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Merger of banks: Should be earliest and in one go

Merger of banks: Should be earliest and in one go

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Union Cabinet on 23.08.2017 had given nod in principle for merger of public-sector banks but to be started in phases that too only after a long time-consuming process of deliberations and consultations in committees to be formed for the purpose. Talks of merger of nationalized banks have been there for so many years, and as such necessary and sufficient reports must have been ready by now for an early implementation of already over-delayed decision. It is also clear from news appearing in media about five banks (apart from State Bank of India) namely Punjab National Bank, Canara Bank, Union Bank of India, Bank of India and Bank of Baroda being made anchor banks where all other banks are to be merged. Merger should be in one-go rather than in phases that too earliest in a time-bound peri...
Tear-based screening test soon for childhood blinding condition

Tear-based screening test soon for childhood blinding condition

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Retinopathy of prematurity (ROP) is one of the most common serious eye complications that occurs in premature babies. It can lead to incomplete blood vessel growth in the retina, and eventual loss of vision. A group of researchers in Hyderabad have identified a biomarker that can help in detecting the risk of ROP from just a drop of tear. Premature babies are administered oxygen to help them survive in incubators. This process, however, has to be monitored carefully as overexposure to oxygen can be highly toxic to blood vessels including those in the retina. Overexposure to oxygen in neonatal care is a major cause of ROP. Low oxygen levels in the retina when the child is out of incubator cause abnormal blood vessel growth in the retina, which in turn causes loss of neurons and vision lo...
Coalition governments of Congress-groups in three states

Coalition governments of Congress-groups in three states

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Different yard-sticks to choose Prime Minister and Chief Ministers in Congress It refers to extra-ordinary time taken by Congress high-command in selecting three Chief Ministers for the states of Rajasthan, Madhya Pradesh and Chhattisgarh where the party won in recently-held elections, with reports of Rajasthan having 15 ministers each from rival groups of Ashok Gehlot and Sachin Pilot. Even for Chhattisgarh, media-reports indicate that formula is evolved to have two different Chief Ministers for half-term each. It looks like that Congress-won states have a sort of compromised coalition governments, rather than governments with a single-party rule. It is significant that party-leaders look their young party-President with little experience as future Prime Minister of the nation while...
Regulation of NGOs necessary

Regulation of NGOs necessary

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Intelligence Bureau’s report indicated about misuse of Indian NGO’s for any anti-national agenda by foreign-contributors where it was revealed that India’s GDP has been adversely affected to big extent of 2-3 percent through such foreign-funding to NGOs. Many NGOs are said to have been funded for cultural evasion in India. Foreign-funded NGOs spend in rupees and receive funds in dollars by sending these foreign-contributors exaggerated photos and videos of events dramatised to get huge foreign-funding. Many NGOs are tools to divert foreign-funds of individuals. Siphoning of government-funds for NGOs run by influential ones in political and bureaucratic circles in name of their family-members should be prevented by stopping any kind of direct or indirect funding of NGOs at public-expense...
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला – उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला – उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

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कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी – यह एक बहुत ही प्रचलित लोकोक्ति है. बताया जाता है कि कुत्ते की दुम को बारह साल तक पाइप में रखने पर भी सीधी नहीं होती है. पाइप से निकालते ही वो टेढ़ी हो जाती है. इस लोकोक्ति का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो लाख कोशिशों के बावजूद सुधरने का नाम नहीं लेता. ऐसे व्यक्ति को 'कुत्ते की दुम' कहा जाता है. राफेल विवाद के मामले में राहुल गांधी और मोदी से घृणा करने वाले लॉबी की हालत कुत्ते की दुम की तरह हो गई है. ये हर बार बिना सबूत.. बिना तथ्य.. बिना किसी वजह के मोदी पर आरोप तो लगाते हैं लेकिन कुछ साबित नहीं कर पाते हैं. कोर्ट से लताड़ पड़ती है तो फिर कोई दूसरा मुद्दा उठा लेते हैं. राहुल गांधी को तो केजरीवाल की बीमारी लग गई है – बिना सबूत के आरोप लगाना फिर माफी मांगना. केजरीवाल तो एक शहर का नेता है लेकिन कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष जब सड़कछाप रा...
कौन भेजता भारत में अरबों डॉलर

कौन भेजता भारत में अरबों डॉलर

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भारत वर्ष के विभिन्न कोनों में चालू  वर्ष के दौरान विदेशों में बसे प्रवासी भारतीयों ने दिल खोलकर रकम भेजी। इन्होंने 80 बिलियन ड़ॉलर यानी करीब 80 अरब रुपये अपने देश में भेजा। वर्ल्ड बैंक की एक ताजा रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। पिछले साल यह रकम 69 बिलियन डॉलर ही थी। मतलब दुनिया के कोने-कोने में बसे प्रवासी भारतीय अपनी मातृभूमि पर दोनों हाथों से धन की वर्षा कर रहे हैं। आप कह सकते हैं कि देश से बाहर अपनी जिंदगी को संवारने गए ये लाखों भारतीय अब देश की किस्मत को भी बदलने में लग गये हैं। सबसे गौर करने लायक तथ्य ये है कि इनसे ज्यादा रकम किसी भी अन्य देश के विदेशों में रहने वाले नागरिकों ने अपने देश में नहीं भेजी। हालांकि पड़ोसी चीन के विदेशों में बसे नागरिकों की संख्या हमारे प्रवासी नागरिकों से कहीं अधिक हैं, पर हमने बाहर से प्राप्त रकम के मामले में उसे पछाड़ दिया। चीन को 2017 में 64 बिलियन ड...
सिंधु घाटी में पश्चिम से आए थे रोड़ समुदाय के लोग

