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Package of complete blood-tests being offered at rupees 999 through SMS: Pathological laboratories should be regulated

Package of complete blood-tests being offered at rupees 999 through SMS: Pathological laboratories should be regulated

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Presently there is a flood of SMSs on mobile-phones offering a complete package of so many blood-tests at just rupees 999 that too with facility to collect blood-samples from residences or work-places of desiring ones. But these SMSs do not give details and addresses of laboratories where blood-tests are to be conducted. Either such offers do not come from recognised and government-approved laboratories, or normal pathological laboratories are looting public. Union Ministry of Health and Family Welfare should probe into the matter. Those offering such economical packages should be directed to give details of laboratories in SMSs with compulsion to have a proper website of such laboratories. Union Health Ministry should also develop a software to be compulsorily used by all recognised...
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात प्रसंग-जब रावण ने जटायु को छल-कपट, असत्य से पराजित किया

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात प्रसंग-जब रावण ने जटायु को छल-कपट, असत्य से पराजित किया

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श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग जब रावण ने जटायु को छल-कपट, असत्य से पराजित किया गृघ्रराज जटायु की श्रीराम से वन में भेंट के समय उसकी आयु ६०,००० वर्षों की थी। वह वन में पक्षियों का अजेय राजा था। सीताहरण के समय रावण द्वारा उसके द्वंद्व युद्ध में रावण हिम्मत हार गया। उसने श्रीराम के नाम का सहारा लेकर जटायु से छल कपट, असत्य का सहारा लेकर पराजित करने का प्रयत्न किया। सत्य को प्रकट करने हेतु यहाँ कथाएँ दी जा रही है। वाल्मीकीय रामायण में गृघ्रराज जटायु, श्रीराम, सीताजी एवं रावण का प्रसंग एक अपनी अलग विशेषता लिए हुए वर्णित है। पंचवटी में श्रीराम की जटायु से प्रथम भेंट होती है। श्रीराम एवं लक्ष्मण ने वन मार्ग में विशालकाय पक्षी को देखकर उससे पूछा कि आप कौन हैं? तब जटायु ने जो कुछ कहा वह अत्यन्त ही आत्मीय वार्तालाप है। यथा- ततो मधुरया वाचा सौम्यया प्रीणयन्निव। उवाच वत्स मां विद्धि वयस्यं...
भ्रष्टाचार की सफाई का संकल्प

भ्रष्टाचार की सफाई का संकल्प

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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का करप्शन पर सशक्त वार करते हुए भ्रष्टाचार और पेशेवर कदाचार के आरोप में लिप्त अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआई की दस्तक एक नई भोर का आगाज है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर लगातार प्रहार के लिए केंद्र और राज्य सरकार के संकल्प की सराहना की जानी चाहिए। बुलंदशहर के जिलाधिकारी अभय सिंह और कौशल विकास निगम के प्रबंध निदेशक विवेक के अलावा कई अन्य बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई इस बात का प्रबल संकेत है कि केंद्र और राज्य सरकार भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन के लिये प्रतिबद्ध है। अरबों रुपयों के खनन घोटाले में इससे पहले गायत्री प्रजापति समेत कई सफेदपोशों और अधिकारियों को जेल भेजा जा चुका है। भ्रष्टाचार एवं आचरणहीनता भारत की प्रशासनिक व्यवस्था के बदनुमा दाग हैं, जिन्हें धोने एवं पवित्र करने के स्वर आजादी के बाद से गंूज रहे हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने इस दिशा में कड़े कदम उठ...
भद्रलोक में सियासी जंग

भद्रलोक में सियासी जंग

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भारतीय जनता पार्टी के लिए अब तक सबसे चुनौतीपूर्व वह पश्चिम बंगाल राज्य रहा है, जहां उसके पूर्ववर्ती संगठन भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ। पहले भारतीय जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी बनने के बावजूद पार्टी का ना तो राज्य की विधानसभा और ना ही लोकसभा में उल्लेखनीय नुमाइंदगी रही। 1967 में जब गैरकांग्रेसवाद के नारे पर पश्चिम बंगाल में भी गैरकांग्रेसी दलों का गठबंधन बना तो उसमें तत्कालीन जनसंघ महज एक सीट जीतने में ही कामयाब रहा था। बाद के दौर में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बना तो उसमें वामविरोध की धुरी बन चुकी तब बंगाल की शेरनी कही जाने वाली ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस भी शामिल हुई। इस गठबंधन का 1998 में पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को फायदा हुआ, जिसे तब दो लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई। लेकिन बाद में यह गठब...
मोदी सरकार का भ्रष्टाचार पर सशक्त वार

