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चुनावी लोकतंत्र : बस, पांच कदम चलना होगा..

चुनावी लोकतंत्र : बस, पांच कदम चलना होगा..

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पार्टिंयां चुनावों की तैयारी करती हैं. पार्टियां ही उम्मीदवार तय करती हैं. पांच साल वे क्या करेंगी; इसका घोषणापत्र भी पार्टियां ही बनाती हैं. चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जायेगा; मीडिया के साथ मिलकर ये भी पार्टियां ही तय कर रही हैं. मतदान की मशीन पर चुनने के लिए छपे हुए निशान भी  पार्टियों के ही होते हैं. मतदाता भी अपना मत, उम्मीदवार से ज्यादा, पार्टियों को ध्यान में रखकर ही देता है. यह लोकसभा के लिए लोक-प्रतिनिधि चुनने का चुनाव है कि पार्टिंयां चुनने का ? लोगों  को अपना प्रतिनिधि चुनना है. क्या चुनाव से पूर्व कभी लोगों से पूछा जाता है, हां भई, आप बताइए कि किस-किस को उम्मीदवार बनाया जाए ? सोचिए. स्वयं से पूछिए कि इस चुनाव में चुनाव आयोग है, मतदाता है, मतदान की मशीन है; किंतु इसमें लोक कहां है ? लोक-प्रतिनिधियों का चुनाव है, तो उम्मीदवार, चुनावी प्रक्रिया, और तौर-तरीके से लेकर चुनावी एजेण...
सशक्त सेना – सुरक्षित भारत

सशक्त सेना – सुरक्षित भारत

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भारतीय सेना समूचे विश्व की दूसरी बड़ी सेना है और भारतीय सेना का वार्षिक खर्च समूचे विश्व में उसे 5वाँ स्थान प्रदान करता है। वर्ष 2018 में भारतीय सेना का बजट शिक्षा और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के बजट का 5 गुना था, फिर भी पाकिस्तान और चीन के साथ लगती सीमाओं पर आये दिन तनाव के दृष्टिगत रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यह बजट और अधिक होना चाहिए। लगभग 3 लाख करोड़ रुपये प्रतिवर्ष सेवा निवृत्त सैनिकों को पेंशन वितरित की जाती है। अब तक भारतीय सेना के लिए रक्षा उपकरण बहुतायत विदेशों से आयात किये जाते थे, परन्तु अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ आह्वान के कारण भारत में कई प्रकार के रक्षा उपकरणों के निर्माण प्रारम्भ कर दिये गये हैं जिससे निकट भविष्य में भारत रक्षा उपकरणों का निर्यातक देश बनने की अवस्था में आ सकता है। माॅरीशस, श्रीलंका, वियतनाम तथा संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) जैसे देशों क...
War Cry in Valley of Kashmir

War Cry in Valley of Kashmir

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The war cry reverberating in the valley of Jammu & Kashmir over the BJP promise to scrap Article 370 and Article 35A of the Indian Constitution is more a ‘poll campaign propaganda’ than a serious threat to liberate the state from the Union of India. The reference to Article 370 and Article 35A is part of the Election Manifesto of the BJP for the Lok Sabha elections. One should not forget that the National Conference and the People’ Democratic Party are in the fray contesting Lok Sabha election in Jammu & Kashmir. Dr. Farooq Abdullah is in fray from Srinagar seat while Mehbooba Mufti is contesting from Anantnag Lok Sabha seat. Interestingly, the PDP has not fielded any candidate in Jammu region and in Udhampur from where Dr. Karan Singh’s son is in the race as Congress candidate. T...
चुनाव के समय मतदाता को जागरूक करने में लगे राजनैतिक दल

