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आखिर क्यों मिलती रहती गांधी कुनबे को एसपीजी?

आखिर क्यों मिलती रहती गांधी कुनबे को एसपीजी?

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विशेष सुरक्षा समूह यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रूप -एसपीजी- संशोधन बिल को लोकसभा ने हरी झंडी देकर एकदम सही काम को अंजाम दिया है । नये प्रावधानों के तहत अब यह सुरक्षा कवर सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके साथ रह रहे उनके परिजनों को ही मिलेगी। यानि नरेन्द्र मोदी के साथ उनके परिवार का कोई सदस्य नहीं रहता तो उन्हें नहीं मिलेगी I नये प्रावधानों के तहत पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी पद छोड़ने के बाद 5 साल तक  ही एसपीजी की सुरक्षा कवर दी जाएगी। पिछले दिनों इस संशोधन मसौदे पर जब केंद्रीय कैबिनेट ने मुहर लगाई तो तभी से इसको लेकर हंगामा शुरू हो गया था । मैं तो पिछले कई वर्षों से  इस विषय पर अनेकों लेख लिखता ही रहा था I अब कहीं जाकर मेरी बात सुनी गई I एक ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरोप लगाते रहे कि यह सब राजनीति से प्रेरित है, दूसरी ओर उससे जुड़े संगठन विरोध प्रदर्शन भी करते रहे। एक गलत धारणा बनाने की  कोशिश भी की ...
क्यों न मिले अल्ताफ को भारत की नागरिकता

क्यों न मिले अल्ताफ को भारत की नागरिकता

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पाकिस्तान में मुहाजिरों के नेता अल्ताफ हुसैन ने भारत की नागरिकता की मांग की है। एक अर्से से लंदन में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे अल्ताफ हुसैन ने राम मंदिरपर आये सुप्रीम के फैसले का भी स्वागत किया है। अल्ताफ हुसैन की मांग से पाकिस्तान की बेशरम सरकार भी शर्मसार ज़रूर हुई है। आखिर पाकिस्तान के उर्दू बोलनेवाले मुहाजिरों के शिखर नेता ने भारत में बसने की इच्छा जताई है। पाकिस्तान में मुहाजिर उन मुसलमानों के लिए कहा जाता है जो देश के बंटवारे के समय दिल्ली, यूपी मध्य प्रदेश, बिहार आदि राज्यों से पाकिस्तान चले गये थे। तब उन्हें लगता था कि नये मुल्क में उन्हें जन्नत ही मिल जायेगी। इन्हीं मुसलमानों ने पाकिस्तान के लिएलम्बी लडाई भी लड़ी थी और कइयों ने अपनी कुर्बानी भी दी थी। पर नये मुल्क पाकिस्तान में  जाकर इन्हें दोयम दर्जे का नागरिक ही  माना गया और अबतक वही माना जा रहा है! इनकी जमकर दुर्गती हुई। ये अ...
लोकतंत्र तो आहत हुआ, सरकार भले बने 

लोकतंत्र तो आहत हुआ, सरकार भले बने 

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अपने अनूठी एवं विस्मयकारी राजनीतिक ताकत से शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने की असमंजस्य एवं घनघोर धुंधलकों के बीच जिस तरह का आश्चर्यकारी वातावरण निर्मित किया, वह उनके राजनीतिक कौशल का अद्भुत उदाहरण है। महाराष्ट्र में राजनीतिक नाटक का जिस तरह पटाक्षेप हुआ है उससे यही सिद्ध हुआ है कि इस राज्य में श्री शरद पवार के कद को छू पाना किसी अन्य क्षेत्रीय नेता के बस की बात नहीं है। मगर पूरा नाटक भी उन्हीं की पार्टी और उनके ही घर में विद्रोह हो जाने की वजह से हुआ। लेकिन इन बदली राजनीतिक फिजाओं एवं बाजी को उन्होंने जिस राजनीतिक परिवक्वता, साहस एवं दृढ़ता से पलटा और एनसीपी, कांग्रेस एवं शिवसेवा की शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार बनाने का रास्ता साफ किया। भले ही महाराष्ट्र में चुनाव के बाद से ही लोकतांत्रिक मूल्य तार-तार होते रहे हो, राजनीति में दलबदल एवं अनैतिकता ...
संयम व दृढ़ता की विजयगाथा