मोदी सरकार का भ्रष्टाचार पर सशक्त वार

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नरेन्द्र मोदी सरकार ने करप्शन पर सशक्त वार करते हुए भ्रष्टाचार और पेशेवर कदाचार के आरोप में आयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अधिकारियों को सेवा से जबरन रिटायर करने का सराहनीय निर्णय लेकर एक मिसाल कायम की है। वरिष्ठ और अहम पदों पर बैठे भारतीय राजस्व सेवा के इन दंडित अधिकारियों पर रिश्वतखोरी, उगाही, यौन शोषण, अफसरशाही जैसे गंभीर आरोप हैं। वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत आयकर विभाग आर्थिक और वित्तीय संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेहनत और ईमानदारी से अर्जित आय पर कर का भुगतान करनेवाले करदाताओं के बरक्स एक श्रेणी ऐसे लोगों की भी है, जो भ्रष्ट अधिकारियों से सांठ-गांठ कर करोड़ों रुपये की कर चोरी करते हैं एवं प्रशासनिक शुचिता को धुंधलाते हैं। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई एक नई भोर का आगाज है। वित्तीय लेन-देन और कराधान की प्रक्रिया को सुगम, सक्षम और पारदर्शी बनाने के लिए हाल के वर्...
भ्रष्ट बाबुओं बाज आ जाओ

भ्रष्ट बाबुओं बाज आ जाओ

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल का शुभारंभ धमाकेदार तरीके से किया है। उनकी सरकार ने  वित्त मंत्रालय के 12 वरिष्ठ अफसरों को  जबरन रिटायर  करा दिया। दरअसल सरकार ने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉम्र्स के नियम 56 के तहत  इन अफसरों को समय से पहले ही रिटायरमेंट दे दी। ये सभी अधिकारी आयकर  विभाग में चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर्स और कमिश्नर जैसे पदों पर तैनात थे। इनमें से कई अफसरों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के अलावा यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप थे। यानी संदेश अब साफ है। अब मोदी के राज में निकम्मे और कामचोर सरकारी बाबुओं की खैर नहीं है। अब बाबुओं के कामकाज पर गहरी नजर रखी जाएगी। अब वे सरकारी ओहदे की मौज-मस्ती नहीं काट सकेंगे। अगर मौज काटेंगे तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। यूं तो संदिग्ध अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट द...
मुद्रा लोन पाने वाले बनेंगे भविष्य के शिव नाडार और सचिन बंसल

मुद्रा लोन पाने वाले बनेंगे भविष्य के शिव नाडार और सचिन बंसल

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तो अब यह तय ही है कि नरेन्द्र मोदी सरकार अपने 2.0 के एजेंडे के तहत देश के नौजवानों को अपना कोई पसंदीदा बिजनेस चालू करने के लिए बड़े ही व्यापक स्तर पर कदम उठाने जा रही है। उसकी चाहत है कि देश की युवा शक्ति अपने करियर के विकल्प खुले रखें। सिर्फ नौकरी पाने के लिए न भागे। वे नौकरी देने वालों की कतार में लगें। वह बिजनेस करने के अवसर किसी भी हाल में न छोड़े। नौजवानों में ऐसा करने की इच्छा नहीं हैं, ऐसी बात नहीं है। परन्तु, उसमें सबसे बड़ी बाधा तो अब तक पूंजी का न होना ही होता था। बैंकों से ब्याज पर लोन प्राप्त करना भी भगवान के दर्शन पाने से कम नहीं था। पहले तो बैंक के पचासों चक्कर लगाओ। फिर जब किसी बैंक मैनेजर को किसी नौजवान का चेहरा पसंद आ जाये, या जाति, धर्म, प्रान्त, भाषा आदि किसी भी कारण से रहम आ जाये तब शुरू होगी प्रोजेक्ट बनाकर और फार्म भरकर जमा करने की बारी। गरीब नौजवान को प्रोजेक्ट बनाना...
कांग्रेस पार्टी को सही दिशाओं की तलाश