चुनाव के समय मतदाता को जागरूक करने में लगे राजनैतिक दल

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देश में एक बार फिर चुनाव होने जा रहे हैं और लगभग हर राजनैतिक दल मतदाताओं को "जागरूक" करने में लगा है। लेकिन इस चुनाव में खास बात यह है कि इस बार ना तो कोई लहर है और ना ही कोई ठोस मुद्दे यानी  ना सत्ताविरोधी लहर ना विपक्ष के पक्ष में हवा। बल्कि अगर यह कहा जाए कि समूचे विपक्ष की हवा ही निकली हुई है तो भी गलत नहीं होगा।  क्योंकि जो भ्रष्टाचार का मुद्दा  अब तक के लगभग हर चुनाव में विपक्षी दलों का एक महत्वपूर्ण हथियार होता था इस बार उसकी धार भी फीकी है। इस बात का एहसास देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष  को भी हो गया है शायद इसलिए कल तक जिस रॉफेल विमान की सवारी करके वो सत्ता तक पहुंचने की लगातार कोशिश कर रहे थे आज वो उनके चुनावी भाषणों से ही फुर्र हो चुका है । हाँ लेकिन चौकीदार पर नारे वो अपनी हर चुनावी रैली में लगवा ही लेते हैं। लेकिन उनके चौकीदार चोर है के नारे की हवा "मैं भी चौकी...
AN OPEN LETTER TO ELECTION COMMISSION AND POLITICAL PARTIES

AN OPEN LETTER TO ELECTION COMMISSION AND POLITICAL PARTIES

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We, the National Alliance of women, are writing this to express our deep dissatisfaction with the meager allotment of tickets to women candidates by major political parties in the lists put out by them. It is our contention that political parties that don’t have an adequate representation of women within their organization are not truly representative of our democracy. Moreover, it is incumbent on all who are in a position of responsibility to create a just social order. These precedents of unfairness in ticket allotment serve to perpetuate the gender imbalance in opportunities available to men and women in India. National Alliance for Women’s Reservation Bill (a platform with members from many women’s organizations), has met with the previous election commissioners. We have, on several...
क्यों चुनावी मुद्दा नहीं बन पाती शिक्षा?

क्यों चुनावी मुद्दा नहीं बन पाती शिक्षा?

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लोकसभा चुनावों का प्रचार अब तो सारे देश में जोर पकड़ चुका है। चुनावी सभाएं, रैलियां, भाषण वगैरह हो रहे हैं। पहले चरण का चुनाव तो मंगलवार को थम भी जायेगा। हर पक्ष दूसरे पर जनता को छलने और गुमराह करने के आरोप लगा रहे हैं। ये अपनी तरफ से सत्तासीन होने पर आसमान से सितारे तोड़ कर लाने के अलावा तमाम अन्य संभव-असंभव वादे भी कर रहे हैं। पर इन सबके बीच एक मुद्दा लगभग अछूता सा बना हुआ है। वह है शिक्षा का। इतने महत्वपूर्ण बिन्दु पर अभी तक कोई सारगर्भित बहस सुनने को ही नहीं मिल रही है। देश में शिक्षा का स्तर नहीं सुधरेगा तो देश बुलंदियों को कैसे छू सकेगा। क्या ये किसी को बताने की जरूरत  है? बेशक, यह अपने आप में आश्चर्य का ही विषय है कि लोकसभा या विधान सभा चुनावों के दौरान शिक्षा के मसले पर कभी पर्याप्त बहस नहीं हो पाती। दरअसल देखा जाए तो शिक्षा को राम भरोसे छोड़ दिया गया है हमने। हमने अपने यहां स्कूल...
कलात्मक मृत्यु का इतिहास रचने वाला साधक

कलात्मक मृत्यु का इतिहास रचने वाला साधक

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जैन धर्म के छोटे-से आम्नाय तेरापंथ धर्मसंघ के सुश्रावक श्री विष्णुभगवान जैन का इनदिनों अलखपुरा तहसील तोशाम जिला भिवानी (हरियाणा) में संथारा यानी समाधिमरण का आध्यात्मिक अनुष्ठान असंख्य लोगों के लिये कोतुहल का विषय बना हुआ है। दिनांक 9 नवम्बर, 2018 भैयादूज के प्रारंभ यह सर्वाधिक लम्बा संथारा आज 146 वें दिवस पर भी अनवरत जारी है। मृत्यु के इस महामहोत्सव के साक्षात्कार के लिये असंख्य श्रद्धालुजन देश के विभिन्न भागों से दर्शनार्थ पहुंच कर अमरत्व की इस अनूठी एवं विलक्षण यात्रा से लाभान्वित हो रहे हैं। यह संथारा इसलिये भी अनूठा एवं आश्चर्यकारी है क्योंकि एक कृषिजीवी जाट परिवार में जन्मे एवं सनातन धर्म के संस्कारों में पले एवं बाद में जैन बने श्री विष्णु भगवान आज के इस भौतिकवादी एवं सुविधावादी युग में सुख-सुविधा, मोहमाया के त्याग का इतिहास रच रहे हैं। जैसाकि सर्वविदित है कि जैन धर्म में अनगिनत सदि...
सांसद की भूमिका क्या होती है?

