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राजस्थान में कांग्रेस का सूपड़ा साफ

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लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मतगणना के बाद राजस्थान में भाजपा की 25 की 25 सीटों पर प्रचंड जीत के बाद यह परंपरा टूट गई है कि सत्तारूढ़ दल को लोकसभा चुनाव में अधिक सीटें मिलती है। प्रदेश की जनता ने यह बता दिया कि यह लोकसभा का चुनाव था, देश का चुनाव था, देश के मुद्दों को लेकर चुनाव था, राष्ट्र के हितों को लेकर चुनाव था। देश के मान सम्मान और सेना के शौर्य के सम्मान की रक्षा को लेकर चुनाव था। इस चुनाव में ना तो किसान कर्जमाफी का मुद्दा गहलोत सरकार भुना सकी और ना ही बेरोजगारी भत्ता, सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं को लेकर की गई घोषणाओं का फायदा उठा सकी। सिर्फ देशहित, राष्ट्रहित, सेना के सम्मान का मुद्दा यहां छाया रहा। गहलोत सरकार ने बहुत कोशिश की, बेरोजगारी का मुद्दा उठाने की, लेकिन भाजपा ने भी देश के विकास कार्यों का हवाला देकर बेरोजगारी के सवाल का जवाब दिया। पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सी...
‘डायलॉग इंडिया’ की अंतर्राष्ट्रीय उड़ान : ‘डायलॉग इंडिया’ ने दुबई में रचा इतिहास   

‘डायलॉग इंडिया’ की अंतर्राष्ट्रीय उड़ान : ‘डायलॉग इंडिया’ ने दुबई में रचा इतिहास  

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'डायलॉग इंडिया’ ने गत 2 मई को दुबई में इतिहास रच दिया। दस साल पहले दिल्ली से शुरू हुई भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग और ग्रेडिंग की यात्रा का इस बार पड़ाव बना संयुक्त अरब अमीरात का प्रमुख देश दुबई। इस अवसर पर आयोजित 'पांचवे डायलॉग इंडिया अकेडिया कॉंकलेव-2019’ में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के सौ से अधिक शिक्षाविदों, उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुुखों, मीडिया दिग्गजों, निवेशकों और भारत में विश्वस्तर की शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक विद्यार्थियों ने एक साथ बैठकर खुला संवाद किया और शिक्षा जगत के समक्ष मौजूदा चुनौतियों तथा उनके संभावित व्यावहारिक समाधान पर भी मंथन किया। साथ ही यह भी गहन चिंतन किया कि भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान किस प्रकार उद्योग जगत की तेज गति से बदलती जरूरतों तथा प्रशिक्षित मानव संसाधन के बीच एक सेतू की भूमिका निभा सकते हैं। इस अवसर पर दुबई के करीब एक दर्जन निवेशकों ने ...
वामपंथी विचारधारा का अवसान

वामपंथी विचारधारा का अवसान

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2019 के चुनाव परिणाम सिर्फ मोदी की सत्ता में वापसी मात्र नहीं है बल्कि वामपंथियों के उस चक्रव्यूह पर भी करारी चोट है जो भारत को सनातन संस्कृति से दूर करने का षड्यंत्र रचते रहे हैं। इसके साथ ही खान मार्केट और लुटियन की राजनीति करने वाले उस बौद्धिक अय्याश वर्ग को भी सदमा पहुंचा है जो सिर्फ नकारात्मकता को उभारता है। उसे हर चीज़ में खोट दिखाई देती है। कभी उसे भारत में असहिष्णुता दिखाई देती है तो कभी भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वालों में देशभक्ति। कभी उसे रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथ हिंसात्मक दिखते हैं तो कभी सनातनी परम्पराएं ढकोसला। कुल मिलाकर हर वह चीज़ जो भारत को अखंड बनाने की तरफ जोड़ती दिखती है वह इस खेमे के निशाने पर आ जाती है। इस खेमे की बौद्धिक उपज सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं हैं बल्कि पूरे देश में विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुयी हैं। कांग्रेस के रूप में इस वामपंथी विचारधारा को ...
विपक्ष क्यों हारा? मोदी क्यों जीते?

विपक्ष क्यों हारा? मोदी क्यों जीते?

