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राष्ट्रवाद को चुनौती देता “अल्पसंख्यकवाद”

राष्ट्रवाद को चुनौती देता “अल्पसंख्यकवाद”

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अल्पसंख्यकवाद या मुस्लिम उन्मुखी राजनीति की विवशता आज राष्ट्रवादियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती बन रही है। जबकि स्वतंत्र भारत के नीति नियंताओं का ध्येय स्वस्थ राष्ट्रवाद की परिकल्पना का अनुगामी था। क्योंकि उन्हें स्मरण था कि अखंड भारत के मुगल व ब्रिटिश शासनों में देश के मूल निवासियों (भूमि पुत्रो) अर्थात् हिन्दुओं के शोषण का इतिहास भरा पड़ा है। उनकी स्मृतियों में देश के लगभग 1000 वर्षों के परतंत्रता काल में (यत्र-तत्र कुछ भागों में कुछ दशकों को छोड़ कर) भारत के भूमि पुत्रों के मानवीय मूल्यों के घोर हनन की वास्तविकता अभी धूमिल नही हुई थी।सन् 1947 में भारत का धर्मानुसार विभाजन मुख्यतः इस्लामिक अत्याचारों का ही परिणाम था। इस सबसे पीड़ित हमारे देश के तत्कालीन कर्णधारों ने रामराज्य की स्थापना का सपना संजोया था। ★दुर्भाग्यवश आज भी बहुसंख्यकों की उपेक्षा ही देश की मुख्यधारा बनी हुई है। स्वतंत्र भारत...
डीयू में क्यों दाखिला चाहते हैं बिहारी नौजवान

डीयू में क्यों दाखिला चाहते हैं बिहारी नौजवान

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सारे देश के नौजवानों की यह दिल्ली चाहत रहती है कि वे दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में ही पढ़े। यहाँ के हिन्दू, सेंट स्टीफंस, मिरांडा हाउस, लेडी श्रीराम, श्रीराम कॉलेज आफ कॉमर्स, हंसराज वगैरह कॉलेजों की प्रतिष्ठा इतनी अधिक है कि ये नौजवान और नवयुवतियां इनसे जुड़ना चाहते हैं।  बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश वगैरह के विद्यार्थी तो खासतौर पर डीयू में दाखिला लेने की कोशिशें करते रहते हैं। बिहारी छात्र तो गुजरे 50-60 सालों से डीयू में दाखिला ले रहे हैं। अब अनेकों यहाँ पढ़ा भी रहे हैं । पर डीयू में दाखिला लेने की चाहत रखने वाले कम ही विद्य़ार्थियों को सफलता मिलती है । इन कॉलेजों में किसी कोर्स के दाखिले के लिए नवोदित होनहारों को 12 वीं कक्षा में बहुत उम्दा प्रदर्शन करना होता है। जाहिर है कि इस स्थिति के कारण लाखों मेधावी छात्र भी लगभग हर वर्ष ही दाखिला पाने से वंचित...
रोबोटिक समाज की ओर बढ़ रहे हैं हम

रोबोटिक समाज की ओर बढ़ रहे हैं हम

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हाल ही में जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केअर की एक रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2011 से 2017 तक दुनिया भर में सेल्फी लेते समय 259 लोगों की मौत हुई। इनमें सबसे अधिक 159 मौतें  अकेले भारत में हुईं। जब 1876 में पहली बार फोन का आविष्कार हुआ था तब किसने सोचा था कि यह अविष्कार जो आज विज्ञान जगत में सूचना के क्षेत्र में क्रांति लेकर आया है कल मानव समाज की सभ्यता और संस्कारों में क्रांतिकारी बदलाव का कारण भी बनेगा। किसने कल्पना की थी जिस फोन से हम दूर बैठे अपने अपनों की आवाज़ सुनकर एक सुकून महसूस किया करते थे उनके प्रति अपनी फिक्र के जज्बातों पर काबू पाया करते थे एक समय ऐसा भी आएगा जब उनसे बात किए बिना ही बात हो जाएगी।  जी हाँ आज का दौर फोन नहीं स्मार्ट फोन का है  जिसने एक नई सभ्यता को जन्म दिया है। इसमें फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम ट्विटर जैसे अनेक ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं जहाँ बिन बात...
‘Dialogue India’ Scripts History in UAE