सांसद की भूमिका क्या होती है?

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इस देश की राजनीति की यह दुर्दशा हो गई है कि एक सांसद से ग्राम प्रधान की भूमिका की अपेक्षा की जाती है। आजकल चुनाव का माहौल है। हर प्रत्याशी गांव-गांव जाकर मतदाताओं को लुभाने में लगा है। उनकी हर मांग स्वीकार कर रहा है। चाहे उस पर वह अमल कर पाए या न कर पाए। 2014 के चुनाव में मथुरा में भाजपा उम्मीदवार हेमा मालिनी ने जब गांवों के दौरे किए, तो ग्रामवासियों ने उनसे मांग की कि वे हर गांव में आर.ओ. का प्लांट लगवा दें। चूंकि वे सिनेतारिका हैं और एक मशहूर आर.ओ. कंपनी के विज्ञापन में हर दिन टीवी पर दिखाई देती है। इसीलिए ग्रामीण जनता ने उनके सामने ये मांग रखी। इसका मूल कारण ये है कि मथुरा में 85 फीसदी भूजल खारा है और खारापन जल की ऊपरी सतह से ही प्रारंभ हो जाता है। ग्रामवासियों का कहना है कि हेमा जी ने ये आश्वासन उन्हें दिया था, जो आजतक पूरा नहीं हुआ। सही बात क्या है, ये तो हेमा जी ही जानती होंगी। यह...
उत्तराखंड की ठंडी और शांत वादियों में चुनावी शोर

उत्तराखंड की ठंडी और शांत वादियों में चुनावी शोर

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देश में लोकसभा चुनाव का शंख बजने के बाद उत्तराखंड की ठंडी और शांत वादियों में चुनावी शोर ने भले ही अभी गति न पकड़ी हो पर प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टी बीजेपी और कांग्रेस में अंतरकलह की गर्माहट ने राजनीतिक माहौल को खासा गरमा रखा है। प्रदेश के 76.28 लाख मतदाता 11 अप्रैल को अपना मतदान कर सूबे की 5 लोकसभा सीटों पर किस दल को काबिज करने जा रहे हैं यह तो अभी नहीं कहा जा सकता पर राजनीति के रणनीतिककारों का मानना है कि इस बार सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस दोनों की हालत चिकन सूप की तरह पतली बनी हुई है। एक ओर प्रदेश में कांग्रेस का अंतर्कलह का बीज फूट फूटकर आपसी कलह की नई पौध को जन्म देने पर तुला हुआ है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी के सिरमौर माने जाने वाले बड़े नेता वनवास की ओर रुख किये बैठे हैं जिसके चलते देश के इस सबसे बड़े उत्सव का रंग सूबे की जनता पर अभी तक नहीं चढ़ पाया है। उत्तराखंड की पांचों लोकसभ...
राजनीतिक दलदल में फंसी ममता के हाथ से फिसल रहा है बंगाल

राजनीतिक दलदल में फंसी ममता के हाथ से फिसल रहा है बंगाल

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लोग अक्सर कहते हैं कि राजनीति में सबकुछ बदल जाने के लिए एक सप्ताह काफी है। लेकिन जिस तरह से बंगाल की राजनीति की दिशा और दशा पिछले कुछ दिनों में बदली है वो हैरान करने वाला है। जो ममता बनर्जी एक महीने पहले देश की प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रही थी वो आज अपने ही घर में घिर गई है। बंगाल में बीजेपी के पक्ष में एक अंडरकरेंट चल रहा है। बीजेपी मजबूत होती जा रही है और ममता की पार्टी का ग्राफ धरातल की ओर जा रहा है। ये अंडरकरेंट कहां थमेगा और कब थमेगा ये कहना तो मुश्किल है लेकिन हकीकत ये है कि भारतीज जनता पार्टी की नजर अब बंगाल से 15-20 सीटें जीतने पर टिक गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह तृणमूल कांग्रेस के एक एमएलए अर्जुन सिंह हैं जिन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया है। इससे बंगाल का पूरा परिदृश्य बदल गया है। ये बीजेपी का एक गेम-चेंजर दांव साबित होने वाला है क्योंकि ममता बनर्जी ने अपनी सेना का अर्जुन खो दिय...