कांग्रेस पार्टी को सही दिशाओं की तलाश

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  कांग्रेस पार्टी तरह-तरह के अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है। इसकी जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की है। हालांकि पार्टी के निष्ठावान नेता उत्तराधिकारी के मसले पर बात करने को तैयार नहीं हैं। पार्टी को अब फिर से मूल्यों पर लौटकर अपने आप को एक नए दौर की पार्टी के तौर पर पुनर्जीवित करना होगा। चुनौतियां तो अनेक हैं, गांधी-परिवार पर निराशाजनक निर्भरता पार्टी के सामने पहली चुनौती है, दूसरी बड़ी चुनौती केन्द्रीय नेतृत्व का अभाव है। बावजूद इसके किस वजह से पार्टी अब भी आगे की दिशा में बड़ा कदम उठाने से कतरा रही है। पार्टी के नेता ये बुनियादी बात ही नहीं समझ पा रहे हैं कि राहुल गांधी न पार्टी को छोड़ रहे हैं, न उन्हें छोड़ रहे हैं और न ही राजनीति को। शायद वे पहली बार समझदारी दिखा रहे हैं कि कोई गैर-गांधी परिवार का सदस्य अध्यक्ष बनकर पार्टी का नेतृृत्व करें। यह समझद...
जमीनी बदलाव बिना  कांग्रेस की राह मुश्किल

जमीनी बदलाव बिना कांग्रेस की राह मुश्किल

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  सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव नतीजों को लेकर कांग्रेस कितनी आशावान थी, इसका अंदाजा पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की 21 मई की प्रेस कांफ्रेंस से चलता है। चुनाव नतीजे आने के ठीक दो दिन पहले राहुल गांधी ने जिस आत्मविश्वास से कहा था कि उन्होंने नरेंद्र मोदी के भागने के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं, उससे ही साबित होता है कि पार्टी सत्ता में वापसी को लेकर कितनी आश्वस्त थी। पार्टी की इस आशावादिता को कुछ दिन बाद आई खबरों ने भी जाहिर किया, जिसमें कहा गया है कि पार्टी की आंकड़ा विश्लेषण करने वाली टीम ने 184 लोकसभा सीटें जीतने का अनुमान जताया था, जिसके चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी सलाहकार मंडली पूरे उत्साह में थी। यहां तक कि पार्टी ने भावी मंत्रिमंडल के लिए नाम भी तय कर लिए थे। जिसमें गृहमंत्री पद के लिए द्रविड़ मुनेत्र कषगम के नेता स्टालिन का नाम तय करके उन्हें फोन भी कर दिया गया था। राष...
जीवाश्मी इस्पाती ढाँचा और श्रेष्ठ भारत का सपना

जीवाश्मी इस्पाती ढाँचा और श्रेष्ठ भारत का सपना

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                          " उम्मीद नहीं है कि भारत में गूगल और एप्पल जैसी बड़ी कम्पनियां तैयार हो सकती है। यहाँ जॉब करना और मर्सिडीज खरीद लेना ही सफलता है। क्रिएटिविटी कहाँ है? उपरोक्त बड़ी गम्भीर बात हाल ही में एप्पल के को-फाउंडर स्टीव वोज्नियाक ने भारत के बारे में कही है। इसका बड़ा गहरा अर्थ है देश के अतीत तथा वर्तमान से। और, बहुप्रतीक्षित श्रेष्ठ और स्वर्णिम भारत का भविष्य भी इन्हीं दो विरोधी शब्दों के समीकरण से तय होना है। श्रेष्ठ भारत का सपना देख रहे अधिकांश जनता को इस श्रेष्ठ भारत के निर्माण स्तम्भ जिसे इस्पाती ढाँचा के नाम से जानते हैं,के जर्जर हालत का पता ही नहीं है। आज भी भारत उस सामंती मानसिकता से पूर्णतः बाहर नहीं आ पाया है जहाँ सृजनात्मकता से प्राप्त नौकरी से ज्यादा एक अदद बाबूगिरी वाले सरकारी नौकरी को तवज्जो दिया जाता है। आईएएस, आईपीएस या बाबूगिरी वाला कोई नौकरी मिल...