‘Dialogue India’ Scripts History in UAE

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Offering a solid platform to the Indian and the United Arab Emirates-based Higher Education Institutions, global investors and the foreign students aspiring for world-class education in India, the 5th Dialogue India Academia Conclave-2019 concluded in the world’s glittering city Dubai on May 2, 2019. Over a hundred dignitaries from the United Arab Emirates (UAE) and India extensively discussed how the Indian educational institutions can collectively act as a bridge between the needs of the industry globally and the skilled Indian workforce. Dozens of investors from Dubai discussed the investment opportunities in Indian higher education sector through the Indian institutions. A report: In the presence of over a hundred eminent educationists, scholars, policymakers, business delegates...
शराब के लिये गांधी का उपयोग अक्षम्य है

शराब के लिये गांधी का उपयोग अक्षम्य है

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इजरायल की शराब बनाने वाली एक कंपनी ने शराब की बोतल पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर छापकर आदर्शहीनता, मूल्यहीनता एवं तथाकथित लाभ की विकृत मानसिकता का प्रदर्शन किया है। शराब के प्रचार के लिये एवं उसकी बिक्री बढ़ाने के लिये जिस तरह से गांधी की तस्वीर को शराब की बोतल पर दिखाया गया है, उससे न केवल भारत बल्कि दुनिया के असंख्य लोगों की भावना आहत हुई है। लेकिन प्रश्न है कि क्या सोच कर शराब-कम्पनी ने विश्वनायक एवं अहिंसा के पुरोधा गांधी का गलत, विकृत एवं घिनौना उपयोग करने का दुस्साहस किया गया? क्यों भारत की कोटि-कोटि जनता की भावनाओं को जानबूझकर आहत किया गया है? क्यों शराब जैसी वर्जित चीज के लिये गांधी को प्रचार-प्रसार का माध्यम बनाया गया, जिन्होंने जीवनभर शराब-विरोध वातावरण निर्मित किया? वस्तुतः ऐसी कुचेष्टा एवं धृणित प्रयास न सिर्फ भारत के अपितु दुनियाभर के करोडों-करोडों शराब-विरोध...
आखिर कब थमेगा राज्य सभा में हंगामा, होगा कामकाज

आखिर कब थमेगा राज्य सभा में हंगामा, होगा कामकाज

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दुर्भाग्यवश संसद के उच्च सदन राज्यसभा का स्थायी चरित्र होता जा रहा है हंगामा, शोर-शराबा और व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर अव्यवस्था पैदा करना। राज्यसभा में सारगर्भित चर्चाओं को नितांत अभाव मात्र ही अब देखने में आ रहा है। जाहिर है कि इस  निराशाजनक स्थिति से सबसे अधिक आहत राज्यसभा के वर्तमान सभापति एवं भारत के उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू स्वयं दिखते हैं। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति एवं राज्य सभा के सभापति वैंकया नायडू जी का पिछले शुक्रवार 21 जून को राज्यसभा के सदस्यों को किया गया संबोधन उनकी पीड़ा को व्यक्त करता है। मैं उस समय राज्य सभा में उपस्थित था और मैंने सभापति महोदय के भाषण को बड़े ध्यान से सुना। उनके एक-एक शब्द से उनकी आंतरिक पीड़ा झलक रही थी। उन्होंने कहा -‘‘माननीय सदस्यों आप, जनता के प्रतिनिधि हैं और देश की जनता ने आप पर विश्वास करके ही आपको सदन में भेजा है। किन्तु, जब आप इस महान सद...
राजनीतिक गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त संदेश

राजनीतिक गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त संदेश

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चुने हुए जनप्रतिनिधियों की दादागिरी, गुंडागर्दी, बदतमीजी, आम आदमी से लेकर सरकारी अधिकारियों को धमकाने और पीटने की घटनाएं बार-बार लोकतंत्र को आहत करती रही हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लिया है। उन्होंने मध्य प्रदेश में एक बीजेपी विधायक द्वारा एक सरकारी कर्मचारी की पिटाई के मामले को लेकर न केवल सख्त रुख अपनाया बल्कि इसके खिलाफ कार्रवाई के आदेश भी दिये हंै। बीजेपी संसदीय दल की बैठक में उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि ‘मामले का दोषी चाहे किसी का भी बेटा क्यों न हो, उसकी यह हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। जिन लोगों ने उसका स्वागत किया है, उन्हें भी पार्टी में रहने का हक नहीं है। सभी को पार्टी से निकाल देना चाहिए।’ निश्चित ही मोदी के इस कदम से राजनीतिकों की मनमानी और गुंडागर्दी पर नियंत्रण की दृष्ट...
Pakistan honours Maharaja Ranjit Singh after honouring martyrs of freedom-struggle

