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जीवन व्यस्त हो, अस्तव्यस्त नहीं

जीवन व्यस्त हो, अस्तव्यस्त नहीं

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असन्तुलन एवं अस्तव्यस्तता ने जीवन को जटिल बना दिया है। बढ़ती प्रतियोगिता, आगे बढ़ने की होड़ और अधिक से अधिक धन कमाने की इच्छा ने इंसान के जीवन से सुख, चैन व शांति को दूर कर दिया है। सब कुछ पा लेने की इस दौड़ में इंसान सबसे ज्यादा अनदेखा खुद को कर रहा है। बेहतर कल के सपनों को पूरा करने के चक्कर में अपने आज को नजरअंदाज कर रहा है। वह भूल रहा है कि बीता हुआ समय लौटकर नहीं आता, इसलिए कुछ समय अपने लिए, अपने शरीर, अपने शौकों और उन कामों के लिए, जो आपको खुशियां देते हैं, रखना भी बहुत जरूरी है। समय ही नहीं मिलता! कितनी ही बार ये शब्द आप दूसरों को बोलते हैं तो कितनी ही बार दूसरे आपको। क्या वाकई समय नहीं मिलता? सच ये भी तो है कि जिनसे हम बात करना या मिलना चाहते हैं, उनके लिए समय निकाल ही लेते हैं। यही समय प्रबन्धन है, इसके लिये लेखिका पैट होलिंगर पिकेट कहती हैं, ‘ये आपको तय करना है कि ...
कैसे सुधरेगी राजनीति की दशा ?

कैसे सुधरेगी राजनीति की दशा ?

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लोकसभा के चुनावों का माहौल है। हर दल अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर रहा है। जो बड़े और धनी दल है, वे प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए धन भी देते हैं। कुछ ऐसे भी दल हैं, जो उम्मीदवारी की टिकट देने के बदले में करोड़ों रूपये लेकर टिकट बेचते हैं। पता चला है कि एक उम्मीदवार का लोकसभा चुनाव में 5 करोड़ से लेकर 25 करोड़ रूपया या फिर इससे भी ज्यादा खर्च हो जाता है। जबकि भारत के चुनाव आयोग द्वारा एक प्रत्याशी द्वारा खर्च की अधिकतम सीमा 70लाख रूपये निर्धारित की गई है। प्रत्याशी इसी सीमा के भीतर रहकर चुनाव लड़े, इसे सुनिश्चित करने के लिए भारत का चुनाव आयोग हर संसदीय क्षेत्र में तीन पर्यवेक्षक भी तैनात करता है। जो मूलतः भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा व भारतीय राजस्व सेवा के वे अधिकारी होते हैं, जो दूसरे प्रांतों से भेजे जाते हैं। चुनाव के दौरान जिला प्रशासन और इन पर्यवेक्षकों की जवाबदेही किसी...
LPG subsidy be only on basis of affidavits rather than expecting voluntary surrender

LPG subsidy be only on basis of affidavits rather than expecting voluntary surrender

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Subsidy for LPG is for families having combined income of rupees ten lakhs per annum with central government appealing those above the stipulated income-limit to voluntarily surrender subsidy. But instead of expecting voluntary surrender, Union Petroleum Ministry should ask to submit affidavits regarding total family-income to avail subsidy. This will drastically reduce LPG subsidy-burden on the exchequer because those not having voluntarily surrendered subsidy will then avoid filing wrong affidavits to get subsidy. Net payable price including of all central and local taxes should be rounded in multiples of rupees ten or fifty, because delivery-persons never return balance-money. System will further reduce financial-burden on the exchequer because of LPG subsidy. At least LPG, if not pe...
Prominent leader of Congress-party avoids Ramlala-darshan at Ayodhya

Prominent leader of Congress-party avoids Ramlala-darshan at Ayodhya

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It refers to prominent Congress leader Priyanka Gandhi avoiding Ramlala-Darshan at Ayodhya on 29.03.2019 as according to her the matter was sub-judice, when she was at Ayodhya during campaign for forthcoming Lok Sabha elections. But the sub-judice matter is about making availability of land for a grand Ram-temple at birth-place of Lord Rama, and not on worshipping the existing deity. Congress leader forgot that Ramlala deity was unlocked only in Congress regime. Only recently one Congress spokesperson on TV news-channel openly favoured for construction of Ram-temple at Ayodhya. Congress itself being in a confused state of mind instead of confusing voters, should come with a firm stand on its willingness in favour or against construction of a grand Ram-temple at birth-place of Lord Rama ...
तो क्या मारे जाते रहेंगे ईमानदार सरकारी कर्मचारी

तो क्या मारे जाते रहेंगे ईमानदार सरकारी कर्मचारी

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पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से सटे खरड़शहर मेंविगत दिनों जोनल लाइसेंसिंग अथॉरिटी में अधिकारी नेहा शौरी की उनके दफ्तर में ही दिन दहाड़े गोली मार कर की गई हत्याने सत्येंद्र दुबे और मंजूनाथ जैसे ईमानदार सरकारी अफसरों की नृशंस हत्यायों की यादें ताजा कर दी। नेहा शौरी  एक बेहद मेहनती और कर्तव्य परायण सरकारी अफसर थीं। बेईमानों को कभी छोड़ती नहीं थीं। इसका खामियाजा उन्हें जान देकर देना पड़ा।कहा जा रहा है किसन 2009 में जब नेहा रोपड़ में तैनात थीं, उस दौरान उन्होंने आरोपी के मेडिकल स्टोर पर छापेमारी की थी और घोर अनियमितताओं को पाकर उसका लाइसेंस कैंसिल कर दिया था। इसी का बदला लेने के लिए आरोपी उनपर सुनियोजित हत्या के मकसद से हमला किया। तो नेहा की हत्या ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया है कि अब इस देश में ईमानदारी से काम करना कठिन होता जा रहा है। अगर सरकारी बाबू ईमानदार नहीं होगा तो उसे मार दिया जाएगा या...
राष्ट्रीय ध्वज और सैनिकों का सम्मान