संयम व दृढ़ता की विजयगाथा

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यह अपनी गलती सुधारने जैसा तो है ही, साथ ही अपनी जड़ों से जुडऩे की कोशिश भी है। राम जन्मभूमि के अस्तित्व को स्वीकार करने व उस पर भव्य राम मंदिर के निर्माण की स्वीकृति देने के उच्चतम न्यायालय के आदेश हम भारतीयों के लिए एक 'क्रांति’ के समान है। राम के अस्तित्व को स्वीकार करना यानि वैदिक सनातन संस्कृति के अस्तित्व को स्वीकार करना है। यह इंडिया पर भारत की जीत है। यह सैकड़ों सालों के उस संघर्ष की जीत है जो अरब देशों के विदेशी इस्लामी आक्रमणकारी लुटेरों के विरुद्ध भारत की जनता ने पिछले 500 से अधिक वर्षों से संयम व दृढ़ता से हज़ारों लोगों की जान गंवाकर भी की। ये हर भारतीय के रोम रोम में बसने वाले दुनिया में प्रथम आदर्श या संपूर्ण व्यक्तित्व एवं आदर्श राज्य की स्थापना करने वाले राजा रामचंद्र के प्रति संपूर्ण भारत का प्रायश्चित भी है और विश्व को यह संदेश भी कि कई सौ सालों की गुलामी से मुक्त हुई भारत...
क्या अब राजनीति की परिभाषा बदल गई ?

क्या अब राजनीति की परिभाषा बदल गई ?

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यह बात सही है कि राजनीति में अप्रत्याशित और असंभव कुछ नहीं होता, स्थाई दोस्ती या दुश्मनी जैसी कोई चीज़ नहीं होती हाँ लेकिन विचारधारा या फिर पार्टी लाइन जैसी कोई चीज़ जरूर हुआ करती थी।  कुछ समय पहले तक किसी दल या नेता की राजनैतिक धरोहर जनता की नज़र में उसकी वो छवि होती थी जो उस पार्टी की विचारधारा से बनती थी लेकिन आज की राजनीति में ऐसी बातों के लिए कोई स्थान नहीं है । आज राजनीति में स्वार्थ, सत्ता का मोह, पद का लालच, पुत्र मोह, मौका परस्ती जैसे गुणों के जरिए सत्ता प्राप्ति ही अंतिम मंज़िल बन गए हैं। शायद इसीलिए अपने लक्ष्य को हासिल करने की जल्दबाजी में ये राजनैतिक दल अपनी विचारधारा, छवि और नैतिकता तक से समझौता करने से नहीं हिचकिचाते। वैसे तो चुनाव परिणाम आने के बाद से ही लगातार महाराष्ट्र के घटनाक्रम केवल महाराष्ट्र की जनता ही नहीं पूरे देश के लोगों को निराश कर रहे थे। लेकिन जब 23 तारीख के अ...
‘राष्ट्र जानना चाहता है’ से लेकर ‘राष्ट्र प्रथम’ तक भारत का सुधार हुआ है : प्रधानमंत्री

‘राष्ट्र जानना चाहता है’ से लेकर ‘राष्ट्र प्रथम’ तक भारत का सुधार हुआ है : प्रधानमंत्री

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में रिपब्लिक समिट में मुख्य भाषण दिया। इस वर्ष का समिट ‘यह भारत का समय है और राष्ट्र सबसे पहले है’ विषय पर केन्द्रित है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘राष्ट्र जानना चाहता है’ से लेकर ‘राष्ट्र प्रथम’ तक भारत का सुधार हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि कई दशकों से जिन समस्याओं का निदान नहीं हुआ था, अब उनका समाधान संभव हुआ है। यह दो कारणों से संभव हुआ – पहला कारण यह है कि भारत के 130 करोड़ लोग सोचते हैं कि ‘यह भारत का समय है’ और दूसरा कारण ‘राष्ट्र सबसे पहले’ है। कश्मीर में अनुच्छेद-370 के हटाए जाने के बारे में, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने आतंकवाद के सबसे बड़े कारण को समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 के कारण जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था, जो संविधान में एक अस्थायी प्रावधान था, किन्तु ‘कुछ परिवारों’ के चलते इसे...
Mockery of Constitution continues on Constitution-Day in Maharashtra