Pakistan honours Maharaja Ranjit Singh after honouring martyrs of freedom-struggle

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Pakistan is going to honour Maharaja Ranjit Singh on his 180th death-anniversary by installing his life-size bronze statue near his samadhi at Lahore, also to promote religious tourism for Sikh devotees. Earlier Pakistan government started exhibiting historic documents, books and news-clippings relating to great Indian martyr Bhagatsingh from 26.03.2018 including court-order and black warrant relating to his hanging on 23.03.1931 at Shadman Chowk (Lahore), recognising him as a common hero of India and Pakistan. Earlier Pakistani authorities had even named Shadman Chowk after Bhagatsingh after persistent demand of civil-society there, though the decision was later put on hold because of some fundamentalist elements there. However celebrations are held at Shadman Chowk even presently on ever...
फरेब के सहारे सफर करने की कोशिश केजरीवाल की

फरेब के सहारे सफर करने की कोशिश केजरीवाल की

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दिल्ली में महिलाएं मेट्रो रेल और डीटीसी बसों में मुफ्त सफर कर सकेंगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस घोषणा के बाद अब किसी को शक नहीं होना चाहिए कि उनका एकमात्र मकसद सारी व्यवस्था को ही चौपट कर देना है। अरविंद केजरीवाल यह सब पैंतरेबाजी इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि अगले साल दिल्ली विधानसभा के होने वाले चुनाव पर ही उनकी नजर हैं। हालिया लोकसभा चुनाव में उनकी आम आदमी पार्टी (आप) को जनता ने दिल्ली और शेष अन्य राज्यों में पूरी तरह से खारिज करके रख  दिया है। दिल्ली में आप के सातों उम्मीदवार कहीं भी मुकाबले तक में नहीं दिखाई दिए। अब केजरीवाल को लगता है कि वे मेट्रो और डीटीसी बसों में मुफ्त यात्रा का औरतों को झुनझुना पकड़ा कर आगामी दिल्ली विधान सभा का चुनाव जीते लेंगे। अगर केजरीवाल सभी महिलाओं के लिए मुफ़्त सेवा न देकर इसे किसी एक खास वर्ग की महिलाओं तक सीमित रखते तो भी कोई बात होती। जैसे कि वे स्कू...
हिन्दी फिल्में देखने वाले तमिलनाडू में हिन्दी विरोध क्यों

हिन्दी फिल्में देखने वाले तमिलनाडू में हिन्दी विरोध क्यों

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तमिलनाडू में फिर से एक बार हिन्दी का राजनीतिक विरोध शुरू हो गया है। दरअसल विरोध नई शिक्षा नीति (2019) के मसौदा मेँ त्रिभाषा फार्मूले पर था। यह विरोध जमीन पर कितना था, यह जानने के लिए कभी तमिलनाडू भी चले जाना चाहिए। सच तो यह है कि 60 के दशक की तुलना में दक्षिण राज्यों में अब तो हिन्दी का विरोध रत्तीभर भी नहीं रहा। अब वहां पर हिन्दी का विरोध करना सिर्फ सियासी मामला है।  जिस राज्य में हिन्दी फिल्मों को देखने के लिए जनता सिनेमा घरों में उमड़ती हो वहां पर हिन्दी विरोध की बातें करना नासमझी ही माना जाएगा।हिन्दी सिनेमा को जानने –समझने वाले तमिल मूल के प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता-निर्देशक मणिरत्नम से खूब बेहतर तरीके से परिचित हैं। वे तमिल तथा हिन्दी दोनों भाषाओं के ख्यातिप्राप्त फ़िल्म निर्माता हैं। मणिरत्नम एक ऐसे निर्देशक हैं, जिनकी फिल्मों में काम करके फिल्म कलाकार अपने आप को भाग्यशाली समझता है। उ...