को

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सोमवार को राज्य सभा में हैदराबाद में हुई दरिंदगी पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान श्रीमती जया बच्चन ने हैदराबाद की एक नवयुवती डाक्टर की गैंग रेप केबाद हत्या और कम्बल में लपेटकर शव जलाकर फेंकने के जघन्य कांड  पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अब तो यही उपाय बचा दिखता है कि रेप केगुनहगारों को बीच शहर में भीड के हवाले कर दिया  जाये। यह शायद व्यावहारिक न दिखे लेकिन पिछले सात सालों से निर्भया हत्या कांड  के बाद पुलिस, प्रशासनऔर न्यायपालिका का भी जो रवैया रहा है, उसको देखते हुये शायद यह भावना वर्तमान में आम जन की भावना के करीब लगती है। दिल्ली में करीब सात साल पहले निर्भया रेप केस के कारण देश दहल गया था। तब उसके गुनहगारों को फ़ासी पर लटकाने की  देशव्यापी माँग हुई। कोर्ट ने उन्हें फाँसी की सज़ा दे भी दी, पर वे अब भी जेल में  सुरक्षित हैं और सरकारी खर्चे पर आराम की जिन्दगी जी रहे ह...
आखिर क्यों मिलती रहती गांधी कुनबे को एसपीजी?

आखिर क्यों मिलती रहती गांधी कुनबे को एसपीजी?

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विशेष सुरक्षा समूह यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रूप -एसपीजी- संशोधन बिल को लोकसभा ने हरी झंडी देकर एकदम सही काम को अंजाम दिया है । नये प्रावधानों के तहत अब यह सुरक्षा कवर सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके साथ रह रहे उनके परिजनों को ही मिलेगी। यानि नरेन्द्र मोदी के साथ उनके परिवार का कोई सदस्य नहीं रहता तो उन्हें नहीं मिलेगी I नये प्रावधानों के तहत पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी पद छोड़ने के बाद 5 साल तक  ही एसपीजी की सुरक्षा कवर दी जाएगी। पिछले दिनों इस संशोधन मसौदे पर जब केंद्रीय कैबिनेट ने मुहर लगाई तो तभी से इसको लेकर हंगामा शुरू हो गया था । मैं तो पिछले कई वर्षों से  इस विषय पर अनेकों लेख लिखता ही रहा था I अब कहीं जाकर मेरी बात सुनी गई I एक ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरोप लगाते रहे कि यह सब राजनीति से प्रेरित है, दूसरी ओर उससे जुड़े संगठन विरोध प्रदर्शन भी करते रहे। एक गलत धारणा बनाने की  कोशिश भी की ...