राष्ट्रीय ध्वज और सैनिकों का सम्मान

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आर्य समाजी विद्यालय में शिक्षा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में समाजसेवा के संगम से मेरे दिल और दिमाग पर राष्ट्रभक्ति की विशेष छाप है। मेरा सारा राजनीतिक जीवन राष्ट्रभक्ति के भावों के बिना शून्य ही रह जाता। जब मन पर समाज और राष्ट्र की सुरक्षा से सम्बन्धित विचारों का प्रभाव होता है तो व्यक्ति स्वार्थ में बहकर राजनीतिक जीवन को भ्रष्टाचारी कार्यों की बलि नहीं चढ़ाता। आज यदि राजनीतिक जीवन में या किसी भी अन्य क्षेत्र में जब भी भ्रष्टाचार, अपराध, अनैतिकता, लड़ाई-झगड़ा या लूट-खसोट आदि अनैतिक आचरण दिखाई देते हैं तो एक सहज कल्पना की जा सकती है कि ऐसे कार्यों में लिप्त लोग राष्ट्रभक्ति की अवधारणाओं और मान्यताओं से कोसों दूर हैं। इसलिए मेरा यह निश्चित मत है कि समाज से यदि हर प्रकार की अनैतिकता और दुराचार आदि को समाप्त करना है तो हमें देश के नागरिकों को बचपन से ही राष्ट्रभक्ति और समाजसेवा का भरपूर पाठ पढ़ान...
तो नाम लेवा तक नहीं रहेगा लेफ्ट दलों का

तो नाम लेवा तक नहीं रहेगा लेफ्ट दलों का

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लेफ्ट पार्टियों को लेकर इस चुनावी माहौल के कोलाहाल में किसी तरह की कोई खास हलचल सामने नहीं आ रही है। हां,बिहार में बेगूसराय से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा) ने कन्हैया कुमार को टिकट जरूर दे दिया है।  फिलहाल लेफ्ट दलों से कोई भी अन्य दल  सीटों कातालमेल करने के लिए भी तैयार नहीं है। चार लेफ्ट पार्टियों को 2004 के लोकसभा चुनावों में 59 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। लोकसभा चुनावों में वह शायद वामपंथी पार्टियों का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। पर 2014 के लोकसभा चुनावों में उसे मात्र 11सीटें ही मिलीं। एक तरह से कहा जा सकता है कि उन्हें देश के मतदाता ने धूल चटा मिला दिया । उसके बाद से लेफ्ट पार्टियों के सीताराम येचुरी, डी.राजा और वृंदा करात जैसे नेता सिर्फ सेमिनार सर्किट में ही देखे जाते हैं। वहां पर ये अपने विचार व्यक्त करके खुश हो जाते हैं। ये अंतिम  बार कब श्रमिक, किसान या गरीब-गुरुबा के हक में ल़ड...
Election Commission really autonomous:  Admits electoral bonds against transparency

Election Commission really autonomous: Admits electoral bonds against transparency

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Election Commission of India has risen to the occasion by opposing at Supreme Court, the decision of central government to introduce electoral bonds for funding of political parties where names of contributors are hidden. These bonds have become source of undisclosed funding to ruling party getting 95-percent of total funding done through electoral bonds in the year 2017-18. It is evident any ruling party will be getting major share of such opaque contribution because of contributors getting favours from the ruling party by themselves remaining anonymous. Contributions made to political parties should be perfectly transparent and cashless. Electoral bonds must carry names of contributors to prevent these as indirect and legalised bribing to ruling party. With central government motiv...
Central government should regulate pricing of printer-cartridges of computers and standardise for drastic cut in prices

Central government should regulate pricing of printer-cartridges of computers and standardise for drastic cut in prices

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Newspaper-advertisements have appeared wherein a leading multinational brand has come out with original ink-cartridges for its laser-printers available at just rupees 846 MRP with average print-cost for a paper-sheet just 33 paise using original cartridge. But the largest-selling multi-national company of computer-printers in Indian market Hewlett-Packard HP has still Maximum-Retail-Price printed on ink-cartridges exorbitantly high even though its original cartridges available in wholesale markets of Nehru place and Nai Sarak in Delhi at much-much less than printed MRP. Even wholesale price for its ink-cartridges of laser-printers remains much higher around rupees 3000 making some Indian manufacturers marketing re-filled cartridges at around rupees 700 or so. Even re-fill can be done at...
Save India from being economically bankrupt for vote-bank politics

Save India from being economically bankrupt for vote-bank politics

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Make people work hard rather than making them beggars dependent on freebies Congress President has come with big pre-poll announcement to give rupees 72000 per annum to five crore families covering about 25 crores population in case his party comes in power. Poll-promise is gimmick in itself because Congress President has said that the scheme is planned to be introduced in phased manner without any elaboration of the term phased-manner. India would have been a developed nation if such allegedly pro-poor gimmick schemes would not have been allowed distributing free items or providing money without or nominal work just on paper like MNERAGA. Useless subsidies have tend to eaten up Indian economy like termites where most such subsidies in name of poor are misused by affording ones like ...