Mockery of Constitution continues on Constitution-Day in Maharashtra

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While India is celebrating Constitution-Day on 26th November, politicians and constitutional authorities are continuing to make mockery of Constitution now in Maharashtra like has been done in so many states for last about half-a century from when alliance-politics started in 1967. UPA blaming role of Maharashtra governor, forgot role of governors like Romesh Bhandari in their regime. Bitter fact remains that Speakers and state-Governors usually dance to tunes of their political mentors to become a part of unholy politics involving heavy money-power. Only and best remedy is to eliminate altogether role of Speakers and Governors in making and breaking of governments. Chief Minister should be simultaneously elected with Speaker and Deputy Speaker by secret and compulsory vote through EVMs...
फिरोज खान के संस्कृत पढ़ाने का विरोध करने वालों को भेजो जेल

फिरोज खान के संस्कृत पढ़ाने का विरोध करने वालों को भेजो जेल

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भारत वर्ष की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी स्थित महान शिक्षा के केंद्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विभाग में एक मुसलमान शिक्षक फिरोज खानकी नियुक्ति को लेकर चल रहा विवाद हैरान करने वाला है। तीन लोक से न्यारी काशी की पावन धरती पर ऐसी छोटी मानसकिता का प्रमाण शायद ही पहले कभी देखनेऔर सुनने में आया हो। गंगा-जमुनी संस्कृति और तहजीब की आत्मा काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर से निकलने वाली बारात और प्रमुख कार्यक्रम उस्ताद बिस्मिल्ला खां की शहनाई के बगैर नतो शुरू होती थी न समाप्त। धार्मिक सद्भाव की अद्भुत मिसाल पेश करने वाली काशी और यहां के निवासियों ने सदा खुले दिल से स्वागत कर आत्मसात किया। बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में पहली बार मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति पर जिस तरह से विरोध हुआ है, इसको इतिहास कभी माफ नहींकरेगा। वो कौन लोग हैं जो समाज में इस तरह के दु...
मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी! – लाला लाजपत राय

मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी! – लाला लाजपत राय

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लाला लाजपत राय 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले के एक अग्रवाल परिवार में हुआ र्था वह देश के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। आजीवन ब्रिटिश राजशक्ति का सामना करते हुए अपने प्राणों की परवाह न करने वाले जज्बे तथा जुनून के कारण पंजाब केसरी भी कहा जाता है। उन्हें ‘पंजाब के शेर’ की उपाधि भी मिली थी।  लाला लाजपत राय को भारत के महान क्रांतिकारियों में गिना जाता है।  लालाजी के पिता अध्यापक लाला राधाकृष्ण लुधियाना जिले के जगराँव कस्बे के अग्रवाल वैश्य थे। वे उर्दू तथा फारसी के अच्छे जानकार थे। इसके साथ ही इस्लाम के मन्तव्यों में भी उनकी गहरी आस्था थी। वे मुसलमानी धार्मिक अनुष्ठानों का भी नियमित रूप से पालन करते थे। नमाज पढ़ना और रमजान के महीने में रोजा रखना उनकी जीवनचर्या का अभिन्न अंग था। अपने पुत्र लाला लाजपत राय के आर्य समाजी बन जाने पर उन्होंने वेद के दार्शनिक सिद्धान्त ‘त्रेतवाद’ को समझने म...
M K Gandhi a controversial figure

M K Gandhi a controversial figure

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                Hypocrisy of the highest order that political parties and leaders, particularly the Congress Party, the BJP in New Delhi and even the Aam Admi Party, making beeline to the dedicated memorial of M K Gandhi at Rajghat to pay obeisance respects. In retrospect, the key reason is simple. Even after 72-years, the legacy of M K Gandhi still maintains a blind spell over the psyche of Indians as the “MAHATMA”. If any political party or its leaders criticize legacy of M K Gandhi, they are doomed in the electoral outcomes. From: chelvapila@aol.com <chelvapila@aol.com> Sent: September 27, 2019 Gandhi's birthday is on Oct 2,2019. No doubt there are public holidays and celebrations, solemn speeches and so on. A reappraisal of his contributions would also be very appropriate ...