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विपक्ष के किसी नेता को इतनी बुरी हार का अंदाजा नहीं था। सभी को लगता था कि मोदी आर्थिक मोर्चे पर और रोजगार के मामले में जिस तरह जन आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतरे, तो आम जनता में अंदर ही अंदर एक आक्रोश पनप रहा है, जो विपक्ष के फायदे में जाएगा। मोदी के आलोचक राजनैतिक विश्लेषक मानते थे कि मोदी की 170 से ज्यादा सीटें नहीं आएंगी। हालांकि वे ये भी कहते थे कि मोदी लहर, जो ऊपर से दिखाई दे रही है, अगर वह वास्तविक है, तो मोदी 300 से ज्यादा सीटें ले जाएंगे। उनके मन में प्रश्न है कि मोदी क्यों जीते? कुछ नेताओं ने ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। जबकि ज्यादातर लोग ऐसा मानते हैं कि इस आरोप में कोई दम नहीं है। दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हैं। पर यह भी सही है कि दुनिया के ज्यादतर देश ईवीएम से चुनाव नहीं करवाते। इसलिए विपक्षी दलों की मांग है कि पुरानी व्यवस्था के अनुरूप मत पत्रों से ही मतदान होना चाहि...
मोदी यानि भारत : शौर्य और सनातन संस्कृति की विजय पताका

मोदी यानि भारत : शौर्य और सनातन संस्कृति की विजय पताका

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  2019 की प्रचंड जीत के महानायक सिर्फ और सिर्फ मोदी बनकर उभरे हैं। बड़ा खिलाड़ी वह होता है जो दबाव में बेहतर खेले। 2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी को घेरने के लिए पूरा विपक्ष एक जुट हो गया था। पार्टी के अंदर भी उनको घेरने की कोशिश एक धड़ा लगातार कर रहा था। संघ के साथ भी संबंध पहले जितने मधुर नहीं थे। पर इन सबके बावजूद पांच साल तक लगातार किए गए काम और राष्ट्रीय परिदृश्य के विमर्श को अपने हिसाब से निर्धारित करने की कला ने मोदी को देश में सर्वमान्य नेता बना दिया था। एक साल पहले उच्चतम न्यायालय के द्वारा एससीएसटी एक्ट में बदलाव के बाद पहले मोदी ने कानून बनाकर दलितों पर अपना विश्वास कायम किया इसके बाद सवर्णों में जो नाराजगी पैदा हुयी उसकी भरपाई आर्थिक आधार पर आरक्षण करके पूरी की। इसके साथ ही किसानों की आय दुगुनी करने पर वह काम समानान्तर रूप से कर ही रहे थे। 2019 के प्रारम्भ में किसानों ...
नई सरकार की संकल्पना

नई सरकार की संकल्पना

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नरेंद्र मोदी का सेंट्रल हॉल में दिया गया भाषण एक ऐतिहासिक भाषण है। इसमें एक ओर बड़े बुज़ुर्गों के लिए सम्मान का भाव है तो दूसरी तरफ साथियों के लिए सुझाव हैं। इसमें एक स्वयंसेवक का अनुशासन है तो एक राजनेता नेता की चतुराई है।  नए सदस्यों के लिए मार्गदर्शन है तो देश के निर्माण का रोड मैप भी है। यह एक नया परिपक्व नरेंद्र मोदी है जो नयी पारी खेलने को पूरी तरह तैयार है। अमित त्यागी जब व्यक्ति स्वयं के अंदर गहरा उतर जाता है तब उसे बाह्य शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता है। वह अपने अंदर अंतर्निहित शक्तियों के द्वारा विश्वविजय पर निकल पड़ता है। नरेंद्र मोदी के द्वारा सेंट्रल हाल में दिया गया भाषण आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर एवं आत्मिक चिंतन से परिपूर्ण भाषण था। केदारनाथ में चिंतन और ध्यान करने के बाद यह एक नए नरेंद्र मोदी का उदय है। जिस पर भगवान शिव की कृपा दिखाई देती है। केदारनाथ में ध्यान के बा...
अखिलेश सरकार के पतन का सबसे बड़ा कारण यूपी लोकसेवा आयोग की भर्तियों में धांधलियां

अखिलेश सरकार के पतन का सबसे बड़ा कारण यूपी लोकसेवा आयोग की भर्तियों में धांधलियां