सिंधु घाटी में पश्चिम से आए थे रोड़ समुदाय के लोग

TOP STORIES, विश्लेषण
सिंधु घाटी सभ्यता वर्षों से इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के शोध का विषय रही है। कुछ वर्षों से आनुवांशिक शोधकर्ता भी इस पर काम कर रहे हैं। एक नये शोध से पता चला है कि सिंधु घाटी की आनुवांशिक विविधता में रोड़ समुदाय की मुख्य भूमिका रही है।   रोड़ समुदाय राजस्थान और हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है और ऐसा माना जाता है कि वैदिक काल से यह समुदाय इसी क्षेत्र में रह रहा है। इसीलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि रोड़ समुदाय की आनुवांशिक बनावट में एक निरंतरता है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि रोड़ समुदाय सिंधु घाटी में कांस्य युग के दौरान यूरोपीय क्षेत्रों से आया था। इनके आने से सिंधु घाटी में पहले से रह रहे गुज्जर, जाट, काम्बोज और खत्री समुदाय की आनुवांशिक विविधता में बदलाव आया। यही कारण है कि सिंधु घाटी में रहने वाले विभिन्न समुदायों के आनुवांशिक फलक ...
स्वस्थ भारत के तीन आयामः जनऔषधि पोषण और आयुष्मान विषय पर हुआ राष्ट्रीय परिसंवाद

स्वस्थ भारत के तीन आयामः जनऔषधि पोषण और आयुष्मान विषय पर हुआ राष्ट्रीय परिसंवाद

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जिस समय दिल्ली के रामलीला मैदान में राम मंदिर की चर्चा जोर-शोर से चल रही थी, ठीक उसी समय दिल्ली के गांधी-शांति प्रतिष्ठान में स्वस्थ भारत की अगुवाई में स्वास्थ्य पत्रकारों की एक टोली स्वस्थ भारत की चर्चा में कर रही थी। स्वस्थ भारत एवं प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस परिसंवाद का मुख्य विषय था 'स्वस्थ भारत के तीन आयामः जनऔषधि पोषण और आयुष्मान'। स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं स्वस्थ भारत के चेयरमैन एवं सीनीयर स्वास्थ्य पत्रकार आशुतोष कुमार सिंह की पुस्तक 'जेनरिकोनॉमिक्स' का लोकार्पण किया जा रहा था तो दूसरी तरफ स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी लेखनी के माध्यम से आम लोगों को जागरूक कर रहे स्वास्थ्य पत्रकारों एवं मीडियाकर्मियों को सम्मानित जा रहा था। जनऔषधि परियोजना के सीइओ सचिन कुमार सिंह, नेशनल हेल्थ एजेंसी के इडी अरूण गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी,प्रसिद्ध गांधीव...
ब्रजवासियों के साथ धोखा क्यों?

ब्रजवासियों के साथ धोखा क्यों?

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जब से 'ब्रजतीर्थ विकास परिषद्’ का गठन हुआ है, ये एक भी काम ब्रज में नहीं कर पाई है। जिन दो अधिकारियों को योगी आदित्यनाथ जी ने इतने महत्वूपर्ण ब्रजमंडल को सजाने की जि मेदारी सौंपी हैं, उन्हें इस काम का कोई अनुभव नहीं है। इससे पहले उनमें से एक की भूमिका मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के नाते तमाम अवैध निर्माण करवाकर ब्रज का विनाश करने में रही है। दूसरा सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी है, जिसने आजतक ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण पर कोई काम नहीं किया। इन दोनों को ही इस महत्वपूर्ण, कलात्मक और ऐतिहासिक काम की कोई समझ नहीं है। इसलिए इन्होंने अपने इर्द-गिर्द फर्जी आर्किटैक्टों, भ्रष्ट जूनियर अधिकारियों और सड़कछाप ठेकेदारों का जमावाड़ा कर लिया है। सब मिलकर नाकारा, निरर्थक और धन बिगाड़ू योजनाऐं बना रहे हैं। जिससे न तो ब्रज का सौंदर्य सुधरेगा, न ब्रजवासियों को लाभ होगा और न ही संतों और तीर्थयात्र...
सक्रिय होकर सुनें

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TOP STORIES, सामाजिक
हम सभी जानते हैं कि संवाद केवल तभी होता है जब कोई वक्ता और श्रोता दोनो होते हैं। संवाद सदैव दो-तरफा प्रक्रिया मानी जाती है, जिसका अर्थ है कि असरदार संवाद केवल तभी माना जाता है जब श्रोता या रिसीवर यह स्वीकार करता है कि उसे संदेश प्राप्त हुआ है, चाहे वह केवल सिर हिलाकर ही क्यों न बताए। हम यह भी जानते हैं कि भगवान ने हमें सुनने के लिए दो कान दिए हैं और एक मुंह बोलने के लिए दिया है। इसका मतलब है कि हमें दिनभर की बातचीत में बोलना कम और सुनना अधिक चाहिए। जब हम सुनते हैं, तो हम सीखते हैं जबकि बोलते समय हम केवल वही कहते हैं जो कि हम जानते हैं और इसलिए हमारे ज्ञान में कोई मूल्यवर्धन नहीं होता। इसलिए सुनना हमेशा हमारे लिए फायदेमंद होता है जबकि बोलना एक ऊर्जा खर्च करने वाली एक प्रक्रिया है। सक्रिय हो कर सुनना एक बहुत महत्वपूर्ण कला है जिसे हमें हमेशा सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। हमारी नौकरी में...