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यूपी में अखिलेश यादव सरकार के पतन का सबसे बड़ा कारण था यूपी लोकसेवा आयोग की भर्तियों में धांधलियां और उसमें व्याप्त घोर अहीरवाद!! कुल 86 एसडीएम में 54 एसडीएम यादव थे ये जानकारी आग की तरह पूरे देश मे फैल गयी, अहीरवाद का सबसे बड़ा ठप्पा लगने का प्रमुख कारण यही था और यही उनके पतन का सबसे बड़ा कारण बना!! अब यूपी लोकसेवा आयोग में बदस्तूर जारी गड़बड़ियों को रोका नही गया तो यही बदनामी योगी सरकार की भी  होनी शुरू हो चुकी है, शुक्र मनाइए कि पेपर लीक की घटना चुनाव के बाद सामने आई नही तो बड़ा मुद्दा बन जाती!! योगी आदित्यनाथ यूपी लोकसेवा आयोग की धांधलियां रोकने के लिए कटिबद्ध थे पर खुद उन्ही की पार्टी के भृष्ट तत्व उन घोटालेबाजो से साज खाए हुए हैं। 2017 में सरकार बनते ही योगी जी ने सपा सरकार में लोकसेवा आयोग के चेयरमैन नियुक्त हुए अनिरुद्ध यादव को हटाने का प्रयास किया पर उसे एक ताकतवर भाजपा नेता...
ICMR calls for ban on e-cigarettes

ICMR calls for ban on e-cigarettes

TOP STORIES, समाचार
The Indian Council of Medical Research (ICMR) has recommended complete ban on e-cigarettes and other electronic nicotine delivery systems (ENDS), based on currently available scientific evidence. In a white paper released today, the council noted that e-cigarettes and other such devices contained not only nicotine solution, which was highly addictive, but also harmful ingredients such as flavoring agents and vaporizers. “Use of ENDS or e-cigarettes has documented adverse effects on humans, which include DNA damage; carcinogenic, cellular, molecular and immunological toxicity; respiratory, cardiovascular and neurological disorders; and adverse impact on fetal development and pregnancy,” the paper noted.   The paper has rejected the argument that e-cigarettes could help smokers qui...
सीख लो कुछ चीन से भी, रोक लो आबादी

सीख लो कुछ चीन से भी, रोक लो आबादी

TOP STORIES, सामाजिक
17 वीं लोकसभा चुनाव की सारी प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है और केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार (एनडीए) ने अपना कामकाज फिर से शुरू कर दिया है। यूं तो इस सरकार को देश हित में बहुत से अहम निर्णय लेने हैं, यदि सरकार देश में आबादी को रोकने के लिए भी कोई ठोस नीति लेकर आए तो इसका चौतरफा स्वागत ही होगा। अब इस मसले पर अविलंब निर्णय लेने की आवशयकता है। वैसे ही हमने अपनी आबादी को कम या काबू में करने में भारी देरी कर दी है। इसके पीछे लंबे समय तक सत्तासीन पार्टियों की वोट की राजनीति ही जिम्मेदार थी। तब एक खास समुदाय को खुश करके उनके वोट हथियाने के लिए कभी भी सत्ताधारी नेताओं ने आबादी को रोकने के संबंध में सोचा ही नहीं गया। इसी सोच के कारण उस खास समाज को भी भारी नुकसान हुआ। वह विकास की दौड़ से पिछड़ गये । इस बीच,योग गुरु बाबा रामदेव ने भी देश में जनसंख्या नियंत्र...
वीर सावरकर का विरोध करने वाले कायर है.

वीर सावरकर का विरोध करने वाले कायर है.

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कांग्रेस और वामपंथी सहित सभी सेकुलरिस्ट पार्टियां विनायक दामोदर सावरकर का मूल्यांकन काफी संकुचित दायरे में करती है. वो सिर्फ वीर ही नहीं थे बल्कि वो महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, लेखक और कवि भी थे. कांग्रेस जब अंग्रेजों का सेफ्टी वल्व बनकर ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा की शपथ लिया करती थी. जब भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी और नेहरू का  नामोनिशान नहीं था. जब कम्यूनिस्ट पार्टी, हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कहीं पैदा नहीं हई थी. उस वक्त, सावरकर भारत के सैकड़ो क्रांतिकारियों का फ्रेंड, गाईड और फिलोसोफर थे. सावरकर ब्रिटिश शासन के विरुद्ध क्रांति की आग फैला रहे थे, अभिनव भारत नामक गुप्त क्रांतिकारी दल की पहुंच और सक्रियता को बढा रहे थे. युवकों को क्रांति के लिए तैयार कर रहे थे. दूसरों की तरह वो भी पढ़ाई करने इंग्लैंड पहुंचे लेकिन वो ऐशोआराम की जिंदगी बसर कर बैरिस्टर नहीं बनना चाहत...